Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 94
________________ ॥ अथ षष्टम प्रत्याख्यान आवश्यक पाठ॥ मुहूर्तके प्रत्याख्यानका मूल सूत्र। उग्गयसूरे नमुक्कार सहियं पञ्चक्वामि चउविहंपि आहारं असणं पाणं खाइमं साइमं अन्नत्थणा भोगेणं सहसागारेणं वोसिरामि ।। हिंदी पदार्थ-(उग्गयसूरे) सूर्य उदयसे एक मुहूर्त प्रमाण (नमुक्कार सहियं) नमस्कार सहित अर्थात् नमोक्कारके विना पढ़े पारना नहीं करना इस प्रकारसे (पञ्चक्खामि) प्रत्याख्यान करता हूं (चउन्विहपि आहारं ) चतुर्विधके आहारका, जैसेकि-(असणं) अन्नकी जाति (पाणं) पानीकी जाति (खाइमं) फलादिकी जाति (साइमं ) चूर्णादिकी जाति, किन्तु निम्नलिखिन आगार है जैसेकि-(अन्नत्थणा भोगेणं) यदि विना उपयोग वस्तु खाई जाए अर्थात् भक्षण करते समय प्रत्याख्यानकी स्मृति न रहे नो नथा (सहरसागारेणं) अकस्मान् कोई वस्तु मुखमें जा पड़े जेसे दविको मथन करते हूए तक [छाछ ] की विंदु मुखमें जा पडती है, सो इन दोनो आगारोंसे चार प्रकारके आहारको (वोसिरामि ) छोड़ता हूं क्योंकि इन आगारोंसे प्रत्याख्यान भंग नहीं होता ॥ भावार्थ-उक्त पाठ मुहूर्त मात्रके प्रत्याख्यान करनेका है। यदि वयमेव प्रत्याख्यान करना हो तब "पञ्चक्खामि" और "वोसिरामि" ऐसे शब्द कहने चाहिये, यदि गुरू करवावे तब वे "पञ्चक्खाइ" और "वोसिरड" ऐसे कहे। इस प्रत्याख्यानमे दो आगार होते हैं जैसे कि (अनत्यणा भोगणं) विना उपयोग (सहसागारेण) और अकस्मात् , इन आगारों से प्रत्याज्यान भंग नहीं होता है । इसी प्रकार सर्व प्रत्याख्यानोंमे जानना चाहिये, और चतुर्विधक आहारका सर्वथा ही इस नियममें प्रत्याग्व्यान है॥

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