Book Title: Agam 18 Upang 07 Jambudveep Pragnapti Sutra Part 01 Sthanakvasi Gujarati
Author(s): Ghasilal Maharaj
Publisher: A B Shwetambar Sthanakwasi Jain Shastroddhar Samiti
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५०
૫૧
પર
૫૩
૫૪
पप
પદ
५७
पट
उससमय में डिम् उपद्रवसम्जन्धी प्रश्नोतर सात मनुष्योंडी लवस्थित्याहि प्रा नि३पा
दुसरा आर
सुषभानाम दूसरे जारेडा नि३पा सुषभानाभडे सारेमें लर्वा स्थतिका नि३पा
तीसरा आर
तीसरे आर स्व३पडा थन
सुषमहुष्षभाडात अन्तिम त्रिभागमें लोड व्यवस्था डा प्रथन
डुलकरता प्रकारडा प्रथन
ऋषलस्वामी त्रिभग ४नपूरनीयता
ऋषभस्वाभी घीक्षागृह के अनन्तरीय प्रर्तव्या प्रथन
भगवान श्री श्रामाएयावस्थामा एन
लगवाना ठेवलज्ञान प्राप्तिडा प्रथन
ऋषभस्वामी प्रो डेवलज्ञानोत्पत्ति अनन्तरीय प्रार्था नि३पा
भगवान भल्याएाहिका नि३पा
भगवान निर्वाए जाह हेवडत्या निउपा
भगवान निर्वाडे अनन्तर ईशानेन्द्र र्तव्या प्रथन ६४ न्द्रों के आगमनानन्तर हेवेन्द्र शार्यान भगवान जाहिलेवर रनपनाहि डा नि३पा
भगवान जाहिलेवर चिंतामें रजने जाडा शाहिडे प्रार्य डा नि३पा अस्थिसंयय जाडी विधी का नि३पा
थर्तुथ आर
पांचवा खारा
थर्तुथ र स्व३ કે
पंथम खार के स्व३पडा थन
छठे खारेडा स्व३पनि३पा
કે
उत्सर्पिष्षमा आरमें अवसर्पिणी हुष्षमा आरसे विशिष्टता मनुष्यों के उर्तव्य जेवं आडार लावप्रत्यवतारा न
तीसरा वक्षस्डार
उत्सर्पिणी हुष्षभाडा ष्षभसुषमा डाडा वन
छठ्ठा जार
भरतवर्ष नाम होने से प्राथन उत्पत्याहिना निपा
भरत यवर्ती
भरत यवर्ती हिग्वियाहिा निश्पा
જમ્બુદ્વીપપ્રજ્ઞપ્તિસૂત્ર
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