Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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चउत्थं टाणं - उद्देसो-२ जिटिंगदियरडिसलीणता ३०९।-309
(३३२) बउबिहे संजरे पण्णते तं जहा-मणसंजमे वइसंजमे कायसंजमे उवगरणसंजमे चढविधे चियाए पण्णत्ते तं जहा-मणचियाए वइचिवाए कायचियाए उवगरणचियाए चउन्विहा अंकिचणता पन्नत्ता तं जहा-मणअकिंचणता वइअकिंचणता कावअकिंचणता उवगरण अकिंचणता ।३१०|-310
• चउत्थे टाणे बीओ उद्देसो सपत्तो.
-: त इ ओ -उद्दे सो :(३३३) चत्तारि राईओ पन्नताओ तं जहा-पव्ययराई पुढविराई वालुयराई उदगराई एवामेव छबिहे कोहे पण्णत्ते तं जहा-पव्ययराइसमाणे पुढविराइसमागे वालुयराइसमाणे उदगराइसमाणे पव्ययराइसमाणं कोहमणुपविद्वे जीवे कालं कोइ नेरइएसु उववनति पुढविराइसमाणं कोहमणुपविढे जीवे कालं कोइ तिरिक्खजोणिएस उबवञ्जति वालुयराइसमाणं कोहमणुरविटे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववज्ञति उदगराइसमाणं कोहमणुपविढे जीचे कालं करेइ देवेसु उववति चत्तारि उदगा पन्नत्ता तं जहा-कद्दमोदए खंजणोदए यालुओदए सेलोदए एवामेव चउबिहे भावे पण्णत्ते तं जहा-कद्दमोदगसमाणे खंजणोदगसमाणे यालुओदगसमाणे सेलोदगसमाणे कद्दमोदगतमाणं भावमणुपविढे जीवे कालं कोइ नेरइएसु उववनति खजणोदगसमाणं भावमणुपविठू जीचे कालं करेइ तिरिक्खजोणिएसु उववजति वालुओदगसागाणं भावमणुपविके जीवे कालं कोइ मणुस्सेसु उववजति सेलोदगतमाणं भावमणुपविढे जीवे कालं करेइ देवेसु उववञ्जति ।३११1-311
(३३४) चत्तारि पक्डी पन्नता तं जहा कतरांपण्णे नाममेगे नो रुवसंपण्णे रुवसं. पण्णे नाममेगे नो रुतसंपण्णे एगे रुतसंपण्णेवि रुवसंपण्णेवि एगे नो रुतसंपण्णे नो रुवसंपण्णे एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा-रुत्तसंपण्णे नाममेगे नो रूव संपण्णे स्वसंपणे नाममेगे नो रुतसंपणे एगे सतसंपण्णेवि रुवसंपण्णेवि एगे नो रुतसंपप्णे नो स्वसंपणणे चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तं जहा-पत्तियं करेमीतेगे पत्तियं करेति पत्तियं करमीतेगे अप्पत्तियं करेति अप्पत्तियं करेमीतेगे पत्तियं करेति अप्पत्तियं करेसीतेगे अप्पत्तियं करेति चत्तारि परिसजावा पन्नत्ता तं जहा-अप्पणो नाममेगे पत्तियं करेति नो परस्स परस्स नाममेगे पत्तिय करेति नो अप्पणो एगे अप्पणोचि पत्तियं करेति परस्सवि एगे नो अप्पणो पतियं करेति नो परस्स चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तं जहा-पत्तियं पवेसामीतेगे पत्तियं पवेसेति पत्तियं पर्वसामीतेगे अप्पत्तियं पवेसेति अप्पतिवं पर्वसामीतेगे पत्तियं पवेसेति अप्पत्तिवं पवेसापीतेगे अपरियं पवेसेति चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा-अप्पणो नापनेगे पत्तियं पवेसेति नो परस्स परस्स नाममेगे पत्तिवं पवेसेति नो अप्पणो एगे अप्पणोवि पत्तियं पवेसेति परप्सवि एगे नो अप्पणो पत्तियं पवेसेति नो परस्स १३१२1-312
(३३५) चत्तारि रुक्खा पन्नता तं जहा-पत्तोवए पुष्फोवए फलोवए छायोवए एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तं जहा-पत्तोवारुखसमाणे पुप्फोवारुक्खसमाणे फलोवारुखसमाणे छायोवारुक्खसमाणे ३१३।-313
(३३६) भारण्णं वहमाणस्स चत्तारि आसासा पन्नत्ता तं जहा- जत्थ णं अंसाओ अंसं
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