Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 76
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir चउत्यं ठाणं - उद्देसो-२ णापधेजा पन्नत्ता तं जहा-वातफलिहेति वा वातफलिहखोभेति वा देदरपणेति वा देववूहेति या तमुकाते णं वत्तारि कप्पे आवरित्ता चिटूठति तं जहा-सोधप्पीसाणं सणंकुमार-माहिंदं २९९९-291 (३११) चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा-संपागइपडिसेवी नाममेगे पच्छण्णपडिसेवी नाममेगे पडुप्पण्णनंदी नाममेगे निस्सरणनंदी नाममेगे चत्तारि सेणाओ पन्नत्ताओ तं जहा-जइता नाममेगा नो पराजिणित्ता परिजिणित्ता नाममेगे नो जइत्ता एगा जइतावि पराजिणित्तावि एगा नो जइत्ता नो पराजिणित्ता एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नता तं जहाजइता नाममेगे नो पराजिणित्ता पराजिणित्ता नाममेगे ना जइत्ता एगे जइत्तावि पराजिणितावि एगे नो जइत्ता नो पराजिणित्ता चत्तारि सेणाओ पन्नत्ताओ तं जहा-जइत्ता नाममेगा जयइ जइत्ता नाममेगा पराजिणति पराजिणिता नाममेगे जयइ पराजिणिता नाममेगा पराजिणति एवामेव चत्तारि पुरिसजाया पन्नत्ता तं जहा-जइत्ता नाममेगे जवइ जइत्ता नाममेगे पराजिणति पराजिणिता नाममेगे जवई पराजिणित्ता नाममेगे पराजिणति ।२९२१ -292 (३१२) वत्तारि केतणा पन्नत्ता तं जहा-वंसीमूलकेतणए मेंढविसाणकेतणए गोमुत्तिकेतणए अवलेहणिक्केतणए एवामेव चउविधा माया पन्नत्ता तं जहा-वसीमूलकेतणासमणा मेंढविसाणकेतणासमाणा गोमुत्तिकेतणासमाणा अवलेहणियकेतणासमाणा वंसीमूलकेतणासमाणं मायामणुपविट्टे जीवे कालं करेति नेरइएसु उववनति मेंढविसाणकेतनासमाणं मायामणुपविढे जीवे कालं करेति तिरिक्खजोणिएस उववज्रति गोमुत्ति केतनासमाणं पायमणुपविढे जीवे कालं करति मणुस्सेसु उववति अवलेहणिय [केतणास. माणं मायपणुपविद्वे जीवे कालं करति] देवेसु उववाति बत्तारि थंभा पन्नता तं जहा-सेलधंधे अट्टिधमे दारुथंभे तिणिसलतार्थभे एवामेव चउबिधे माणे पण्णत्ते तं जहा-सेलथंभसमाणे अद्विथंपसमाणे दारुथंभसमाणे तिणिसलतार्थभसमाणे सेयथंभसमाणं माणं अणुपविद्वे जीवे कालं करेति नेरइएस उववज्जति [अद्विधंभसमाणं माणं अणुपविद्वे जीवे कालं करेति तिरिक्खजोणिएसु उववञ्जति दारुथंभसमाणं माणं अणुपविद्वे जीवे कालं करेति मणुस्सेसु उववनति ] तिणिसलाताथंभसमाणं माणं अणुपविढे जीवे कालं करेति देवेसु उववअति चत्तारि वत्था पन्नता तं जहा-किमिरागरते कद्दमरागरते खंजणरागरते हलिद्दरागरते एवामेव चविधे लोभे पण्णते तं जहा- किमिरागरत्तवत्यसमाणे कद्दमरागरत्तवत्थसमाणे हलिद्दरागरत्तवत्यसमाणे किमिरागरत्तवस्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ नेरइएसु उववनइ कद्दमरागरत्तवत्यसमाणं लोपमणुपविढे जीवे कालं करेइ तिरिक्खजोणितेसं उववजइ खंजणरागरत्तवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जीवे कालं करेइ मणुस्सेसु उववनइ हलिदरागरतवत्थसमाणं लोभमणुपविढे जोवे कालं करेइ देवेसु उववञ्जइ ।२९३1-293 (३१३) चउविहे संसारे पण्णते तं जहा नेरइयसंसारे (तिरिक्खजोणियसंसारे मणुस्ससंसारे ] देवसंसारे चउबिहे आउए पण्णत्ते तं जहा-नेरइवआउए तिरिक्खजोणियआउए मणुरसाउए देवाउए चउबिहे भवे पण्णते तं जहा-नेरइयभवे तिरिक्खजोणियभवे मणुस्सभवे देवभवे ।२९४।-294 (३१४) चउब्धिहे आहारे पण्णते तं जहा-असणे पाणे खाइमे साइमे चउब्विहे आहारे For Private And Personal Use Only

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