Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 749 // श्रुतस्कन्धः चूलिका-३ भावना, सूत्रम् (अनुष्टुप्) 131-135 सूत्रम् 402 श्रीवीरवर्णनम् इरियासमिए से निग्गंथे नो अणइरियासमिएत्ति, केवली बूया०- अणइरियासमिए से निग्गंथे पाणाई भूयाई जीवाई सत्ताई अभिहणिज्ज वा वत्तिज्न वा परियाविज वा लेसिज वा उद्दविज वा, इरियासमिए से निग्गंथे नो इरियाअसमिइत्ति पढमा भावणा // 1 // अहावरा दुच्चा भावणा- मणं परियाणइ से निग्गंथे, जे य मणे पावए सावजे सकिरिए अण्हयकरे छेयकरे भेयकरे अ-ि हगरणिए पाउसिए परियाविए पाणाइवाइए भूओवघाइए, तहप्पगारं मणं नो पधारिजा गमणाए, मणं परिजाणइ से निग्गंथे जे य मणे अपावएत्ति दुच्चा भावणा॥२॥अहावरा तच्चा भावणा वइं परिजाणइसे निग्गंथे, जाय वई पाविया सावजा सकिरिया जाव भूओवघाइया तहप्पगारं वई नो उच्चारिजा, जे वई परिजाणइ से निग्गंथे, जाव वइ अपावियत्ति तच्चा भावणा // 3 // अहावरा चउत्था भावणा- आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो अणायाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए, केवली बूया०आयाणभंडमत्तनिक्खेवणा- असमिए से निग्गंथे पाणाइं भूयाइं जीवाई सत्ताई अभिहणिज्जा वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आयाणभंडमत्तनिक्खेवणासमिए से निग्गंथे, नो आयाणभंडनिक्खेवणा असमिएत्ति चउत्था भावणा // 4 // अहावरा पंचमा भावणा-आलोइयपाणभोयणभोइसे निग्गंथे नो अणालोइयपाणभोयणभोई केवली बूया०-अणालोईयपाणभोयणभोई से निग्गंथे पाणाणि वा 4 अभिहणिज्ज वा जाव उद्दविज वा, तम्हा आलोइयपाणभोयणभोई से निगंथे नो अणालोईयपाणभोयणभोईत्ति पंचमा भावणा॥५॥एयावता महव्वए सम्मंकाएण फासिए पालिए तीरिए किट्टिए अवट्ठिए आणाए आराहिए यावि भवइ, पढमे भंते! महव्वए पाणाइवायाओ वेरमणं / सू०गा० 131 // अहावरं दुचं महव्वयं पञ्चक्खामि, सव्वं मुसावायं वइदोसं, से कोहा वा लोहा वा भया वा हासा वा नेव सयं मुसं भासिज्जा नेवन्नेणं मुसं भासाविजा अन्नंपि मुसं भासंतं न समणुमन्निज्जा तिविहं तिविहेणं मणसा वयसा कायसा, तस्स भंते! पडिक्कमामि जाव वोसिरामि तस्सिमाओ पंच भावणाओ भवंति- तत्थिमा पढमा भावणा // 749 //
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