Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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टाणं - ५/२/४७९
- त ई ओ - उ दे सो :(४७९) पंच अस्थिकाया पन्नता तं जहा-धम्मस्थिकाए अधम्मत्थिकाए आगासस्थिकाए जीवत्यिकाए पोग्गलत्यिकाए धप्पत्थिकाए अवण्णे अगंधे अरसे अफासे अरूवी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदच्चे से समासओ पंचविधे पन्नत्ते तं जहा-दव्वओ खेत्राओ कालओ भावओ गुणओ दव्यओ णं धम्मस्टिकाए एगं दव्वं खेत्तओ लोगपमाणयेते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भुपिं च भवति य भविस्साते य धुवे निइए सासते अक्खए अब्बए अवहितै निच्चे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ गमणगुणे
___ अधम्मत्थिकाए [अवणे अगंधे अरसे अफासे अस्वी अजीवे सासए अवट्ठिए लोगदव्वे से समासओ पंचविधे पण्णत्ते तं जहा-दव्यओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दब्बओ णं अधम्मस्थिकाए एगं दव्वं खेतओ लोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भुपिं च भवति य भविसि य धुवे निइए सासते अक्खए अव्वए अवट्टिते निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ ठागणुणे)
आगासस्थिकाए अवण्णे [अगंधे अरसे अफासे अरूवो अजीवे सासए अवहिए लोगालोगदव्वे से समासओ पंचविधे प.-दचओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दवओ णं आगासस्थिकाए एगं दव्वं खेत्तओ लोगालोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कयाइ न भविस्सइत्ति भविं च भवति च भविस्सति य धुवे निइए सासते अक्खए अव्बए अवट्टिते निचे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ अवगाहणागुणे] जीवत्थिकाए णं अवगे |अगंधे अरसे अफासे अरूवी जीवे सासए अवष्ठिए लोगदब्बे से समासओ पंचविधे पण्णते तं जहा दब्बओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्वओ णं जीवस्थिकाए अनंताई दवाई खेत्तओ लोगपमाणमेते कालओ न कयाइ नासी न कयाइ न भवति न कचाइ न भविस्सइत्ति भर्वि च भवति य भबिस्सति य धुवे निइए सासते अक्खए अव्यए अवट्टितै निच्चे भावओ अवण्णे अगंधे अरसे अफासे गुणओ उवओगगुणे]
पोग्गलस्थिकाए पंचवण्णे पंचरसे दुगंधे अट्ठफासे रूवी अजीवे सासते अवहित लोगदब्बे से समासओ पंचविधे पण्णत्ते तं जहा-दबओ खेत्तओ कालओ भावओ गुणओ दव्यओ णं पोग्गलस्थिकाए अनंतई दवाई खेतओ लोगपमाणमेत्ते कालओ न कयाइ नाप्सि न कयाइ न भवति न कवाइ न भविस्सइत्ति भूविं च भवति य भविस्सति य धुवे निइए सासते अक्सर अव्वए अवट्टितै निच्चे भावओ वण्णमंते जाव फासमंते गुणओ गहणगुणे ।४४१1-441
(४८०) पंच गतीओ पन्नताओ तं जहा-निरवगती तिरियगती मणुयगती देवगती सिद्धिगती ।४४२-442
(४८१) पंच इंदियस्था पन्नता तं जहा-सोतिदियरथे [चक्विदिवत्थे धाणिदियत्ये जिभिदियत्थे ] फासिंदियत्थे पंच मुंडा पन्नत्ता तं जहा-सोतिदियमुंडे चक्विंदियमुंडे धाणिदियमुंडे जिभिदिवमुंडे फासिंदियमुंडे अहवा-पंच मुंडा पन्नत्ता तं जहा-कोहमुंडे मानमुंडे माया- मुंडे लोभमुंडे सिरमुंडे ।४४३।-43
(४८२) अहेलोगे णं पंच बायरा पन्नता तं जहा-पुढविकाइया आउकाइया वाउका
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