Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 70
________________ ७२ पय वृक्षोंका परिमाण करना इसी प्रकार आगे भी जान लेना (फलविहं) फल विधिका परिमाण ( अम्भंगणविहं ) आभंगण विविका परिमाण, जैसे तैलादिका (उवट्टणविहं ) उवटनेका परिमाण (मजणविहं) मञ्जन. [स्नान] विधिका परिमाण वा पानीका परिमाण (वत्थविहं) वस्त्र विधिका परिमाण (विलेवणविहं) चंदनादि विलेपन विधिका परिमाण (पुप्फविहं) पुप्प विधिका परमाण (आभरणविहं) आभूषणोंका परिमाण (धूप ' विहं ) धूप विधिका परिमाण (पेज विहं) पीनेवाली वस्तुओंका परिमाण (भक्खणविहं) खाद्यमादि वस्तुओंका परिमाण (उदन विहं) शाल्यादिका परिमाण (सूपविहं) मूंगी प्रमुख दालिका पारेमाण (विगयविहं) विगय [धृन, तैल, दूध, दधि, गुड, नवनीत (माखन) मधु आदि] का परिमाण (सागविहं) शाकादि विधिका परिमाण (माहुरविहं) माधुर विधिका परिमाण जैसे कि-आम्रादि फल (निमणविह) अमुक पदार्थका आहार करूंगा तथा निक्त पदार्थोका परिमाण (पाणीविहं) जल विधिका परिमाण जैसे कि अमुक कूपादिका जल सेवन करूंगा (मुखवासविहं.) लवंग सु-. पारि प्रमुखका परिमाण (वाहनिविहं) रय, रेलगाडी, अश्व, हस्ती, यक्का, इत्यादि वाहनोंका परिमाण (पाहनिविहं) पादोंकी रमा अर्थे जूती इत्यादि विधिका परिमाण (सयणविहं) शय्या पर्यकादिका परिमाण (सचित्तविहं) सचित्त वस्तुओंका परिमाण जैसेकि-पांच स्थावरोंका सेवनार्थे परिमाण करना (दव्वविहं) द्रव्य विधिका परिमाण जैसे कि-आज दिन कतिपय द्रव्य अंगीकार करूंगा, कल्पना करो किसी व्यक्तिने ५ द्रव्योंके विना और सर्व पदार्थोंका नियम कर दिया है तो फिर पाच द्रव्य यह इस प्रकारसे ग्रहण करता है, कि-एक द्रव्य अन्न, द्वितीय द्रव्य जल, तृतीय द्रव्य सुप, चतुर्थ द्रव्य शाक, पंचम द्रव्य घृत, (इत्यादिकनुं यथा परिमाण की छे) इत्यादि पदार्थोंका जैसा परिमाण किया हुआ है (ते उपरान्त) उनके विना (उवभोग) जो एक वार आमेवन करनेमें आवे तथा (परिभोग). नो वस्तु पुनः २ आसवन करनेमें आवे (भोग निमित्ते) भोगनेके वास्ते

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