Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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||७०11-26
||३१||-27
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१२२
ठाणं - ७-६३७ (६३७) निद्दोसं सारवंतं च हेउजुत्तमलंकियं
उवणीतं सोवयारं च मितं मधुरमेव य (६३८) सममद्धसमं चेव सव्वस्य विसमं च जं
तिण्णि वित्तप्पयाराई चउत्थं नोपलव्यती (६३९) सक्कता पागता चेव दोण्णि य भणिति आहिया सरमंडलंमि गिजते पसत्या इतिभासिता
||७२|-28 (६४०) केसी गायति मधुरं केसि गायति खरं च रूक्खं च
केसी गायति चउर केसि विलंब दुत्तं केसी (६४१) विस्सरं पुण केरिसी सामा गायइ मधुरं काली गायइ खरंच
रूखं च गोरी गायि चउरं काण विलंबं दुतं अंधा ॥७४।।-30 (६४२) विस्सरं पुण पिंगला तंतिसमं तालसमं पादसमं लयसमं गहसमं च नीससिऊससियसमं संचारसमा सरा सत्त
||७५||-31 (६४३) सत्त सरा तओ गामा मुच्छणा एकविसंती ताणा एगूणपन्नासा समत्तं सरमंडलं
||७६||-32 (६४४) सत्तविधे कायकिलेसे पण्णते तं जहा-ठाणातिए उकूकुडुयासणिए पडिमठाई वीरसणिए नेसजिए दंडायतिए लगंडसाई १५५४।-554
(६४५) जंबुद्दीचे दीवे सत्त वासा पन्नत्ता तं जहा-भरहे एवते हेमवते हेरण्णवते हरिवासे रम्मगवासे महाविदेहे जंबुद्दीवे दीचे सत्त वासहरपवता पन्नत्ता तं जहा-चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते सप्पी सिहरी मंदरे जंबुद्दीवे दीये सत्त पहानदीओ पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुहं समपंति तं जहा-गंगा रोहिता हरी सीता नरकंता सुवण्णकूला रत्ता जंबुद्दीवे दीवे सत्त महानदीओ पच्चत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समति तं जहा-सिंधू रोहितंसा हरिकंता सीतोदा नारिकता रूप्पकूला रत्तावती घायइसंडदीवपुरस्थिमद्धे णं सत्त यासा पन्नता तं जहा-भरहे एवते हेमवते हेरण्णवते हरिवासे रम्मगवासे] महाविदेहे घायइसंडदीवपुरस्थिमद्धे णं सत्त वासहरपब्बता पन्नता तं जहा-चुल्लहिमवंते [महाहिमवंते निसटे नीलवंते रूप्पी सिहरी| मंदरे घायइसंडदीवपुरस्थिमद्धे णं सत महानदीओ पुरत्याभिमुहीओ कालोयसमदं समप्पेति तं जहा-गंगा रोहिता हरी सीता नरकंता सुवण्णकूला] रत्ता धायइसंड- दीवपुरस्थिमद्धे णं सत्त पहानदीओ पच्चस्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समति तं जहासिंधू [रोहितंसा हरिकंता सीतोदा नारिकता रूप्पकूला) रत्तावती घायइसंडदीवे पञ्चस्थिमद्धे णं सत बासा एवं चेव, नवरं-पुरत्थाभिमुहीओ लवणसमुदं समप्पेति पञ्चस्थाभिमुहीओ कालोदं सेसं तं चेव पुखरवरदीवड्ढपुरथिमद्धे णं सत्त वासा तहेव नवरं-पुरत्याभिमुहीओ पुक्खरोदं समुदं समप्यति पञ्चत्वाभिमुहीओ कालोदं समुदं समप्पेंति सेसं तं चेव एवं पच्चत्थिमद्धेवि नवरंपुरस्थाभिमुहीओ कालोदं समुदं सम्प्पेति पचस्थाभिमुहीओ पुक्खरोदं समप्पेंति सव्वत्य वासा वासहरपव्यता नदीओ य भाणितव्याणि ५५५।-555 (६४६) जंबुद्दीवे दीवे भारहे वासे तीताए उस्सप्पिणीए सत्त कुलगरा हुत्था तं जहा
१५५६-१। -556-1
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