Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 124
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir छट्टं ठाणं ११५ सोक्खातो अबवरोवेत्ता भवति [जिभामएणं दुखणं असंजोएता भवति फासामातो सो. क्खातो अववरोवेत्ता भवति फासामएणं दुक्नेणं असंजोएत्ता भवति] तेइंदिया णं जीवा समारपमाणस्स छबिहे असंजमे कजति तं जहा-घाणामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति घामामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति [जिदभामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति जिब्मामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति फासामातो सोक्खातो ववरोवेत्ता भवति] फासामएणं दुक्खेणं संजोगेत्ता भवति ।५२१।521 (५७३) जंबुद्दीचे दीवे छ अकम्मभूमीओ पन्नताओ तं जहा-हेमवते हेरण्णवते हरिवस्से रम्मगवासे देवकुरा उत्तरकुरा जंबुद्दीवे दीवे छव्यासा पन्नता तं जहा-मरहे एरवते हेसवते हेरण्णवए हरिवासे रम्मगवासे जंबुद्दीवे दीवे छ वासहरपव्वत्ता पन्नता तं जहा-चुल्लहिमवंते महाहिमवंते निसढे नीलवंते रूप्पी सिहरी जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पवपस्स दाहिणे णं छ कूडा पन्नता तं जहा-चुलहिमवंतकूड़े वेसममकूडे महाहिमवंतकूड़े वेरुलिवकूड़े निसढकूड़े रूयगकूडे जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स उत्तरे पंछ कूडा पन्नता तं जहा-नीलचंतकूड़े उवदंसणकूड़े रूप्पिकूड़े मणिकंचणकूड़े सिहरिकूड़े तिगिच्छकूडे जंबुद्दीवे दीवे छ महद्दहा पन्नत्ता तं जहा-पउमद्दहे महापउमद्दहे तिगिछिद्दहे केसरिद्दहे महापोंडरीय(हे पुंडरीयद्दहे तत्थ णं छ देवयाओ महिड्ढियाओ जाव पलिओमट्टितियाओ परिवसंति तं जहा-सिरी हिरी धिती कित्ती बुद्धी लच्छी जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं छ महानदीओ पन्नत्ताओ तं जहागंगा सिंधू रोहिया रोहितंसा हरी हरिकता जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्ययस्स उत्तरे पंछ महानदीओ पन्नत्ताओ तं जहा-नरकंता नारिकंता सुवण्णकूला रूप्पकूला रत्ता रत्तवती जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्म पव्वयस्स पुरथिमे णं सीताए महानदीए उमयकूले छ अंतरनदीओ पन्नत्ताओ तं जहा गाहावती दहवती पंकवती तत्तयला मत्तयला उम्पत्तयला जंयुदीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पचत्थिये णं सीतोदाए महानदीए उभयकले छ अंतरनदीओ पन्नताओ तं जहा-खीरोदा सीहसोता अंतोवाहिणी उम्मिमालिणी फेणमालिणी गंभीरमालिणी घायइसंडदीवपुरस्थिमद्धे णं छ अकम्मभूमीओ पन्नत्ताओ तं जहा-हेमवए [हेरण्णवते हरिवस्से रम्भगवासे देवकुरा उत्तरकुरा] एवं जहा जंबुद्दीवे दीवे जाव अंतरनदीओ जाव पुक्खरवरदीवद्धपञ्चस्थिमद्धे भाणितव्वं १५२२|522 (५७४) छ उदू पन्नत्ता तं जहा-पाउसे वरिसारत्ते सरए हेमंते वसंते गिम्हे ।५२३।523 (५७५) छ ओमरत्ता पन्नत्ता तं जहा-ततिए पव्वे सत्तमे पव्वे एक्कारसमे पव्वे एण्णरसमे पव्वे एगूणवीसइमे पव्वे तेवीसइमे पव्वे छ अतिरता पन्नता तं जहा-चउत्ये पव्वे अट्ठमे पन्चे दुवालसमें पच्चे सोलसमे पब्वे वीसइमे पव्वे चउवीसइसे पव्वे ।५२४1524 (५७६) आभिनिबोहियनाणस्स णं छविहे अत्थोग्गहे पण्णत्ते तं जहा-सोइंदियत्थोग्गहे चक्खिदियत्थोग्गहे धाणिदियस्थोग्गहे जिभिदियत्थोग्गहे फासिंदियत्थोग्गहे नोइंदियत्थोग्गहे ॥५२५/525 (५७७) छबिहे ओहिनाणे पण्णत्ते तं जहा-आणुगामिए अणाणुगामिए वड्ढमाणए हीयमाणए पडिवाती अपडिवाती ।५२६1526 (५७८) नो कप्पइ निगंधाण वा निगंथीण वा इमाई छ अवयणाई वदित्तए तं जहा For Private And Personal Use Only

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