Book Title: Abhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Author(s): Mahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
Publisher: Bhargav Pustakalay

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Page 13
________________ ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटीका-विराजितम् सूत्रधारः- अलमतिविस्तरेण / ( नेपथ्याभिमुखमवलोक्य-) आर्ये ! यदि नेपथ्यविधानमवसितं,' तदिहाऽऽगम्यताम् / छन्दोविधानतत्त्वज्ञः, सर्वशास्त्रविचक्षणः / तत्तद्गीताऽनुगलयकलातालावधारणः / / अवधाय प्रयोक्ता च, योक्तणामुपदेशकः / एवंगुणगणोपेतः सूत्रधारोऽभिधीयते // इति / / दर्पणकारादिमते-सूत्रधारः = सूत्रधारतुल्यः 'स्थापक' नामा नटोपाध्यक्षः / इस्थमाहेत्येवं योजनीयम् / तदुक्तं'प्रविश्य स्थापकस्तद्वत्काव्यमास्थापयेत्ततः' / / इति [साहित्यदर्पणे 6 परि०] अलमिति / अतिविस्तरेण = प्रपञ्चेन, अलम् = नास्ति किमपि प्रयोजनम् / एकमेव नान्दीश्लोकं पठित्वा विरम्यतेऽस्माभिरित्यर्थः / 'विस्तारो विग्रहो व्यासः, स च शब्दस्य विस्तर:' इत्यमरः / नेपथ्येति / कविवाक्यमेतत् / नेपथ्यं = यवनिका / 'पर्दा' इति भाषायां / तस्याभिमुखं-नेपथ्याभिमुखं = नेपथ्यं प्रति। रूपपरिवर्तनगृहं प्रतीत्यप्यर्थः / नेपथ्यं स्याद्यवनिका, रङ्गभूमिः, प्रसाधन' मिति कोशात् / आयें !प्रिये / 'पत्नी चाऽऽर्येति संभाष्या' इति भरतः / विश्वनाथोऽपि 'वाच्यौ नटी-सूत्रधारावायनाम्ना परस्परम्' इति / - नेपथ्यस्य विधानं-नेपथ्यविधानं = वेषरचना / 'रामादिव्यञ्जको वेषो नटे नेपथ्यमुच्यते' इति नाट्यशास्त्रम् / सूत्रधार-अब और ज्यादा विस्तार से मङ्गलाचरण के श्लोकों के पाठ करने की आवश्यकता नहीं है / [ नेपथ्य (पर्दै पीछे स्थित नटशाला) की ओर देखता हुआ-1 प्रिये ! यदि नाटकोचित वेष का परिवर्तन (रूप बदलना, बनाव, शृङ्गार आदि आवश्यक कार्य) तुमारा समाप्त हो चुका हो तो जरा यहाँ आना / .1 'इतस्तावदागम्यताम्' पाठान्तरम् /

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