Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar

View full book text
Previous | Next

Page 253
________________ आगम (४०) आवश्यक- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-३ अध्ययनं न, नियुक्ति: [७८२-७८३], विभा गाथा [-], भाष्यं [१४५], मूलं - /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति: प्रत सूत्रांक वंदित्ता भणइ-ममं पधावेह, ते नेच्छति, तेण सर्व लोओ कओ, ताहे से लिंग दिण्णं, ते विहरिया, पुणो आगया, रण्णा| आगमियं जहा सो सिवभूती पञ्चइतो इहमागतो, ततो सद्दावित वंदित्ता कंबलरयणं से दिनं, आयरिएहिं भणिय-किं एएण महालमोल्लेण जईणं 1, तं किं गहियंति?, तस्स अणापुच्छाए फालियं, साहुणो निसज्जातो कयातो, ताहे सो कसाइतो, अण्णया जिणकप्पिया वणिजंति जहा-जिणकप्पिया य दुविहा पाणीपाया पडिग्गहधरा य । पाउरणमपाउ-1 पारणा एकेका ते भवे दुविहा ॥१॥ दुगतिगचउकपणर्ग नव दस एकारसं व बारसगा। एए अट्ठ विग्गप्पा जिणकप्पे होति उवहिस्स ॥२॥(प्रव. ) केसिंचि दुविहो उवही-रयहरणं मुद्दपोत्ती य, अन्नेसि तिविहो-दो ते चेव तइतो जाएगो कप्पो, चउबिहे दो कप्पा, पंचविहे तिन्नि, नवविहे रयहरणं मुहपोत्तिया तहा-पत्तं पत्ताबंधो पायवणं च पायकेसदारिया। पडलाइ रयत्ताणं च गोच्छतो पायनिजोगो॥१॥(ओघ. ६७९) दसविहे एगो कप्पो बडिओ, एगारसविहे | दो कप्पा, बारसबिहे तिण्णि, एस्थंतरे सिवभूरणा पुच्छिय-किमियाणि एत्तिओ उवही धरिजइ ! जेण जिणकप्पो न कीरइ, गुरुणा भणिय-न तीरइ इयाणिं, वोच्छिन्नो, सो भणइ-किं वोच्छिज्जइ !, अहं करेमि, परलोगस्थिणा नणु सो| ट्राचेव कायद्यो, किं उपहिपरिग्गहेण ?, परिग्गहसम्भाबे कसायमुच्छाभयाइया बहवो दोसा, तथाहि-वखाद्युपकरण-17 धारणे यदि कथमपि च वस्त्रादिकं न भवति तदा श्रावकेभ्यस्तद्याचनीयम् , यात्रा च प्रवचनलाघवकरीति महान् | 18 दोषः, तथा तेषु वस्त्रेषु परिभुज्यमानेषु शरीरस्वेदमलसम्पर्कतः षट्पदिकाः सम्मूच्छति, तासां च शरीरसङ्घर्षतः प्राण विपत्तिरिति प्राणातिपातबतभङ्गप्रसङ्गः, इत० उत्प्रसङ्गः, वस्त्राणि हि वर्षाकाडादर्वाक अवश्यं प्रक्षालनीयानि, प्रक्षालने दीप अनुक्रम JanEthcaoon imer pinatitrary.org ~253

Loading...

Page Navigation
1 ... 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316