Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Sthanakvasi
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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२१
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसंतं वा पितं वा सोयंतं वा भल्लायण उप्पारत्ता सीओदगवियडेण वा उसिणोद्गवियडेण वा उच्छोल्लेज्ज वा पधोएज्ज वा उच्छोलेंतं वा पधोएं वा साइज्जर ||१५||
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसतं वा पिट्ठतं वा सोयंतं वा उच्छोलेत्ता पधोवेत्ता अन्नयरेणं आलेवणजाएणं आलिंपेज्ज वा विलिपेज्ज वा आलिपंत वा विलिपतं वा साइज्जइ ॥ १६ ॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसंत वा पितं वा सोयंत वा उच्छोलेता पोता आलिपेत्ता विलिपेत्ता तेल्लेण वा घरण वा वसाए वा णवणीपण वा अभंगेज्ज वा मक्खेज्ज वा अन्भतं वा मक्तं वा साइज्जइ ॥ १७॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए पोसंतं वा पितं वा सोयतं वा उच्छोलेत्ता पधोएत्ता आलिपेत्ता विलिपेत्ता अभंगेत्ता मक्खेत्ता अन्नयरेण धूवणजाएण धूवेज्ज वा पधूवेज्ज वा धूर्वेतं वा पधूवेंतं वा साइज्जइ ॥१८॥
जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए कसिणाई वत्थाई धरेइ धरेतं वा साइज्जइ । जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए अहयाई वत्थाई घरेइ धरेंतं वा साइज्जइ ||२०|| जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियाए धोवाइ वत्थाई घरेइ घरेंतं वा साइज्जइ ||२१|| जे भिक्खू माउग्गामस्स मेहुणवडियार चित्ताईं वत्थाई धरे धरेंत वा साइज्जइ ||२२|| जे भिक्खू माउगामस्स मेहुणवडियाए विचित्तारं वत्थाई धरेs धरतं वा साइज्जइ ||२३||
जे भिक्खू माउग्गामम्स मेहुणवडियाए अप्पणो पाए आमज्जेज्ज वा पम ज्जेज्ज वा आमज्जंतं वा पमज्जंतं वा साइज्जइ ||२४||
एवं तइयउद्दे से जो गमो सो चेव इहंपि मेहुणवडियाए णेयव्वो जाव जे भिक्खू माग्गामस् मेहुणवडियाए गामाशुगामं दुइज्जमाणे अप्पणो सीसदुवारिय करेइ करें वा साइज्जइ || २५ ॥
जे भिक्खू माउम्गामस्स मेहुणवडियाए खीरं वा दहिं वा णवणीयं वा सपि वा गुलं वा खंड वा सक्करं वा मच्छंडियं वा अन्नयरं वा पणीयं आहारं आहा रेइ आहतं वा साइज्जइ ||२६||
तं सेवमाणे आवज्जइ चाउम्मासियं परिहारहाणं अणुग्धाइयंति ||२७|| ॥ निसीहज्झयणे छट्टो उद्देसो समत्तो ॥
શ્રી નિશીથ સૂત્ર