Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 762 // नि०- पाहण्णेण उ पगयं परिणाएय तहय दुविहाए। परिणाणेसु पहाणे महापरिण्णा तओ होइ // 355 // नि०- देवीणं मणुईणं तिरिक्खजोणीगयाण इत्थीणं / तिविहेण परिच्चाओ महापरिणाए निजुत्ती॥ 356 // अविवृता नियुक्तिरेषा महापरिज्ञायाः, अविवृता इत्यत्रोपन्यस्ताः / // इति श्रीश्रुतकेवलिभद्रबाहुस्वामिसन्हब्धनियुक्तियुतं श्रीशीलाङ्काचार्यविरचितायामाचाराङ्गसूत्रटीकायां| द्वितीयश्रुतस्कन्धः समाप्तः, तत्समाप्तौ च समाप्तं श्रीआचाराङ्गसूत्रमिति / / (ग्रन्थाग्रम् 12000) श्रुतस्कन्धः२ चूलिका-४ विमुक्तिः, नियुक्तिः 347-349 उपसंहारः नियुक्तिः 350-356 निक्षेपा: // 762 //
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