Book Title: Aagam 40 Aavashyak Malaygiri Vrutti Mool Sootra 1 Part 03
Author(s): Dipratnasagar, Deepratnasagar
Publisher: Deepratnasagar
View full book text ________________
आगम
(४०)
आवश्यक'- मूलसूत्र-१ (नियुक्ति:+वृत्तिः) भाग-३ अध्ययनं H, नियुक्ति: [७८२-७८३], वि०भा गाथा [२५३६-२५३९], भाष्यं [१४५], मूलं - /गाथा-] मुनि दीपरत्नसागरेण संकलित..आगमसूत्र-[४०], मूलसूत्र-[१] "आवश्यक' नियुक्ति: एवं मलयगिरिसूरि-रचिता वृत्ति:
प्रत सूत्रांक
४जा भद्दिया सा आगया,भणइ-संदिसह, ताहे सा भणिया-पञ्च तित्थगरं पुच्छ, किंजं गोडामाहिलो भणइ तं सच! किंवा
जं दुब्बलियपूसमित्तपमुहो संघो भणइ तंति !, ततो सा भणइ-मम अणुग्गहं देह, काउस्सग्गं गमणापडियायनिमित्तं, ततो ठिया काउस्सग्गं, ताहे सा भयवंतं तित्थयरं पुच्छिऊण आगया, भणइ-जहा संघो सम्मावादी, इयरो मिच्छावादी,
निण्हतो एस सत्तमो, ताहे सो भणइ-एसा अप्पड्डिा बराइ, का एयाए सत्ती गंतूणवि!, तोऽविन सद्दहइ, ताहे पूसमित्ता दातस्स समीवं गच्छंति, भणंति य-अजो! पडिवज मा उग्धाडिजिहिसि, नेच्छइ, ताहे तेण संघेण बज्झो कतो बारसविहेगा।
संभोगेण-उवहि १ सुय २ भत्तपाणे ३, अंजली पगगहे इय ४ादायणा ५ य निकाए ६ य, अन्भुटाणेत्ति ७ आवरे ॥१॥ १ किइकम्मस्स ८ य करणे, वेयावच्चकरणे ९ इय । समोसरणे १० संनिसेजा ११ कहाए य निमंतणा १२॥२॥ इत्येवंलक्षणेन,
ततो सो अणालोइयअपडिकतो कालगतो । गतः सक्षमो निन्हवः॥ तदेवमुक्का देशविसंवादिनो निन्हवाः ॥ साम्प्रतमनेनैव प्रस्तावेन प्रभूतविसंवादिनो बोटिका भण्यन्ते, तत्र कदैते सञ्जाता इति प्रतिपादयन्नाह
वाससयाहं नचुत्तराई तहआ सिद्धिं गयस्स वीरस्स । तो योडिआण दिट्ठी रहवीरपुरे समुप्पन्ना ॥१४॥(भा.)/18 | यदा सिद्धिं गतस्य भगवतो वीरस्य षट् वर्षशतानि नवोत्तराण्यतिक्रान्तानि तदा रथवीरपुरे बोटिकानां दृष्टिः समुत्पन्ना।
कथमुत्पन्नति चेत्, उच्यते-रथवीरपुर नगर, तत्थ दीवगमुजाणं, तंमि अजकण्हा नाम आयरिया समोसढा, तत्थ एगो ४ साहस्सियमल्लो सिवभूइ नाम स रायाणमुवगतो-तुमं ओलम्गामि, राया भणइ-परिक्खामि, अण्णया राइणा भणितो-बच्च
चामुंडाघरे सुसाणे कण्हचउद्दसीए बलिं देह, सुरा पसूओ य दिपणो, अण्णे य पुरिसा भणिया-एवमेवं एयं बीहावेजा, सो
दीप अनुक्रम
CANUARCRACROCK
For more the
... सप्त-निनव-वर्णन अनन्तर बोटिक-मत वर्णनं आरभ्यते
~251
Loading... Page Navigation 1 ... 249 250 251 252 253 254 255 256 257 258 259 260 261 262 263 264 265 266 267 268 269 270 271 272 273 274 275 276 277 278 279 280 281 282 283 284 285 286 287 288 289 290 291 292 293 294 295 296 297 298 299 300 301 302 303 304 305 306 307 308 309 310 311 312 313 314 315 316