Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

View full book text
Previous | Next

Page 64
________________ - अथ पंचम अनुव्रत विषय ॥ पांचमुं अणुव्रत शूलाओ परिग्गहाओ वेरमणं खित्त वत्थुनुं यथा परिमाण हिरण्ण सोवण्णर्नु यथा परिमाण धन धाण्णर्नु यथा परिमाण दुप्पद चउप्पदनुं यथा परिमाण कुविय धातुनुं यथा परिमाण ए यथा परिमाण कीधुं छे ते उपरांत पोतानुं करी परिग्रह राखवानां पञ्चक्खाण जावजीवाय एगविहं तिविहेणं न करेमि मणला वयसा कायसा एहवा पांचमा थूल रिमाण व्रतना पंच अइयारा जाणियवान • समायरियव्वा तंजहा ते आलोउं खित्त वत्थु प्पमा णाइक्कमे हिरण सोवण्ण पमाणाइक्कमे धन धाण्ण 'प्पमाणाइक्कमे दुप्पद चउप्पद पमाणाइक्कमे कुविय धातु पमाणाइक्कमे जो मे देवसि अइयारो कउ तस्त मिच्छा मि दुक्कडं ॥ हिंदी पदार्थ-(पांचमुं अणुव्रत थूलाओ परिगहाओ वेरमणं) पांचवां अनुव्रत स्थूल [ मोटा] परिग्रहसे धन धान्यादि निवृत्तिरूप उसका विवरण करते है जैसेकि-(खित्त वत्युनु यथा परिमाण) क्षेत्र [ खेत] वा आरामादिकी भूमिका अथवा हट्ट गृहशालादिका यावत् [जितना ] परिमाण किया हुआ है (हिरण्ण) चादी (सोवण्णY) सुवर्णका ( यथा परिमाण) यावत् परिमाण किया हुआ है (धन) धन और (धाण्णनु) गोधूमादि धान्यका (यथा परिमाण) यावत् परिमाण किया हुआ है (दु. प्पद) द्विपद मनुष्यादि (चउप्पदर्नु) चतुष्पद गवादिका (यथा परिमाण) ' यावत् परिमाण किया हुआ है (कुविय धातु-) घरकी यावत् सामग्री है

Loading...

Page Navigation
1 ... 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101