Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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वा साइज्जइ ॥६७॥ जे भिक्खू संपसारियं वंदइ वंदंत वा साइज्जइ ॥६८॥ जे भिक्खू संपसारियं पसंसइ पसंसंत वा साइज्जइ ॥६९॥
जे भिक्खू धाईपिंडं भुंजइ भुंजत वा साइज्जइ ॥७॥
जे भिक्खू दुईपिंडं भुंजइ भुजतं वा साइज्जइ ॥७१॥ जे भिक्खू णिमित्तपिंडं मुंजइ भंजतं वा साइज्जइ ॥७२॥ जे भिक्खू आजीवियपिंडं भुंजइ भुंजंतं वा साइज्जइ ॥७३॥ जे भिक्खू वणीमगपिंडं भुजइ भुजंत वा साइज्जइ ॥७४॥ जे भिक्खू तिगिच्छपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥७५॥ जे भिक्खू कोहपिंडं मुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥७६॥ जे भिक्खू माणपिंड भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥७७॥ जे भिक्खू मायापिंडं मुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥७८॥ जे भिक्खू लोभपिंडं भुंजइ भुंजतं वा साइज्जइ ॥७९॥ जे भिक्खू विज्जापिडं भुंजइ भुजंतं वा साइज्जइ ॥८०॥ जे भिक्खू मंतपिजड मंजतं वा साइज्जइ ॥८१॥ जे भिवखू जोगपिंडं भुंजइ भुजतं वा साइज्जइ ॥८२॥ जे भिक्खू चुण्णपिंडं भुंजइ मुंजत वा साइज्जइ ॥८३॥ तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहाहाणं उग्याइयं ॥८४१ ॥ निसीहज्झयणे तेरसमो उद्देसो समत्तो ॥१३॥
॥चतुर्दशोदेशकः॥ जे भिक्खू पडिग्गहं किणइ किणावेइ कीयमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥१॥
जे भिक्खू पडिग्गहं पामिच्चेइ पामिच्चावेइ पामिच्चियमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥२॥ ___ जे भिक्खू पडिग्गहं परियटेइ परियट्टावेइ परियट्टियमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥३॥
जे भिक्खू पडिग्गहं अच्छिज्जं अणिसिहं अभिहडमाहटु दिज्जमाणं पडिग्गाहेइ पडिग्गाहेंतं वा साइज्जइ ॥४॥
जे भिक्खू अतिरेगपडिग्गहं गणिं उद्देसिय गणिं समुदेसिय त अणापुच्छिय अणामंतिय अण्णमण्णस्स वियरइ वियरंतं वा साइज्जइ ॥५॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર