Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 139
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir साणं - 441७०२ वादित-रवेणं दिव्वाई भोगमोगाई भुंजमाणे विहरइ जावि व से तत्य बाहिरभंतरिया परिसा भवति सावि य णं आढाइ परिजाणाति महिरेहेणं आसणेणं उवनिमंतेति भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच देवा अणुत्ता चेव अदमुटुंति-बहुं देवे भासउ-भासउ से णं ताओ देवलोगाओ आउक्खएणं [भवस्खएणं ठितिक्खएणं अनंतरं चयं] चइत्ता इहेव माणुस्सए भवे जाइं इमाई कुलाई भवंति-अइढाई [दित्ताई विच्छिण्ण-यिउल-मवण-संपउत्ताई विच्छड्डिय-पउर-भत्तपाणाई बहुदासी-दास-गोमहिस-गवेलय-प्पभयाई] बहुजणस्स अपरिभूताई तहप्पगारेसु कुलेसु पुमत्ताए पच्चावाति से णं तत्थ पुमे भवति सुरूवे सुवण्णे सुगंधे सुरसे सुफासे इटे कंते पिए मणुण्ण मणामे अहीणस्सरे [अदीणस्सरे इछस्सरे कंतस्सरे पियस्सरे पणण्णस्सरे] मणामस्सरे आदेजवयणे पच्चापाते जाविय से तत्थ बाहि- रब्यंतरिया परिसा भवति सावि य णं आढाति [परिजाणाति महरिहेणं आसणेणं उवनिमंतेति भासंपि य से भासमाणस्स जाव चत्तारि पंच जणा अणुता अब्मुटुंति बहु अजउत्ते भासउ-मासउ १५९७। -597 (७०३) अट्ठविहे संवरे पन्नते तं जहा-सोइंदियसंवरे [चक्खिदियसंवरे धणिदियसंवरे जिभिदियसंवरे] फासिदियसंवरे मणसंवरे वइसंवरे कायसंवरे अझुविहे असंवरे पन्नत्ता तं जहा-सोतिंदियअसंवरे चक्खिदियअसंवरे धाणिंदियअसंवरे जिटिभदियअसंवरे फासिंदियअसंवरे मणअसंवरे वइअसंवसरे] कायअसंवरे ।५९८। -598 (७०४) अट्ठ फासा पण्णत्ता तं जहा-कक्खडे मउए गरुए लहुए सीते उसिणे निद्धे लुक्खे ।५५९।-599 (७०५) अट्ठविधा लोगडिती पण्णत्ता तं जहा-आगासपतिद्वितै वाते वातपति- द्विते उदही [उदधिपतिट्टिता पुढवी पुढविपतिहिता तसा थावरा पाणा अजीवा जीव- पतिहिता] जीवा कम्मपतिद्विता अजावाजीवसंगहीता जीवा कम्मसंगहीता ।६००/-800 (७०६) अट्टविहा गणिसंपया प. तं जहा-आचारसंपया सुयसंपया सरीरसंपवा वयणसंपया वायणासंपया मतिसंपया पओगसंपया संगहपरिण्णा नाम अट्ठमा ।६०१-601 (७०७) एगमेणे णं महानिही अद्वचक्कवालपतिट्ठाणे अजोयणाई उड्ढे उच्चतेणं पन्नत्ता १६०२-80a (७०८) अट्ठ समितीओ पण्णत्ताओ तं जहा-इरियासमिती पासासमिती एसणा समिती आयाणभंड-मत्त-निक्खेवणासमिती उचार-पासवण-खेल-सिंधाणंजल्ल-परिठावणियासमिती पणसपिती बइसमिती कायसमिती ।६०३।-603 (७०९) अट्टर्हि ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति आलोयणं पडिच्छित्तए तं जहाआयारवं आधारवं ववहारवं ओवीलए पकुव्वए अपरिस्साई निञ्जावए अवायदंसी अहिं ठाणेहिं संपन्ने अणगारे अरिहति अत्तदोसमालोइत्ताए तं जहा जातिसंपण्णे कुलसंपन्ने विनयसंपन्ने नाणसंपन्ने दंसणसंपन्ने चरित्तसंपन्ने खंते दंते ।६०४)-604 (७१०) अट्ठविहे पायच्छित्ते पन्नत्ता तं जहा-आलोयणारिहे पडिक्कमणारिहे तदुमयारिहे विवेगारिहे विउसग्गारिहे तवारिहे छेयारिहे मूलारिहे ।६०५।-605 (७११) अट्ठा मयट्ठाणा पन्नत्ता तं जहा-जातिमए कुलमए बलमए ववमए तव- मए सुतमए लाभमए इस्सरियमए ।६०६।-606 For Private And Personal Use Only

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