Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 120
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छाणं ( ५२५) छव्विहा संसारसमावण्णगा जीवा पन्नत्ता तं जहा पुढविकाइया [ आउकाइया ते काइया बाउकाइया वणस्सइकाइया ] तसकाइया पुढविकाइया छगतिया छआगतिबा पन्नत्ता तं जहा- पुढचिकाइए पुढविकाइएसु उववजमाणे पुढविकाइएहिंतो वा [आउकाइएहिंतो वा तेउकइएहिंतो वा वाउकाइएहिंतो वा वणरसइकाइएहिंती वा] तसकाइएहिंतो या उदवज्जेज्जा से चेव णं से पुढविकाइए पुढविकाइयत्तं विप्पजहमाणे पुढविकाइयत्ताए वा | आउकाइयत्ताए वा तेउकाइताए वा बाउकाइयत्ताए वा वणस्सइकाइयत्ताए वा ! तसकाइयत्ताए वा गच्छेजा आउकाइया छगतिया छआगतिया एवं चेव जाव तसकाइया । ४८२/- 482 ( ५२६) छविहा सव्वजीवा पन्नत्ता तं जहा आभिनिवोहियनाणी ( सुवनाणी ओहि - नाणी पणपञ्जवनाणी ] केवलनाणी अन्नाणी अहवा- छव्विा सव्वजीवा पन्नत्ता तं जहाएगिंदिया [ वेइंदिया तेइंदिया चउरिंदिया ] पंचिंदिया अणिदिया अहवा- छव्विहा सव्वजीवा पन्नता तं जहा ओरालियसरीरी वेउव्वियसरीरी आहारगसरीरी तेअगसरीरी कम्मगसरीरी असरीरी |४८३1-483 ( ५२७ ) छव्विहा तणवणस्सतिकाइया पन्नत्ता तं जहा अग्गवीया मूलबीया पोर - बीया खंबीया बीयरूहा संमुच्छिमा १४८४/- 484 (५२८ ) छाणाई सव्वजीवाणं नो सुलभाई भवंति तं जहा माणुस्सए भवे आरिए खेत्ते जम्मं सुकुले पच्चायाती केवलीपन्नत्तस्स धम्मस्स सवणता सुतस्स वा सद्दहणता सद्दहितस्स वा पत्तितस्स वा रोइतस्स वा सम्पं कारणं फासणता । ४८५1-485 ( ५२९ ) छ इंदियत्था पन्नत्ता तं जहा- सोइंदियत्ये [ चक्खिदियत्थे धाणिदियत्थे जिम्मिदियत्थे ] फासिंदियत्थे नोइंदियत्थे । ४८६/- 486 ( ५३० ) छब्बिहे संवरे पन्नते तं जहा सोतिंदियसंवरे [ चक्खिदियसंवरे धाणिदियसंवरे जिभिदियसंवरे] फासिंदियसंवरे नोइंदियसंवरे, छव्विहे असंवरे पण्णत्ते तं जहा- सोतिदियअसंवरे [ चक्खिदिच असंवरे धाणिदिय असंवरे जिम्मिदिय असंवरे] फासिंदिय असंवरे नोइंदिय असंवरे ॥४८७ | 487 ( ५३१) छव्विहे साते पन्नत्ते तं जहा सोतिंदियसाते [ चक्खिदिवसाते धाणिदियसाते जिम्मिदियसाते फासिंदियाते । नोइंदिवसाते छव्विहे असाते पण्णत्ते तं जहा- सोतिंदियअसाते [चक्खिदियअसाते धाणिदियअसाते जिम्मिदियअसाते फांसिदिय असाते] नोइंदियअसाते |४८८/- 488 १.११ (५३२) छव्विहे पायच्छित्ते पण्णत्ते तं जहा आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुभया - रिहे विवेगारिहे विउस्सगारिहे तवारिहे । ४८९ -489 ( ५३३ ) छविहा मणुस्सा पन्नत्ता तं जहा जंबूदीवगा घायइसंडदीवपुरत्थिमद्धगा घायइसंडदीवपद्यत्थिमद्धगा पुक्करवरदीबड्ढपुरत्थिमद्धगा पुक्खरबरदीवड्ढपच्चत्थिमद्धगा अंतरदीवगा अहवा - छव्विहा मणुस्सा प. - संमुच्छिममणुस्सा कम्पभूमगा अकम्पभूमगा अंतरदीवगा गद्भवकूकंति अमणुस्सा- कम्पभूमगा अकम्पभूमगा अंतरदीवगा । ४९० | -490 ( ५३४) छविहा इड्ढिमंता मणुस्सा पन्नत्ता तं जहा -अरहंता चक्कवट्टी बलदेवा वासु - देवा चारणा विजाहरा, छब्बिहा अणिड्ढिमंता मणुस्सा पन्नत्ता तं जहा - हेमवतगा For Private And Personal Use Only

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