Book Title: Agam 40 Mool 01 Aavashyak Sutra
Author(s): Atmaramji Maharaj
Publisher: Lala Munshiram Jiledar

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Page 67
________________ अथ सप्तम व्रत विषय ॥ ' सातमु व्रत उवभोग परिभोगविहं पञ्चक्खायमाणे उल्लणियाविहं इंतणविहं फलविहं अभ्अंगण विहं उवट्टणविहं मजणविहं अत्यविहं विलेवणविह पुप्फविहं आभरणविहं धूपदिदं पेजविहं भक्षणविहं उदनविहं सूपविहं विगयविहं लागविहं मा. हुरविहं जिमणविहं पाणीविहं मुखवासविहं था. हनिविहं पाहनिविहं लयणविहं सचित्तविहं, दव्य दिशं इत्यादिकनुं यथा परिमाण कीधुं छे ते उपरान्त उवभोग परिभोग भोगनिपिने भोगववाना पझक्खाण जावजीवाय एगविहं तिविहेणं न करेमि मणता वयसा कायसा एहवा सालमा उपभोग परिमोया दु. विहे पन्नते तंज्जहा भोयणाउए कम्मउय भोयणाउ समणोवासयाणं पंच अइयारा जाणियव्वा न समो. यरियव्वा संज्जहा ते आलोउं सचित्ताहारे सचित पडिबद्दाहारे अप्पोलि ओसहि भक्षणयाय, दुप्पोलि ओसहि भक्खणयाय तुच्छोसहि भक्खणयाय जो मे देवलि अईयार कर तस्त मिच्छा मि दुक्कडं ॥ त. त्थणं,जे. ते कम्मउर्ण समणोवासयाणं पन्नरस्त क. म्मदाणाई जाणियव्वा न समायरियव्वा तंज्जहा ते

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