Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
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यणं - ४/४/४१७
परिसाए अपराजियाणं उक्कोसिता वादिसंपया हुत्या ।३८२१-382
(४१७) हेहिल्ला वत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिया पन्नता तं जहा-सोहम्मे ईसाणे सणंकुमारे माहिदे मझिला चत्तारि कप्पा पडिपुण्णचंदसंठाणसंठिया पन्नत्ता तं जहावंभलोगे लंतए महासुकूके सहस्सारे उवरिला चत्तारि कप्पा अद्धचंदसंठाणसंठिया पन्नत्ता तं जहा-आणते पाणते आरणे अचुते ।३८३।-383
(४१८) चत्तारि समुद्दा पत्तेयरसा प.तं. लवणोदे वरुणोदे खीरोदे घतोदे |३८४1-384
(४१९) चत्तारि आवता पन्नत्ता तं जहा-खराबत्ते उण्णतावते गूढावत्ते आपिसावत्ते एवामेव चत्तारि कसाया पन्नत्ता तं जहा-खरावत्तसमाणे कोहे उण्णतावत्तसमाणे माणे गूढावत्तसमाणा पाया आमिसावत्तसमाणे लोभे खरावत्तप्तमाणं कोहं अणुपविद्वे जीवे कालं करेंति नेरइएसु उववजति [उण्णतावत्तसमाणं माणं अणुपविट्टे जीवे कालं करेति नेरइएसु उववजन्ति गूढाबत्तसमाणं मायं अणुपविटे जीवे कालं करेति नेरइएस उववाति) आमिसायत्तसमाणं लोभमणुपविट्टे जीवे कालं करेति नेरइएसु उववनति ।३८५।-385
(४२०) अनुराहनक्खत्ते चउत्तारे पण्णते पुव्वासाढा निक्खत्ते चउत्तारे पण्णत्ते। उत्तरा- साढा (नक्खत्ते चउत्तारे पण्णत्ते] ३८६। -386
(४२१) जीवाणं चउट्ठाणनिव्वत्तिते पोग्गले पावकम्मत्ताए चिणिसु वा विणंति वा चिणिस्संति वा-नेरइयनिव्दत्तिते तिरिक्खजोणियनिव्यत्तिते मणुस्सनिव्वत्तिते देवनिव्वत्तिते एवं-उवचिणिंसु वा उवचिणंति वा उवचिणिस्संति वा एवं चिण-उवचिण-बंध-उदीर-वेय तह निजरा चेव ।३८७।-387
(४२२) चउपदेसिया खंधा अनंता पन्नता चउपदेसोगाढा पोग्गला अनंता पन्नत्ता चउसमयद्वितीया पोग्गला अनंता पन्नता चउगुणकालगा पोग्गला अनंता जाव चउगुणलुक्खा पोग्गला अनंता पन्नत्ता ३८८1-3BB
चउत्थेठाणे चउत्यो उद्देसो समत्तो • चउत्यं टाणं समत्तं .
| पंचमं-ठाणं
-: पट मो - उदे सो :(४२३) पंच महब्बया पन्नता तं जहा-सञ्चाओ पाणातिवायाओ वेरमणं [सव्वाओ मुसावायाओ वेरमणं सव्वाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं सव्वाओ मेहुणाओ वेरमणं] सन्याओ परिग्गहाओ वेरमणं पंचाणुव्वया प. तं. -थूलाओ पाणाइवायाओ वेरमणं थूलाओ मुसावायाओ वेरमणं धूलाओ अदिन्नादाणाओ वेरमणं सदारसंतोसे इच्छापरिमाणे ।३८९।-389
(४२४) पंच वण्णा पन्नत्ता तं जहा-किण्हा नीला लोहिता हालिद्दा सुकिल्ला पंच रसा पन्नता तं जहा-तित्ता कड्या कसाया अंबिला मधुरा पंच कामगुणा पन्नत्ता तं जहा-सदा रूवा गंधा रसा फासा पंचहि ठाणेहिं जीवा सञ्जति तं जहा-सद्देहिं [रूवेहि गंधेहि रसेहिं] फासेहि पंचहि ठाणेहिं जीवा जंति तं जहा-सद्देहिं रूवेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं] पंचहि ठाणेहिं जीवा मुच्छंति [तं जहा-सद्देहिं स्वेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं] पंचहिं ठाणेहिं जीवा गिझंति [तं जहा. सद्देहिं रूवेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं] पंचहि ठाणेहिं जीवा अज्झोववनंति [तं जहा-सद्देहि रूयेहिं गंधेहिं रसेहिं फासेहिं| पंचहि ठाणेहिं जीवा विणिधायमावर्जति |तं जहा-सद्देहिं पवेहि
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