Book Title: Agam 24 Chhed 01 Nishith Sutra Part 03 Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Kanhaiyalal Maharaj
Publisher: Amar Publications
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सभाष्य-चूणिके निशीथसूत्रे
[सूत्र-१२
खेत्तयो इमं - णिवेसण वाडग साहा गाममज्झे गामदारे गामबहिं उज्जाणे उजाणसीमंतरे सीमाए . | सीममतिक्कते, एतेसु जहासंखं मासलहुगादि पारंचियावसाणं देयं ।
कालो मासलहुगादि दसहिं दिणेहिं पारंचियं । भावतो दसमवारं गेण्हंतस्स मासलहुगादि पारंचियं भवति । गामस्संतो गयं ।
एमेव य गामबहिया वि पायच्छितं भाणियव्व । दिढे संकादियं सव्वं । तं पुण सत्थाण वासट्टाणे वा जं वा ठाणं लोगो जत्ताए गच्छति ।।४७३०॥ बहिया गेण्हणे पच्छित्तस्स प्रतिद्दे सं करेति -
अंतो श्रावणमादी, गहणे जा वणिया सवित्थारा ।
बहिया उ अण्णगहणे, पडितम्मी होंति सच्चेव ॥४७३१॥ अंतो णगरादीणं प्रावणा वा प्रावणवज्जे वा अदुगुंछियं दुगछियं वा अपरिगहियं परिगहपडितं गेण्हमाणस्म जं पच्छित्तं भणियं, बहिया वि गामादीणं अण्णग्गहणे पडियं गेहंतस्स सोधी, सच्चेव अपरिसेसा दट्टब्वा ।।४७३१॥ वसमाणे गतं।।
इदाणि अण्णग्गहणं "अडवीए" जं तं भण्णति -
कोट्टगमादिसु रन्ने, एमेव जणो उ जत्थ पुंजेति ।
तहियं पुण वच्चंते, चतुपदभयणा तु छदिसगा ॥४७३२।।
कोदृगं णाम जहा पुलिंदकोट्टे चोरपल्लिकोट्ट वा । इह पुण अहिगारो जत्थ लोगो अडवीए पउरफलाए गंतु फलाई सोसेति तं कोट्टगं भण्णति, पच्छा भंडीए बहिलएहि य प्राणेति, प्रादिसद्दातो पुलिंदकोट्ठादिसु जन्थ जणो पुजेति । एतेसु वि गहणपच्छित्तं एमेव दृट्ठव्वं जहा वसमाणे, णवरं इमो विससो - तत्थ गच्छंतस्स चउहिं पदेहि द्दिसिया छसय छद्दिसिया भंगे रयणा कायव्वा ॥४७३२॥
वच्चंतस्स य 'भेदा, दिया य राओ य पंथ उप्पंथे ।
उपउत्त अणुवउत्ते, सालंब तहा णिरालंबे ॥४७३३॥ वच्चंतस्स भंगरयणभेदा इमे - दिया गच्छति पंथेण उव उत्तो सालंबो। एतेहिं चाहिं पदेहि अट्ठ भंगा भवंति । दिया पंथेण उवउत्तो णिरालंबो १ । दिया पंथेण उवउत्तो सालंबो २ । दिया पंथेण प्रणव उत्तो सालंबो ३ । दिया पथेण अणुव उत्तो गिरालंबो डू।
एवं उप्पहेण वि चउरो । एवं दिवसतो अट्ठ भंगा। एवं चेव रातीए वि अट्ट भंगा। एवं सपडिपक्खवयणेस सोलस भंगा ।।४७३३।।
१ गा० ४७२५ । २ दोमा इति वृहत्कल्पे गा० ८७३ ।
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