Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
सत्तपं प्रणं
१२१
(६१९) मज्झिमसरसंपण्णा भवंति सुहर्जीविणो खायती पिवती देती मज्झिमसरमस्सितो
||५५||-11 (६२०) पंचमसरसंपण्णा भवंति पुढवीपती सूरा संगहकत्तारो अणेगगणनायगा
||५६||-12 (६२१) धेवतसरसंपण्णा भवंति कलहप्पिया साउणिया वग्गुरिया सोयरिया मच्छवंधा य
||५७||-13 (६२२) चंडाला मुट्ठिया पेया जे अण्णे पावकस्मिणो गोधातगा य जे चोरा नेसाय सरमस्सिता ।
।।५८1-14 (६२३) एतेसि णं सत्तण्हं सराणं तओ गामा पन्नत्ता तं जहा-सज्जगामे पग्झिमगामे, गंधारगामे सजागामस्स णं सत्त मच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा-५५३-६।-553-6 (६२४) मंगी कोरब्बीया हरी य रयणी य सारकंता य छट्ठी य सारसी नाम सुद्ध-सज्जा य सत्तमा
||५||-15 (६२५) मज्झिमगामस्स णं सत्त मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं जहा-५५३-७1-553.7 (६२६) उत्तरमंदा रयणी उत्तरा उत्तरायता ।
___ अस्सोकंता य सोवीरा अभिरू हवति सत्तपा ॥६०||-16 (६२७) गंधारगामस्स णं सत मुच्छणाओ पन्नत्ताओ तं.- १५५३-८-५५३। -553 (६२८) नंदी य खुद्दिमा पूरिमा य चउत्थी य सुद्धगंधारा उत्तरगंधारावि व पंचमिया हवति मुच्छा उ
१॥६१|1-17 (६२९) सुदुत्तरमावापा सा ठट्ठी नियमसो उ नायव्या
अह उत्तरायता कोडिमा य सा सत्तमी मुच्छा। ॥६२||-18 (६३०) सत्त सरा कतो संभवंति गीतस्स का भवति जोणी
कतिसमया उस्साया कति या गीतस्स आगारा ॥६३1-19 (६३१) सत्त सरा नाभीतो भवति गीतं च रूण्णजाणीयं
पदसपया ऊसासा तिणि य गोयस्स आगारा ||४||-20 (६३२) आइमिउ आरभंता समुव्वहता य मज्झगारंमि
अवसाणे व झवेता तिणि य गेयस्स आगारा १६५||-21 (६३३) छद्दोसे अट्ठगुणे तिण्णि य वित्ताई दो य भणितीओ
जो नाहिति-सो गाहिइ सुसिक्खिओ रंगमञ्झम्मि ॥६६11-22 (६३४) भीतं दूतं रहस्सं गायंतो पा य गाहि उत्तालं काकस्सरमणुणासं च होति गेयस्स छद्दोसा
॥६७||-29 (६३५) पुण्णं रत्तं च अलंकियं व वत्तं तहा अविधुटुं
पधुरं समं सुललियं अट्ठ गुणा होति गेयस्स ||६८11-24 (६३६) उर-कंठ-सिर-विसुद्धं च गिज्जते मउय-रिभिअ-पदबद्धं समतालपदुक्खेवं सत्तसरसीहरं गेयं
॥६९।-25
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170