Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

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Page 287
________________ " बहुप्पसण्णे, णो चेव णं अबहुप्पसण्णे, से वि य परिपूए, णो चेव अपरिपूए, से वि य णं दिण्णे, णो चेव णं अदिण्णे, से वि य पिवित्तए, णो चेव णं हत्थ-पाय-चरु-चमस पक्खालणट्टाए सिणाइत्तए वा। 8 तेसि णं परिब्वायगाणं कप्पइ मागहए आढए जलस्स परिग्गाहित्तए, से वि य वहमाणे, णो चेव णं अवहमाणे, णं अदिण्णे, से वि य हत्थ-पाय-चर-चमस-पक्खालणट्ठयाए, * णो चेव णं पिवित्तए सिणाइत्तए वा। ८०. उन परिव्राजकों को मगध देश के तोल के अनुसार एकप्रस्थ जल लेना कल्पता है। वह भी बहता हुआ हो, एक स्थान पर रुका हुआ नहीं, अर्थात् तालाब आदि का बँधा र * हआ जल नहीं। वह भी यदि स्वच्छ हो तभी. कीचडयक्त हो तो ग्राह्य नहीं है। स्वच्छ होने के साथ-साथ वह बहुत साफ और निर्मल हो, तभी ग्राह्य है अन्यथा नहीं। वह भी वस्त्र से छाना हुआ हो, अनछना नहीं। वह भी किसी दाता द्वारा दिया गया हो तभी ग्राह्य है, बिना * दिया हुआ नहीं। वह भी केवल पीने के लिए ग्राह्य है, हाथ, पैर, चरू-भोजन का पात्र, * चमस-काठ की कुड़छी या चम्मच धोने के लिए या स्नान करने के लिए नहीं। उन परिव्राजकों के लिए मागध तोल के अनुसार एक आढक प्रमाण जल लेना कल्पता * है, वह भी बहता हुआ हो, एक जगह बँधा हुआ नहीं अर्थात् बहती हुई नदी का एक आढक-परिमाण जल उनके लिए ग्रहणीय है। (वह भी यदि स्वच्छ हो, वस्त्र से छाना हुओ हो, दिया गया हो-तभी ग्राह्य है।) वह भी केवल हाथ, पैर, चरू, चमस या चम्मच धोने के लिए ग्राह्य है, पीने के लिए या स्नान करने के लिए नहीं। 80. These Parivrajaks are allowed to take one Magadh Prasth (a measure popular in Magadh during that period) water. That too should be from a flowing source like a river and not from a collected as source like a pond. That too only if it is clear and not muddled. Besides being clear it should be clean and pure; only then it is acceptable otherwise not. That too should be filtered with a cloth and not unfiltered. That too is acceptable if it is offered by a donor otherwise not. That too is acceptable only for drinking and not for bathing or washing hands, feet, bowl or spoon. These Parivrajaks are allowed to take one Magadh Adhak (a measure popular in Magadh during that period) water. That too should be from a flowing source like a river and not from a collected to source like a pond. That too is acceptable if it is offered by a donor. उपपात वर्णन (247) Description of Upapat କ କଟକ କ ଓ Jain Education International For Private & Personal Use Only www.jainelibrary.org

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