Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 272
________________ का आहार करने वाले, (२७) वायुभक्षी - केवल वायु का ही आहार करने वाले, (२८) शैवालभक्षी - काई का आहार करने वाले, (२९) मूलाहारी - मूल का आहार करने वाले, (३०) कन्दाहारी - कन्द का आहार करने वाले, (३१) त्वचाहारी - वृक्ष की छाल का आहार करने वाले, (३२) पत्राहारी - वृक्ष के पत्तों का आहार करने वाले, (३३) पुष्पाहारी - फूलों का आहार करने वाले, (३४) बीजाहारी-बीजों का आहार करने वाले, (३५) अपने आप गिरे हुए, पृथक् हुए कन्द, मूल, छाल, पत्र, पुष्प तथा फल का आहार करने वाले, (३६) सतत जलाभिषेक करने से जिनका शरीर कठिन हो गया है ऐसे, तथा (३७) जो पंचाग्नि की आतापना से अपने चारों ओर अग्नि जलाकर पाँचवीं सूर्य को मानकर आतापना से अपनी देह को अंगारों में पकी हुई-सी भाड़ में भुनी हुई-सी बनाते हुए बहुत वर्षों तक वानप्रस्थपर्याय का पालन करते हैं। बहुत वर्षों तक वानप्रस्थ- पर्याय का पालन कर मृत्यु का समय आने पर देह त्यागकर वे उत्कृष्ट ज्योतिष्क देव रूप में उत्पन्न होते हैं। वहाँ उनकी स्थिति एक लाख वर्ष अधिक एक पल्योपम-प्रमाण होती है। क्या वे परलोक में आराधक होते हैं ? नहीं, ऐसा नहीं होता। (शेष वर्णन पूर्व की तरह जानना चाहिए।) UPAPAT OF FOREST DWELLING HERMITS 74. The forest dwelling hermits (Tapas) living on the banks of the Ganges are also of many kinds-(1) Hotrak-those who do offerings at fire sacrifice. (2) Potrak-the clad ones. (3) Kautrak-those who sleep on the ground. (4) Yajin-those who perform yajna (ritual sacrifice). (5) Shraddhakin-those who perform rituals for the benefit of deceased relatives. (6) Sthalakin-those who carry plate (thali) and other pots. (7) Humbauttha-those who carry bowls. (8) Dantolu-khalik-those who eat fruits only. (9) Unmajjak-those who bath by taking just one dip in water; also those who bath by pouring water only on the body up to ears. (10) Sammajjak-those who bath by repeating dips. (11) Nimajjak-those who remain under water for some time. (12) Samprakshalak-those who cleanse their body by rubbing sand or clay. (13) Dakshin-koolakthose who lived on the southern bank of the Ganges. (14) Uttarkoolak-those who lived on the northern bank of the Ganges. (15) Shankhadhmayak-those who took their meals after blowing conch-shell (they did this to announce that they should not be औपपातिकसूत्र Aupapatik Sutra Jain Education International (232) For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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