Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 37
________________ ३५ भार लादा हो अर्थात् अतीव भारका लादना भी एक अतिचार है ४ और अन्नपानीका व्यवच्छेद कर दिया हो तथा वेतन आदि न दिया हो १ सो यदि इस प्रकार से मेरे प्रथम अनुव्रतमें दोष लगा हो तो मैं उस दोष से पीछे हटता हूं अर्थात् उन दोषोंको छोडता' हूं ॥ बोजा थूल मृषावाद वेरमण व्रतके विषय जे कोई अतिचार लागो होय ते आलोउं सहसातकारि ret प्रते कूडा आल दीधा होय १ रहस्स छानी वार्त्ता प्रगट करी होय २ स्त्री पुरुषका मर्म प्रकाश्या होय ३ कहीं मंते पाय पाडवा भणी मृषा उपदेश दोघा होय ४ कूडा लेख लिख्या होय ५ जो मे देवसि अइयार कओ तस्स मिच्छा मि दुक्कडं ॥ अर्थ -- द्वितीय अनुव्रतकी भी आलोचना इस प्रकारसे करे कि यदि मैने विचारशून्य होकर किसीके ऊपर दोपारोपण किया हो १ अथवा किसीकी गुप्त वार्ता प्रगट कर दी हो २ स्त्री वा पुरुषको मर्मयुक्त वार्ता - ओंका प्रकाश किया हो ३ अपने वश करने के लिए किसीको असत्य [ दुष्ट ] सम्मति दी हो ४ अथवा कूट लेख लिखें हो ५ क्योंकि यह कर्म द्वितीय अनुव्रतको कलंकित करनेवाले है । यदि इस प्रकार से मैने कोई भी दिनमे दोष किए हों तौ मै उन दोषोंसे पीछे हटता हूं अर्थात् उनको छोड़ता हू ॥ त्रीजा थूल अदत्तादान वेरमण व्रतके विषय जे कोई अतिचार लागो दोय ते आलोउं चोरको चुराइ वस्तु लोधी होय १ चोरने साहज दोघा होय २ राज्य विरुद्ध कीधा दोय ३ कूडा तोल कूडा मापा

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