Book Title: Acharang Sutram Dwitiya Shrutskandh
Author(s): Punyakiritivijay
Publisher: Shripalnagar Jain Shwetambar Murtipujak Derasar Trust
View full book text ________________ नास्वादयेदित्यादि पूर्ववन्नेयं यावदध्ययनसमाप्तिरिति॥३९७ // सप्तममादितश्चतुर्दशम्, सप्तककाध्ययनं समाप्तम्, द्वितीया च समाप्ता चूलिका // 2-2-7-(14) / श्रीआचाराङ्ग नियुक्तिश्रीशीला० वृत्तियुतम् श्रुतस्कन्धः२ // 734 // श्रुतस्कन्धः 2 चूलिका-२ सप्तसप्तिका, सप्तमी सप्तकका अन्योऽन्यक्रिया, सूत्रम् 397 अन्योऽन्याक्रियानिषेधः // 734
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