Book Title: Agam 03 Thanam Angsutt 03 Moolam
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Agam Shrut Prakashan

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Page 35
________________ Shri Mahavir Jain Aradhana Kendra www.kobatirth.org Acharya Shri Kailassagarsuri Gyanmandir २६ वणं- ३/१/१३० अभिजुंजिय परियारेति अप्पाणमेव अपणा विउब्विय-विउब्विय परियारेति, एगे देवे नो अणे देवे नो असि देवाणं देवीओ अभिजुंजिय- अभिजुंजिय परियारेति अप्पणिद्धिताओ देवीओ अभिजुंजिय- अभिजुजंजिय परियारेति अप्पाणमेव अप्पणा विउब्विय-विउब्विय परियारेति, एगे देवे नो अण्णे देवे नो असि देवाणं देवीओ अभिजुंजिय- अभिजुंजिय परियारेति नो अप्पणिज्जिताओ देवीओ अभिजुंजिय- अभिजुंजिय परियारेति अप्पाणमेव अप्पाणं विउच्चिय- विउ व्विय परियारेति । १२२/- 122 (१३१) तिविहे मेहुणे पण्णत्ते तं जहा दिव्वें माणुस्साए तिरिक्खजोणिए तओ मेहुणं गच्छति तं जहा- देवा मणुस्सा तिरिक्खजोणिया तओ मेहुणं सेवंति तं जहा-इत्थी पुरिसानणपुंसगा ।१२३|- 123 ( १३२) तिविहे जोगे पण्णत्ते तं जहा मणाजोगे वइजोगे कायजोगे एवं नेरइयाणं विगलिंदियवञ्जाणं जाव वेमाणियाणं तिविहे पओगे पण्णत्ते तं जहा मणपओगे वइपओगे कायपओगे जहा जोगो विगलिंदियवज्जाणं जाय तहा पओगोवि तिविहे करणे पण्णत्ते तं जहा -मणकरणे वइकरणे कायकरणे एवं विगलिंदियवज्रं जाव चेमाणियाणं तिविहे करणे पण तं जहा- आरंभकरणे संरंभकरणे समारंभकरणे निरंतरं जाव घेमाणियाणं । १२४/- 124 (१३३) तिहिं ठाणेहिं जीवा अप्पाउयत्ताए कम्मं पगरेति तं जहा-पाणे अतिवातित्ता भवति पुषं वइत्ता भवति तहारूवं समणं वा माहणं या अफासुएणं अणेसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पहिलाभेत्ता भवति इच्छेतेहि तिहिं ठाणेहिं जावी अप्पाउयत्ताए कम्मं पगरेति तिहिं ठाणेहिं जीवा दीहाउवत्ताए कम्मं पगरेति तं जहा -नो पाणे अतिवातिता भवइ नो मुसं वइत्ता भवइ तरूवं समणं वा माहणं वा फारएणं एसणिज्जेणं असणपाणखाइमसाइमेणं पहिलाभेत्ता भवइ-इच्छेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा असुभदीहाउयत्ताए कम्पं पगरेति तिहिं ठाणेहिं जीवा सुभदीहाउयत्ताए कम्पं पगरेति तं जहा-नो पाणे अतिवातित्ता भवइ नो मुसं वदित्ता भवइ तहारूवं समणे वा माहणं वा वंदित्ता णमंसित्ता सकूकारिता सम्माणित्ता कल्लाणं मंगलं देवतं चेतितं पजुवासेत्ता मणुण्णेणं पीतिकारएणं असणपाणखाइमसाइमेणं पडिलाभेत्ता भवइ इच्छेतेहिं तिहिं ठाणेहिं जीवा सुहदीहाउयत्ताए कम्मं पगरेति 19२५/- 125 ( १३४ ) तओ गुप्तीओ पण्णत्ताओ तं जहा मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुत्ती संजयमगुस्साणं तओ गुत्तीओ पण्णत्ताओ तं जहा मणगुत्ती वइगुत्ती कायगुत्ती तओ अगुत्तीओ पण्णत्ताओ तं जहा-मणअगुती वइअगुत्ती काय अगुत्ती एवं नेरइयाणं जाब धणियकुमाराणं पंचिदियतिरिक्खजोणियाणं असंजत मणुस्साणं वाणमंतराणं जोइसियाणं वैमाणियाणं तओ दंडा पण्णत्ता तं जहा -मणदंडे वइदंडे कायदंडे नेरइयाणं तओ दंडा पण्णत्ता तं जहा पणदंडे वइदंडे कायदंडे विगलिंदियवजं जाय वेमाणियाणं । १२६/- 126 (१३५) तिविहा गरहा पण्णत्ता तं जहा माणसा वेगे गरहति वयसा वेगे गरहति कावसा वेगे गरहति -पाचाणं कम्माणं अकरणयाए अहवा - गरहा तिविहा पण्णत्ता तं जहा दीहंगे अर्द्ध गरहति रहस्संपेगे अद्धं गरहति कायपेगे पडिसाहरति पावाणं कम्माणं अकरणयाए तिविहे पचक्खाणे पण्णत्ते तं जहा माणसा येगे पचक्खाति वयसा वेगे पच्चक्खाति कायसा वेगे पचक्खाति-पायाणं कम्पाणं अकरणयाए अहवा-पचक्खाणे तिविहे पण्णत्ते तं जहा दीहंगे अद्धं For Private And Personal Use Only

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