Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

View full book text
Previous | Next

Page 65
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org ५६ Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir टाणं - ४ /१/२६२ देवपुरोहिते नामपेगे देवपज्जलणे नामयेगे, चउव्विहे संवासे पण्णत्ते तं जहा- देवे नाममेगे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा देवे नाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा छवी नामपेणे देवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा छवी नाममेगे छवीए सद्धिं संवासं गच्छेजा 1२४८१-248 (२६३) चतारि कसाया पन्नत्ता तं जहा कोहकसाए माणकसाए मायाकसाए लोभकसाए एवं - नेरइयाणं जाव चेमाणियाणं चउपतिट्ठित कोहे पण्णत्ते तं जहा आतपतिट्टितै परपतिट्ठितै तदुभयपतिट्ठितै अपतिट्ठिते एवं नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चउपतिट्ठित माणे प पत्ते तं जहा आतपतिट्ठितै परपतिद्धितै तदुभयपतिट्ठितै अपतिट्ठित एवं नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं चउपतिट्टिता माया पन्नत्ता तं जहा आतपतिट्ठिता परपतिट्ठिता तदुभयपतिट्ठिता अपतिट्ठिता एवं - नेर अइयाणं जाव वेमाणियाणं चटपतिट्ठित लोभे पण्णत्ते तं जहा आतपतितै परपतिट्ठितै तदुभयपतिट्ठितै अपतिट्ठित एवं-नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चउहिं ठाणेहिं कोधुप्पत्ती सिता तं जहा - खेत्तं पडुचा चत्युं पडुचा सरीरं पडुचा उवहिं पडुच्चा एवं नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चउहिं ठाणहिं माणुष्पत्ती सिता तं जहा खेत्तं पडुचा वस्युं पडुचा सरीरं पडुच्चा उवहिं पडुच्चा एवं- नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं चउहिं ठाणेहिं मायुष्पत्ती सिता तं जहाखेत्तं पडुच्चा वत्युं पद्दुच्चा सरीरं पडुचा उवहिं पडुच्चा एवं-नेरइयाणं जाय वैमाणियाणं चउहिं ठाणेहिं लोप्पत्ती सिता तं जहा खेत्तं पडुचा वत्युं पडुच्चा सरीरं पडुचा उवहिं पडुच्चा एवंनेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चउव्विधे कोहे पण्णत्ते तं जहा - अनंताणुबंधी कोहे अपचक्खाकसाए कोहे पच्चक्खाणावरणे कोहे संजलणे कोहे एवं-नेरइयामं जाव वैमाणियाणं चउच्विधे माणे पण्णत्ते तं जहा - अनंताणुबंधी माणे अपञ्चक्खाणकसाए मार्ग पच्चक्खाणावरणे माणे संजलणे माणे एवं-नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चडव्विधा माया पन्नतां तं जहा अनंताणुबंधी माया अपञ्चक्खाणकसाया माया पच्चक्खाणावरणा माया संजलणा माया एवं-नेरइयाणं जाव वैमाणियाणं चउव्विधे लोभे पन्नत्ते तं जहा - अणंताणुबंधी लोभे अपचक्खाणकसाए लोभे पच्चक्खाणावरणे लोभे संजलणे लोभे एवं णेरइयाणं जाव वेमाणियाणं चउव्विहे कोहे पन्नत्ते तं जहा- आभोगणिव्यत्तिते अणाभोगणिव्यत्तिते उवसंते अणुवसंते एवंनेरइयाणं जाव बेमाणियाणं चउब्विहे माने पन्नत्ते तं जहा आभोगणिव्वत्तिते अणाभोगणिव्वत्तिते उवसंते अणुवसंते एवं रइयाणं जाव बेमाणियाणं चउव्विहा माया पन्नत्ता तं जहा आभोगणिव्यत्तिता अणाभोगणिव्वत्तिता उवसंता अणुवसंता एवं नेरइयाणं जाव माणियाणं चउव्विहे लोभे पण्णत्ते तं जहा आमो गणिव्वत्तिते अणाभोगणिव्यत्तिते उवसंते अणुवसंते एवं-नेरइयाणं जाव वेमाणियाणं । २४९।-249 ( २६४) जीवा णं चउर्हि ठाणेहिं अट्ठकम्मपडीओ चिर्णिसु तं जहा कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं एवं जाव वेमाणियाणं जीवा णं चउहिं ठाणेहिं अट्टकम्मपगड़ीओ चिणंति तं जहा कोणं माणेणं मायाए लोभेणं एवं जाय बेमाणियाणं जीवा णं चउहिं ठाणेहिं अकम्पपगडीओ चिणिस्संति तं जहा- कोहेणं माणेणं मायाए लोभेणं एवं जाव वैमाणियाणं एवं - उवचिर्णिसु उवचिणंति उवचिणिस्संति बंधिसुं यर्धति बंधिस्संति उदीरिंसु उदीरिति उदीरिस्संति वेदेंसु वेदेति वेदिस्संति निजरेसु निज्जरेति निज्जरिस्संति जाव वेमाणियाणं २५०/-250 For Private And Personal Use Only

Loading...

Page Navigation
1 ... 63 64 65 66 67 68 69 70 71 72 73 74 75 76 77 78 79 80 81 82 83 84 85 86 87 88 89 90 91 92 93 94 95 96 97 98 99 100 101 102 103 104 105 106 107 108 109 110 111 112 113 114 115 116 117 118 119 120 121 122 123 124 125 126 127 128 129 130 131 132 133 134 135 136 137 138 139 140 141 142 143 144 145 146 147 148 149 150 151 152 153 154 155 156 157 158 159 160 161 162 163 164 165 166 167 168 169 170