Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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जे भिक्खू अइरेगं पडिग्गहं खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा थेरस्स वा थेरियाए वा अहत्थच्छिन्नस्स अपायछिण्णस्स अनासाछिण्णस्स अकण्णछिण्णस्स अणो?छिण्णस्स सक्कस्स देइ देंतं वा साइज्जइ ॥६॥
जे भिक्खु अइरेगं पडिग्गहं खुड्डगस्स वा खुड्डियाए वा थेरगस्स वा थेरियाए वा हत्थछिण्णस्स पायच्छिण्णरस नासाछिण्णस्स कण्णछिण्णस्स ओछिण्णस्स असक्कस्स न देइ न देंत वा साइज्जइ ॥७॥
जे भिक्खू पडिग्गहं अणलं अथिर अधुवं अधारणिज्जं धरेइ धरतं वा साइज्जइ । जे भिवखु पडिग्गहं अलं थिरं धुवं धारणिज्जं न धरेइ न धरेंतं वा साइज्जइ ॥९॥ जे भिक्खू वण्णमंत पडिग्गहं विवणं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥१०॥ जे भिक्खू विवण्णं पडिग्गहं वण्णमंतं करेइ करेंतं वा साइज्जइ ॥११॥
जे भिक्खू 'नवर मे पडिग्गहे लद्धे' त्ति कटु तेल्लेण वा घएण वा णवणीएण वा वसाए वा मक्खेज्ज वा भिलिंगेज्ज वा मक्खेत वा भिलिंगेंतं वा साइज्जइ ॥१२॥
"जे भिक्खू णवए मे पडिग्गहे लद्धेत्ति कट्टु लोद्धेण वा कक्केण वा चुण्णेण वा वण्णेण वा उल्लोलेज्ज वा उधव्वदृज्ज वा उल्लोलतं वा उव्वस॒तं वा साइज्जइ ॥१३॥ जे भिक्खू णवए मे पडिग्गहे लद्धे -त्ति कटु सीओदगवियडेण वा उसिणोदगवियडेण वा उच्छोलेज्ज वा पधोवेज्ज वा उच्छोलेंतं वा० ॥१४॥ जे भिखु णवए में पडिग्गहे लद्धे त्ति कटु बहदेवसिएण तेल्लेण वा० ॥१५॥ वहुदेवसिएण लोरेण वा० ॥१६॥ बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा ॥१॥ जे भिक्खू सुब्भिगंधे पडिग्गहे लद्धे-त्ति कटु दुब्भिगंधे करेइ ॥१८॥ जे भिक्खू दुन्भिगंधे पडिग्गहे लद्धे त्ति कटु सुब्भिगंधे करेइ ॥१९॥ जे भिक्खू सुब्भिगंधे पडिग्गहे लद्धे-त्ति कटु तेल्लेण वा० ॥२०॥ लोद्धेण बा० ॥२१॥ सीओदगवियडेण वा० ॥२२॥ एवं बहुदेवसिएण तेल्लेण वा० ॥२३॥ बहुदेसिएण लोद्धेण वा० ॥२४॥ बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा० ॥२५॥ जे भिक्खू दुब्भिगंधे पडिग्गहे लद्धे-त्ति कटु तेल्लेण वा० ॥२६।। लोद्रेण वा० ॥२७॥ सीओदगवियडेण वा० ॥२८॥ एवम् बहुदेवसिएण तेल्लेण वा० ॥२९॥ बहुदेवसिएण लोद्रेण वा०॥३०॥ बहुदेवसिएण सीओदगवियडेण वा० ॥३१॥
जे भिक्खू अणंतरहियाए पुढवीए पडिग्गहं आयावेज्ज वा पयावेज्ज वा, आयावेतं वा पयावेत वा साइज्जइ ॥३२॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર