Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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||४||-1
बी ठाणं - देसोसरीरं फडिता णं णिजाति सव्वेणवि आता सरीरगं फडिता णं णिजाति दोहिं ठाणेहि आता सरीरं] संवट्टइता [गं णिजाति तं जहा-देसणवि आता सरीरं सवंट्टइत्ता णं णिजाति सव्वेणवि आता सरीरगं संवट्टइत्ता णं णिज्जाति दोहिं ठाणेहिं आता सरीरं] निवट्टइता णं निजाति तं जहा-देसेणवि आता सरीरं निवदृइत्ता णं णिजाति सव्वेणवि आता सरीरगं निवट्टइत्ता गं णिजाति] १९७) 7
(१०२) दोहिं ठाणेहिं आता केवलिपपणतं धम्मं लभेजा सवणयाए तं जहा-खएण चेव उवसमेण चेव [दोहिं ठाणेहिं आता केवलं बोधि बुन्झेज्जा केवलं मुंडे भवित्ता अगाराओ अणगारियं पब्बइजा केवलं बंभचेरवासमावसेना केयलेणं संजमेणं संजमेजा केवलेणं संवरेणं संवरेजा केवलमाभिनिबोहियनाणं उप्पाडेजा केवलं सुयनाणं उप्पाडेजा केवलं मोहिनाणं उप्पाडेजा केवलं मणपञ्जयनाणं उप्पाडेज्जा तं जहा-खएण चेव उवसपेण चेव ।९८1-98
(१०३) दुविहे अद्धोवमिए पण्णत्ते तं जहा-पलिओयमे चेव सागरोवमे देव से कि तं पलिओबमे १९९१ (१०४) जं जोयणविच्छिण्णं पल्लं एगाहियप्परूढाणं
होज निरंतरणिचितं भरितं वालग्गकोडीणं (१०५) वाससए वाससए एक्केक्के अवहडंमि जो कालो सो कालो बोद्धच्यो उवमा एगस्स पल्लस्स
॥५॥-2 (१०६) एएसिं पल्लाणं कोडाकोडी हवेज दस गुणिता तं सागरोबमस्स उ एगस्स भरे परीमाणं
॥६॥-3 (१०७) दुविहे कोहे पण्णत्ते तं जहा-आयपइट्ठिए चेव परपइट्ठिए चेव [दुविहे माणे दुविहा माया दुविहे लोमे दुविहे पेज्जे दुविहे दोसे दुबिहे कलहे दुविहे अमक्खाणे दुविहे पेसुण्णे दविवे परपरिवाए दविहा अतिरती दुविहे मायामोसे] दविहे मिच्छादसणसल्ले पण्णत्ते तं जहा-आयपइट्टिए चैव परपइट्ठिए चेव एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं ।१००|-100
(१०८) दुविहा संसारसमावण्णगा जीवा पण्णत्ता तं जहा-तसा चेव थावरा चेव दुविहा सब्बजीवा पण्णत्ता तं जहा-सिद्धा चेव असिद्धा चेव दुविहा सव्वजीवा पण्णत्ता तं जहासइंदिया चेव अणिंदिया चेव [सकायचेव अकायचेव सजोगी व अजोगी चेव सवेया चेव अवेया चेव सकसाया चेव अकसाया चेव सत्तेसा चैव अलेसा चेव नाणी चेव अनाणी चेव सागारोवउत्ता चेव अणागारोवउत्ता चेव आहारगा चेव अणाहारगा चेव मासगा व अभासगा चेव चरिमा चेव अचरिमा चेव ससरीरी चेव असरीरी चेव ।१०१1-101 (१०९) सिद्ध सइंदियकाए जोगे वेए कसाच लेसा य नाणुवओगाहारे भासग चरिमे य ससरीरी
||७||-1 (११०) दो परणाई समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं निगंथाणं नो णिचं वणियाई नो णिचं कित्तियाइं नो णिचं बुइयाई नो मिचं पसत्याई नो णिचं अब्अणुण्णायाई भवंति तं जहा वलयमरणे चेव वसट्टपरणे चेव एवं-नियाणमरणे चैव तभवमरणे वेव गिरिपडणे चेव तरुपडणे चेव जलपावेसे चेव जलणपवेसे चेव विसभक्खणे चेव सत्योदाडणे वेव दो परणाई (समणेणं भगवता महावीरेणं समणाणं निग्गंधाणं नो णिचं वणियाएई नो
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