Book Title: Abhigyan Shakuntalam Nam Natakam
Author(s): Mahakavi Kalidas, Guruprasad Shastri
Publisher: Bhargav Pustakalay

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Page 11
________________ ऽङ्कः] अभिनवराजलक्ष्मी-भाषाटीका-विराजितम् .. (नान्द्यन्ते-) तनुभिः = लोकपालानां कलाभिः प्रपन्न इति वाऽर्थः / स्वराज्यम् अवस्विति नाटकोक्तोऽर्थोऽपि सूचितः / इत्थमपि नाऽत्र नान्दीत्वहानिः। -'स्तुतियस्मात्प्रयुज्यते / देव-द्विजनृपादीनां तस्मान्नान्दीति सज्ञिता'-इति नृपस्तुतेरपि तत्र परिगणितत्वात् / 'पत्रावली' नामिका चेयं नान्दी / तदुक्तं नाट्यदर्पणे'यस्यां बीजस्य विन्यासो ह्यभिधेयस्य वस्तुनः / श्लेषेण वा, समासोक्त्या, नान्दी पत्रावली तु सा // '- इति / अत्र च्छेकवृत्तिश्रुत्यनुप्रासाः, पर्यायोक्तञ्च // 1 // नान्द्यन्त इति / 'या सृष्टिरित्यादिमङ्गलाचरणश्लोकरूपनान्दीपाठानन्तरमित्यर्थः / पद्यस्याऽस्याऽवान्तराष्टवाक्यघटिततयाऽऽशीर्वचनसंयुक्तशिवस्तुत्यात्मकतया च नान्दीत्वं स्पष्टमेव / तदुक्तं'आशीर्वचनसंयुक्ता स्तुतियस्मात्प्रयुज्यते / देव-द्विज-नृपादोनां तस्मान्नान्दीति सज्ञिता / / " मङ्गल्य-शङ्ख चन्द्रा-ऽब्ज-कोक, कैरव-शंसिनी। पदैर्युक्ता द्वादशभिरष्टाभिवों पदैरुत // ' इति [ साहि० 6 प०] / इत्यञ्च प्रकृतेऽपि 'ये द्वे कालं विधत्तः' इतिरीत्या चन्द्रस्यापि निर्देशादत्र नान्दीत्वव्यवहारे बाधकाऽभावः / किञ्च-सृष्टिमात्र का संचालन भी इन आठ मूर्तियों से (आठ तत्त्वों से) ही होता है। ये आठ मूर्तियाँ-पृथिवी, जल, तेज, वायु, आकाश, काल (सूर्य), आत्मा (यजमान) और मन (चन्द्रमा ) ही हैं। और सृष्टि के ये ही मुख्य तत्व भी हैं // 1 // (नाटक के अभिनय करने वालों के कर्णधार सूत्रधार द्वारा किए गए नान्दी = मङ्गलाचरण---श्लोक-के पाठ के अन्त में-) 1 'कालो हि भगवान् सूर्यः' इत्युक्तेः / 2 'चन्द्रमा मनसो जातः' इत्युक्तः / कार्यकारणयोश्चाऽभेदः प्रसिद्ध एव /

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