Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan
View full book text
________________
Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra
तइयं णं उद्देखो-१
·
www.kobatirth.org
Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir
बलदेववासुदेवा ।१४३।-143
( १५२) बायरते उकाइयाणं उक्कोसेणं तिण्णि राइंदियाई ठिती पण्णत्ता बायरचाउकाइयाणं उसेणं तिण्णि वाससहस्साइं ठिति पण्णत्ता 19४४/- 144
(१५३ ) अह भंते सालीणं वीहीणं गोधूमाणं जवाणं जवजवाणं - एतेसि णं धण्णाणं कोट्ट्ठाउत्ताणं पल्लाउत्ताणं मंचा उत्ताणं मालाउत्ताणं ओलित्ताणं लित्ताणं लंछियामं मुद्दियाणं पिहिताणं केवइयं कालं जोणी संचिट्ठति जहण्णेणं अंतोमुहुत्तं उक्कोसेणं तिष्णि संवच्छराई तेण परं जोणी पमिलायति तेण पुरं जोणी पविद्धंसति तेण परं जोणी विद्धंसति तेणं परं बीए अबीए भवति तेण परं जोणीवोच्छेदे पण्णत्ते 19४५/- 145
३१
(१५४) दोचाए णं सकूंकरप्पभाए पुढवीए नेरइयाणं उक्कोसेण तिण्णि सागरोवमाई ठिती पण्णत्ता तचाए णं बालुयप्पमाए पुढवीए जहण्येणं नेरइयाणं तिण्णि सागरोवमाई टिती
पण्णत्ता । १४६ । -146
(१५५) पंचमाए णं धूमप्पभाए पुढवीए तिणि निरयावाससयसहस्सा पण्णत्ता तिसु णं पुढवी नेरइयाणं उसिणवेयणा पण्णत्ता तं जहा- पढमाए दोच्चाए तचाए तिसु णं पुढवीसु नेरइया उणिवेयणं पचणुभवमाणा विहरंति तं जहा पढमाए दोच्चाए तथाए । १४७/-147 (१५६) तओ लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पण्णत्ता तं जहा अप्पइट्ठाणे नरए जंबुद्दीचे दीवे सव्यट्ठिसिद्धे विमाणे तओ लोगे समा सपक्खि सपडिदिसिं पण्णत्ता तं जहासीमंतए णं नरए समयक्खेत्ते ईसीपभारा पुढवी ।१४८ -148
( १५७ ) तओ समुद्दा पगईए उदगरसेणं पण्णत्ता तं जहा कालोदे पुक्खरोदे सयंभुरमणे तओ समुद्दा बहुमच्छकच्छभाइण्णा पण्णत्ता तं जहा-लवणे कालोदे सयंभुरमणे । १४९ । -149
( १५८ ) तओ लोगे निस्सीला निव्वता निग्गुणा निम्मेरा निष्पक्खाणपोसहोवयासा कालमासे कालं किवा असत्तमाए पुढवीए अप्पतिट्ठाणे नरए नेरइयत्ताए उवब्ध - जति तं जहा - रायाणो मंडलीया जे य महारंभा कोडुबी, तओ लोए सुसीला सुव्वया सग्गुणा समेरा सपञ्चक्खाणपोसहोववासा कालमासे कालं किच्चा सव्वट्ठसिद्धे विमाणे देवताए उववत्तारो भवंति तं जहा - रायाणो परिचत्तकामभोगा सेणावती पसत्यारो 19५०/- 150
( १५९) बंभलोग लंतएसु णं कप्पेसु विमाणा तिवण्णा पण्णत्ता तं जहा - किण्हा नीला लोहिया आणयपाणयारणघुतेसु णं कप्पेसु देवरणं भवधारणिजसरीरगा उक्कोसेणं तिण्णि रयणीओ उडूढं उच्चतेणं पण्णत्ता 1949 - 151
( १६० ) तओ पन्नत्तीओ कालेणं अहिचंति तं जहा - चंदपन्नत्ती सूरपन्नत्ती दीवसागरपन्नत्ती 19५२1-152
तइए ठाणे पढो उद्देसो समतो -: बी ओ उसो :
-
( १६१ ) तिविहे लोगे पण्णत्ते तं जहा-नामलोगे ठवणलोगे दव्वलोगे तिविहे लोगे पण्णत्ते तं जहा - नाणलोगे दंसणलोगे चरित्तलोगे तिविहे लोगे पण्णत्ते तं जहा उड्ढलोगे अहोलोगे तिरियलोगे । १५३/- 153
(१६२) चमरस्स णं असुर्रिदस्स असुरकुमाररण्णी तओ परिसाओ पण्णत्ताओ तं जहा समिता चंडा जाया अमितरिता समिता मज्झिमिता चंडा बाहिरिता जाया चमरस्स णं
For Private And Personal Use Only

Page Navigation
1 ... 38 39 40 41 42 43 44 45 46 47 48 49 50 51 52 53 54 55 56 57 58 59 60 61 62 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170