Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 123
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir ११४ टाणं - ६/-/५६१ (५६१) छब्विहा ओगहपती पन्नत्ता तं जहा-खिप्पमोगिण्हति बहुमोगिण्हति वहुविधमोगिण्हति धुवमोगिण्हति अनिस्सियमोगिण्हति असंदिद्धमोगिण्हति छब्बिहा ईहामती पन्नत्ता तं जहा-खिष्यमीहति बहुमीहति [यहुविधमीहति धुवमीहति अनिस्सियमीहति] असंदिद्धपीहति छविधा अवायपती पन्नत्ता तं जहा-खिप्पमवेति (बहुमवेति बहुविधम- वेति धुवमवेति अनिस्सियमवेति] असंदिद्धमवेति छव्दिहा धारणामती पन्नत्ता तं जहा-बहुं धरेति बहुविहं धरेति पोराणं घरेति दुद्धरं धरेति अनिस्सितं धरेति असंदिद्धं धरेति ।५१०|-510 (५६२) छविहे वाहिरए तवे पण्णते तं जहा-अणसणं ओमोदरिया भिक्खायरिया रसपरि- धाए कायकिलेसो पडिसंलीणता छब्बिहे अभंतरिए तवे पन्नत्ता तं जहा-पायछित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो ५११/-511 (५६३) छविहे विवादे पण्णत्ते तं जहा-ओसक्कइत्ता उस्सक्कइत्ता अणुलोमइत्ता पडि- लोमइत्ता भइता भेलइत्ता ५१२। -512 (५६४) छब्बिहा खुड्डा पाणा पन्नता तं जहा-बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संपुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणिया तेउकाइया वाउकाइया ।५१३।-513 (५६५) छबिहा गोवरचरिया पन्नता तं जहा-पेडा अद्धपेडा गोमुत्तिया पतंगवीहिया संवुक्कावट्टा गंतुंपच्चागता ।५१४।-514 (५६६) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं ईमीसे रयणपभाए पुढवीए छ अवक्कंतमहानिरया पन्नत्ता तं जहा लोले लोलुए उद्दढे निदहे जरएपज्जरए चउत्यीए णं पंकप्पभाए पुढवीए छ अवकंतमहानिरया पन्नता तं जहा-आरे वारे मारे रोरे रोख्व खाडखडे १५१५।-515 {५६७) बंभलोगे णं कप्पे छ विपाण-पत्थडा पनता तं जहा-अरए विरए नीरए निम्मले वितिमिरे विसुद्धे ।५१६1-516 (५६८) चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खत्ता पुव्यंभागा सपखेत्ता तीसतिमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-पुवामद्दववा कत्तिया महा पुच्चफग्गुणी मूलो पुव्वासाढा चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खता नतंभागा अवड्ढक्खेत्ता पन्नरसमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-सयभिसया भरणी भद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोति- सरण्णो छ नक्खत्ता उभयभागा दिवढखेत्ता पणयालीसमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-रोहिणी पुनव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा उत्तरामद्दवया १५१७)-517 (५६९) अभिचंदे णं कुलकरे छ घणुसयाई उड्ढं उछत्तेणं हुत्या ।५१८-518 (५७०) भरहे णं राया चाउरतचक्कवट्टी छ पुव्वसतसहस्साई महाराया हुत्या ५१९।-519 (५७१) पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस छ सता वादीणं सदेवमणुयासुराए परिसाए अपरजियाणं संपया होत्या वासुपुजे णं अरहा छहिं पुरिससतेहिं सद्धिं मुंडे (मविता अगाराओ अणगारियं] पब्बइए चंदप्पभे णं अरहा छम्मासे छठमत्थे हुत्था ।५२०/-520 (५७२) तेइंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स छब्बिहे संजमे कजति तं जहा-धाणामातो सोक्खातो अववरोवेता भवति घाणाभएणं दुक्खेणं असंजोएता भवति जिव्यामातो For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170