Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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टाणं - ५/१/४६६ असंवरे ।४२७1-427
(४६६) पंचविधे संजमे पण्णते तं जहा-सामाइयसंजमे छेदोवट्ठावणियसंजमे परिहारविसुद्धियसंजमे सुहमसंपरागसंजमे अहक्खायचरितसंजमे ।४२८1-428
(४६७) एगिदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविधे संजमे कजति तं जहा-पुढविकाइयसंजमे [आउकाइयसंजमे तेउकाइयसंजमे वाउकाइयसंजमे] वणस्सतिकाइयसंजमे एगिदिया णं जीवा समारपमाणस्स पंचविहे असंजमे कजति तं जहा-पुढविकाइयअसंजमे {आउकाइयअसंजमे तेउकाइयअसंजमे वाउकाइयअसंजमे] वणस्सतिकाइयअसंजमे
४२९|-429 (४६८) पंचिंदिया णं जीवा असमारभमाणस्स पंचविहे संजमे कजति तं जहा-सोतिदियसंजमे [चविखदियसंजमे याणिदियसंजमे जिभिदियसंजमे फासिंदियसंजमे पंचिंदिया णं जीवा समारभामाणस्स पंचविधे असंजमे कजति तं जहा-सोर्तिदियअसंजमे (चक्खिदियअसंजपे धाणिदियअसंजमे जिभिदियअसंजमे] फासिदियअसंजमे सव्वपाणभूवजीवसत्ता णं असमारभमाणस्स पंचविहे संजमे कञ्जति तं जहा-एगिदिवसंजमे [वैइंदियसंजमे तेइंदियसंजमे चरिदियसंजमे पंचिंदियसंजपे सबपाणभूयजीवसत्ता णं समारभमाणरस पंचावहे असंजमे कजति तं जहा-एगिदियअसंजमे बेइंदियअसंजमे तेइंदिवअसंजमे चउरिदियअसंजपे पंचिंदियअसंजमे ।४३०।-430
(४६९) पंचविहा तणवणस्सतिकाइया पन्नत्ता तं जहा-अग्गीया मूलवीया पोरबीया खंधबीया बीयरूहा ।४३१/-431
(४७०) पंचविहे आयारे पण्णत्ते तं जहा-नाणायारे दंसणायारे चरित्तावारे तवायारे वीरियायारे १४३२४-432
(४७१) पंचविहे आयारपकप्पे पन्नते तं जहा-मासिए उग्धातिए मासिए अणुग्धातिए चउमासिए उपधातिए चउमासिए अणुग्धातिए आरोवणा, आरोवण पंचविहा पन्नत्ता तं जहा-पट्टविया ठविया कसिणा अकसिणा हाडहडा ।४३३1-433
(४७२) जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरत्यिमे णं सीयाए महानदीए उत्तरे णं पंच वक्खारपव्वता पन्नत्ता तं जहा-मालवंते चित्तकूडे पम्हकूडे नलिणकूडे एगलेले जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पुरिस्थिमे णं सीयाए महानदीए दाहिणे णं पंचं वक्रवारपव्वता पन्नत्ता तं जहा-तिकूड़े वेसमणकूडे अंजणे मायंजणे सोमणसे जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चस्थिमे णं सीओयाए महानदीए दाहिणे णं पंच वक्खारपव्वता पन्नता तं जहा-विजुप्पभे अंकावती पम्हावती आसीविप्ले सुहावहे जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स पच्चस्थिमे णं सीओयाए महानदीए उत्तरे णं पंच वखारपव्वता पन्नत्ता तं जहा-पचंदपव्बते सूरपवते नागपव्यते देवपब्दते गंधमादणे जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पव्वयस्स दाहिणे णं देवकुराए कुराए पंच महद्दहा पनत्ता तं जहा-निसहदहे देवकुरुदहे सूरदहे सुलसदहे विजुप्पभदहे जंबुद्दीवे दीवे मंदरस्स पब्वयस्स उत्तरे णं उत्तरकुराए कुराए पंच महादहा पन्नत्ता तं जहा-नीलवंतदहे उत्तरकुरूदहे चंददहे एरावणदहे मालवंतदहे सव्येणि णं वखारपव्यया सीया-सीओयाओ महानईओ मंदरं वा पव्यतं पंच जोयणसताई उड्ढं उच्चतेणं पंचगाउसताई उव्वेहेणं घायइ
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