Book Title: Agam 12 Upang 01 Aupapatik Sutra Sthanakvasi
Author(s): Amarmuni, Shreechand Surana
Publisher: Padma Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 376
________________ १७२. चत्तारिय रयणीओ, रयणितिभागूणियाय बोद्धव्या । एसा खलु सिद्धाणं, मज्झिमओगाहणा भणिया ॥६॥ १७२. सिद्धों की मध्यम अवगाहना चार हाथ और एक हाथ का तीसरा भाग (सोलह अंगुल) प्रमाण होती है, ऐसा सर्वज्ञों ने निरूपित किया है। सिद्धों की इस मध्यम अवगाहना का कथन उन मनुष्यों की अपेक्षा से है, जिनकी देह की अवगाहना सात हाथ परिमाण होती है। 172. As told by the omniscients, the medium avagahana (space occupied) of Siddhas is one-third of a cubit more than four cubits (4 cubits and 16 Anguls ). ( This is in context of those whose original avagahana was medium, i.e. seven cubits.) १७३. एक्का य होइ रयणी, साहीया अंगुलाई अट्ठ भवे । एसा खलु सिद्धाणं, जहण्णओगाहणा भणिया ॥७ ॥ १७३. सिद्धों की जघन्य - न्यूनतम अवगाहना एक हाथ तथा आठ अंगुल होती है, ऐसा सर्वज्ञों का कथन है । यह अवगाहना दो हाथ की अवगाहना वाले जीवों की अपेक्षा से कही गई है। 173. As told by the omniscients, the minimum avagahana (space occupied) of Siddhas is one cubit and eight Anguls. (This is in context of those whose original avagahana was minimum, i.e. two cubits.) १७४. ओगाहणा सिद्धा, भवत्तिभागेण होंति परिहीणा । संटाणमणित्थत्थं, जरामरणविप्पमुक्काणं ॥ ८ ॥ १७४. सिद्ध अपने अन्तिम भव की अवगाहना से तृतीय भाग कम अवगाहना वाले होते हैं। उनका संस्थान - आकार किसी भी लौकिक आकार से नहीं मिलता। वे जन्म, जरा एवं मरण से सदा के लिए मुक्त हो चुके हैं। 174. The Siddhas have an avagahana (space occupied) one-third less than their original avagahana during their last birth. Their constitution does not match any other constitution in this world. They are eternally liberated from birth, ageing and death. औपपातिकसूत्र Jain Education International (328) For Private & Personal Use Only Aupapatik Sutra www.jainelibrary.org

Loading...

Page Navigation
1 ... 374 375 376 377 378 379 380 381 382 383 384 385 386 387 388 389 390 391 392 393 394 395 396 397 398 399 400 401 402 403 404 405 406 407 408 409 410 411 412 413 414 415 416 417 418 419 420 421 422 423 424 425 426 427 428 429 430 431 432 433 434 435 436 437 438 439 440