Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 77
________________ अथ दशम व्रत विषय ॥ दशम देसावगासिक व्रत दिन प्रते प्रभात थकी प्रारंभीने पूर्वादिक छ दिशे जेटलो भूमिका मोकलो राखी छे ते उपरांत सइच्छायें कायायें जइने पांच आस्रव सेववाना पञ्चक्खाण जाव अहोरत्तं दुविहं तिविहेणं न करेमिन कारवेमि मणसा वयसा कायसा तथा जेटली भूमिका मोकली राखी छे ते मांहिज जे द्रव्यादिकनी मर्यादा कीधी छे ते भोगववी ते उप. रांत उवभोग परिभोग भोग निमित्ते भोगववाना पञ्चक्खाण जाव अहोर एगविहं तिविहेणं न करेमि मणसा वयसा कायसा एहवा दशवां देशावकाशिक व्रतना पंच अइयारा जाणियम्वा न समायरियव्वा तज्जहा ते आलोउं आणवणप्पओगे, पेसवणप्पओगे, वर्तमान कालमें संवा करनेकी प्रथा निम्नलिखितानुसार हैद्रव्य थकी पांच आस्तव सेवनेका पञ्चक्खाण, क्षेत्र थकी लोक प्रमाण तथा यावन्मात्र प्रमाण करना हो । काल थकी यावत्काल पर्यन्त बैठा रहू तथा मुहूर्त्तादि प्रमाण पर्यन्त । भाव थकी उपयोग सहित । गुण थकी निर्जराके हेत । दुविहं तिविहेण न करेमि न कारवेमि मणसा, वयसा, कायसा, तस्स भत्ते पडिक्कमामि : निंदामि गरिहामि अप्पाणं वोसिरामि ॥१॥ फिर पांच नमोकार मत्रको पदकर इसे पार लेते हैं।

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