Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 119
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११० टाणं - ५/३/५१४ महानदि पंच महानदीओ समति तं. इंदा इंदसेणा सुसेणा वारिसेणा महाभोगा ।४७०1-470 (५१४) पंच तित्यगरा कुमारवासमझे वासित्ता मुंडा भवित्ता अगाराओ अणगारियं पव्वइया तं जहा-वासुपुजे मल्ली अरिट्ठनेमी पासे वीरे ।४७१1-471 (५१५) चमरचंचाए रायहाणीए पंच सभा पन्नत्ता तं जहा-सुधमा समा उववातसभा अभिसेयसभा अलंकारियसभा ववसायसभा एगमेगे णं इंदट्ठाणे पंच सभाओ प.तं.सुहम्मासभा उववातसमा अभिसेयसमा अलंकारियसभा ववसायसभा ।४७२-472 (५१६) पंचनक्खत्ता पंचतारा पन्नत्ता तं जहा-धणिट्ठा रोहिणी पुणव्यसू हत्यो विसाहा ।।७३1-479 (५१७) जीवा णं पंचट्ठाणनिव्वत्तिए पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु या चिणंति वा चिणिस्संति वा तं जहा-एगिदियनिव्वत्तिए [वेइंदियनिव्वत्तिए तेइंदियनिव्वत्तिए चउरिदियनिव्वत्तिए पंचिंदियनिव्वत्तिए एवं-चिण-उवचिण-बंध-उदीर-वेद तह निजरा चेव पंचपएसिया खंधा अनंता पन्नता पंचपएसोगाढा पोग्गला अनंता पन्नत्ता जाव पंचगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता ।४७४।-474 पंचमे ठाणे तइओ उद्देसो समतो. पंचमं टाणं समत्तं. छटुं-टाणं] (५१८) छहिं ठाणेहिं संपणे अणगारे अरिहति गणं धारित्तए तं जहा-सड्ढी पुरिस- जाते सच्चे पुरिसजाते मेहायी पुरिसजाते बहुस्सुते पुरिसजाते सत्तिमं अप्पाधिकरणे ।।७५।-475 (५१९) छहिं ठाणेहिं निग्गंथे निगंथि गिण्हमाणे या अवलंबमाणे वा नाइकूकमइ तं जहा-खित्तचितं दित्तचित्तं जक्खाइई उम्मावपत्तं उवप्तांगपत्तं साहिकरणं ।४७६-478 (५२०) छहिं ठाणेहिं निग्गंधा निगंधीओ य साहम्मियं कालगतं समायरमाणा नाइक्कमति तं जहा-अंतोहिंतो वा बाहिं नीगेमाणा याहीहिंतो वा निब्दाहिं नीणेमाणा उदेहेमणा या उवासभाणा वा अणुण्णवेमाणा वा तुसिणीए वा संपव्वयमाणा ।४७७1-477 (५२१) छ ठाणाई छउपत्ये सव्वभावेणं न जाणति न पासति तं जहा-धापत्यिकायं अधम्मत्यिकायं आयासं जीवमसरीरपडिबद्धं परमाणुपोग्गलं सई एताणि चैव उप्पन्ननाणदसणधरे अरहा जिणे केवली सव्वभावेणं जाणति पासति तं जहा-धमस्थिकायं [अधमस्थि- कायं आयासं जीवमसरीरपडिवद्धं परमाणुपोग्गलं] सदं ।४७८)-478 (५२२) छहिं ठाणेहिं सबजीवाणं नस्थि इड्ढीति वा जुतीति वा जसेति वा बलेति वा वीरिएति वा पुरिसक्कार-परकूकमेति वा तं जहा- जीवं वा अजीवं करणताए अजीवं वा जीवं करणताए एसपए णं वा दो भासाओ भासित्तए सयं कडं वा कम्मं वेदेमि वा पा वा वेदेमि परमाणुपोग्गलं वा छिदित्तए वा भिंदित्तए वा अगणिकाएणं वा समोदहित्तए बहिता वा लोगंता गमणताए ।४७९-479 (५२३) छज्जीवनिकाया पन्नत्ता तं जहा-पुढविकाइया {आउकाइया तेउकाइया वाउकाइया वणस्सइकाइया] तसकाइया ।४८01-480 (५२४) छतारगहा प.तं.-सुक्के बुहे वहस्सती अंगारए सणिछरे केतू ।४८१1-481 For Private And Personal Use Only

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