Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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टाणं - ६/-/५६१ (५६१) छब्विहा ओगहपती पन्नत्ता तं जहा-खिप्पमोगिण्हति बहुमोगिण्हति वहुविधमोगिण्हति धुवमोगिण्हति अनिस्सियमोगिण्हति असंदिद्धमोगिण्हति छब्बिहा ईहामती पन्नत्ता तं जहा-खिष्यमीहति बहुमीहति [यहुविधमीहति धुवमीहति अनिस्सियमीहति] असंदिद्धपीहति छविधा अवायपती पन्नत्ता तं जहा-खिप्पमवेति (बहुमवेति बहुविधम- वेति धुवमवेति अनिस्सियमवेति] असंदिद्धमवेति छव्दिहा धारणामती पन्नत्ता तं जहा-बहुं धरेति बहुविहं धरेति पोराणं घरेति दुद्धरं धरेति अनिस्सितं धरेति असंदिद्धं धरेति ।५१०|-510
(५६२) छविहे वाहिरए तवे पण्णते तं जहा-अणसणं ओमोदरिया भिक्खायरिया रसपरि- धाए कायकिलेसो पडिसंलीणता छब्बिहे अभंतरिए तवे पन्नत्ता तं जहा-पायछित्तं विणओ वेयावच्चं सज्झाओ झाणं विउस्सग्गो ५११/-511
(५६३) छविहे विवादे पण्णत्ते तं जहा-ओसक्कइत्ता उस्सक्कइत्ता अणुलोमइत्ता पडि- लोमइत्ता भइता भेलइत्ता ५१२। -512
(५६४) छब्बिहा खुड्डा पाणा पन्नता तं जहा-बेइंदिया तेइंदिया चउरिदिया संपुच्छिमपंचिदियतिरिक्खजोणिया तेउकाइया वाउकाइया ।५१३।-513
(५६५) छबिहा गोवरचरिया पन्नता तं जहा-पेडा अद्धपेडा गोमुत्तिया पतंगवीहिया संवुक्कावट्टा गंतुंपच्चागता ।५१४।-514
(५६६) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं ईमीसे रयणपभाए पुढवीए छ अवक्कंतमहानिरया पन्नत्ता तं जहा लोले लोलुए उद्दढे निदहे जरएपज्जरए चउत्यीए णं पंकप्पभाए पुढवीए छ अवकंतमहानिरया पन्नता तं जहा-आरे वारे मारे रोरे रोख्व खाडखडे १५१५।-515
{५६७) बंभलोगे णं कप्पे छ विपाण-पत्थडा पनता तं जहा-अरए विरए नीरए निम्मले वितिमिरे विसुद्धे ।५१६1-516
(५६८) चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खत्ता पुव्यंभागा सपखेत्ता तीसतिमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-पुवामद्दववा कत्तिया महा पुच्चफग्गुणी मूलो पुव्वासाढा चंदस्स णं जोतिसिंदस्स जोतिसरण्णो छ नक्खता नतंभागा अवड्ढक्खेत्ता पन्नरसमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-सयभिसया भरणी भद्दा अस्सेसा साती जेट्ठा चंदस्स णं जोइसिंदस्स जोति- सरण्णो छ नक्खत्ता उभयभागा दिवढखेत्ता पणयालीसमुहत्ता पन्नत्ता तं जहा-रोहिणी पुनव्वसू उत्तराफग्गुणी विसाहा उत्तरासाढा उत्तरामद्दवया १५१७)-517
(५६९) अभिचंदे णं कुलकरे छ घणुसयाई उड्ढं उछत्तेणं हुत्या ।५१८-518 (५७०) भरहे णं राया चाउरतचक्कवट्टी छ पुव्वसतसहस्साई महाराया हुत्या
५१९।-519 (५७१) पासस्स णं अरहओ पुरिसादाणियस छ सता वादीणं सदेवमणुयासुराए परिसाए अपरजियाणं संपया होत्या वासुपुजे णं अरहा छहिं पुरिससतेहिं सद्धिं मुंडे (मविता अगाराओ अणगारियं] पब्बइए चंदप्पभे णं अरहा छम्मासे छठमत्थे हुत्था ।५२०/-520
(५७२) तेइंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स छब्बिहे संजमे कजति तं जहा-धाणामातो सोक्खातो अववरोवेता भवति घाणाभएणं दुक्खेणं असंजोएता भवति जिव्यामातो
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