Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 14
________________ ११ आवश्यक करनेकी विधि ॥ सुंदर स्थानमें पवित्रतापूर्वक एक आसनपर स्थिति करके श्री सीमंदर स्वामीजीको वंदना करके या वर्तमान में अपने गुरुओं को वदना नमस्कार, तिक्खुत्तोके पाठसे तीन वार करके फिर, चौवीसत्था करनेकी आज्ञा लेकर निम्न लिखित पाठ पढे । अरिहंतो महदेवो, फिर, इच्छाकारण, फिर, तरसोत्तरीका पाठ पढके एक लोगस्सका ध्यान करे, फिर नमो अरिहंताण कहके ध्यान पारे, फिर एक चउविसत्था उदात्त स्वरसे पढ़े, फिर वामा जानु ऊंचा करके दाहिण जानु भूमिपर रखकर दो नमोत्थुण के पाठ पढ़े - प्रथम सिद्धों का द्वितीय अरिहंतोंका, फिर तिक्खुत्तोके पाठसे वंदना करके प्रतिक्रमण करनेकी आज्ञा लेकर प्रथम- आवस्सही इच्छाकारण, यह पाठ पढे, फिर नवकार मंत्र, फिर, करेमि भत्ते सामाइय, फिर, इच्छामि ठामि का पाठ, फिर, तस्सोत्तरी करनेका पाठ, फिर, ध्यान करे । ध्यानमें ९९ वे अतिचार और इच्छामि आलोइय पर्यन्त व्यान करे । ध्यानमें - जो मे देवसि (राईसि) अइयारकउ चिंतनुं - ऐसे कहे, फिर नमो अरिहताण कहके ध्यान पूर्ण करे। फिर तिक्खुतोके पाठसे वदना करके लोगस्स उज्जोयगरेका पाठ पढ़े। फिर वदना करके इच्छामि खमासमणोका पाठ दो वार पढ़े। फिर तिक्खुतोके पाठसे चतुर्थ आवश्यककी आज्ञा लेकर वही सर्व अनिचार पढे। फिर तिक्खुतोके पाठसे वदना करके श्रावक सूत्र पठन करे । फिर दो वार इच्छामि खमासमणोका पाठ पढके यथाशक्ति पंचपदों को वंदना नमस्कार करके फिर अनंत चौवीसीका पाठ पढ़े। फिर सर्व जीवों को खमावना करके आवस्सही इच्छाकारेण, नमोकार मंत्र, करेमि भत्तेका पाठ, इच्छामि ठामि काउस्सग्ग, फिर तस्सोत्तरीका पाठ पठन करके कायोत्सर्ग 8 किन्तु सर्व पाठोंके अंतमें जो मे देवसि अइयारकर तस्स मिच्छामि दुक, ऐसे कहे ॥

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