Book Title: Amit Rekhaye
Author(s): Devendramuni
Publisher: Tarak Guru Jain Granthalay

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Page 49
________________ अमिट रेखाएं के रथ को अपने महलों में ले जा सकता है बशर्ते कि उसे कलिंग राज के साथ युद्ध करना पड़ेगा। संभव है कोई मूर्ख राजा इसके लिए तैयार हो जायेगा। कलिंग राज को यह युक्ति बहुत पसन्द आई। उसने उसी समय अपनी कन्याओं को बिठाकर रवाना कर दी। रथ बिना रुकावट के निन्तर आगे बढ़ता हुआ चला जा रहा था। सभी कलिंगराज से भयभीत थे। रथ घूमता हुआ अस्सकराज की ओर बढ़ा । अस्सकराज ने उपहार आदि देने का सोचा, किन्तु नहामंत्री नन्दिसेन ने कहा --- राजन् । पौरसहीन कहलाने के बजाय तो पुरुषार्थ दिखाते हुए मरना श्रेयस्कर है। आप उनके चरणों में समर्पित न न होइए, पर ससम्मान उन कुमारियों को महल में बुला लीजिए। भविष्य में जो होगा वह देखा जायेगा। लोगों को ज्ञात तो हो कि अभी दुनिया में एक सच्चा मर्द तो है । ____ मंत्री नन्दिसेन की प्रबल प्रेरणा से उत्प्रेरित होकर उस्सकराज ने राजकुमारियों को महल के भीतर बुलवा लिया और कलिंगराज को सूचना भिजवा दी। कलिंगराज तो युद्ध के लिए पहले से ही छटपटा रहा था। उसकी भुजाएं फडक रही थी। वह अपनी विराट् सेना सजाकर अस्सकराज की ओर चल पड़ा। लिंगराज की सेना अस्सकराज के राज्य की सीमा पर आकर रुकी, इधर से अस्सकराज भी अपनी सेना लेकर वहां पहुँच गया। - युद्ध भूमि के सन्निकट ही एक पहुँचे हुए योगीराज Jain Education InternationaFor Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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