Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

View full book text
Previous | Next

Page 176
________________ श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 699 // श्रुतस्कन्धः 2 चूलिका-१ षष्ठमध्ययनं पात्रैषणा, प्रथमोद्देशकः सूत्रम् 375 पात्रग्रहणधारणविधिः महद्धणबंधणाई, तं०- अयबंधणाणि वा जाव चम्मबंधणाणि वा अन्नयराइंतहप्प० महद्धणबंधाई अफा० नो प०॥६॥इच्चेयाई आयतणाई उवाइक्म्म अह भिक्खूजाणिज्जा चउहि पडिमाहिं पायं एसित्तए, तत्थ खलुइमा पढमा पडिमा-से भिक्खू० उद्दिसिय० 2 पायं जाएजा, तंजहा- अलाउयपायं वा 3 तह० पायं सयं वाणंजाइजा जाव पडि० पढमा पडिमा 1! अहावरा० से० पेहाए पायं जाइजा, तं०- गाहावइंवा कम्मकरीवा से पुव्वामेव आलोइज्जा, आउ० भ०! दाहिसि मे इत्तो अन्नयरं पादं तं०-लाउयपायंवा 3, तह० पायंसयं वाजाव पडि०, दुच्चा पडिमा 2! अहा० से भि० से जंपुण पायं जाणिज्जा संगइयंवा वेजइयंतियंवा तहप्प० पायं सयं वा जाव पडि०, तच्चा पडिमा 3 / अहावरा चउत्था पडिमा-से भि० उज्झियधम्मियं जाएजा जावऽन्ने बहवे समणा जाव नावकंखंति तह० जाएजा जाव पडि०, चउत्था पडिमा 4! इच्चेइयाणं चउण्हं पडिमाणं अन्नयरं पडिमं जहा पिंडेसणाए॥७॥ से णं एयाए एसणाए एसमाणं पासित्ता परो वइज्जा, आउ० स०! एज्जासि तुमं मासेण वा जहा वत्थेसणाए, से णं परो नेता व०-आ० भ०! आहारेयं पायं तिल्लेण वा घ० नव० वसाए वा अभंगित्ता वा तहेव सिणाणादितहेवसीओदगाई कंदाइंतहेव॥८॥सेणं परो ने०आउ० स०! मुहुत्तगं 2 जाव अच्छाहि ताव अम्हे असणं वा उवकरेंसु वा अवक्खडेंसु वा, तो ते वयं आउसो 0! सपाणं सभोयणं पडिग्गहं दाहामो, तुच्छए पडिग्गहे दिन्ने समणस्स नो सुटु साहु भवइ, से पुव्वामेव आलोइज्जा- आउ० भइo! नो खलु मे कप्पइ आहाकम्मिए असणे वा 4 भुत्तए वा०, मा उवकरेहि मा उवक्खडेहि, अभिकंखसि मे दाउं एमेव दलयाहि, से सेवं वयंतस्स परो असणं वा 4 उवकरित्ता उवक्खडित्ता सपाणं सभोयणं पडिग्गहगंदलइजा तह० पडिग्गहगं अफासुयं जाव नो पडिगाहिज्जा // 9 // सिया से परो उवणित्ता पडिग्गहगं निसिरिज्जा, से पुव्वामे० आउ० भ०! तुमचेवणं संतियं पडिग्गहगं अंतोअंतेणं पडिलेहिस्सामि॥ 10 // केवली० आयाण०, अंतो पडिग्गहगंसि पाणाणि वा बीया० हरि०, अह भिक्खूणं पु० जं पुव्वामेव पडिग्गहगं अंतोअंतेणं 8 // 699 //

Loading...

Page Navigation
1 ... 174 175 176 177 178 179 180 181 182 183 184 185 186 187 188 189 190 191 192 193 194 195 196 197 198 199 200 201 202 203 204 205 206 207 208 209 210 211 212 213 214 215 216 217 218 219 220 221 222 223 224 225 226 227 228 229 230 231 232 233 234 235 236 237 238 239 240