Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust

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Page 219
________________ श्रीआचाराङ्गं नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 742 // श्रुतस्कन्धः२ चूलिका-३ भावना, सूत्रम् 399-400 श्रीवीरवर्णनम् उवनिमंतंति मित्त० उवनिमंतित्ता बहवे समणमाहणकिवणवणीमगाहिं मिच्छुडगपंडरगाईण विच्छडुति विग्गोविंति विस्साणिति दायारेसुदाणं पजभाइंति विच्छड्डित्ता विगो० विस्साणित्ता दाया० पजभाइत्ता मित्तनाइ० भुंजाविंति मित्त० भुंजावित्ता मित्त० वग्गेण इममेयारूवं नामधिलं कारविंति-जओ णं पभिइ इमे कुमारे ति० ख० कुच्छिसि गन्भे आहूए तओ णं पभिइ इमं कुलं विपुलेणं हिरनेणं० संखसिलप्पवालेणं अतीव 2 परिवड्डइ, ता होउणं कुमारेवद्धमाणे ॥१०॥तओणंसमणे भगवं महावीरे पंचधाइपरिवुडे, त०-खीरधाईए 1 मज्जणधाईए 2 मंडणधाईए 3 खेलावणधाइए 4 अंकधा०५ अंकाओ अंकं साहरिजमाणे रम्मे मणिकुट्टिमतले गिरिकंदरमुल्लीणेविव चंपयपायवे अहाणुपुव्वीए संवड्डइ॥११॥तओणं समणे भगवं० विन्नायपरिणय (मित्ते) विणियत्तबालभावे अप्पुस्सुयाइं उरालाई माणुस्सगाई पंचलक्खणाइंकामभोगाइंसद्दफरिसरसरूवगंधाइं परियारेमाणे एवं च णं विहरइ / / 12 / / / / सूत्रम् 399 // समणे भगवं महावीरे कासवगुत्ते तस्स णं इमे तिन्नि नामधिज्जा एवमाहिजंति, तंजहा- अम्मापिउसंति वद्धमाणे 1 सहसंमुइए समणे 2 भीमं भयभेरवं उरालं अवेलयं परीसहसहत्तिकटु देवेहिं से नामं कयं समणे भगवं महावीरे 3, ॥१॥समणस्स णं भगवओ महावीरस्स पिया कासवगुत्तेणं तस्स णं तिन्नि नाम० तं०- सिद्धत्थे इ वा सिजंसे इ वा जसंसे इ वा ॥२॥समणस्स णं० अम्मा वासिट्ठस्सगुत्ता तीसेणं तिन्नि ना०, तं०- तिसलाइ वा विदेहदिन्ना इवा पियकारिणी इवा॥३॥समणस्सणं भ० पित्तिअए सुपासे कासवगुत्तेणं ॥४॥समण जिट्टे भाया नंदिवद्धणे कासवगुत्तेणं॥५॥समणस्स णं जेट्ठा भइणी सुदंसणा कासवगुत्तेणं // 6 // समणस्सणं भग० भज्जा जसोया कोडिन्नागुत्तेणं ॥७॥समणस्सणं० धूया कासवगोत्तेणं तीसे णं दो नामधिज्जा एवमा०- अणुज्जा इवा पियदंसणा इवा ॥८॥समणस्स णं भ० नत्तूई कोसिया गुत्तेणं तीसे णं दो नाम० तं०-सेसवई इ वा जसवई इवा, // 9 // // 742 //

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