Book Title: Samudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Author(s): Shravak Bhimsinh Manek
Publisher: Shravak Bhimsinh Manek
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Page #1 -------------------------------------------------------------------------- ________________ REG श्रीजवादुस्वामकृत सामुजिक शास्त्रनुं सरल शुरू गुर्जर नाषांतर. जेमां पुरुष, स्त्री, घोडा, हाथी, बलद विगेरेनां शरीर S पर रहेलां चिह्नोथी श्रतांशुनाशुन फल विषे विस्तारपूर्वक घणी उपयोगी हकीकतनो । सुंदर अने रसिक कथा सहित समावेश करवामां आवेल ने तेमज बेवटे स्वप्नविचार संबंधी हकीकत नवी दाखल करवामां आवी जे. आवृत्ति बीजी उपावी प्रसिद्ध करनार श्रावक नीमसिंद माणक. निर्णयसागर प्रेस, मुंबइ. संवत् १९७० वैशाक सुदि ३ सने १९१४. SENRE Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #2 -------------------------------------------------------------------------- ________________ .... अनुक्रमणिका. पृष्ठ. पुरुषनां लक्षणोनुं स्वरूप .... .... १-ए स्त्रीउनां लक्षणोनुं स्वरूप .... ए-१० अश्वोनां चिह्नोनुं वरूप ५१- हस्तीनां लक्षणोनुं खरूप .... ए-१३१ बलदनां लक्षणोनुं स्वरूप .... ....१३१-२११ ग्रंथनी रचना संबंधी उद्वेख .... ....१२-१३ खप्न विचार ....२२४-२२४ पुस्तक मलवानुं वेकाएं श्रावक नीमसिंह माणक, जैन पुस्तको अने तीर्थोना नकशा प्रसिद्ध करनार तथा वेचनार. मांझवी शाकगली, मुंबइ. Printed by R. 7. Shedge, at the Nirnaya-sagar Press, 23, Kolbhat Lane, Bombay. Published by Bhimsi Maneck, Mandvi, Sackgalli Bombay. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #3 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ॥श्रीजिनाय नमः॥ अथ श्री नाबाहुस्वामिविरचित सामुष्कि शास्त्रनुं गुजराती भाषांतर. We श्रीवर्धमान प्रजुने नमस्कार करीने लोकोनां हित माटे हुं श्री सामुजिक शास्त्र- स्वरूप कहुं बुं. __सामुधिक शास्त्र चौद पूर्वमांहेला विद्यापूर्वमाथी उझरीने सूत्ररूपे गुंथेबुं बे. श्रा सामुजिक शास्त्रनी जघन्या अने उत्कृष्टा एवा बे प्रकारनी वाचना . ___था सामुजिक शास्त्र, प्रथम ढूंकामां स्वरूप क. हीने पालथी विस्तारपूर्वक स्वरूप कहेगुं तथा तेवां लक्षणोने आधारे जेठने शुल अथवा अशुन फलो मलेला, तेउनी कथा पण नविक जीवना बोध माटे टुंकामां कहीशुं तथा पालथी दीदा श्रादिकनां मुहूर्त विगेरेनुं पण स्वरूप कहीशुं. शरीरमां बे नेत्र, बे हाथ, तथा नासिका ए पांच वस्तु लांबी होय, तथा कंठ, लिंग, जंघा अने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #4 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) पीउ ए चार वस्तु जो टुंकी होय, तो ते उत्तम माणसने घेर घणुं अव्य होय. वली जेनी आंगलीउँनां सघलां पर्वो, त्वचा, दांत, नख अने केश ए पांचे सूक्ष्म होय, ते माणस घणां वर्षो सुधी जीवे. ___ वली जेनी कुति, पेट, बाती, नासिका, खांध अने ललाट ए ब वस्तु उंची होय, ते माणसने उत्तम कर्मोवालो जाणवो, एम सामुजिक शास्त्र कहे . ____वली जेठना हाथ, पग, आंखोना खुणा, नखोना अग्रजागो, शरीर, ताल, जीन अने होउ ए सात वस्तु लाल होय, ते अत्यंत सुख नोगवे. वली हृदय, मस्तक अने ललाट ए त्रणे वस्तु विस्तारवाली जोशए. तथा नाद, हास्य अने नानि ए त्रणे गंजीर जेने होय, ते माणस उत्तम कहेवाय. जेनी आंखो लाल होय, तेने तरुण स्त्री तजे नहि, अने तेने घेर लदमी श्रावीने क्रीडा करे . ___ जेनी गती विशाल होय, ते घणा अव्यनो मालीक थाय, तथा जेनुं मस्तक विशाल होय, ते राजा श्राय, तथा जेनी के विशाल होय, तेने घणा पुत्रो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #5 -------------------------------------------------------------------------- ________________ थाय, जेना पगो विशाल होय, तेने घणुं सुख मले. __ जेनी आंखो तेजवाली होय, तेने सौजाग्यपणुं मले, जेना दांतो तेजवाला होय, तेने उत्तम नोजन मले, जेनी त्वचा ( चाममी) तेजवाली होय, ते मोटा नाग्योनो मालीक थाय, तथा जेना पगो तेजवाला होय, ते वाहनो पर बेसीने चाले. कामकाज विना जेना हाथ कठिन होय, तथा पंथ करतां थका पण जेना पगो कोमल होय एवो कदाच साधु होय, तोपण ते अत्यंत सुखने नोगवे में. जेनुं लिंग लांबु होय, ते दरिद्धी होय, तथा जेनुं लिंग जाडं होय, ते लोकमां दूषणवालो होय, तथा जेनुं लिंग टुंकुं होय, ते राजा थाय. जेनो स्वर गंभीर होय, ते सघला कुटुंबमां जेम ताराठमां चं तेम अधिपति थाय. जेना हाथ बेक धुंटण सुधी लांबा होय, ते माएस लडाश्मां अत्यंत शूरवीर होय, तथा जेनी नासिका लांबी होय, ते आखा कुलमां मोटो कहेवाय, तथा पोते जाते कमाइने सघला कुटुंब- पोषण करीने तेमने सुखी करे. जेमनो कंठ कुंन सरखो होय, तथा तेमां त्रण Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #6 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) रेखाउँ होय, ते माणस राजा थाय, तथा तेने अ. त्यंत सदमी मले. जे पुरुष, लिंग जाडाश्मां चार पांगुल होय, ते माणस राजा थाय, तथा तेनी लोकोमा कीर्ति फेलाय, जेनी बन्ने जंघा नानी होय, ते माणस धनवान् थाय, तथा ते राज्यकारभारमा जोमाय अने राजा पण तेने घणुं मान आपे. . जे पुरुषनी पीठ नानी होय, तेने महागुणवान् जाणवो; अने ते बहुज धनवान् थाय, तथा ते लोकोना उपकार माटे घणुं धन खरचे. जेठना हाथ पगोनी श्रांगली पातली होय, ते माणस अत्यंत प्रशंसा पामे, तथा तेनामां अत्यंत चतुराश्होय, अने ते धनवान् थश्ने दानेश्वरी थाय. जेउनी त्वचा (चामडी) कोमल होय, तेने जीवतां थका घणो यश मले, तथा ते पोते पण अत्यंत सुखी थश्ने उत्तम उत्तम कार्यों था पुनियामां करे. जेऊना दांत सूदम होय, तेउनु मुख अत्यंत शोने , तथा तेने नोजन माटे घणां मेवा मिगइ विगेरे मले , तथा तेनुं आयुष्य अने बल पण घj होय , अने तेथी ते अत्यंत सुख मेलवे . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #7 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५) जेऊना नखो पातला होय, ते गुणवान् एवो राजा, थाय बे, तथा तेने आयुष्य अने बल घणुं होय बे, तथा तेने जोड्ने सघला संत पुरुषो पोताने सुखी माने जे. जेऊना वालो सूदम तथा मनोहर होय , ते माणस सघलानो सरदार थाय ने एम सामुजिक शास्त्र जणावे . - जेठना स्कंधो (खना) उंचा होय, तेने राजा थकी अत्यंत मान मले बे, तथा तेनां पगले पगले घणां वखाण थाय . जेनी नासिका उंची होय, ते माणस अत्यंत जक्तिमान् होय, तथा ते कोनुं बुरुं करे नहि,अने तेने सघर्बु जगत् चाहे. जेनुं मस्तक उंचुं होय, ते माणस शूरो होय, तथा ते कल्याण अने सौजाग्यपणुं मेलवी शके , तथा ते पोताना कुलनु हित चाहे बे, अने सर्वनी साथे स्नेह सहित वर्ते बे. जेउनु ललाट उंचं होय, ते उंच पदवीने पामे डे, तथा सघला माणसो तेनु हित करे ले, अने शत्रु तो तेनाथी थरथर कंपे . जे पुरुषना हाथ अने पगनां तलीयां लाल होय, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #8 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ते माणसने सुख श्रने जोग मले ने तथा तेने अचानक धन दोलत आदिक मले बे. ___ वली जेउँनुं शरीर लाल होय तेने राजा घj मान श्रापे तथा तेना पर ते घणोज प्यार लावे. . जेनी आंखोना खुणा लाल होय, ते मोटा जाग्यनो धणी होय, तथा ते सघली कलाठमां पार. गामी थाय, अने तेनी साथे सघला प्रेम राखे. तेमज जे माणसोना नखोलाल रंगना होय, ते माणस सघg सुख जोगवे डे, तथा ते जे श्ले ते थश् शके ले. - जे माणसोनुं तालवु लाल रंगनुं होय, ते माणस प्रगट रीते उत्तम होय,तथा तेनुं पंचमांघणुं मान होय, तथा ते जगत्मां दानेश्वरी कहेवाय. . जे माणसोनी जीन लाल रंगनी होय, ते समग्र सु. खोने नोगवनारोथाय,एम सामजिक शास्त्रनो मतले. जेना होगबिंबफल (पाकेलां घोला ) सरखा लाल रंगना होय, ते अनेक प्रकारना जोगोने नोगवी शके , तथा पैसा विना पण तेना सघलां कार्यों सिक यश् शके डे. जे माणसनु हृदय विशाल होय,ते राजा थश्ने अनेक रस सहित लोगोने जोगवे, तथा महादानेश्वरी थाय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #9 --------------------------------------------------------------------------  Page #10 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (6) जाणनारो थाय, तथा परमेश्वरनुं जजन करे. __जो टचली आंगली करतां पण अनामिका नानी होय, तो ते माणस लंपट अने लोजी होय, अने पृथ्वी पर तेनुं मान बिलकुल होतुं नथी. ___ जो पहेली अने टचली आंगलीथी पण अंगुगे चढीपातो होय, तो ते अत्यंत जय पामे . - जो तर्जनी श्रांगली बहु लांबी होय, तो तेमोटो राजा थाय तथा तेने घणी स्त्री थाय, तथा तेना शरीरमा अत्यंत क्रोध होय, तथा तेने देहमा रो. गोनी उत्पत्ति थाय. जेनी मध्य (वचली)आंगली अंगुगथी पण मोटी होय, तेने जीवित पर्यंत पण स्त्रीमले नहीं, एम सामुजिक शास्त्र कहे . जे पुरुषना पगना अंगुग गोल होय, तेना हु. कमनो को पण अनादर करी शके नहि. जेना पगना अंगुग पर फाटा त्रुटा तथा वांका नख होय, ते माणस घणांज पुष्ट कार्यों करे. जेना पगनी पेनी पातली तथा प्रगट रीते मली जाती होय, तथा सघली आंगली सीधी होय, ते माणस बहुज दानेश्वरी होय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #11 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जेना पगनी आंगली लांबी तथा उत्तम घाटवाली होय, ते माणस विद्या विगेरेनो नोग मेलवे, तथा तेने घणीज संपदा मले. जेना पगनी अांगलीउँना नखो काला रंगना होय, ते माणस चोर तथा चामी होय, अने तेनी वात कोइए साची मानवी नहि, तथा ते पृथ्वी पर मान पण मेलवी शके नहि. ___ हवे हाथनी रेखाउनुं वर्णन करे जे. टचली, अनामिका, वचली, तर्जनी अने अंगुठो ए पांचे आंगली आयुरेखाना विश्रामरूप .. __ हवे श्रायुष्यरेखा ले ते कनिष्ठिका (टचली) श्रांगली पासेथी नीकलीने जेटली आंगली उलंघी जाय, तेटला पचीश पचीश वर्षोनुं श्रायुष्य जाणवू, अर्थात् ते रेखा जो बेक तर्जनी सुधीचाली जाय तो एकसो वर्षनुं आयुष्य जाणवू. जेना हाथमां घणी रेखाउँ होय, ते दरिखी होय, तथा जेना हाथमां थोमी रेखाउँ होय, ते पण धन विनाना होय तथा जेना हाथमां चारज रेखा होय, तेने उत्तम कहेलो . जेना अंगुगना मूलमां जवनी श्रेणि (पंक्ति) Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #12 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) होय, तेने समस्त जगत् पोतानो स्वामी करी माने, तथा ते अत्यंत सुखसंपदा मेलवी शके. जेना हाथमा नव चक्रो होय, ते मोटो राजा थाय, तथा दश चक्र होय, ते सिद्ध थाय, दश जमरा होय, ते नोगी अने धनवान् थाय तथा ते महादानेश्वरी थाय. _ वली वचली तथा टचली श्रांगलीमा जमरो होय, तो ते उत्तम जाणवो, अने तर्जनीमां जो चक्र होय, तोपण ते उत्तम जाणवु. जेना पगो पोहोला होय, तथा अांगली घाटी होय, तथा सुंदर काचबाना आकार सरखी होय, तथा ते परना नखो अत्यंत सुंदर लाल रंगना होय, ते माणसने उत्तम लक्षणवालो जाणवो. जे माणसनी बन्ने पगोनी तर्जनी बांगली अंगुगथी वधी गयेली होय, तेने घणी स्त्रीउथी सुख मले. वली अंगुगथी जो अनामिका मोटी होय, तो तेने विद्या घणी मले, तथा ते महानोगी थाय, अने वली अत्यंत सुखने मेलवे. जेनी वचली आंगली अंगुगथी वधी गयेली होय,तेने कोइ पण स्त्री न होय,एम सामुजिक शास्त्रमा कहेवू . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #13 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) जेनी अनामिका नानी होय, ते माणस लंपट होय, तथा जोजामी होय,तो तेमाणस पुरुषना संगने श्छेले. __जो पगनी सघली आंगली नानी होय, तो ते जो के राजाने घेर जन्म्यो होय, तोपण तेने दा. सोनुं कार्य करवू पडे जे. जेना पगनी आंगली सरल, घाटी, लांबी तथा मनोहर श्राकारनी होय, तेने उत्तम लक्षणवालो जाणवो, तथा तेने घेर सघली संपदार्जनो निवास थाय. ___ वली पगनी नीचे जो एक अथवा बे तल होय, तो उत्तम जाणवा, अने तेथी बालपणामां तेने पालj मले , तथा पढ़ी तेने बेसवा माटे पालखी मले . जेना पगना नखो मेथी वांका होय, ते माणस कामनोगनां सुखथी रहित होय, उष्ट आचरणवालो, अपजशवालो, तथा अति कठोर होय . वली जेना नखो वांका, फाटेला तथा जामा होय, ते बहुज दरिद्धी होय, अने तेनुं दरिद्धीपणु कदि पण मटे नहीं; तथा जेना नखो लीला रंगना होय, ते उष्ट पापकार्योमांज थासक्त होय . जेना नखोनो रंग अत्यंत सुंदर गुलाब जेवो होय, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #14 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) ते माणस हमेशां अभंग रीते राज्यने जोगवी शके बे, तथा जेना नखो त्रांबाना रंग सरखा होय बे, ते अत्यंत धनवान् थाय बे, तथा तेनामां घणा गुणो वीने निवास करे बे. दवे जंघानां लांबनोनुं स्वरूप कहे बे. जेनी जंघाई घोगा सरखी होय बे, ते माणस अत्यंत धनवान् थाय बे, तथा जेनी जंघार्ज हरिण सरखी होय बे, ते मोटो राजा थाय बे, तथा जेनी जंघा जामी होय बे, ते बलवान् होय बे, तथा तेने काले परदेश जनुं पके बे. जेनी जंघा सिंह ने वाघ जेवी होय बे, ते माणसना संगने धन, कीर्ति ने सुख तजतां नथी; तथा जेनी जंघा रोम विनानी होय बे, ते माणस जन्मथीज दरिद्री होय बे. जेनी जंघा बीलाडी जेवी होय, सेने घेर कंश् पण संपदा होय नहि; वली जेनी जंघा मत्स्यना आकार सरखी होय, ते लक्ष्मीना स्थानकरूप होय, तथा जेनी जंघा उंट सरखी होय, ते जोगोथी निराश थाय बे. जेनी जंघाने जेंस जेवी होय, तेने मूढ जाणवो, For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #15 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) तथा जेनी जंघाउँ गधेमा सरखी होय, तेने पण दुष्ट जाणवो, तथा जेनी जंघा कागमा सरखी होय, ते राजा थाय, एम सामुधिक शास्त्र कहे जे. हवे रोमनुं लक्षण कहे . जो एक रोम होय, तो ते राज्यलोग जोगवे , तथा बे रोम होय तो घणुं धन मेलवे ,त्रण रोम होय तो बहुज विद्वान् थाय, तथा घणां रोम होय, तो दरिद्धी थाय. - हवे गतिनुं सक्षण कहे जे. जेनी जंघा लांबी होइने, उत्ताल गतिवालो जे होय, तेने राजा सरखो जाणवो; तथा जेनी सिंह सरखी जंघा होय अने उतावली गतिए चालतो होय, ते धनवान् तथा राजा थाय, तथा तेनी कीर्ति जगत्मा फेलाय, अने सहु को तेनी चाहना राखे.. जेनी गति वांदरा सरखी होय, ते माणस राजानो प्रधान थाय, तथा जेनी मत्स्यना जेवी गति होय, ते राजा थाय, तथा तेनुं पराक्रम पण अति उत्कृष्ट थाय. जेनी जंघा रोम रहित अने जामी होय, ते माणस फुःखी अने दीन होय, तथा ते क्षणे दणे रोगी थाय, अने वली ते बुद्धि विनानो थाय. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #16 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) जेनी जंघा रोम सहित होय जे, ते सघलाउ उत्तम कहेवाय; तथा रोम रहित जंघावाला पुःखनीखाण समान , वली जेनी जंघा पर अनंतां रोम बे, तेने अनंतुं पुःख होय . . हवे जेवी हाथीनी, हंसनी तथा वृषजनी गति होय, तेवी गति जेनी होय ते माणस अति उत्तम कहेवाय ... __ जे माणस पाणी, हरण अने अश्व सरखी गतिथी चाले बे, ते माणसने नाग्यहीन जाणवो. ... बकरा, उंट अने ससलाजेवी गतिथी जे माणस चाले तेने पण जाग्यहीन जाणवो. पाणीनां मोजां, कागमा अने घुवर सरखी जेनी गति होय, तेने उव्यहीन तथा गुणहीन माणस जाणवो तथा ते अत्यंत उःखी थाय. ___ कुतरा, उंट अने नेंस सरखी जेनी गति होय तथा गधेमा अने सुअर सरखी जेनी गति होय, तेने पण सुख अने लाग्यथी हीन माणस जाणवो. . वली जेनी गति कुकमा सरखी होय, तेजना पर कलंक चडे , तथा तेउनुं मान बिलकुल वृद्धि पामतुं नथी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #17 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) वली जेऊनी गति सूकर सरखी होय, ते माणस कुकर्मो करे,अने तेने कोश्नी पण साथे प्यार होय नहि. __ हवे लिंगनां लक्षणो कहे . - लक्षण विनानुं जेनुं लिंग होय, तेने घणा पुत्रो होय, तथा माबी बाजुए जेनुं लिंग गोल आकारनुं होय, तेने घणी पुत्री होय. जेउनुं लिंग बांगुलनु होय, ते माणस राजा अथवा प्रधान थाय; अथवा ते धनवान् थश्ने बहु मान पामे. - जेनुं लिंग जरा कर्कश होय, ते अत्यंत सुख मेलवे, तथा जेनुं लिंग लांबु अने जाडु होय, ते दरिखी थश्ने अत्यंत फुःख पामे. जेनुं लिंग सिंहना लिंग जेवु होय, ते माणस राजा, जोगी, धनवान् अने घणाने वहालो थाय. विषम श्रासने बेगं थका जेनुं लिंग जूमि पर स्पर्श करे, तेने दरिजी तथा लोनी जाणवो, हवे धारानां लक्षणो कहे . एक धाराथी बलवान् राजा थाय, बे धाराथी धनवान् थाय, तथा त्रण धाराथी ते माणस धनहीन थाय, एम मोटा माणसोनो विचार . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #18 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६ ) दवे वीर्यगंधनां लक्षणो कहे बे. T जे वीर्य मत्स्यना सरखी गंधवालुं होय, ते उत्तम जाण अने तेथी पुत्र तथा धननो समूह मलें बे, छाने घी सरखी गंधवालुं जो वीर्य होय तो पशु छाने धन मले बे, तथा जो हस्तिमदना सरखी गंधवालुं वीर्य होय, तो ते माणस शूरो थाय. कमलना सरखी गंधवायुं जो वीर्य होय तो लक्ष्मीवान् याय, तथा मध सरखी गंधवालुं होय तो महान् याय, अने लाखना सरखी गंधवालुं जो होय, तो ते माणस निर्ल ने निर्धन याय, अने मांस सरखी गंधवालुं होय, तो ते दुर्बुद्धि थाय; जो रुधिरना सरखी गंधवालुं होय, तो ते व्यसनी जे विषयी होय, अने विष्ठा सरखी गंधवालुं जो वीर्य होय, तो ते निश्चे करीने निर्गुणी अने दुःखी होय. वली जेना वीर्यनी गंध कवी होय, ते माणस कपटी तथा अपजशवालो होय, तथा जेनुं वीर्य राख सरखी गंधवालुं होय, ते माणस धन रहित थाय. हवे माणसोना रंगनुं स्वरूप कहे बे. जेनो रंग दूध सरखो सफेद होय, ते महान् राजा थाय, तथा जेनो रंग श्याम होय, ते सुखोनो जो ... For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #19 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) गवनारो थाय, अने पीला रंगवालो दरिखी तथा रोगी थाय. हवे रुधिरनुं खरूप कहे . जेनुं रुधिर प्रवालाना रंग सरखं होय , ते माणस हमेशां सुखोमा मग्न एवो राजा थाय ने, तथा जेमा रुधिरनो रंग अलता सरखो होय, ते माणस उत्तम रूपवान् होय, तथा घणी कन्याउने जन्म थापे, तथा ते दानेश्वरी अने मोटी संपदावालो थाय; वली जेउनुं रुधिर कुतरा तथा ससला सरखं होय, ते माणस निर्जागी जाणवो, तथा जेनं रुधिर कमलपत्र सरखं होय, तेने को साथे पण प्रीति न होय. हवे केमनां लंबनोनुं खरूप कहे . जेनी के विशाल होय, ते माणसने पुत्रोथी सुख मले , तथा जेनी के मांसथी रहित होय, तेने पण बहु सुख मले बे; तथा जेनी कटिनो लंक के. सरीसिंह समान होय, ते चतुर एवो नायक थाय; अने जेनी केम वांदरा सरखी होय, ते माणसने अत्यंत दुःख थाय . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #20 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) हवे नाजिनुं वर्णन करे बे. जेनी नानि पाणीना इद(धरा)सरखी गंजीर होय, तेने उत्तम जाणवो; पण जेने विषम तथा बहुज जंमी अथवा बहुज उंची होय तेने खराब जाणवो. हवे पेटना लक्षणोनुं स्वरूप कहे .. _हरण, मयूर तथा देमकां सरखं पेट जेनुं होय, ते माणस राजा थाप, तथा जेनुं उदर (पेट) वाघ, उंदर, हाथी, कुतरा अने शियाल सरखं होय, तेने पुष्ट जाणवो. हवे स्तनोनां लकणोनुं स्वरूप कहे बे. जेनां स्तनो जरा उंचां, तेजवालां, श्याम मुखवालां, तथा थोमा रोमवाला होय, तेने धनवान् , नोगी अने शूरो जाणवो, पण जेनां स्तनो सूकां, नीचां अने तेज विनानां होय, तेने दरिद्धी तथा मूर्ख जाणवो. हवे हृदयनां लक्षणोनुं खरूप कहे . - जे माणसवें हृदय नगरना दरवाजा सरखं विशाल अने दृढ होय , ते माणस शत्रुनो नाश करीने सजानोने सुख दीए . . वली जेना विशाल हृदय पर रोमनी श्रेणि होय, ते माणस अत्यंत विद्वान् थाय ने, तथा तेनुं आयुष्य Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #21 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) अने बल वृद्धि पामे , श्रने राजा तरफथी पण तेने घणुं मान मले . वली जेनुं हृदय विशाल होय तेने धन घणुं मले, तथा ते राजा थाय, अने तेने घणा पुत्रो पण थाय. . हवे पीउनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे . जेनी पीठ सिंहना सरखी होय , ते दरिजी थाय अने जेनी पीउकाचवा सरखी होय , तेने घणा चाकर नफरो होय, तथा ते अत्यंत गुणी कहेवाय जे. हवे हाथनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे . जे माणसना हाथ बेक धुंटण सुधी लांबा अने दरवाजानी जोगल सरखा सीधा होय बे, ते माणसने अत्यंत गुणी जाणवो, तथा जेना हाथ टुंका होय, तेने धन रहित जाणवो. हवे कंठना लक्षणोनुं स्वरूप कहे बे. . जेनो कंठ शंखना श्राकार सरखो होय, तेने उत्तम जाणवो; तथा जेनो कंठ मयूर, उंट अने बगलाना कंठ जेवो होय, तेने अनिष्ट जाणवो तथा ते माणस हमेशां पराधीनपणुं जोगवे . वली जेनो कंठ टुंको तथा जरेला कुंन सरखो होय, तेने पण उत्तम जाणवो; वली जेनो कंठ बहुज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #22 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०) पातलो तथा विषम होय, तेनुं कार्य सुधरे नहि. ___ जेनो कंठ जामो होय, ते दरिडी तथा कुलने नाश करनारो थाय; वली जेना कंठमांत्रण रेखाउँ होय, तेने अत्यंत उत्तम जाणवो. हवे होउना लक्षण कहे जे. जेना होठ लाल रंगना होय, ते मोटो जाग्यशाली होय, तथा ते स्त्रीने बहुज वजन थपडे , अने ते तेना पर अत्यंत प्रेम राखे . __ वली जेना होठ पाकेलां घोलां सरखा गोल, अने लाल रंगना, तथा हमेशां लीला रहेता होय, तेने उत्तम जाणवो; वली जेना होठ काला अने सुकाएला, तरडाएला तथा विषम होय, ते माणसना रहेवाथी कुलमां विरोध थाय ने, अने तेथीते पण पुःखी थाय ;वली जेना होग पीला होय, ते माणस बहुज विषयी तथा लंपट होय , तथा जेना होठ बहुज जाडा होय , ते अल्प काल सुधीज जीवी शके बे; वली जेना होठ बहुज खुला रहेता होय, ते माणसने पण दरिखी जाणवो; जेना होगमा फाट होय, ते माणस पहेला सुखी होय, तो पा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #23 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११ ) बलथी दुःखी थाय, अने पहेलां दुःखी होय, तो पालथी सुखी थाय बे. हवे दांतनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे बे. जेना मुखमां बत्रीशे दांत होय, ते माणस राजा थाय बे, तथा जेना मुखमां एकत्रीश दांत होय, ते मंत्री थाय बे, त्रीश दांत जेना मुखमां होय, ते सुखी थाय बे; तथा तेथी जेम बा बा दांत होय तेम तेम तेने श्रनिष्ट फलो मले बे. जेना दांत बुटा बुटा होय, ते माणस विद्वान् थाय बे, जेना दांत अत्यंत मलेला होय, ते मूर्ख रहे बे, जेना दांत सफेद रंगना दोय, ते लोकोमां घणुं मान मेलवे बे तथा जेना दांत लाल रंगना होय, ते माणस लंपट होय बे, जेना गलना दांत बहार नीकलेला होय, ते मासने जाग्यशाली जाणवो. वली जेना दांतनी नीचली दार उपरना दांतनी हारथी दूर जती होय, तेने धन रहित जाणवो; जेना दांत पर हमेशां दुर्गंधी मेल जराय, तेने अत्यंत दरिडी जाणवो; जेना दांतनो रंग पीलो होय, तेने कपटी जावो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #24 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २) हवे जीननां लक्षणोनुं खरूप कहे . जेनी जील श्याम रंगनी होय, ते दासपणुं करे, लीसी जीन दरिजपणुं श्रापे, मेली जीन श्रशुन कार्य निपजावे, तथा सफेद जीन लंपटपणुं शिखा. वे : वली जेनी जीन तीक्ष्ण तथा खरबचमी होय, तेने मिष्टान्न नोजन मले बे, तथा जेनी जीन वांकी होय, ते राज्य तरफनु कष्ट नोगवे; जेनी जीन बोलतां अचकाती होय, ते सर्व लोकोथी मान पामे तथा तेने घेर पुत्रोनो जन्म थाय; वली जेनी जीन लाल रंगनी तथा अणीदार होय, ते विछान् थाय; वली जेनी जीन मुखनी बहार न नीकली शके, ते माणस पापी अने नरकगामी थाय, तथा जेनी जीन तालवाने अडी न शके, ते पुःखी थाय, जेनी जीन खादने जाणी न शके, तेनुं तत्काल मृत्यु थाय. . हवे तालुनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे बे. जे माणसनुं तालवू श्याम रंगर्नु होय, ते माणस कुलनो नाश करे, तथा जे माणसनुं तालवू लाल रंगर्नु होय, ते राजा थाय, तथा जेनुं तालq हमेशां सुकाएबुं रहे, ते कुःख पामे; वली जेनुं तानु वच्चे सांधानी लीटीवायूँ न होय, ते धन रहित थाय, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #25 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) तथा जेनुं तालq हमेशां जीनुं रहे, ते सुखी थाय; वली जेने मुखमां गएला उष्ण आदि पदार्थों ताबुने लाग्याथी पण तेनो स्पर्श न जणाय, ते मापसनुं तत्काल मृत्यु थाय... हवे नासिकानां लक्षणोनुं स्वरूप कहे जे. जेनी नासिका वांकी तथा विषम होय, ते माणस नाग्यहीन तथा धनहीन थाय डे, अने अंते ते अत्यंत दुःखी थाय . जेनी नासिका पीली होय, तेने कार्योमा धीरो जाणवो, तथा जेनी नासिका हाथीनी सरखी होय तेने अत्यंत नक्तिनाववालो जाणवो. वली जेनी नासिका पोपटनी चांच सरखी होय, तेने मोटो जाग्यशाली राजा जाणवो, तथा जेनी नासिका दीपकनी शिखा सरखी होय, तेने पण उत्तम जाणवो. __वली जेनी नासिका सिंहनी नासिका सरखी होय, तेने धनवान् अथवा शूरो जाणवो. हवे नेत्रोनां लक्षण- खरूप कहे बे. जेनां नेत्रो विशाल होय, ते मोटो लाग्यशाली राजा थाय; वली जेनी आंखोना खुणा लाल रंगना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #26 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २४ ) होय, ते माणस कुटुंब मां बहु राग (प्रीति) वालो होय; वली जेनी श्रांखो लांबी होय, ते मंत्री घाय, तथा जेनी खो गोल आकार वाली होय, ते शूरो थाय; वली जेनी आँखो कुटिल होय, ते माणस दुराचारी होय, पीली खोवालो रोगी होय, कमल सरखी श्रांखोवालो धनवान् अने ध्यान धरनारो थाय; वली जेनी आँखो बिलामा जेवी होय, तेने लंपट जाणवो, तथा जेनी खो सुवर्ण सरखी होय, ते धनवान् याय, तथा तेने राजा तरफथी घणुं मान मले; वली जेनी खो पारा सरखी होय, तेने पण उत्तम जाणवो, तथा जेनी आंखो मत्स्य सरखी होय, तेने राजा जावो; वली जेनी खो मांजरी होय, तेने पण उत्तम न हि जावो, जेनी आंखो त्रांसी होय, ते पण दरिद्री थाय, तथा जेनी एक आंख गएली होय, ते कपटी अने निर्बुद्धि होय. हवे जमरोनुं स्वरूप कहे बे. जेनी जमरो रोमवाली तथा तलवार जेवी वांकी होय, तेने गुणवान् माणस जाणवो, तथा जेनी जमर सीधी छाने बुटां बुटां रोमवाली होय, तेने दरिडी जाणवो; वली जेनी नमर तमाम नीची होय, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #27 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२५) तेने धन गुमावनारो तथा निबुजाणवी; वली जेनी नमरना वालो नूरा रंगना होय, तेने लंपट जाणवो; वली जेनी नमरो बहुज जामी होय, तेनुं आयुष्य टुंकुं होय . हवे कपालनां लक्षणोतुं स्वरूप कहे . जेनु कपाल विशाल होय,ते मोटी पदवीने मेलवी शके बे, तथा जेनुं कपाल नानुं होय, तेनुं आयुष्य तथा बल हीन थाय बे; वली जेन ललाट विषम होय, ते धनहीन थाय, तथा जेनुं ललाट वांकुं होय; ते अपमान पामे तथा धननो नाश करे, जेना ललाट पर केशो उगे, तेने कुलनो नाश करनारो जाणवो; वली जेना कपाल पर हाथ फेरववाथी जो ते खरबचहुं लागे, तो तेने जाग्यशाली जाणवो तथा जो तमाम लीसु लागे, तो तेने दरिली जाणवो; वली जो कपाल अर्धचंड सरखं होय, तो तेने घणा सुखलोगनो विलासी जाणवो, तथा जेनुं नाल ह. मेशां तेज करतुं होय, तेने धनवान् जाणवो, जेनुं नाल हमेशां शीतल रहेतुं होय, तथा फुःख्या करतुं होय, तेने दुःखी तथा रोगी जाणवो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #28 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २६ ) हवे मस्तकनां लंबनोनुं स्वरूप कड़े बे. जेनुं मस्तक विशाल होय, तेने उत्तम जाग्यशाली तथा बुद्धिवान् जाणवो, तथा जेनुं मस्तक खुणावालुं अने विषम होय, तेने दरिद्री अने दुराचारी जा वो, तथा जेनुं मस्तक पर्वतना शिखरनी पेठे उपर टोचवालुं होय, तेने एकावतारी जाणवो, जेना मस्तकमा टाल पडेली होय, तेने धन तथा पुत्रोधी सुखी जाणवो, जेना मस्तकमां बिलकुल वाल उगता न होय, तेने पण दरिद्री जावो. हवे मस्तक परना केशोनुं स्वरूप कहे . श्याम जमरा सरखा श्याम रंगवाला जेना केशो होय, तेने जोगी जाणवो, तथा जेना केशो नूरा होय, तेने लंपट जाणवो; वली जेना केशो जामा होय, तेने टुंका आयुष्यवालो जाणवो, तथा जेना केशो टुंका होय ने बुटा बुटा होप, तेने मोटो लोजिष्ट जाणवो, तथा जेना केशो बरम होय, तेने सुखमली शकतुं नथी; वली जेना केशो लाल रंगनी कां मारता होय, ते बहुज लोकप्रिय थाय बे, तथा जेना केशो अत्यंत लांबा वधे बे, ते स्त्रीने वल्लन थाय बे, अने जेना केशो नरम रेशम जेवा For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #29 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) होय , ते राजा तरफथी पण मान मेलवी शके ले. हवे हाथनी रेखाउनुं विस्तारथी स्वरूप कहे . पहेली श्रायुष्य रेखा करत आगलथी शरु थश्ने जेटलीआंगली उलंगी जाय, तेटलां पचीस पचीस वर्षोनु थायुष्य जाणवू. पनी बीजी रेखा तेनी जोडेथी करज आगलथी नीकलीने अंगुग तथा तर्जनीनी वच्चे जाय , ते जो संपूर्ण रीते पसार थएली होय, तो तेने घणुं धन मले बे. हवे मणिबंधथी एक रेखा चालीने जो ते उपर कदेबी रेखा साथे मलेली होय, तोपण ते बहुज धनवान् थाय, पण ते लोजिष्ट थाय. तथा मणिबंधथी नीकलेली बीजी रेखा नीकलीने पण जो तेनीज साथे मली होय, तो ते धनवान् थाय बे, पण जो उपरनी रेखा साथे मलीन होय, तो धन मले, अने पालुं ते चाट्युं जाय ने वली रेखावालो माणस पोते कमावेधुं धन पोतेज जोगवे . . वली ते रेखाउँनी वच्चे चामर, श्रीवत्स, ध्वज, बत्र, अंकुश, सिंह, कमल, धनुष्य, दंग, चक्र अने गदाना आकारो होय, ते माणस चक्रवर्ती राजा थाय; वली टचली आंगलीना टेरवा पर जो चक्रनुं चिह्न होय, तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #30 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२७) ते धनवान् अने सुखी थाय, अंगुलना मूलमांजोजवनी माला होय तो तेमाणस पण अत्यंत सुखी थाय. जेना हाथमा घणीज रेखाउँ होय, ते माणस मूर्ख, निर्धन अने निर्लज थाय , तथा तेनो व्यवहार लोकोमा वधतो नथी तथा बहुज घातकी थाय अने तेथीमहापापो बांधे जे; वली मणिबंधथी चालेली रेखा जो अंगुग अने तर्जनीनी वच्चे जाय, तो सारी, अने जो आंगली सन्मुख जाय, तो पुःख श्रापे; वली जेनीांगलीउमा जव होय, तेने महाविहान् जाणवो; वलं। जेने जमणा अंगुगमा जव होय, तेने घणा पुत्रो थाय, जेने तर्जनी अने वचली श्रांगली वच्चे बिउ रहे, तेने घेर लक्ष्मी स्थिर वास करे नहि, तथा जेने तेमां बिज न रहेतुं होय, ते बहु धनवालो पण लोनिष्ट थाय; वली जेने सन्मुख रेखा, मल होय, तेनो व्यवहार घणो सारो होय तथा तेने सुख संपदा . पण घणी मले बे; वली जो आंगलीउमां त्रण त्रण ऊर्ध्व रेखाउँ होय, तो तेनुं तेने उत्तम फल मले बे, तथा जेना नखो लाल होय, अने तेनी अंदर सफेद बिंठ होय, तेने पण राज्यलक्ष्मी मले बे; वली Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #31 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) जेना हाथमा उलूखले अने मुशलनी रेखा होय, तेने सामुजिक शास्त्र प्रमाणे कृपण जाणवो.. हवे पुरुषना पगनी रेखाउनुं वरूप कहे ; जेना पगमां ऊर्ध्वरेखा होय, ते माणस अत्यंत धनवालो तथा जाग्यशाली थाय, पण जो ते त्रुटेली होय, तो ते निर्जागी थाय. वली जेना पगमा रथ, बत्र, बाण अने चक्र होय, ते मोटा राजानी पदवी मेलवी शके; वली जेना पगमा अंकुशअने कुंमलनो श्राकार होय, ते दिवाननी पदवी लश्ने राजा तरफनुं अत्यंत मान पामे . हवे स्त्रीउनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे जे. TV जे स्त्रीना पगनां तलीयां लाल होय, तेने • उत्तम जाणवी अने ते पतिव्रता होय, तथा राजाने योग्य होय बे. वली जे स्त्रीना पगनी आंगली एक बीजी साथे मली गयेली होय, ते स्त्री राजधारने शोनावे , तथा पुत्रवती थाय जे. १ खांडणीयो. २ सांबेला आकारनी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #32 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) वली जे स्त्रीनी पगनी तर्जनी आंगली बीजी आंगली करतां वधती होय, ते ससरा, सासु अने पतिने पण प्रिय लागे . - जो तर्जनी आंगली करतां तेनी पगनी मध्य बांगली वधेली होय, तो ते बहुज अहंकारी थाय. वली जे स्त्रीनी पगनी अनामिका बांगली सर्वथी मोटी होय, तेने अत्यंत उत्तम फल मले बे. तथा जे स्त्रीनी पगनी टचली आंगली सर्वथीमोटी होय, ते स्त्री खजन संबंधीउमा अत्यंत मान मेलवे ने. - वली जे स्त्रीना पगनी सघली थांगली नानी होय, ते स्त्री मर्यादामा रही शकती नथी. जो पगनी टचली गलीथी पण अनामिका श्रांगली नानी होय, तो तेवी स्त्री कदाच रूपाली होय, तोपण तेपीने परएया पडी पण तजवी; केमके तेवी स्त्री अंते दगो दश्ने पतिने तजीने चाली जाय बे. वली जे स्त्रीनी पगनी वचली गली सर्वथी नानी होय, तेस्त्री कोइ पण पर पुरुषनो संग करे नहि. वली जे स्त्रीना पगनी तर्जनी आंगली सर्वथी नानी होय, तोपण तेने परण्या बाद पण तजवी, केमके तेवी स्त्री हमेशां पर पुरुष साथे विलास कर्या करे ले. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #33 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३१) हवे स्त्रीनी जंघानुं खरूप कहे . जे स्त्रीना पगनी जंघा गोल, अरिसा जेवी चसकती तथा मांसयुक्त होय, ते स्त्री उत्तम जाणवी; तथा जे स्त्रीनी जंघा पातली अने विषम होय, तेने नगरी जाणवी; जे स्त्रीनी जंघा पर घणा केशो होय, तेने पति तथा धननो क्षय करनारी जाणवी. .हवे स्त्रीनी पीउनुं स्वरूप कहे . . जे स्त्रीनी पीउनो जाग सरखो होय , ते स्त्री पोताना पति पर अत्यंत प्यार राखे बे; जे स्त्रीनां नितंबस्थलो अत्यंत निबिमहोय, ते स्त्री पोताना जरतारनो प्रेम मेलवीशके नहि,तथा स्वेच्छाचारिणी थाय. जे स्त्रीनी नानि गंजीर होती नथी तथा जेनें उदर घमानेश्राकारे होय, तेनी साथे कदि पण व्यवहार करवो नहि. जे स्त्रीनां कुच ( स्तनो ) गतीमां बेसी गयेला होय, तथा उपरथी बराबर देखातां न होय, ते स्त्रीने अनिष्ट जाणवी; तथा तेने वंध्यापणानो दोष होय; वली जे स्त्रीनो कंठ लांबो होय तथा जेणीनी गति बहु उतावली होय, तेने निर्नागिणी जाणवी, तथा ते हमेशां परघरे न.. म्या करे ,अने नीच पुरुष साथे पण कामक्रीमा करे । Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #34 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३२ ) वली जे स्त्रीना हाथ लांबा होय, ते दरिद्री होय, तथा जेपीना हाथ टुंका होय, ते गुणोथी हीन होय; वली जे स्त्रीना होठ काला होय, ते स्त्री पतिरहित थाय; वली जे स्त्रीना गाल कूवा जेवा जंमा होय, ते स्त्री बहुज गुस्सावाली थाय, तथा ते परपुरुष साथै प्रेममां पने; वली जे स्त्रीना गाल उंचा अने जाया होय, ते स्त्री पतिने दगाथी मारे, थाने पर पुरुष साथै प्रेममां पडे; जे स्त्रीना दांत होनी बहार नीकलेला होय, ते स्त्री अंते विधवा थाय; जे स्त्रीनी नासिका वांकी होय, ते स्त्री नरतारने बिलकुल बहाली लागती नथी; वली जे खीनी नासिका नानकडी छाने चीपटी होय, ते स्त्री तुरत विधवा थाय बे, तथा पर पुरुषनी साथे चाले बे; वली जे स्त्रीनी जीन श्याम रंगनी होय, ते शंखणी कहेवाय, तथा जेणीनी जीन श्वेत रंगनी होय, ते दासी याय; वली जे स्त्रीनुं तालबुं श्याम रंगनुं होय, ते ज़रतारने कष्टकारी थाय; जे स्त्रीनी आंखो पीला रंगनी होय, ते महापापिष्ठ होय; वली जे स्त्री शरीरमां तमाम पातली होय, ते जर्त्ताने दुःखदायी थाय, अने तेने पति साथै बने नहि; जे स्त्रीनी जमर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #35 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३३ ) सीधी होय, ते स्त्री पति पर प्रेम करे नहि. जे स्त्रीना कान नाना होय, ते स्त्री दुर्गागिणी तथा धनने नाश करनारी थाय. जे स्त्रीनुं कपाल बहुज नानुं होय, ते स्त्रीने अपशकुनयुक्त जाणवी ; वली जे स्त्रीनुं ललाट बहुज पोहोलुं होय, ते व्यभिचारिणी होय, माटे तेणीनी साथै व्यवहार करवो नहि; वली जे स्त्रीनुं मस्तक बहुज नानुं होय, ते स्त्रीने दुर्भागिणी जाणवी; तथा जे स्त्रीनुं मस्तक अत्यंत मोढुं होय, तेने मूर्ख जाणवी. जे स्त्रीना वाल नूरा रंगना, कठोर, जामा ने टुंका होय, ते स्त्री पुराचारी तथा परिवारनो नाश करनारी, छाने पतिने दुःख थापनारी जाणवी; वली जे स्त्रीना मस्तकमां केशो तमाम बुटा बुटा होय, ते पण धन धान्य यादिकनो नाश करे बे; वली जे स्त्रीना केशो का - वरचितरा होय, ते अत्यंत व्यजिचारी होय; तथा जेना केशो जरा रताश पर तथा जाना होय, ते तुरत विधवा थाय बे. जे बीना केशो सीधा, सूक्ष्म ने चीकाशवाला होय, ते स्त्रीने पतिव्रता तथा महासती अने पति पर प्रेम राखनारी जाणवी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #36 -------------------------------------------------------------------------- ________________ जे स्त्रीन कपाल विशाल अने अर्धचंड सरखा श्राकारवायूँ होय, ते घरमां अत्यंत सुख पामे, तथा तेने जरतार साथे अत्यंत प्यार होय . जे स्त्रीना कपाल पर तेजखी प्रकाश ऊलकतो होय, ते राजानी राणी थाय. जे स्त्री, कपाल सीधुं अने सरल होय, ते अत्यंत सुख यापनारी होय . जे स्त्रीनी नमर अत्यंत श्याम रंगनी होय, ते अत्यंत सुख देनारी थाय बे; वली जे स्त्रीनी नमर धनुष्य सरखा थाकारवाली अने रोमनी श्रेणिथी जरपुर होय. ते स्त्रीने सौनाग्यवाली जाणवी; वली जे स्त्रीनी भृकुटी अत्यंत नमी गयेली न होय, तेने धन, धान्य तथा पुत्रोनी वृद्धि करनारी जाणवी. जे स्त्रीने पुरुषनी पेठे मूबनी जगोए वाल उगेला होय, तेणीने वांकणी जाणवी, तथा तेणीनी साथे संग करवाथी पुरुषने पण अंते नपुंसकपणुं थाय डे. जे स्त्रीनी श्रांखो लांबी होय, तेणीने उत्तम जाणवी, ते स्त्री पर पतिनो अत्यंत प्यार होय, तथा तेणीने पृथ्वी पर घणुं मान मले. जे स्त्रीनी आंखो नानी होय, ते स्त्री पतिने तुरत वश करी शके बे. जेस्त्रीनुं ताल लाल रंगनुं होय, तेने जरतार वश थाय , तथा तेनुं सघली Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #37 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३५) जगोए मान वधे , अने ते बहुज दानेश्वरी थाय के वली जे स्त्रीनुं तालवू हमेशां बुखं रह्या करे , ते निर्बल संतानोने जन्म थापे डे; वली जे स्त्रीनुं तालq खरबचडं होय, ते अत्यंत विषयी होय, अने घणा पुरुषो सेववाथी पण तेणीने संतोष थतो नथी. जे स्त्रीने त्रीश दांतो होय, ते मोटा जाग्यवाली थ. श्ने जरतारने अत्यंत प्यारी थर पडे , तथा जे स्त्रीना दांतो बुटा बुटा होय, तेणीना पर जरतारनो अत्यंत प्रेम होय. जे स्त्रीना दांतो दामीमनी कली सरखा होय , ते स्त्रीने पतिव्रत पालनारी जाणवी. जे स्त्रीना दांतोनी उपली हार नीचली हारनी जपर श्रावती होय, ते स्त्रीने सौजाग्यवाली जाएवी. जे स्त्रीना दांतो उंचा तथा एकबीजा साथेबहुज मलीने रहेला होय, तेणीने बीकण अने बुद्धि विनानी जाणवी. जे स्त्रीना बत्रीशे दांतो एक सरखा लांबा होय, ते राजानी राणी थश्ने, पति तरफनो प्रेम संपादन करे. जे स्त्रीनो नीच घरमां अवतार थयो होय, पण जेणीना दांतो स्वनावधीज गुलाबी रंगनी कांय मारता होय, तेपीने अत्यंत गुणवाली तथा धनने वधारनारी जाणीने तुरत परणवी. जे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #38 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ३६ ) स्त्रीनी जीन लाल रंगनी होय, ते स्त्रीने पुत्रो उत्पन्न करनारी तथा सौजाग्यवाली जाणवी. जे स्त्रीनी जीन सरल ने णीदार होय, ते स्त्रीने वैरीनो नाश करनारी तथा कीर्त्ति मेलवनारी जाणवी; वली जे स्त्रीनी जीन हमेशां जीनी ने अमृतमय रहेती होय, ते स्त्री जोगविलासमां बहुज कुशल होय, तथा घर संबंधी अत्यंत सुख पामे बे. जे स्त्रीनी नासिका सीधी ने दीपकनी शिखा जेवी होय, ते स्त्री धननी वृद्धि करनारी होय; वली जे स्त्रीनी नासिका खरबचमी ने वारंवार मलिन थती होय, ते पोताना पतिने वश करी शकती नथी, तथा ते विधवापणानुं दुःख तुरत जोगवे बे. जे स्त्रीनी माढीए पुरुषनी पेठे बाल उगे बे, ते स्त्री घरमा रहेली लक्ष्मीने दूर करे बे, तथा शत्रुर्जुनो पराजव उपजावे बे, ने लोकोमा अपमान पामे बे. जे स्त्रीना गाल गुलाबना गोटानी पेठे रताशनी कांय मारता होय, तथा जरा उपसेला होय, ते पतिनो अत्यंत प्यार मेलवे बे, तथा तेना पर घणा पुरुषो मोह पामे बे; वली जे स्त्रीना गाल कोमल ने विषमता विनाना होय, ते स्त्री पतिव्रता धर्मे करीने युक्त होय, तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #39 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३७) लोकोमा तेनी कीर्ति फेलाय . जे स्त्रीना गाल कुवा जेवा जमा होय, ते पर पुरुष साथे विलास कररवानी बहुज अजिलाषा राखे अने पतिने अत्यंत कष्टकारी थइ पडे . जे स्त्रीना गालनी चामडी कर्कश अने बहज जामी होय, ते धननो अने क. टुंबनो पण नाश करे , माटे तेवी स्त्रीने परण्या बाद पण घरमा राखवी नहि वली जे स्त्रीना गालो अरिसा सरखा तेजयुक्त कांतिवाला होय, ते स्त्री घरनी संपदा वधारे , तथा पुत्रादिकने पण सुखदायक थाय बे. जे स्त्रीना होउ लाल रंगना होय तथा धनुष्य सरखा अर्ध गोल आकारवाला होय, ते स्त्री सुख संपदाने विस्तारे , तथा जरतारने पण अत्यंत सुख आपे बे. जे स्त्रीना हो जामा तथा थोमा खुल्ला रहे बे, ते स्त्री कुटुंबने फुःखदायक निवडे . जे स्त्रीना खना पर शंख अथवा चकनी निशानी होय, ते स्त्रीने पद्मिनी जाणवी. जे स्त्रीना खन्नानी नीचेना नागना बाहु पर स्वस्तिकनुं चिह्न होय, ते स्त्रीने हमेशां लक्ष्मी लावनारी, तथा सुपुत्रोने उत्पन्न करनारी जाणवी. जे स्त्रीना कंठमां त्रण रेखाउँ होय, तेने उत्तम जाग्यवाली जाणवी; Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #40 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३०) पण जो ते रेखाट वच्चेथी तुटेली होय, तो तेणीने नुकशान करनारी जाणवी. जे स्त्रीना मणिबंध पर जवनी माला होय, ते स्त्रीने सौजाग्यवाली तथा लक्ष्मीने लावनारी जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनो अत्यंत कठोर अने जंचां होय, ते स्त्री पर पतिनो अत्यंत प्यार होय बे; वसी जे स्त्रीनां स्तनो सुवर्णना कलश सरखां वच्चे श्याम रंगनी मीटमीवालां होय, ते स्त्रीने अति उत्तम जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनो हमेशां शीतल रहेतां होय, तेणीने पुर्नागिणी जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनो हमेशां उष्ण रहेतां होय, तेने कामविलासमां चतुर तथा गुणवंती जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनोनी वच्चे बिलकुल मार्ग रहेतो न होय, तेणीने पुर्जागिणी तथा कुटुंबनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनो पर वाल होय,तेने माकण सरखी जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनोमांस विनानां तथा नरम होय, तेणीने शंखिनी जाणवी. जे स्त्रीना मावा स्तन पर तल श्रथवा मस होय, तेणीने उत्तम जाणवी, पण जो जमणा स्तन पर मस के तस होय, तो तेणीने ह. मेशां कंकासवाली तथा पुर्नागिणी जाणवी. जे स्त्रीना जमणा स्तन पर श्रीवत्सनुं के साथीयानुं लं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #41 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (३ए) उन होय, ते स्त्रीने पोताना जरतार तरफथी अतिशय सुख मले . जे स्त्रीना मावा स्तन उपर उखल अथवा मुशलनुं चिह्न होय, ते स्त्रीने दुराचारिणी, व्यानचारिणी तथा कुलना नाश करना। जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनोनी डीटमी तमाम श्याम रंगनी होय, ते धननो नाश करे,पण जे स्त्रीनां स्तननी डीटमीजरा काली अने रताशनी कांय मारती होय, ते स्त्रीने - त्तम जाणवी, जे स्त्रीनां स्तनोनी डीटडीमांधी प्रसब वखते पण दूध वहेतुं नथी, ते स्त्रीने पुत्रादिकनो क्षय करनारी जाणवी. जे स्त्रीनां बन्ने स्तनोनी वच्चेना नागमां देवमंदिर- चिह्न होय, तेणीने चक्रवर्तीनी पट्टराणी जाणवी. जे स्त्रीनां स्तनो चपटां होय, तेणीने वांकणी जाणवी. हवे जे स्त्रीना उदर पर त्रण वली होय, तेणीने उत्तम जाणवी; पण जो तेमांधी एक पण खंमित थयेली होय, तो तेणीने तुरत विधवापणुंमले . जे स्त्री- पेट घडा सर ऊंचुं तथा स्तनोनी श्रने पेटनी ऊंचाइ सरखी होय, तेणीने शंखिनी तथा पुर्जागिणी जाणवी. जे स्त्रीनो उदरनो नाग गंजीर अने उपरथी जणाय तेवो न होय, ते स्त्रीने उत्तम जा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #42 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४० ) एवी. जे स्त्रीना उदरनी जमणी बाजुए धनुष्यनुं चिह्न होय, तेणीने राणी सरखं सुख जोगवनारी जावी. जे स्त्रीना उदर पर घणाज वाल उगेला होय, तेने राक्षसी समान जाणवी, अने ते स्त्री कुटुंबनो नाश करीने पोते एकली कोइ पर पुरुष साथै अत्यंत विलास जोगववामां व्यनिचारिणी थाय बे, पण जे स्त्रीना उदर पर सूक्ष्म ने न जणाय तेवां रोम होय, ते स्त्रीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना उदरनो जाग अत्यंत कुवानी पेठे अंदर उतरी गयेलो होय, तेणीने 5नगिणी तथा पतिनो द्वेष करनारी जाणवी. जे स्त्रीनो उदरनो जाग खामा खबुचमावालो होय, तेणीने धनमालनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना उदरमां हमेशां व्याधि रहेती होय, ते स्त्रीने वांऊणी जाणवी. दवे जे स्त्रीनी नाजि गंजीर होय, तेणीने - त्यंत उत्तम जाणवी. जे स्त्रीनी नाजि मांहेथी कमलपुष्प जेवो मनोहर सुगंध नीकलतो होय, अथवा कस्तुरीना जेवी अत्यंत खुशबोदार सुगंधी नीकलती होय, ते स्त्रीने पद्मिनी जाणवी, के जेवी स्त्री हालना वखतमां मलवी बहुज डुर्लन बे. जे स्त्रीनी नाजि गोल आकारनी तथा लीला रंगनी कांय मारती Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #43 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४१) होय, ते स्त्रीने नीच कुलमां उत्पन्न थयेली जाणवी. जे स्त्रीनी नानि मांथी वाल नीकलेला होय, ते स्त्रीने राक्षसी सरखी कुल तथा धननो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी कटि पातली तथा मनोहर होय, ते स्त्रीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीनी केम बहुज विस्तारवाली होय, तेणीने वांऊणी जाणवी. जे स्त्रीनी केम बत्रीशथी मामीने चालीश बांगलना परिघना विस्तारनी होय, ते स्त्रीने अत्यंत उत्तम जाणवी. जे स्त्रीनी केमतेथी उडी पातली होय, तेणीने अत्यंत व्यनिचारिणी जाणवी. जे स्त्रीनी केड उपरनाप्रमाणथी बहुज मोटी होय, ते स्त्रीने धन विगेरेनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी केम नितंब चागने ( केमनी पाबलना नागने) जुदा करी शकती नथी, ते स्त्रीने मूर्ख तथा सर्व साथे कंकास करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी केम पर अत्यंत मांस जामेबुं रहेतुं होय, ते स्त्रीने पुत्रोनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी केम पर हाडकांना टेकरा नीकलेला होय, ते स्त्रीने पतिनो तथा कुलनो पण नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना पेमुना नाग पर बिलकुल वाल उगता न होय, ते स्त्रीने वांजणी जाणवी. जे स्त्री Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #44 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४१ ) पेरुं उंचुं नीचुं टेकरावालुं होय, ते स्त्रीने दरिद्री जाणवी. जे स्त्रीनुं पेडुं सपाट तथा कोमल होय, ते स्त्रीने राजानी पट्टराणी जाणवी. जे स्त्रीना पेरु परना वालोमा चक्रनो आकार होय, तेणीने वासुदेवनी मुख्य स्त्री जाणवी. जे स्त्रींना पेडुना वालमां जमरानो आकार होय, तेणीने कुलनुं जक्षण करनारी राक्षसी सरखी जाणवी. जे स्त्रीना पेरुना वालमां शंखनी निशानी होय, तेलीने चक्रवर्तीनी पहराणी जाणवी. जे स्त्रीनुं पेरुं अत्यंत कठिन थने मांस वि नानुं होय, तेणीने दुर्भागिणी जाणवी. जे स्त्रीनी योनि कमलनी पीठना थाकारनी होय, ते स्त्रीने धननी तथा पुत्रोनी वृद्धि करनारी जाणवी; वली जे खोनी योनि कोमल होय, ते स्त्रीने पण उत्तम जावी. जे स्त्रीनी योनि लांबी होय तेणीने पुर्जागिणी तथा कुलनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी योनिनो जमणो जाग उंचो होय, ते स्त्री घणा पुत्रोने जन्म आपे, तथा जे स्त्रीनी योनिनो माबो जाग उंचो होय, ते घणी पुत्रीने जन्म श्रापे. जे स्त्रीनी योनि बहुज जंगी होय, ते स्त्री वंध्या होय. जे स्त्रीनी योनि पर दक्षिणावर्त जमरो होय, ते स्त्री a Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #45 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४३ ) पुत्रवती, धनवती तथा गुणवती होय. जे स्त्रीनी योनि कठोर होय, ते त्र । दुर्भागिणी जाणवी. जे स्त्रीनी योनि नीचेना जागमा वधारे गयेली होय, ते स्त्रीने अत्यंत व्यनिचारिणी जावी. जे स्त्रीनी योनिनो रंग गुलाब सरखो होय, ते स्त्रीने उत्तम पद्मिनी सरखी जाणवी. जे स्त्रीनी योनिनो रंग श्वेत होय, ते स्त्रीने मूर्ख जाणवी. जे स्त्रीनी योनिनो रंग कालो होय, ते स्त्रीने धननो नाश करनारी जाणवी. हवे जे स्त्रीनां नितंब स्थलो ( केमनी पाठलना जागो ) अत्यंत विस्तारवालां ने मांसथी बहुज नरेला होय, ते स्त्रीने प्रायः वांजणी जाणवी. जे स्त्रीनां नितंलस्थलो तमाम उदर तथा पीठनी साथेज मल गयेला होय, ने पीठ तथा तेर्जनो तफावत देखातो न होय, ते स्त्रीने धन धान्यनो नाश करनारी जावी. जे स्त्रीना नितंबों पर बाल उगेला होय, तेने राक्षसी जाणीने घरमा राखवीज नहि. जे स्त्रीना नितंबों पर करचली पडती होय, ते स्त्रीनो तुरत त्याग करवो, केमके ते स्त्री घरमां होवाथी धननी हानि थाय बे. जे स्त्रीना नितंबो गोल अने मांसथी पुष्ट तथा खामा खबुचमा विनाना होय, ते स्त्रीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #46 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४५ ) उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना नितंबो हमेशां ठंडा रहेता होय, ते स्त्रीने सौभाग्यवाली जाणवी. जे खीना नितंबो उष्ण रहेता होय, ते स्त्रीने काम विकार - वाली जाणवी, जे स्त्रीना जमणा नितंबों पर विमाननो याकार होय, ते स्त्रीने पद्मिनी जाणवी. जे स्त्रीना जमणा नितंब पर जमरानुं चिह्न होय, तेषी ने शंखिनी जाणवी. जे स्त्रीनो माबो नितंबजाग जरा उंचो ने जमणो जरा नीचो होय, तो तेलीने कुटुंमां क्वेश करावनारी तथा अपयश अपावनारी जाणवी. जे स्त्रीना डाबा नितंब स्थल पर मुशलनुं चिह्न होय, तेणीने धननो काय करनारी जाणवी. जे स्त्रीनां नितंब स्थलो कर्कश होय, तेणीने कुटुंबमां क्लेश करावनारी जाणवी. हवे जे स्त्रीना साथलो गोल तथा मांसयी जरेला तथा केलना स्तंन सरखा कोमल होय, तेणीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना साथलो पर बाल उगेला होय, तेणीने पुत्र तथा पतिनो दय करनारी जा वी. जे स्त्रीना साथलोमां हामकांना टेकाराजे नीककलेला होय, तेणी ने कुल तथा धननो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना साथलो हुंका ने कर्कश For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #47 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४५) होय, तेणीने तुरत विधवा थनारी जाणवी. जे स्त्रीना साथलना मूलमां श्रीवत्सनुं चिह्न होय, तेणीने राजानी राणी जाणवी. जे स्त्रीना साथलमां जमणी बाजुए चक्रन चिह्न होय, तेणीने चक्रवर्तीनी पट्टराणी जाणवी.जे स्त्रीना जमणा साथसमां चामरन चिह्न होय, तेणीने तीर्थकर सरखा उत्तम पुत्रने उत्पन्न करनारी जाणवी. जे स्त्रीना जमणा साथलमा दमनुं चिह्न होय, तेणीने जगत्नो नाश करनारा पुत्रने जन्म श्रापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमा ध्वजार्नु चिह्न होय, तेणीने महाधर्मात्मा एवा पुत्रने जन्म थापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमां मुशलनुं चिह्न होय, तेणीने बलननो जन्म थापनारी जाणवी. जे स्त्रीना मावा साथलमा धनुष्यनुं चिह्न होय, तेणीने वासुदेवनो जन्म श्रापनारी जाणवी. जे स्त्रीना साथलो हमेशां बहुज उष्ण रहेता होय, ते स्त्रीने पुत्री घणी थाय. जे स्त्रीना साथलो जरा ठंडा रहेता होय, ते स्त्री मूर्ख पुत्रोने उत्पन्न करे. जे स्त्रीना साथलो जरा ठंमा अने जरा उष्ण रहेता होय, ते स्त्री उत्तम पुत्र तथा पुत्रीउँने जन्म आपे. जे स्त्रीना साथलो चपटा होय, तेणीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #48 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४६ ) शंखिनी जावी. जे स्त्रीना साथलो बहुज कठिन होय, ते स्त्रीने राक्षसी समान जाणवी, अने तेथी ते कुलनो नाश करे. जे स्त्रीना साथलो हमेशां पसीनाथी जीना रहेता होय, तेणीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना साथलो पर बिलकुल रोम न होय, तेपीने धन तथा विद्यानो पण नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना घुंटणो माबमा सरखा तथा गोल खाकारना होय, ते स्त्रीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना घुट पर वाल उगेला होय, तेणीने डाकण समान जाणवी अने तेथी तेणीनो तुरत त्याग करवो, नहितर कुटुंबनो नाश थाय बे. जे स्त्रीना घुंटण पर बहुज मांस होय, ते स्त्रीने लक्ष्मीनो नाश करनारी जाणवीजे स्त्रीना घुंटणोनो जाग बिलकुल जणातोज न होय, छाने ते साथलना जागो साथे मली गयेलो होय ते स्त्री पतिनो नाश करे. जे स्त्रीना घुंटणोनी वच्चे मत्स्यनुं चिह्न होय, ते स्त्रीने पद्मिनी जाणवी. जे स्त्रीना घुट पर नकुल ( नोलीयानुं ) लंबन होय, ते स्त्रीने शंखिनी जाणवी. जे स्त्रीना घुटनी जमणी बाजुए रणस्तंजनुं चिह्न होय, ते स्त्री राजाने घेर जश्ने रणसंग्राममां पोताना स्वामीनो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #49 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) जय करावे. जे स्त्रीना धुंटणनी माबी बाजुए रणस्तंजनुं चिह्न होय, ते स्त्री राजाने घेर जश्ने रणसंग्राममां ते राजानो नाश करावे. जे स्त्रीना धुंटणमां वच्चे खामो होय, ते स्त्रीने तुरत विधवापणुं मले. जे स्त्रीना धुंटणनी जमणी बाजुए हाडकानो नाग घणोज बहार नीकलेलो होय, ते पोताना स्वामीथी र रहीने पर पुरुषने सेववानीचा करे. जेस्त्रीना धुंटणनी माबी बाजुए नमरानुं चिह्न होय, ते स्त्रीने कुर्नागिणी जाणवी. जे स्त्रीना धुंटणो उपरथी अणीवाला होय, ते स्त्रीने चपल जाणवी. जे स्त्रीना धुंटणमां ऊर्ध्व रेखा होय, ते स्त्रीने कुलनो नाश करनारी जाणवी. __ हवे जे स्त्रीनी पगनी जंघा आंबानी गोठलीना : आकार जेवी तथा चलकता था रिसा सरखी होय, तेणीने उत्तम जाणवी. जे स्त्रीनी जंघा पर वाल घणा उगेला होय, तेणीने मातपिता तथा ससराना कुलनो पण नाश करनारी श्रने लक्ष्मीनो पण नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी जंघाउँमा चक्रनु, धनुप्यनुं अने श्रीवत्सनु चिह्न होय, तेणीने अत्यंत उ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #50 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) त्तम जाणवी. जे स्त्रीनी जंघाउँमा खामा होय, तेणीने तुरत विधवा थनारी जाणवी. जे स्त्रीनी जंघा टुंकी होय, तेणीने व्यनिचारवाली जाणवी.जेस्त्रीनी जमणी जंघामांस्वस्तिकनुं चिह्न होय, तेणीने पद्मिनी जाणवी, अने तेवी स्त्री घरमां श्राव्याथी धन, धान्य पुत्र, परिवार आदिकनी अत्यंत वृद्धि थाय बे. जे स्त्रीनी डाबी जंघामां कमलनुं लंडन होय, ते स्त्रीने चक्रवर्तीनी पट्टराणी जाणवी. जे स्त्रीनी जमणी जंघामां देवमंदरनुं चिह्न होय, तेणीने सिक थनार पुत्रोनो जन्म आपनारी जाणवी. जे स्त्रीनी जमणी जंघामां सर्पy चिह्न होय, तेणीने शाकिनी सरखी जाणीने तुरत तजवी. जे स्त्रीनी बन्ने जंघाउँमां वींबीन चिह्न होय, ते पुत्रोनो नाश करनारी थाय, तथा तेनी जगत्मा बहुज अपकीर्ति फेलाय. - जे स्त्रीना पगनी उपरनी नसो सूक्ष्म रीते देखाती होय, तेणीने उत्तम जाणवी.जे स्त्रीना पगनो उपरनो नांग सपाट होय, तेणीने मूर्ख तथा कला विनानी अने उर्जाग्यवाली जाणवी. जे स्त्रीना पगनो उपरनो नाग काचबानी ढाल सरखो होय, तेणीने अतिउत्तम जाणवी. जे स्त्रीना पगनी आंगलीउनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #51 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४७) वच्चे बिद्रो देखातां होय, अने ते एक बीजाथी घणांज बेटा बेटा होय, तो तेणीने जरतार तथा ससराना समस्त कुटुंबनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना गुल्फो (घंटी) गूढ अने वाल विनाना होय, तेषीने अत्यंत उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना गुल्फो पर बाल उगेला होय, 'अने तेनो आकार जो जमराना जेवो होय, तो तेणीने पिशाचणी सरखी जाणीने डूर तजवी. जे स्त्रीना पगना अंगुठा पर घणा वालो उगेला होय, ते बन्ने कुलोनो नाश करनारी थाय. जे स्त्रीनी टचली थांगली सुंदर अने लाल नखोवाबी होय, ते स्त्री उत्तम जाणवी. जे स्त्रीना मावा पगने तलीये ऊर्ध्व रेखा होय, अने ते पगनी पींमी पाथी चालीने वचमां फाट पड्या विना अंगुठा अने तर्जनी यांगलीनी वच्चे श्रावेली होय, तो ते स्त्रीने पद्मिनी जावी. जे स्त्रीना पगनुं तलीयुं खरबच ने कठोर होय, ते स्त्रीने अत्यंत व्यजिचा - रिणी जाणवी. जे स्त्रीना पगनां तलीयां पर जमरानो आकार होय, तेणीने पुत्र तथा पतिनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना पगनां तलीयां सुकुमाल होय, ते स्त्री हमेशां सौभाग्यवंती तथा पति विगेरे ४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #52 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५०) सासरी तरफथी अत्यंत मान मेलवी शके बे. जे स्त्रीना पगना नखो फाटवाला होय, ते स्त्रीने उर्जागिणी तथा बन्ने कुलोनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीना पगना अंगुगना नखो पीला रंगना होय,तेणीने तुरत तजवी; केमके तेवी स्त्री धननो नाश करे बे. जे स्त्रीनी पगनी वचली बांगली टचली आंगलीनी बरोबर लांबी होय, ते स्त्रीने शंखणी जाणवी. जे स्त्रीनी पगनी टचली अांगती गोल अने जरा चपटी होय, ते स्त्रीने राज्यनी धणीबाणी जाणवी; तथा तेवी स्त्री दान आदिकथी लोकोमा घणो जश मेलवे . जे स्त्रीना जमणा पगनी आंगलीना अंतरमा बिसो देखातां होय, ते स्त्रीने नीच कुलमा अवतरेली तथा व्यनिचारवाली जाणवी. जे स्त्रीना पगना तलीयामां मध्य नागमां रथना आकार- चिह्न होय, तेणीने शूरवीर तथा राजाने मानीती जाणवी. जे स्त्रीना पगनां तलीयांमां कोढनां जेवां सफेद चागं होय, तेणीने तुरत विधवा तथा पुःखी थनारी जाणवी. जे स्त्रीनी पगनी पेनीमां शंखनुं चिह्न होय, तेणीने वासुदेवनी स्त्री जाणवी. एवीरीते पुरुष तथा स्त्रीना शरीरनां चिह्नो कह्यां. - Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #53 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५१ ) हवे अश्वोनां चिह्नोनुं स्वरूप कह ब जे घोमानी उंचाई ( आगला पगथी पीठ सुधीनी) ने बुंथी पंचाएं चांगल सुधीनी होय, तेने उत्तम जातिनो घोमो जाणवो; तथा जेनी उंचाइ तेथ अधिक होय, तो तेने लक्ष्मीनो नाश करनारो जाणवो. वली जे घोमानी उंचाई पंच्याशीश्री नेवुं थांगल होय, तेने मध्यम जातिनो अश्व जाणवो; अने जे घोमानी उंचाई तेथी पण उंबी होय, तेने कनिष्ठ जातिनो एटले हलकी जातिनो घोमो जाएवो. जे घोडानी लंबाई लांगूल (पुंडमा ) सहित एकसो ने बेगुनी होय, तेने उत्तम जातिनो घोडो जावो. तथा पंचाणुं यांगलथी मांडीने एकसो ने एक गुलनी जे घोडानी लंबाई होय, तेने मध्यम जातिनो घोडो मानवो. जे घोमानी लंबाई तेथी पण बी अथवा वघारे होय, तेने लक्ष्मी नो नाश करनारो जावो. जे घोडाना मध्य जागनो ( पेटनो) घेरावो एंशीथी पंच्याशी खांगल सुधीनो होय, तेने धननी वृद्धि करनारो उत्तम घोमो जाएवो, तथा जे घोमाना मध्य जागनो घेरावो तेथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #54 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५‍ ) jो अथवा अधिक होय, तेने तेना स्वामीनुं मृत्यु करनारो जावो. जे घोमानो आागलनो जमणो पग गलना काबा पग करतां टुंको होय, तेने नि आदिको जय करनारो जावो. जे घोमो आगला बन्ने पग उजती वखते जरा जमीनथी उंचा राखतो होय, तेने धननो दय करनारो जावो. जे घोमाना आगला बन्ने पगोमांथी एक पग पण उजती वखते जमीनथी उंचो रहे तो होय, तेने शत्रु तरफना जयने करनारो जावो. जे घोडानो उन्नती वखते पाटला बन्ने पगोमांथी कोइ पण पग जमीनथी जरा उंचो रतो होय, तेने उत्तम जातिनो घोको जावो, तथा ते घोडो पोताना स्वामीनी लक्ष्मी वधारे बे. एवी रीते घोडानां सामान्य लक्षणो कह्यां. हवे विशेष लक्षणो कहे बे. जे घोडाना बन्ने कानो अखंमित तथा अणीवाला होय बे, तेने अति उत्तम जातिनो तथा कीर्त्ति ने धनने वधारनारो जावो. जे घोमानो जमणो कान काबा कानथी जरा मोटो अथवा नानो होय, अने ते कम नहीं रहेतां नमी जतो होय, तेने तेना स्वामीनो नाश करनारो जाणवो. For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #55 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५३) जे घोमाना जमणा कानमां जमरानुं चिह्न होय, तेने पण तेना खामीना कुलनो नाश करनारो जाणवो, पण जो तेना जमणा कानमां दक्षिणावर्त चऋतुं चिह्न होय, तो तेना स्वामीने ते राज्य श्रादिक लक्ष्मीने मेलवनारो जाणवो. जे घोमाना जमणा काननी अंदरनी बाजुए सफेद चातुं होय, तेने उत्तम जातिनो घोडो जाणवो; पण ते सफेद चागनी बच्चे लाल अथवा कालो माघ होय, तो तेने तेना धणीना अव्यनो तथा कुलनो नाश करनारो जाणवो. जे घोमानो माबो कान जमणा कानथी जरा नानो मोटो होय, तेने देशमां पण दाखल थवा देवो नहीं, केमके तेवो घोडो फुकाल अथवा मारी ( मरकी) आदिक जयने उत्पन्न करे बे. जे घोमानो डाबो कान जरा फाटेलो अने अंदरनी बाजुए सफेद माघवालो होय, तेने धन धान्यादिकनो नाश करनारो जाणवो. जे घोमाना डाबा काननी उपरनी बाजुए शंखनुं चिह्न होय, ते घोमानो स्वामी वासुदेवपणाने नकी पामे. जे घोडाना मावा काननी अंदरनी बाजुए घणा मसो होय, ते घोमो राज्यमां रहेवाथी राज्यनो नाश करे , तथा शत्रु तरफना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #56 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८४ ) नागमां जयने उपजावे बे. जे घोडानो डाबो कान उपरना णीवालो न होय, तथा त्यां कंद फाट पडी होय, तो तेवो घोमो धननो नाश करे बे, माटे तेवा घोमा पर खारी बिलकुल करवी नहीं. एवी रीते घोमाना कर्णनां लक्षणो कह्यां. हवे तेनी थांखोनां लक्षणो कहे बे. जे घोमानी यांखो परनी जमरो पर बिलकुल केश न होय, ते घोडाने कनिष्ठ घोमो जावो. जे घोमानी आंखो परनी नमरो पर घणाज केशो होय, अने ते लांबा वधीने खोने पण ढांकी देता होय, तेने धननो नाश करनारो जावो. जे घोमानी यांखो गोल छाने तेना कोला बहार उपसी आवेला होय, तो तेने कुटुंब तथा लक्ष्मी आदिकनो नाश करनारो जाणवो. जे घोमानी आंखो वाली तथा चलकती ने सौम्य होय, तेने लक्ष्मीनो वधारो करनारो जावो. जे घोमानी आंखोनो रंग पीलाश पर होय, तेजे रोगी जाणवो. जे घोमानी आंखो अत्यंत सांकडी तथा मांजर रंगनी होय, तेने पण मरकी श्रादिकनो उपद्रव करनारो जावो. जे घोमानी एक यांख बीजी आंख करतां मोटी ने जयानक होय, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #57 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५५) तेने राजाए पोताना उपयोगमा लेवो नहीं, केमके तेवो घोमो शत्रु तरफनो अत्यंत नय देखाडे . जे घोमानी आंखोनो रंग जरा रताश मारतो अने तेजवालो होय, तेने उत्तम जातिनो घोडो जाणवो; ते पर स्वारी कर्याथी लडाश्मां शत्रुनो नाश थाय डे, तथा धननी वृद्धि थाय जे. जे घोमानी जमणी - खमां चक्रतुंचिह्न होय, ते घोमो तेना खामीनी कीर्ति पृथ्वी पर फेलावे जे. जे घोमानी जमणी आंखना पोपचा पर शंखनु चिह्न होय, ते घोडो खरीद करवाथी राज्य आदिकनी संपदा पोतानी मेसे आवीने नेटे बे. जे घोडानी जमणी आंख फुटेली अथवा हमेशां अत्यंत मेलवाली (पीयावाली) रहेती होय, तेवो घोडो अत्यंत नुकशानकारक होय बे, माटे तेवो घोडो राखवो नहीं. जे घोडानी बन्ने अांखोनां पोपचों पर बीजना चंजने श्राकारे चिह्न होय, ते घोडो फक्त चक्रवर्तीनेज उपयोगमां आवे बे अर्थात् तेवा घोडा पर बीजो को खारी करी शके नहीं.जे घोडानी डाबी आंखना पोपचा पर सफेद डाघो होय, ते घोडो धननो नाश करे बे. जे घोडानी बन्ने आंखो हमेशां मलिन (पीयावाली) होय बे,ते घोडो चाल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #58 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५६) ती वखते स्खलना पामे,माटे तेवा घोमा पर वारी कर्याथी जीवनो जोखम थाय बे. जे घोडानी यांखो सोनेरी रंगनी चलकती अने श्रणीदार होय , तेमां कंश पण संशय नथी.जे घोडानी आंखो जयंकर होय, ते घोडो नुकशान करनारो जे. जे घोमानी जमणी आंखना पोपचा पर एकज मस होय, तोते तेना खामीना कुटुंबनी कीर्ति वधारे बे; पण जो एक करतां वधारे मस होय, तो ते धन धान्यनो नाश करे . जे घोडानी बन्ने अांखोना पोपचा पर घणा मसो होय बे, तो ते अग्नि थादिकनो नय उपजावे . एवी रीते तेनी आंखोनुं स्वरूप जाणवं. हवे तेनी नासिकानुं स्वरूप कहे बे. जे घोडानी नासिकानां बन्ने हारनी बहारनी चामडी लाल रंगनी होय, तेने उत्तम जातिनो अश्व जाणवो. जे घोडानी नासिकानां बन्ने धारोनी चामडी काला रंगनी होय, तेने मध्यम जातिनो अश्व जाणवो. जे घोडानी नासिकानां बन्ने छारोनी चाममी जरा लीलाश मारता रंगनी तथा कोमल होय, तेवो घोमो को महान् पुरुषोनेज मले बे; केमके ते सर्व जगाए हनुमाननी पेठे विजयज व Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #59 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५७) तवे . जे घोमानी नासिकानुं जमएं हार माबी नासिका करतां जरा मोटुं होय, ते घोडो लक्ष्मीनो नाश करे . जे घोमानी जमणी नासिकाना धार पर सफेद चातुं होय, तेने उत्तम जातिनो तथा कुटुंबनी वृद्धि करनारो घोमो जाणवो. जे घोमानी जमणी नासिका पर कमलना श्राकार- चिह्न होय, तेवो घोडो तेना खामीने राज्य आदिक संपदानो लाज मेलवी श्रापे . जे घोमानी जमणी नासिका पर मत्स्यना आकारनुं चिह्न होय, ते घोमो पाणीमां पण सुखेथी तरी शके , तथा तेना स्वामीने लदमीनी वृद्धि करे बे. जे घोमानी जमणी नासिका पर चक्रनुं लंबन होय, तेवो घोमो पुत्र परिवारनी वृद्धि करे जे.जे घोमानीमाबी नासिका पर त्रिशूलना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो घोमो लमा आदिकमां शत्रुने अर्जुननी पेठे नय पमाडे बे. जे घोमानी डाबी नासिका पर नमरातुं चिह्न होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनुं संशयरहित बार मासनी अंदर मृत्यु उपजावे. जे घोडानी माबी नासिका पर बदामना थाकारनुं लंबगोल सफेद चाळ होय, तेवो घोगो कीर्त्तिनो नाश करे , माटे तेवा घोडाने सर्प Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #60 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५७) नी पेठे तुरत तजवो. जे घोमानी माबी नासिका पर घणा वाल होय, अने जमणी नासिका पर बिलकुल वाल न होय, तेवा घोमाने राक्षसरूप मानीने तुरत तजवो, केमके तेवो घोमो राख्याथी कुटुंब तथा धननी हानि थाय बे. जे घोडानी नासिकानां बन्ने छारो सारी रीते खुल्हां नहीं रहेतां चपटा रहे , तेवो घोडो रोग श्रादिकनो उपजव करनारो कह्यो बे, माटे बन्ने नासिका कठोर श्रने अंदरथी पण चीकाश विनानी रहेती होय, तेवा घोमाने तजवाश्रीज कुटुंबमी श्राबादी वधे जे. जे घोमानी बन्ने नासिकाउँ पर गुलाबंध तथा अत्यंत लांबा वाल उगेला होय, तेवो घोमो शत्रु श्रादिकना जयनी पुष्टि ( वृद्धि) करे , माटे तेवा घोमानो पण त्याग करवो. एवी रीते नासिकानुं लक्षण जाणवू. हवे तेना मुखना लक्षणो कहे जे. जे घोमाना मुखमांधी शबना (मुमदाना) जेवो पुगंध फेलावनारो वास नीकलतो होय, तेवो घोमो रोग थादिकना उपवने वधारे जे. जे घोडाना मुखमांत्री कमलनी सुगंधी सरखो उत्तम वास नीकलतो होय, तेवो घोमो राखवाथी राजा श्रादिकनी महे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #61 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (UL) रवानी थाय बे, तथा तेथी लक्ष्मी, कीर्त्ति विगेरेनो वधारो थाय बे. जे घोमाना मुखमांथी कटु (कमवो) श्वास नीकले बे, ते कुटुंबनी तथा लक्ष्मीनी दानि करे बे. जे घोमानो श्वास तमाम शीतल होय बे, ते लगाइमां शत्रु तरफनो पराजव आपे बे. जे घोमानो श्वास कवोष्ण ( श्रोमो उष्ण ) होय बे, ते तेजी तथा चिंतनुं कार्य करी आपनारो होय बे. जे घोमानो श्वास अत्यंत उष्ण होय बे, ते तेना स्खारनुं कोइ वखते पण मृत्यु करे बे. जे घोमाना दांतो दामीमनी मोटी कली सरखा जरा लालाश रंगना ने सफेत होय बे, तेत्रो घोमो तेना स्वामीने सार्वजौमनुं (चक्रवर्त्तीनुं ) राज्य पावे बे. जे घोडाना दांतोनो रंग पीलो होय बे, ते फुकाल यादिकनुं देशमां संकट उपजावे बे, माटे तेवा घोमाने देशमांथी पण ढांकी काढवो. जे घोडाना दांतो एक बीजाने मलीने रहेला होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीने धन यादिकनो लाज करे बे; पण जेना दांतो बुटा बुटा तथा खोखरा होय बे, तेवो घोडो तेना स्वामीनुं मृत्यु उपजावे बे. जे घोडाना दांतोनो रंग जरा आकाशना रंग सरखो तथा ते For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #62 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६०) जस्वी होय , तेवो घोमो तेना स्वामीनी अत्यंत कीर्ति वधारे .जे घोडाना कपालमां त्रिशूलने आकारे सफेत चिह्न होय, तेने समाश् श्रादिकमां विजय कर. नारो जाणवो. जे घोमाना कपालमां सफेत चक्रनुं चिह्न होय, तेने पण विजय श्रापनारो जाणवो. जे घोमाना कपालमां अर्ध चंडने श्राकारे सफेत चिह्न होय, तेने तेना खामीनी लक्ष्मी वधारनारोजाणवो.जे घोमाना कपालमा गोल श्राकारनुंसफेत चिह्न होय, तेने तेना स्वामीन कल्याण करनारो जाणवो. जे घोमाना कपालमा सफेत कमलना श्राकारनुं चिह्न होय, तेने पण शुन सूचवनारो जाणवो. जे घोमाना कपालमां सफेत सर्पना श्राकारर्नु चिह्न होय, तेने कुटुंबनो क्षय करनारो तथा धननो पण नाश करनारो जाणवो.जे घोडाना कपालमां सफेत मत्स्यना जोमलाना जेवू चिह्न होय, तेने महामंगलिक जाणवो; तथा तेनुं चोर थादिकथी सारी रीते रक्षण करवं. जे घोमाना कपालमां श्याम रंगनुं अंकुशना श्राकारनुं चिह्न होय, तेने तेना स्वामीनुं मृत्यु करनारो जाणवो. जे घोमाना कपालमां श्याम रंगनुं तथा वच्चे सफेत चागवावु कोइ पण पदीना आकारनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #63 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६१) चिह्न होय, तो तेने लडाश्मां शत्रुनो नाश करनारो जाणीने राजाए तेने निधाननी पेठे घणीज सावचेतीश्री राखवो. एवी रीते तेना मुख श्रादिकनुं सामान्य लक्षण जाणवू. हवे तेना कंगनुं लक्षण कहे . जे घोमाना कंठ पर सोनेरी रंगनो थानास मारती गुडादार तथा कोमल केशवाली होय, तेने उत्तम जातिनो श्रश्व जाणवो. जे घोमाना कंठ पर कर्कश (कोर) अने तेज विनानी केशवाली होय, तेने कनिष्ठ ( हलकी ) जातिनो अश्व जाणवो, जे घोमाना कंठ पर केशवाली बिलकुल न होय, तेने धननो नाश करनारो जाणीने पूरथीज तजवो. जे घोमाना कंठ पर बुटी बुटी तथा बच्चे आंतरावाली केशवाली उगेली होय, तेने तेना खामीन मृत्यु सूचवजारो जाणवो. जे घोमानी केशवाली लीला सोनेरी रंगनो थानास मारनारी होय, तेने देवांगी एटले देवता घोडो जाणवो. तेवो घोमो लक्ष्मी, कीर्ति तथा कुटुंबनी अत्यंत वृद्धि करे बे. ___ अत्रे प्रसंग होवाथी तेवा घोमानी कथा कहे . पूर्वे श्रीभृगुकब ( नरूच ) नामे नगरमां सुरेंजदत्त Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #64 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६२) नामे राजा राज्य करतो हतो, तेने चंकांता नामनी स्त्री हती, तथा तेजने वृद्ध अवस्थामां एक पुत्र थयो. तेनुं नाम तेए माताना स्वप्नने अनुसारे सूर्यकांत राख्यु. ते पुत्र वीश वर्षनी उमरनो थतां तेमनां मातपिताए कनकवती नामनी एक राजकन्या साथे तेनुं लग्न कराव्यु. पली एक दहामे श्रीमुनिसुव्रत खामी विहार करता थका, तथा नव्यजनरूपी कमलने प्रफुल्लित करता थका सूर्यनी पेठे त्यां श्रावीने समोसर्या. देवोए त्यां रेवा नदीना जमणा कांग पर समोसरण रच्यु, तथा ते पर बेसीने प्रनु राजा श्रादिक जव्यलोकोने नीचे प्रमाणे देशना देवा लाग्या. हे नव्यलोको! आ संसाररूपी समुरुमांधी तारवाने दया धर्म सिवाय बीजो कोइ पण धर्म नथी. जे प्राणी दया राख्या विना जीवहिंसाथी धर्म माने , ते नरकमां जश्ने आ नगरमांज रहेनार अग्निशमानी पेठे अत्यंत दुःख सहन करे . ते सांजली राजाए हाथ जोडीने प्रजुने विनंति करी के हे नगवन्! ते अग्निशर्मानो वृत्तांत श्राप कही संजलाववा कृपा करशो. त्यारे प्रनु पण गंजीर ध्वनिथी कहेवा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #65 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६३ ) लाग्या के हे राजन् ! या नगरमां पूर्वे सोमशर्मा नामे एक विप्र रहे तो हतो, तेने स्वयंभूति नामनी स्त्री हती, ते ब्राह्मण वेदधर्मी हतो, तथा अनेक यज्ञ यादिक क्रिया करीने जीवहिंसा करतो. ते काममां तेनी स्त्री पण अनुमोदना करती. ते ब्राह्मण सघला ब्राह्मणोनो गुरु कहेवातो हतो, अने तेना कह्या प्रमाणे सघला ब्राह्मणो धर्मक्रिया करता हता. पबी अनुक्रमे ते मृत्यु पामी नरके गयो, तथा तेनी स्त्री प मृत्यु पामीने नरके ग. दवे ते ब्राह्मणनो अग्निशर्मा नामे पुत्र हतो; तेथे पोताना पिताना मृत्यु पढी ब्राह्मणोना आधी पोताना पितानुं कार्य संजायुं, तथा यज्ञादिक क्रिया करवा लाग्यो. एक दहा ते श्रश्वमेध नामनो यज्ञ करवाने ब्राह्मलोने समजाव्युं, अने ते माटे तेथे ब्राह्मणोने एक उत्तम जातिनो अश्व लाववाने कयुं, तेथी ते ए शोध करीने गंधार देशमांथी एक उत्तम जातिनो अश्व शोधी काढ्यो, तथा तेने यज्ञमां होमीने नरकमां जवानो उपाय शोधी काढ्यो पछी सघला ब्राह्मणोए एकता यने आ रेवा नदीना कांठा पर एक यज्ञमंरुप उजो कर्यो, ते वखते देशांत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #66 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६४) रोमांथी घणा ब्राह्मणो ते यजमां नाग सेवा माटे श्राव्या हता.. __ एटलामां ते घोमाना पुण्यश्रीज खेंचाएला होय नहीं जेम, तेम श्रमों पण यहीं आवी पहोंच्या. अमारु आगमन सांजलीने घणा नव्यजनो देशना सांजलवाने आव्या. तेमां तमारा पिताना पिता चंडशेखर पण श्रमारी देशना सांजलवाने याव्या हता; तेउनी साथे या नगरीना अत्यंत धनवान् कमलशा नामे शेठ पण श्राव्या हता.ते शेठ बहुज नज परिणामवाला तथा आसन्नजव्य (तुरत मोदे जनारा) हता; धर्मदेशना सांजव्या बाद कमलशाहे अमोने अंजलि करी ( हाथ जोमीने) पूज्यु के हे जगवन्! श्रा शदेरमां ब्राह्मणोए अश्वमेध यानो प्रारंज करेलो डे, अने तेनी क्रिया आज एक मास थयां ते करे ने, वली तेए ते क्रियामां अनेक बाग ( बकरां) आदिकनो होम कर्यो , अने श्रावती काले ते एक घोमानो होम करनारा बे; तेनुं श्रावु हिंसामय कार्य जोश्ने अमोने तो कंपारी बुटे बे; माटे ते जीवनी कोइ पण प्रकारे रदा थाय, एवो मार्ग श्राप सूचववा कृपा करशो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #67 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६५ ) ते सांजली श्रमोए ते शेठने कह्युं के हे श्रेष्ठिन् ! ते अग्निशर्मा ब्राह्मण जवी बे; तथा यावी रीतनां हिंसक कार्यों करीने ते नरके जवानो बे; वली श्रावती काले ते जे घोमानो होम करनारो बे, तेनी रका माटे तथा हिंसक ब्राह्मणोने प्रतिबोधवा माटेज मारुं यहीं श्रावतुं युं बे, ते घोमो देवांगी बे, देवताएज ते अग्निशर्मानो नाश करवा माटे पोते घोमानुं स्वरूप धारण करेलुं बे; ते घोमो देवताइ बे, तेनुं चिह्न ए बे के तेनी केशवाली लीला सोनेरी रंगनी चलकती बे; अने तेवी केशवाली श्री पृथ्वी परना घोकाउंमां होती नथी. तेम तेनां लक्षणो पण सघलां उत्तम जातिना घोमानां बे. ते नुं विशेष स्वरूप तमोने धावती काले प्रजातमां जपाशे. एटलुं कही प्रभु मौन रह्या. राजा तथा शेठ पोतपोताने स्थानके गया; शेवना मनमां तेज विचार घोलाया कर्यो, तथा क्यारे प्रजात थाय ? तेनो विचार करतो ते निद्रावश थयो. रात्रिने पावले पोहोरे तेने स्वप्न श्राव्युं के ते घोमो पोताना द्वारमां बांधेलो बे, तथा तेथी पोतानी लक्ष्मी श्रादिकमां बहुज वधारो थयो बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #68 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६६) पढी प्रजाते शेठ जाग्रत थइने तथा नित्य नियम करीने मारी पासे श्राव्यो, तथा पोतानुं स्वप्न - मोने तेथे कही संजलान्युं पढी श्रमो पण राजा श्रादिक परिवार सहित ते यज्ञस्थानके गया. ते वखते यज्ञनी सघली तैयारीउं चाली रही हती. केटलाक ब्राह्मणो ते घोमाने उष्ण जलथी नवराववा लाग्या; पढी ते ए तेना मस्तकमां सिंदूरनुं तिलक कर्यु; तथा तेना पर लीला रंगनुं रेशमी कपडुं श्राछादन कर. एक ब्राह्मणे लाल रेशमी कपडाथी तेनी खो पर पट्टबंध की धो. अग्निकुंडमां चंदन, धूप, मध, घी विगेरे नाखतो तथा मुखथी वेदपाठ तो को निशर्मा पण एक पाटला पर अग्निकुंडनी जमणी बाजुए बेठेलो इतो, ते वखते श्रमारी श्राज्ञाथी मारी साथेना एक साधुए अग्निशर्मानी सामे जोश्ने तेने कयुं के हे अग्निशर्मा ! वी रीतनी हिंसा करीने तुं नरकमां जवानी केम इछा करे बे ? ते सांजली अग्निशर्माने अत्यंत क्रोध चड्यो, अने तेणे ब्राह्मणोने हुकम कस्यो के या जैन साधुर्जने मंरुप बहार काढी मेलो. ते सांजलतांज घोकाए पोतानुं नरसिंहनुं जयंकर रूप For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #69 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६७) करीने ते अग्निशर्माने बलता कुंभमा नाखी दीधो, जेथी ते मृत्यु पामी बछे नरके गयो, तथा त्यांथी नीकली अनंतो संसार रखमशे. - आवी रीतर्नु आश्चर्य जो सघला ब्राह्मणो तो जयजीत थ्या, तथा अमारुं शरण लश्ने हाथ जो मीने बेग. पठी ते घोमाए पोतानुं जयंकर रूप समावी दीg; तथा त्यारथी ब्राह्मणो पण नरसिंहरूपने पूजवा लाग्या. ते वखते केटलाक ब्राह्मणोए - मारी पासे दीक्षा लीधी, तथा केटलाकोए श्रावकव्रत अंगीकार कस्यां. पड़ी अमो सघला परिवार सहित श्रमारे स्थानके आव्या. पठी ते घोडो पण कमलशा शेठने घेर तेमनी साथे गयो, तथा त्यां केटलोक काल रहीने पालो पोताने दिव्य स्थानके गयो. ते घोमाना प्रजावधी ते शेठने घेर लक्ष्मी आदिकनी अत्यंत वृद्धि थइ. अंते कमलशा शेने तथा चंपशेखर राजाए पण दीक्षा लीधी अने घणो काल तपस्या करी खर्गे गया, तथा त्यांथी चवी महाविदेहमा जश् मोके जशे. : आवीरीतनुं वृत्तांत सांजलीने सुरेंजदत्त राजाए तथा तेनी स्त्री चंद्रकांताए पोताना पुत्र सूर्यकांतने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #70 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (६७) राज्य सोंपीने दीक्षा लीधी, श्रने प्रनु पण विहार करीने अन्य स्थानके गया. __पाउलथी सूर्यकांते पण प्रजुए जे जगोए देशना दीधी हती,ते जगोए एक मनोहर स्तंजोथी सुशोनित बेमालवालुं रेवा नदीना जमणा कांग पर एक जिनमंदिर बंधाव्यु,तथा तेमां श्री मुनिसुव्रत खामीजीनी प्रतिमा बेसाडी; अने त्यारथी ते नगरना घणा लोको जैनधर्म पालवा लाग्या. (श्रा ग्रंथना कर्ता श्री नम्बाहु स्वामी कहे जे के) अमो पण ते नगरमा जश, ते जैनमंदिरनी यात्रा करीने पवित्र थया बीए, केमके त्यां रहीने श्री मुनिसुव्रत खामी. जीए ते यज्ञमां नाग लेनार ब्राह्मणोना आग्रहथी तेऊना प्रायश्चित्त माटे केटलांक शास्त्रो प्ररूप्यां हता; अने तेथी श्रीवीर प्रजुए पण प्रायश्चित्त सेवा माटे श्रीनृगुकछ (जरुच) नगरमा जश्खेवानुं कडं जे श्रमोने पण एक वखते पाटलीपुत्रमा मलेला संघे नेपालमाथी बोलाव्या हता, पण ते वखते अमो त्यां चौदे पूर्व मुहूर्त्तवारमां गणी जवाय, एवी विद्या साधता हता, तेथी त्यां पाटलीपुत्र आववानी भमोए संघनी आझानो जंग को हतो; अने तेना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #71 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ६ए ) प्रायश्चित्त माटे अमोए पण एक वखत भृगुकछ थावीने श्री मुनिसुव्रत प्रभुजीनी प्रतिमा समक्ष अमना तप सहित प्रायश्चित्त लीधुं हतुं; ते वखते तेमना अधिष्ठायकजीए साक्षात् सीमंधर स्वामीजीने पूढीने मोने ते दोषरहित जणाव्या हता. ते विषेनुं विशेष वृत्तांत अमारा रचेला यात्राप्रबंध नामना ग्रंथथी जाणी लेवुं. हवे घोकानां लंबनोनुं स्वरूप कहे बे. जे घोमाना आगला जमणा पगना सायलमां धोला रंगनुं दक्षिणावर्त चक्र होय, तेने तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करनारो जावो, पण जो ते वामावर्त होय, तो उलटो धननी हानि करनारो जावो. जे घोकाना आगला जमणा पगना घुंट पर वालोनो छो होय, तेने कुटुंबनो नाश करनारो जावो. जे घोमाना श्रागला जमणा पगना साथलमां मत्स्यना याकारनुं चिह्न होय, तेने धननी वृद्धि करनारो तथा जय मेलवनारो जावो. जे घोमाना आागला जमणा पगना साथल पर सफेद रंगनुं त्रिशूलनुं चिह्न होय, ते पर कदी पण खारी करवी नहीं, केमके वो घोमो वक्र चालतो होय बे; अर्थात् जे जगोए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #72 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (30) जq होय, ते जगोए नहीं जतां उलटी जगोए ते जाय . जे घोमाना आगला जमणा पगना गोठणमां वीजीना आकारतुं श्याम रंगनुं चिह्न होय, तेने रोग आदिकनो उपञ्व करनारो जाणवो. जे घोडाना आगलाजमणा पगना धुंटणनी नीचेना नागमा सफेद रंगनुं मुशलने आकारे चिह्न होय, तेने कुटुंब तथा धननो पण कय करनारो जाणवो. जे घोमाना जमणा पगनी खरी पर घणा खामा होय, ते घोको राज्य श्रादिकनो नाश करे . जे घोडाना बागला जमणा पगनी खरीमा घणी फाटो होय, ते राज्य तथा कुटुंबनो पण नाश करे . जे घोकाना आगला जमणा पगनी खरी आकाशी रंगनी होय, तेवो घोमो धन विगेरेनी वृद्धि करे. जे घोमानीआगला जमणा पगनी खरी पीला रंगनी होय, ते रोग आदिकनो उपजव करे . जे घोडाना आगला जमणा पगनी खरी काला रंगनी होय,तेने मध्यम जातिनो अश्व जाणवो. जे घोमाना आगला जमणा पगनी खरीनो नीचेनो नाग नांगेलो तथा जमीन पर बरोबर नहीं रही शके तेवो होय, तेवो घोमो कुटुं. बनो नाश करे .जे घोडाना आगला माबा पगना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #73 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७१) धुंटण पर नमरातुं चिह्न होय, ते शत्रुनो जय उपजावे . जे घोमाना आगला मावा पगना साथलमा घणा मसो होय, ते तेना खामीने रोगी बनावे . जे घोडाना आगला डाबा पगना साथलमां सफेद चक्रनुं चिह्न होय, ते तेना खामीने घणो वदन होय जे, तथा तेथी कीर्ति श्रादिकनी वृद्धि थाय बे. जे घोमाना श्रागला मावा पगना घुटण नीचे काला रंगनुं त्रिशूलने आकारे चिह्न होय, ते तेना खामीने विद्या आदिकनो लाल पावे . जे घोडाना श्रागला डाबा पगनी नीचे मुशल- काला रंगर्नु चिह्न होय, ते लमार आदिकमां उपयोगी नथी, केमके तेवो घोडो तेना स्वारना कह्यामां नहीं रहेतां शत्रुनो जय करावी, पोताना खामीनो नाश करे जे. जे घोमाना आगला मावा पगनी खरी लाल रंगनी होय , ते घोडो तेना स्वामीने स्त्री आदिकनुं सुख मेलवी श्रापे . जे घोडाना आगला डाबा पगनी खरी सोनेरी रंगनी तथा चसकाट मारती होय, तेवो घोडो निर्धन स्वामीने पण राज्य अपावे . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #74 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२) तेवा घोडानी कथा कहे जे. पूर्वे श्रीसंजवनाथजीना शासनमा जितशत्रु नामे राजा कांपीलपुर नामनी नगरीमां राज्य करतो हतो; तेने कमला नामे राणी इती. राज्य करतां थका घणां वर्षों वीती गयां, पण राणीने कंश संतान थयु नहीं. राजाए ते माटे घणा देवदेवीउनी मानता करी, पण तेथी कंश पण आशा फलीत थ नहीं; ते राजा.मिथ्यात्वी होवाथी मिथ्यात्वीना कहेवा प्रमाणे तेणे यज्ञ यागादि कार्यो कस्यां, तथा घणा ब्राह्मणोने नोजन जमाड्यां; तथा तेउनी अनुमति प्रमाणे तेणे घणुं अव्य खरच्युं, पण तेथी पोतानी श्वानुं कंपण सार्थक थयु नहीं. ते राजानो शुनमति नामे प्रधान हतो, अने ते जैनधर्मी हतो; तेणे राजाने समजाव्यो के हे खामिन् ! पूर्वे करेलां कर्मो प्राणीउने जोगव्या विना बुटको नथी. पूर्व नवे जेप्राणी कोश्ना बालकोनो तेमनां माता पिता विगेरे बंधुउथी वियोग करावे , तेवा प्राणीने आ जवां संतान, सुख मलतुं नथी; माटे हे स्वामिन् ! आप श्रा नवमां निराधार गरीब माणसोने श्राश्रय आपी पुण्य उपार्जन करो, के जेथी या नवमां नहीं तो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #75 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७३) परनवमां पण बापने शुज संतति थशे. ते सांजली राजानुं मन पण तेम करवाने तत्पर थयु, अने तेथी तेणे शहेरमा उद्घोषणा (ढंढेरो) करावी के जे को माणस पोतानुं पोषण करवाने अशक्त होय, तेणे थाजथी राजा पासेथी अन्न, वस्त्र विगेरे ग्रहण करवं. एवी रीतनी उद्घोषणा करावीने तेणे एक दानशाला मंमावी, अने तेमां गरीब अशक्त प्राणी माटे अन्न वस्त्रनी सघली सामग्री करावी. पठी ते दानशालामां हजारो गरीब माणसो पोतानुं पोषण करी राजाने बाशिष देवा लाग्यां. वली ते राजाए श्रवाचक प्राणीउने चरवा माटे केटलीक जमीन बदीश श्रापी; तथा तेउने पाणी पीवा माटे केटलाक कुंको पोताना राज्यमा बंधाव्या. एवी रीते तेणे अनेक पुण्यनां कार्यों करीने शुज कर्म उपार्जन कयु. वली ते प्रधानना उपदेशथी सम्यक्त्व पामीने हमेशां जिनमंदिरमा जश् वीतराग प्रजुनी नक्ति करवा लाग्यो, तथा उत्तम जैनमुनि पासेथी धर्मोपदेश सांजलवा लाग्यो. एवी रीते तेनी श्रमा जैनधर्म पर अत्यंत लीन थ. राणी पण नजिक परि णामवाली होवाथी राजाए अंगीकार करेला मा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #76 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (४) गने अनुसरवा लागी. एवी रीते धर्मकार्योमा र. हीने ते पोतानो काल निर्गमन करवा लाग्यां. एटलामा तेऊना पुण्यनी प्रबलताथी त्यां श्रीसंजव. नाथजी श्रावीने समोसर्या. प्रधानना मुखथी प्रजुनुं श्रागमन जाणीने राजा तथा राणी प्रधान थादिक परिवार सहित तेमने वांदवा माटे गया. त्यां प्रनु पण देवोए रचेला समवसरण पर बेसीने धर्मदेशना देता हता. ते सांजलवा माटे राजा आदिक पण पोताने उचित जगो पर बेसी गया. ते वखते प्रजुए पण केवलज्ञान। राजाना तथा राणीना मननो अभिप्राय जाणीने, प्रसंगोपात देशना दीधी के हे नव्यप्राणी ! जे प्राणी दया राख्या विना परजीवोने उपजव करे बे, ते प्राणी नरवाहन राजानी पेठे पालना नवा संताप पामे बे. ते सांगली जितशत्रु राजाए हाथ जोमीने प्रजुने विनंति करी के हे खामिन् ! ते नरवाहन राजानुं वृत्तांत मने कही संजलाववा श्राप कृपा करशो. त्यारे दयारूपी जलना उदधि (समुप) सरखा एवा प्रज्जु पण गंजीर खरथी कहेवा लाग्या के हे राजन् ! कनकपुर नामे नगरमां नरवाहन नामे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #77 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (५) राजा हतो, तेने सत्यश्री नामनी राणी हती. ते राजानां मातपिता तेने बालपणामां मेलीने मृत्यु पाम्यां हता, अने तेनो पुत्र राज्यने लायक थयो, त्यांसुधी मंत्री चलावता हता. एटलामां नरवाहन कुंवर पण युवावस्थाने पाम्यो, त्यारे मंत्रीए तेने सत्यश्री नामनी राजकन्या साथे परणाव्यो. हवे ते मंत्रीमांनो एक विजयसिंह नामनोमंत्री दया विनानो अने र वनावनो हतो. तेनी साथे नरवाहन राजकुमारनी मित्रा थर. पनी ते कुमार उमर लायक तथा राज्यने योग्य थतां मंत्रीए तेने राज्यगादी पर बेसाड्यो. विजयसिंहनी मित्राश्थी कुंवरने शिकार करवानो घणो शोख थयो, तेथी ते तेनी साथे केटलाक खारोने लश्ने हमेशां वनमा शिकार करवा जतो, तथा घणां पशुउनी हिंसा करतो. एक वखते वनमा ते शिकार करवा गयो, त्यारे तेणे नदीना किनारा परनी एक गुफामां एक सिंहणने जोश, ते वखते सिंहण प्रसूति करवानी तैयारीमा होवाथी कष्टने लीधे जयंकर गर्जना करती हती. ते वखते नरवाहन राजा पण जय श्रने आश्चर्यश्री ते जोवा माटे वृक्षनी उथे पोताना घोमा सहित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #78 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७६) उजो रह्यो, तथा तेनी साथेना विजयसिंह आदिक माणसो पण नदीनी कढणमां बुपाश्ने रह्या. पली ते वखते सिंहणे बे बच्चाउँने जन्म थाप्यो, एटलामा ते सिंहणनो स्वामी सिंह पण पोताना तथा सिंहणना जद माटे एक हरिणनो शिकार करीने लाव्यो, पण एटलामां विजयसिंहना घोमाए हेषारव कर्याथी सिंह क्रोधातुर थ जे दिशाएथी शब्द संजलायो हतो, ते तरफ पुंडॉ उंचुं करीने तथा गर्जना करीने फाल मारीने चाल्यो. त्यां तेणे एकदम विजयसिंहना घोमा पर तुटी पडीने तेने नीचे पाड्यो अने विजयसिंहने पण मारी नाख्यो. ते जो एक शूरवीरे त्यां श्रावीने तलवारथी सिंहनो पण नाश कस्यो, सिंहे वेदनानी गर्जना मृत्यु वखते करवाथी सिंहण ते तरफ दोमी श्रावी, त्यारे नरवाहन राजाए पालथी श्रावीने ते सिंहणने पण तलवारथी मारी नाखी. पडी राजाए सिंदणनां ते बन्ने बच्चाउने लक्ष लेवानो पोताना माणसोने हुकम कस्यो. पठी ते सघला ते बच्चांउने सश्ने पोताना शहेर तरफ श्राव्या. त्यां राजाए तेमना पर दया लावीने तेमने सारी रीते पालीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #79 -------------------------------------------------------------------------- ________________ · (99) उबेरवानो विचार करयो, पण तुरतनां जन्मेलां, तेथी मातानां स्तन्य विना ( धावण विना) ते बच्चां थोमा दिवसमां मृत्यु पाम्यां वली एक दहाको ते राजा वनमां शिकारे गयो हतो, त्यां एक वाघना पंजाना मारथी तेनुं मृत्यु युं. त्यांथी काल करीने ते चोथे नरके गयो. तेनी पाबल तेने कं पण संतान नहोतुं; तेथी तेनुं राज्य प्रधानोए वेंची लीधुं. त्यांथी नरकथी काम निर्जराएं करीने चवीने राजा ! आ तुं जितशत्रु नामे राजा थयो ढुं. तें पूर्व जवमां घणा जीवोनी हिंसा करी बे, तथा तें घ पशु विगेरेनां बच्चाउने तेमनां मातपिताथी वियोग कराव्यो बे, ते कर्मना उपार्जनयी तने संताननी प्राप्ति यती नथी, अने या जवमां तो ते तने थनार नथी, पण हवे था नवमां जे तुं निराश्रितोने आश्रय पीने पुण्य उपार्जन करे बे, तेथ तने यावता जवमां संताननी प्राप्ति थशे, तथा पढी सुखी यइने स्वर्गे जश्श, तथा त्यांथी चवी महाविदेहमां उत्पन्न थर मोदे जश्श. श्रा तारो शुजमति प्रधान तो एकावतारी बे, ते अहींथीज श्रमारी पासे दीक्षा लइ, केवल पामी मोदे जरो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #80 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) पनी राजा तथा राणीए ना परिणामथी श्रावकनां व्रतो प्रनु पासे अंगीकार कस्यां शुजमतिए पण दीदा लीधी, तथा प्रजु साये रह्यो. पनी राजा पोताने स्थानके आव्यो, तथा प्रनु पण विहार करी अन्य स्थानके गया. ___ हवे अहीं राजा तो हमेशां अनेक पुण्यनां कार्यो करवा लाग्यो. एम करता पोतानी वृक्ष अवस्था थर, तेथी पोतानुं राज्य कोइने सोंपवाने तेणे विचार कस्यो. सघला सामंतोने एकग करी पंच दिव्यो शणगारी फरवा मोकल्या. हवे तेज नगरथी थोडेक घर एक नानुं गामडं हतुं, त्यां एक गरीब कुंजार वनमाथी माटी खावीने तेनां वासणो घमी घणी महेनते पोतानुं गुजरान चलावतो हतो. तेनी स्त्री गंजीर अने सुशील हती, तथा तेने बे डोकरा अने एक नोकरी हती. ते सघलां कुंजारने तेना काममां मदद करता हता. ते कुंजारने घेर एक घोमीहती, ते घोडीए जाणे कुंलारना पुण्यनी प्रबलताथीज होय नहीं जेम, तेम एक उत्तम किशोरने ( वराने) जन्म थाप्यो. ते वडेरामां सघलां उत्तम लक्षणोहतां, तथा विशेषमा ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #81 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (SU) ना यागला मावा पगनी खरी सोनेरी रंगनी हती. अनुक्रमे तेवढे चार वर्षेनी उमरनो थयो . एटलामां ते कुंज़ारनी दीकरी युवावस्थाने पामेली हती, तेथी तेना लग्न माटे कुंजारने चिंता थ; पोतानी पासे बिलकुल धन हतुं नहीं, तेथी ते मोटी फिकरमां पड्यो के हुंआ बोकरीना लग्न शी रीते करीश ? पी एक दहामो ते कुंजारनी स्त्रीने रात्रिए स्वप्न श्रावयं के पोतानो खामी राज्यगादी पर बेगे बे, तथा पोते तेनी राणी यएली बे; ते स्वप्न तेथे प्रजाते एक गायना कर्णमां संजलावीने पोताना स्वामीने कयुंके हे स्वामिन्! तमो चिंता करो नहीं, तमो आपण आवबेराने कांपीलपुरमा लइ जार्ज अने तेने वेची ने पैसा लावों, केमके या वढेरो सारो बेतेथी तमोने तेनुं घणुं द्रव्य मलशे पढी कुंजार पण स्त्रीनुं वचन मानीने ते वढेरो लइने कांपील, पुर प्रत्ये चाल्यो. त्यां तेणे जइ विचार्य के श्रा बेरो जो हुं राजाने श्रपुं तो ते मने घणुं द्रव्य आपशे, एम विचारी ते राजदरबार पासे जश्ने उजो. एटलामां राजाए शणगारेलां पांचे दिव्यो त्यांथी नीकल्यां; तथा ते कुंजारना पुण्यश्री तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #82 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) ते वडेराना प्रजावथी ते पंच दिव्योमांना हाथीए तेना पर कलश कों; अने एवी रीते बीजां दिव्यो पण तेनी पासे प्रगट थयां. ते सघली वात लोकोए राजाने जशनिवेदन करी, तेथी राजाए तेने बोलावीने घणुं श्रादरमान दीधुं, तथा पोतानी जोडे बेसाड्यो, अने उत्तम प्रकारनां वस्त्र आजूषणो पहेराव्यां. कुंजार तो था सघर्चा जोर चकित थर गयो. पली राजाए तेने पोताने हाथे अनिषेक करीने राज्यगादी पर बेसाड्यो तथा तेनुं अजयसिंह नाम पाड्यु. अजयसिंहे पण पोताना कुटुंबने त्यां बोलावी लीधुं, श्रने सुखथी राज्य पालवा लाग्यो, तथा ते सघलो वजेरानो प्रजाव मानीने, तेनुं सारी रीते रक्षण करवा लाग्यो. अंते राजाए अनयसिंहने सघलो राज्यकारभार सोपीने राणी सहित श्री संजवनाथजी पासे दीक्षा लीधी, त्यां उग्र तप तपीने ते स्वर्गे गयो. ते प्रजुना कहेवा मुजब ते अंते मोदे जशे. . एवी रीते प्रसंगोपात तेवा घोडानी कथा कही. हवे जे घोमाना धागला बन्ने पगोनी वच्चे चक्रनुं चिह्न होय जे ते घोडो तेना खामीने राजा तर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #83 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१) फथी मान अपावे जे. जे घोमाना नीचेना नागमां पेट पर शंखना श्राकार- चिह्न होय दे, तेने कल्याणकारी तथा धननी वृद्धि करनारो जाणवो. जे घोमाना पेट पर सर्पने श्राकारे चिह्न होय ते तेना खामीन मासनी अंदर मृत्यु करे , ते वात संदेह विनानी बे. जे घोडाना पेट पर घणा मसो जगेला होय, तेने राक्षस समान जाणीने दूर तजवो. जे घोमाना पेट पर बिलकुल केश न होय, तेवो घोडो स्त्री तथा संतानोनी हानि करे . जे घोमाना पेट पर पद्मना श्राकार, लंडन होय, ते घोमो धन धान्यनी वृद्धि करे बे. जे घोमाना पेट पर वींनीना आकारनुं चिह्न होय, ते तेना खामीना परिवारनो नाश करे बे. जे घोमाना पेट पर चीरा पडेला होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीने व्याधि श्रादिकनो - पाव करे , माटे तेवो घोडो तजवो कह्यो बे. जे घोमाना पेट पर अंकुशनुं चिह्न होय , तेने उत्तम जातिनो जाणवो,तेवो घोमो कीर्ति तथा परिवारनी वृद्धि करे . जे घोडाना पेट पर कागमाना आकारनुं लंबन होय बे, तेवो घोमो नोजन श्रादिकनो त्याग करावे , अर्थात् रोगनो उपजव करे . जे ६ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #84 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८२ ) घोमाना पेट पर वृक्षना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो घोडो तेना स्वामीने धान्य आदिकनी वृद्धि करी या बे. जे घोमानो पाबलनो जमणो पग खोमांगतो होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनां संताननो नाश करे बे. जे घोमानो पाबलनो जमणो पग वांको दोय, तेवो घोडो लक्ष्मीनो निश्चये नाश करे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगना साथलमां बहारना जागमां शंखनुं चिह्न होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीनी अत्यंत ऋद्धि वधारे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगना सायलमां नोलियाना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो घोको तेना स्वामीनुं तुरत मृत्यु करे बे, माटे तेत्रो घोडो ग्रहण करवो नहीं. जे घोमाना पावला जमणा पगना घुंटणमां कमलना याकारनुं चिह्न होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीने धर्ममां जोडे बे, तथा धन घ्यादिकनी वृद्धि करे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे सर्पने का चिह्न होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे सफेद रंगनुं मुशलने श्रीकारे चिह्न होय, तेवो घोमो तेना स्वामीने लगाइ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #85 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ८३ ) यादिकमां जो बे, तथा तेमां तेनो नाश करावे बे. जे घोकाना जमणा पगनी खरीनो रंग कालो होय, तेवो घोमो मध्यम जातिनो जाणवो; तेवो घोमो लाज अथवा नुकशान कं पण करतो नथी. जे घोमाना पालना जमणा पगनी खरी पर शंखने या कारे चिह्न होय, तेवो घोमो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे, तथा पृथ्वीमां तेनी कीर्त्ति फेलावे बे. जे घोजाना पटना जमणा पगनी खरी पर सफेद रंगनुं कमलने श्राकारे चिह्न होय, तेवो घोडो ग्रहण करवायी धन धान्यनी वृद्धि थाय ब. जे घोमाना जमा पगनी खरीमां घणी फाटो होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनी संततिनो नाश करे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगनी खरीमां मसो उगेला होय, तेवो घोमो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो तथा तेना परिवारनो नाश करे बे. जे घोमाना पाबलना जमणा पगनी खरी पर बाल उगेला होय, ते राक्षसनी परे धन तथा कुटुंबनुं जक्षण करी जाय बे. जे घोमाना पाउलना काबा पगना साथलमां धनुष्यने आकारे चिह्न होय, तेवो घोमो तेना खामीने लडाइ यादिकमां विजय मेलवी खापे वे. जे घोमाना पाठ Jain Educationa International A w-9 For Personal and Private Use Only Page #86 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ४) लना मावा फगनी जांगमां खीसखोलीना श्राकारचिह्न होय, तेवो घोमो तेना स्वामीने परदेश गमन करावे , तथा त्यां तेने अत्यंत कष्ट अपावे जे. जे घोमाना पाबलना मावा पगनासाथलमां नाल सहित कमलना श्राकारर्नु चिह्न होय, तेवो घोमो रणसंग्राममां जय मेलवी आपे जे. जे घोमाना पालना मावा पगनी जांगमां शुकना (पोपटना) श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो घोमो आकाशमां एण गमन करे बे. तेवा घोमानी कथा कहे जे. ___ पूर्वे तुरूष्क नामना ( तुर्कस्तानमां ) अनार्य देशमां बस्कुरा नार ।। नगरमां मकरकेतु नामे राजा राज्य करतो हतो; तेने मत्स्योदरी नामनी राणी हती. तेज नगरमा एक वज्रजंघ नामनो सार्थवाह रदेतो हतो; ते बहुज धनवान् हतो; तथा तेने त्यां एक सहस्त्र (हजार ) उत्तम प्रकारना घोमा हता. तथा वली तेनी पासे घणां शकटो (गामां) हता. ते अनेक जातनां करीयाणां नरीने गंधार (कंदहार) तथा बहुली देशमा जश्व्यापार करतो; तथा त्यांथी जाद विगेरे अनेक जातनां करीयाणां खरीद करीने पोताना देशमा श्रावतो. तथा एवी रीते दर वर्षे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #87 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ५) व्यापार करीने ते कोमो गमे धन एक करतो. ते जातनो अनार्य इतो, पण तेनो स्वन्नाव बहु दयालु हतो; तेथी को पण प्राणीने ते फुःख देतो नहीं. पोतानी पासेनां पशु पर ते बहु नार नारतो नहीं; तथा तेमने हमेशां नियमित रीते ते चलावतो. वली ते दर वर्षे पोताने मलेला नफामांथी दशमो जाग गरीब लोकोने पण वहेंची श्रापतो. एवी रीते पोते दयालु पुण्य होवाथी ते अनेक पुण्यनां कार्यो करतो हतो. एटलामां ते अनार्य देशमा श्रीवीर प्रचुर्नु आवQ `थयु. तेए त्यां विचरीने अनेक उपसर्गों सहन कर्या बे; तेनुं वर्णन अमोए रचेला श्रीवीरचरित्रमां बे. श्रीवीर प्रजुने जोड़ने वज्रजंधे इहापोह करतां विचार्यु के श्रावो वेष में क्यांक जोयो बे; एवी रीते विचार करतां तेने जातिस्मरण शान उत्पन्न थयु अने पोतानो पूर्व नव तेने याद श्राव्यों; पूर्वे पोते पण चारित्र लीधे हतुं तेथी तेणे वीर प्रजुने नमस्कार करीने पोतानुं वृत्तांत जणाव्यु. वीर प्रजुए पण तेने नव्यजीव जाणीने धर्मदेशना दीधी. पड़ी तेणे प्रजुने पोताना पूर्वनवनुं वृत्तांत पूब्यु; त्यारे प्रजुए तेने कडं के हे वनजंघ! पूर्वनवमां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #88 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७६) तुं श्रावस्ती नगरीमा एक वणिकपुत्र हतो, तारो पिता बहुज धनवान् तथा कुलीन हतो; तारा पिताना मृत्यु बाद तने वैराग्य थवाथी तें स्वयंबु श्राचार्यनी पासे दीदा लीधी हती, पण दीक्षा लीधा बाद तने जातिमदनो अहंकार थवाथी ताराश्री पहेलां जेए दीक्षा लीधेली हती, तेउने वंदन नहीं करवाना हेतुथी तुं गुरुथी बुटो पमीने विहार करवा लाग्यो, तथा उग्र तप तपवा लाग्यो. बेवटे पंदर दिवसनुं अनशन करीने तुं जातिमदथी उपाजन करेला नीचगोत्रना कर्मश्री अहीं अनार्य देशमां श्रावी उत्पन्न थयो के केमके जीवने पूर्वे करेढुं कर्म जोगव्या विना बुटकारो नथी, पण तने पूर्वजवनो संस्कार लागेलो : तेथी या नवमां जो के तं अनार्य देशमा उत्पन्न थयो बुं, तोपण तारूं हृदय दयाश्री जरेवू बेतने सघलांप्राणी पर स्वाजाविक दया उत्पन्न थाय डे, तेथी तुंथा नवमां अनेक पुण्यबंधन करीने चोथे देवलोके जश्श, त्यांथी चवीने महाविदेहमा जश् मोदे जश्श. ते सघतुं वृत्तांत सांजलीने वज्रजंघनी आंखोमां हर्षनां अश्रु चराक्ष गयां. पनी पोताने जातिस्मरण ज्ञान थयुं हतुं, तेथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #89 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) तेणे प्रजुनां वचन, प्रत्यक्ष प्रमाण जोयुं, अने तेनी मनोवृत्ति जैनधर्म पर अतिशय अनिलाषा धारण करवा लागी. पठी तेणे प्रजुने नमस्कार करीने विनंति करी के हे स्वामिन ! यहीं अनार्य देशमा मारा पूर्वकृत कर्मोने अनुसारे जन्मेलो बुं; पण हवे तो मने अहीं रहे, कंटक तुल्य लागे बे. माटे हवे मारे शुं करवु ? ते श्राप कृपा करीने कहेशो. त्यारे प्रजुए पण झानथी तेनुं श्रायुष्य मात्र त्रण दिवसर्नु जाण्यु, तेथी तेने कडं के हे वज्रजंघ ! तारं आयुष्य मात्र हवे त्रण दिवसर्नु बे, माटे तारे कोश् तीर्थस्थानके जवु, तथा सघj धन परोपकारमा खरचीने तारे फक्त धर्मध्यानमा रहेवू. ते सांजली वनजंघे फरीने प्रजुने विनंति करी के हे स्वामिन् ! श्रा अनार्य देशमां तो तीर्थस्थानक को पण ले नहीं अने आर्य देश तो अहींथी बह र जे. तो त्यांत्रण दिवसमां माराथी शीरीते पहोंचाय? ते सांजलीप्रजुए पण तेने नव्यजीव जाणीने कडं के हे वज्रजंघ ! तुं विषाद (खेद) कर नहीं, तारी पासे एक हजार उत्तम घोडा ; तेमां जे घोमानी पाउला माबा पगनी जंघामां शुकना (पोपटना) श्राकार- चिह्न , Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #90 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (७) ते घोमो श्राकाशमां पण पवननी पेठे गमन करी शके तेवो बे, अने ते घोमो तने वणवारमां तारी इडित जगोए लइ जशे ते सांजली वज्रजंघे फरीने पण प्रजुने विनंति करी के हे स्वामिन् ! कया तीर्थमां जवाथी मारो उकार थशे ? त्यारे प्रजुए तेने कडं के हे वनजंघ! सर्व तीर्थमां शिरोमणि सरखा एवा शत्रुजय नामना तीर्थ प्रत्ये जजे, अने ते तीर्थ अत्यंत पवित्र बे, त्यां जा घोमाने तुं कोइने नहीं श्रापतां वनमां बुटो मूकजे तथा तुं ते पर्वत पर चमीने अनशन करजे. ते सांजली वज्रजंघ तो प्रजुने वांदीने पोताने स्थानके श्राव्यो, अने प्रनु पण विहार करता अन्य स्थानके गया. हवे अहीं वनजंघे पोतानी घोमा बांधवानी अश्वशालामा जश् तपास करी, तेवा घोमाने पोताने घेर आण्यो. पोतानी पासेना सघला घोमार्जना रक्षण माटे तेणे पोताना पुत्रने समजाव्यो; तथा पोतानी पासेर्नु केटबुंक अव्य पुत्रने सोंपीने बाकी, दीन माणसोने तेणे वहेंची आप्यु. पली प्रनाते कोइ जाणे नहीं तेम ते घोमा पर स्वार थश्ने दणवारमा आकाशमार्गे शत्रुजय तीर्थ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #91 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (नए) पर श्राव्यो. त्यां घोमाने वनमां मूकीने पोते अ. त्यंत नाव सहित पर्वत पर चड्यो. त्यां श्री युगादीश प्रजुने नमस्कार करीने ते एक उंचा शिखर पर चड्यो; तथा त्यां अनशन करी मृत्यु पामी खर्गे गयो. एवी रीते तेवा चिह्नवाला अश्वने श्रीवीर प्रजुए श्राकाशमां गमन करनारो कह्यो . जे घोमाना पालना मावा पगना धुंटण पर सफेद रंगनुं जमरने आकारे चिह्न होय, तेवा घोमाने तेना खामीनुं मृत्यु सूचवनारो जाणवो. जे घोमाना पाबलना मावा पगनी खरी काला रंगमी होय, तेने मध्यम जातिनो अश्व जाणवो.जे घोमानापाबलना डाबा पगनी खरी सफेद रंगनी होय.तेने जत्तम जातिनो अश्व जाणवो, तेवो घोडो तेना खामीने पुत्र परिवारनु अत्यंत सुख श्रापे जे. जे घोमाना मावा पगनी खरी पर मस उगेला होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे . जे घोमानी पाउलना माबा पगनी खरी पर सफेद रंगनुं पुष्पना श्राकार,चिह्न होय, तेवो घोमो तेना स्वामीनी लदमीनो दय करे बे; तथा तेने शत्रु आदिकनो त्रास उपजावे . जे घोमाना पाउलना मावा पगनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #92 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) खरीनी नीचे अनेक फाटो पडेली होय, तेवो घोमो तेना पर स्वारी करनारनो नाश करे , माटे तेवा घोमा पर स्वारी करवी नहीं. एवीरीते घोमाना पग तथा उदरनुं स्वरूप कडं. हवे तेना पृष्ठनागर्नु (पीउनुं) स्वरूप कहे . जे घोमानो पृष्ठनाग विस्तारवालो तथा वच्चेथी जरा चपटो होय, तेने उत्तम जातिनो अश्व जाणवो. जे घोमानो पृष्ठनाग खामावालो तथा विषम होय, तेवा घोमा पर स्वारी कर्याथी स्वारी करनारने रोगनी उत्पत्ति थाय बे; माटे तेवा घोमा पर वारी करवी नहीं. जे घोमाना पृष्ठनाग पर उत्रने श्राकारे लंबन होय, तेवो घोमो वासुदेवनेज मले बे; पण बीजाने मलतो नथी. जे घोमाना पृष्ठ नाग पर शंखनुं चिह्न होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीनु रक्षण करे , तथा तेने अत्यंत संपत्ति मेलवी आपे बे. जे घोमाना पृष्ठनाग पर मत्स्यनुं चिह्न होय , तेवो घोमो पाणीमां सुखेथी तरी शके जे. जे घोमाना पृष्ठनाग पर सिंहना पंजाना श्राकार- चिह्न होय, तेवो घोमो रणसंग्राममां सर्वश्री उत्कृष्ट जय मेलवे बे, अने तेवो घोमो राजाने बहुज उपयोगी तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #93 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) प्रिय थ पडे बे. जे घोमाना पृष्ठ पर त्रिशूलने आकारे चिह्न होय , तेवो घोडो तेना स्वामीनो तथा तेना परिवारनो पण नाश करे जे.जे घोमाना पृष्ठ पर सफेद रंगनुं पद्मना आकार- चिह्न होय, तेवो घोमो तेना स्वामीनी संपत्ति वधारे . जे घोमाना पृष्ठ पर बिलकुल रोम उगेला न होय, तेवो घोडो तेना स्वामीन एक मासमां मृत्यु निपजावे बे. जे घोमाना पृष्ठ परथी वारी करवाथी वारंवार रुधिर नीकलतुं होय, तेवा घोमा पर खारी करवाथी खारी करनारने नगंदर श्रादिक रोगनी उत्पत्ति थाय जे. जे घोमाना पृष्ठ पर कलशना आकार- चिह्न होय, तेवा घोमाने महामंगलिक जाणवो, अने तेथी तेना स्वामीने लक्ष्मी श्रादिकनो घणो लान थाय जे. जे घोमाना पृष्ठ पर चामरना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो घोमो चक्रवर्तीने त्यांज उत्पन्न थाय बे; पण साधारण जगोए तेनी उत्पत्ति थती नथी. जे घोमाना पृष्ठ पर दीपकनी शिखाना आकारनुं सफेद चिह्न होय, तेवो घोमो अग्निनो जय उपजावे बे, माटे तेवा घोमाने ग्रहण करवो नहीं. जे घोमाना पृष्ठनाग पर अंदरनु हामकुं उपसीने बहार दे Pheir Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #94 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( एश ) खातुं होय, तेवो घोमो रणसंग्राममां शत्रु तरफनो त्रास उपजावे बे. जे घोमाना पृष्ठनी पाउलनो नाग पुष्टाने मांसल होय बे, तेने उत्तम जातिनो अश्व जाणवो; तथा तेवो घोडो दोमवामां बहुज वेगवालो होय ते. जे घोकाना पृष्ठना पाउलाना बन्ने जागो पर चक्रनां चिह्नो होय, तेवो घोडो तेना स्वामीने लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे घोमाना पृष्ठना पाबलना बन्ने जागो पर शंखना श्राकारनां चिह्नो होय बे, तेवो घोमो तेना स्वामीना महत्त्वनी वृद्धि करे बे. एवी रीते तेना पृष्ठजागनुं स्वरूप कयुं. हवे तेना लांगूलनुं (पुंबामातुं ) स्वरूप कहे बे. जे घोमानुं पुंबकुं जमीनने स्पर्श करतुं होय, तेवो घोमो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे बे. जे घो मानुं पुंबडुं तेना पाबलना पगोना घुंटणोनी उपर रहेतुं होय, अर्थात् तेटलुं लांबु होय, तेवो घोडो तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे बे. जे घोमानुं पुंबकुं कोमल, चलकतुं श्रने गुछादार होय तथा घुंटणथी नीचे रहेतुं होय, तेवो घोडो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे घोमानुं पुंबडुं कर्कश होय, तेवो घोडो तेना स्वामीना परिवारनो नाश For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #95 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए३) करे . जे घोमानुं पुंबडं अल्प केशोवायूँ होय , तेवो घोडो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे बे. जे घोमानुं पुंगडं वांकुं रहेतुं होय, तेवो घोमो तेना स्वामीना कुटुबनो नाश करे .जे घोमानुपुबमुअत्यंत स्थूल जाएं होय, तेवो घोडो तेना स्वामीने परदेश गमन करावी कष्ट आपे . जे घोमान पुंबहुं स्निग्ध होय , तेवो घोमो तेना स्वामीने राज्य आदिकनो लान मेलवी श्रापे बे. जे घोमानुं पुंबडं केसरना रंगर्नु तथा कोमल अने मनोहर होय छे, तेवो घोडो तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा कीर्तिनी वृद्धि करे . . एवी रीते अश्वना पुंबमानुं स्वरूप जाणवू. हवे तेनी गतिनुं स्वरूप कहे . जे घोमो स्वारी कर्याथी स्थिर नहीं रहेतां चपलज रहे, तेने उत्तम जातिनो तेजी घोमो जाणवो. जे घोमो तीज़ गतिथी चालतो होय, तेवो घोमो पण उत्तम जातिनो कहेवाय ; तथा ते पोताना स्वामीनी संपत्तिनी वृद्धि करे बे. जे घोमानी गति धीमी तथा खारने कंटालो उपजावनारी होय बे, तेने कनिष्ठ ( हलकी) जातिनो अश्व जाणवो. जे घोमानी गति सुख उपजावनारी होय , तेने उ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #96 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ry ) 4 त्कृष्ट जातिनो अश्व जाणवो. जे घोमाने दोमतां थका शरीरे फेन (फी) आवतां होय, तेने पण उत्तम जातिनो तथा तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करनारो अश्व जाणवो. जे घोमानी तीव्र गतिमां सघला संपूर्ण पगो जमीनने स्पर्श करता न होय, तेने उत्कृष्ट जातिनो अश्व जाणवो. एवी रीते तेनी गतिनुं स्वरूप कयुं. हवे तेना नादनुं स्वरूप कहे बे. जे घोमानो नाद गंजीर होय बे, तेने उत्तम जातिनो अश्व जाणवो; तथा तेवो घोमो तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे घोमानो नाद तीव्र अने जयानक होय वे, तेवो घोमो तेना स्वामीना परिवारनो तुरत नाश करे बे. जे घोमानो नाद सूक्ष्म होय बे, तेने हलकी जातिनो अश्व जाणवो, तेवो घोमो ग्रहण करवाथी नुकशानी थाय बे. जे घोमो वारंवार देषारव करतो होय, तेवो घोमो तेना स्वामीना महत्त्वनो नाश करे बे. जे घोमो क्वचित्ज तथा प्रयाण वखते देषाव करतो होय, तेवो घोको कव्याप तथा लाजने सूचवे बे; तेवो घोको ग्रहण करवाथी राजा च्यादिक विजय मेलवे बे. For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #97 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए) एवी रीते अश्वपरीक्षा समाप्त थ. हवे घोमीनी परीक्षा पण अश्व प्रमाणे जाणवी, पण घोमी पर कल्याण श्वनार मनुष्ये खारी करवी नहीं, केमके घोमी पर स्वारी कर्याथी सामान्य रीते लक्ष्मी तथा राज्य आदिकनी हानि थाय बे; तेने माटे कथा कहे . पूर्वे श्रीवर्धमान नामे नगरमां सत्यसुंदर नामे राजा राज्य करतो हतो, तेने सोमप्रना नामे राणी हती, तथा सुकांत नामे पुत्र हतो. वृद्ध अवस्थामां राजा तथा राणीए दीदा लीधी हती, तेथी राज्य कारनार तेनो पुत्र सुकांत चलावतो हतो. ___ एक दिवसे त्यां रथनुपुर नामना नगरनो सागरदत्त नामनो सार्थवाह केटलाक घोमा तथा घोमीउलश्ने ते नगरमां आव्यो. तेनी पासे एक उत्तम जातिनी घोमी हती, ते तेणे राजाने नेट तरीके आपी; तेथी राजाए खुशी थने तेनुं अर्ध शुल्क ( जगात ) माफ कयु. पड़ी ते व्यापारी पोताना अश्वो त्यां वेचीने तथा घणुं अव्य मेलवीने पोताने नगरे गयो. सुकांत राजा हमेशां ते घोमी पर खार थश्ने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #98 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (ए६) शहेर बहार वनमा फरवा जतो, ते घोसीनी गति अत्यंत सुख श्रापनारी हती; तेथी राजानी ते पर अत्यंत ममता श्रश्, अने तेनुं ते घणी चीवटथी रक्षण करवा लाग्यो. एक दहाडे तेना राज्य पर अयोध्या नगरना सूरसिंह राजाए चडा करी. सुकांत राजा पण पोतानुं लश्कर लश्ने तेनी सामे श्राव्यो; तथा ते बन्ने बच्चे जयंकर रणसंग्राम थयुं, तेमां बन्नेनी सेनाना असंख्य माणसोनो नाश थयो. बेवटे सूरसिंहनुं लश्कर कंटालीने नासवा लाग्यु; त्यारे सुकांत पण पोतानी घोमी पर स्वार थश्ने केटलाक स्वारो सहित तेनी पाउल थयो, तेने पोतानी सेना पागल आवतो जोश्ने सूरसिंहे पोतानी सेनाने हिंमत श्रापीने पानी वाली, तथा सुकांतने पकडीने केद कर्यो; केमके सुकांत जे घोमी पर बेठेलो हतो, ते घोमी सूरसिंहना घोमानो नाद सांजलीने स्तब्ध थइ. पड़ी एवी रीते सुकांतने शत्रुने हाथे केदी थएलो जाणीने तेनी साथेना स्वारो पण नासी गया. पड़ी सूरसिंह सुकांतनुं राज्य लश्ने तेने पोतानी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #99 -------------------------------------------------------------------------- ________________ अयोध्या नगरीमा लश् गयो, तथा त्यां तेने मृत्यु पयंत केदमा राख्यो. ____एवी रीतेजो के सुकांत पोताना कर्मसंयोगे केदमा पड्यो, तोपण तेमां ते घोडी निमित्तरूपे थर, माटे घो. मी पर वारी करवानो श्रीसर्वज्ञ प्रजुए निषेध कह्यो बे. हवे हस्तीनां लक्षणोनुं स्वरूप कहे . 10 जे हस्तीनी पंदर वर्षनी उमरे उंचाइ श्रागला पगथी मामीने तेना स्कंध पर्यंत बसो ने चालीश अंगुलथी मांडीने बसो ने पचास अंगुलनी होय, तेने उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो. जे हस्तीनी ऊंचा बसो ने त्रीश अंगुलथी मामीने बसो ने चालीश अंगुल सुधीनी होय, तेने मध्यम जातिनो हस्तीजाणवो. जे हस्तीनी जंचा तेथी उठी होय, तेने कनिष्ठ जातिनो हस्ती जाणवो, तथा जे हस्तीनी जं. चाइ बसो ने पचास अंगुलथी पण वधारे होय, तेने पण हलकी जातिनो हस्ती जाणवो. जे हस्तीनी लंबाई तेना गंमस्थलथी मामीने पुत्र सुझां बसो ने सीत्तेर अंगुलथी मामीने बसो ने एंशी अंगुल सुधीनी होय, तेने उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो, तथा ७ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #100 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (LUG) तेथी बी अथवा अधिकी लंबाई होय, तो तेने कनिष्ठ जातिनो हस्ती जावो. एवी रीते हस्तीनां सामान्य लक्षणो कह्यां. हवे तेनां विशेष लक्षणो कहे बे. जे हस्तीनो रंग सफेद बरफ सरखो होय बे, तेने अत्यंत उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो, तेवो हस्ती कोइ पुण्यशालीनेज मले बे. तेवा इस्तीनी कथा कहे बे. * पूर्वे सिंहल नामना राक्षस द्वीपमां कूर्मावती नगरीमां राक्षस वंशमां सिंहवाहन नामे राजा राज्य करतो हतो, तेने रुक्मिणी नामनी राणी हती. ते द्वीपमां हाथीर्जनी घणी उत्पत्ति यती. एक दिवसे कोइक हस्तिपालके वनमां फरतां फरतां एक हाथीनुं युथ ( टोलुं ) जोयुं. तेमां एक सफेद रंगना हाथीने ते उपर स्वामीपणुं जोगवतो जोयो. सर्वथी श्रगामी ते हस्ती चालतो हतो, तथा तेनी पाउल बीजा सर्व हस्ती चालता. एवी रीते जोइने ते हस्तिपालके ते वात सिंहवाहन राजाने श्रावीने कही. त्यारे सिंहवाहन राजाए हस्तिविद्यामां कुशल एवा एक निमित्तिखाने बोलावीने तेवा हस्तीनुं For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #101 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (एए) माहात्म्य पूयुं. त्यारे ते निमित्तिए शास्त्रोना श्राधारे कह्यु के हे राजन् ! तेवो हाथी कोइ पुण्यशालीनेज मले बे, श्रने तेवो हाथी राज्यमां श्राववाश्री लक्ष्मी श्रादिकनी अत्यंत वृद्धि थाय . पली राजाए ते निमित्तियाने अव्यथी संतुष्ट करीने विसर्जन कर्यो; तथा केटलाक चतुर हस्तिपालोने ते हाथीने पकमी लाववानो हुकम कर्यो ___ त्यार पड़ी ते हस्तिपालको ते वनमां गया, अने केटलीक युक्तिथी तेने पकमी लाव्या; तथा तेने राजाने सोंप्यो. राजाए फरीने ते निमित्तियाने बोलावीने ते हस्ती देखाड्यो, तथा तेनां लक्षणो जोवा फरमाव्यु. निमित्तिए पण तेने शुन लक्षणोवालो जोश्ने कडं के हे राजन् ! था हस्ती एवां उत्तम लक्षणोवालो डे के जेथी तमारी राज्यलक्ष्मी श्राजथी वृद्धि पामवा लागशे. पनी राजाए पण ते निमित्तिाने श्रमूख्य शिरपाव श्रापीने विसर्जन कर्यो. पनी तेणे ते हस्ती, घणीज चीवटथी रक्षण करवानुं हस्तिपालकोने कह्यु. हस्तिपालको पण तेने घणीज संजालथी राखवा लाग्या; तथा ते दिवसथी राजानी लक्ष्मी पण अत्यंत वृद्धि पामवा लागी: Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #102 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१००) एक वखते ब्रह्मवीपनो रत्नसिंह नामे सार्थवाह केटलांक करीयाणांनां वहाणो जरीने ते सिंहलछीपमा वेपार निमित्ते श्राव्यो, तेणे राजाना दरबारमा ते श्वेत हाथीने जोयो. पनी ते पोतानी वस्तु त्यां वेचीने तथा बीजी अनेक वस्तु त्यांथी पोतानां वहाणोमां नरीने ते पोताना देश तरफ गयो. त्यां ज पोताना राजा अजयसिंहने तेणे जणाव्यु के हे राजन् ! सिंहलद्वीपना राजा सिंहवाहन पासे में एक उत्तम जातिना श्वेत रंगना हस्तीने जोयो बे; तथा ते हस्तीना प्रजावथी तेनी राज्यलक्ष्मी अत्यंत वृद्धि पामेली बे; ते सांजली राजानुं मन ते हस्तीने लेवाने ललचायुं तेथी तेणे पोताना सामंतोने जणाव्युं के जे कोइ ते हस्ती मने लावी थापे, तेने एक लद सोनामोहोरो हुं श्रापीश. ते सांजलीने एक तीबदंम नामना कोटवाले कह्यु के हे राजन्! हुं ते हस्ती बापने लावी आपीश. ते सांजली राजाए हर्षित थश्ने तेने तेम करवानी थाझा थापी. __पनी तीबदंग एक वहाणमां बेसीने सिंहलद्वीप गयो; तथा त्यां एक व्यापारीनो वेष लश्ने नगरमां फरवा बाग्यो. अनुक्रमे तेणे ते हस्तीने जोयो; तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #103 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०१) तेनी रक्षा करनार हस्तिपालने तेणे गुप्त रीते समजाव्युं के जो तुं ते हस्ती मने सोंपे, तो तने हुं दश हजार सोनामोहोरो श्रापीश. हस्तिपालके पण द्रव्यनी लालचथी तेम करवाने कबुल कर्यु, केमके द्रव्यथी योगीनुं मन पण चलायमान थाय बे पढी ते हस्तिपालके तीव्रदंकने कयुं के हुं पण तारी साथेज ब्रह्मद्वीप यावीश, केमके जो पढ़ी हुं हीं रहुं तो राजा मारुं मृत्यु कर्या विना रहे नहीं. तीव्रदंडे पण तेम करवाने कबुल कर्यु. पढी एक दहाडे ते हस्तिपालक ते हाथीने बहार फेरववाना मिषयी समुद्र किनारे लाव्यो. त्यां तीव्रदंडे तैयार राखेला वहाणमां तेणे हस्तीने चकाव्यो, अने पोते ( हस्तिपालक ) पण ते वहाण - मां चमी बेठो. पी तेर्जए गुप्त रीते ते वहाणने हंकारी दीधुं, तथा पवन अनुकूल होवाथी ते तुरत ब्रह्मद्वीपे पहोंच्या. त्यां जइ तीब्रदं राजाने वधामणी श्रापी, राजा पण हर्षित थइने परिवार सहित सामे व्यो. त्यां राजाए ते हस्तीनुं शास्त्रोक्त विधिपूर्वक पूजन कर्यु, तथा मोटा महोत्सवथी तेने नगरमा प्रवेश कराव्यो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #104 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०२) पली राजाए वज्रदंगने एक लद सोनामोहोरो तथा बीजो पण केटलोक शिरपाव आप्यो, तेम हस्तपालकने पण ते राजाए केटबुंक पारितोषिक (इनाम ) आप्यु. ज्यारथी ते हाथी तेना राज्यमा दाखल थयो, त्यारथी तेनी राज्यलक्ष्मी वृद्धि पामवा लागी, अने तेथी ते राजा पोताने कृतार्थ मानवा लाग्यो. हवे श्रही सिंहलछीपना राजाने ते वातनी केटलेक दहामे खबर पमी; तेथी तेणे हस्तीनी तथा हस्तिपालकनी घणी शोध करावी, पण तेनो पत्तो लाग्यो नहीं. तेथी राजा अत्यंत दिलगीर थवालाग्यो, अने ते दिवसथी ते हस्तीना प्रनावथी तेनी वृद्धि पामेली राज्यलक्ष्मी पण नाश थवा लागी. ___ एटलामा त्यां सुनप्रसूरि नामना केवली मु. नि पधार्या, तेमने वांदवाने सिंहवाहन राजा पोताना परिवार सहित गयो. तेमने वंदन करीने ते पोताने उचित स्थानके बेगे. मुनिए पण तेने योग्य जाणीने धर्मनो उपदेश कर्या पली राजाए पोताना हस्तीनो वृत्तांत मुनिने नमस्कार करीने पू. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #105 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०३) व्यो. त्यारे मुनिए पण ते वृत्तांत यथास्थित कही संजलाव्यो. __वली पण मुनिए राजाने कडं के हे राजन् ! ज्यां सुधी तारां पुण्यो सबल हता, त्यां सुधी ते हस्ती तारी पासे रह्यो. हवे ते हस्ती ब्रह्मदीपना राजानां पुण्यथीज जाणे खेंचायो होय नहीं, तेम तेनी पासे गयो , तुं हवे गमे तेटला उपाय करीश, पण ते हस्ती तने मलवानो नथी. वली जे संपदा तेना प्रनावथी तने मली हती, तेमां ते हस्ती तो निमित्त मात्रज हतो, केमके प्राणीने संपदा अने विपदा तो तेनां पुण्योने अनुसारेज मले बे. माटे हवे तारे ते विषे कशो पण शोक करवो नहीं, वली आ नवमां पण जो तुं उत्तम धर्मकार्यों करीश, तो तेथी तने नवांतरमा ते करतां पण अधिक संपदा प्राप्त थशे. ते सांजली राजाने वैराग्य थवाथी तेणे पोताना पुत्रने राज्य सोंपीने दीदा लीधी, तथा शुक मनथी तपस्यापूर्वक चारित्र पालवा लाग्यो, तथा सुनप्रसूरिनी साथेज विहार करवा लाग्यो. अंते शुज ध्यानथी काल करीने बाग्मे देवलोके गयो. तथा त्यांथी चवी अनुक्रमे केटलाक मनुष्यनवो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #106 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०४ ) करीने ते मोके जशे . एम सर्वज्ञ प्रजुए कहेलुं बे. एवी रीते श्वेत रंगना हाथीनुं प्रसंगे दृष्टांत कयुं. जे हाथीनो रंग श्याम होय बे, तेने मध्यम जातिनो हाथी जाणवो. जे हाथीना बन्ने कर्णो अष्टमीना चंद्र सरखा आकारना होय बे, तेने उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो. जे हस्तीना कर्णो त्रुटेला होय बे, तेने कनिष्ठ जातिनो हस्ती जाणवो, तेवो हस्ती तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे बे. जे हस्तीनां गंगस्थलोमाथी मदनी धारा नीकलती होय, तेने उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो, तेवो इस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे हस्तीनां inस्थलो चपटां ने दृष्टिमां यावे तेवां उंचां न होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीनुं मृत्यु निपजावे बे; माटे तेवो हस्ती राजा आदिके ग्रहण करवो नहीं. जे हस्तीनां बन्ने गंगस्थलो पर शंखनां श्वेत रंगनां चिह्नो होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मी वधारीने तेने समस्त पृथ्वीनो स्वामी बनावे बे. जे हस्तीनी सुंढ पर श्वेत रंगनुं कमलना याकारनुं चि - हृ होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी श्रत्यंत वृद्धि करे बे, तथा तेनी कीर्त्ति जगत्मां फे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #107 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०५) लावे जे. जे हाथीनी सुंढ पर त्रिशूलन चिह्न होय बे, तेवो हाथी राज्यलक्ष्मीनो नाश करे बे. जे हाथीना ललाटमां संपूर्ण चंद्र सरखुं श्वेत रंगनुं चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीन महत्त्व वधारे बे. जे हस्तीना बहारना बन्ने दांतो अत्यंत सफेद रंगना तथा अखंम अणीउवाला होय जे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा परिवारनी वृद्धि करे बे. जे हस्तीना आगलना बन्ने दांतो पर फाटो पडेली होय , तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो तथा कुटुंबनो नाश करे . जे हस्तीना बहारना जमणा दांत पर चक्रनुं चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना खामीने राज्यसंपदा मेलवी आपे जे. जे हाथीना आगलना बन्ने पगोमांथी माबो पग जरा नानो होय, तेवो हाथी तेना स्वामीनां संताननो नाश करे जे. जे हाथीनो श्रागलनो जमणो पग मावा पग करतां जरा टुंको होय, तेवो हाथी तेना खामीनुं मृत्यु निपजावे . जे हाथीना पागलना जमणा पगना धुंटण पर वालो उगेला होय , तेवो हाथी तेना खामीनी संपदानो नाश करे बे. जे हाथीना थागलना डावा पगना तलीयामां खामो होय , तेवो हाथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #108 -------------------------------------------------------------------------- ________________ } ( १०६ ) तेना स्वामीने धनरहित करे बे. जे हाथीना श्रागलना जमणा पगमां तलीये स्वस्तिकनुं चिह्न होय बे, तेवो हाथी तेना स्वामीनुं कल्याण करे बे, तथा तेनी लक्ष्मी ने संततिनी वृद्धि करे बे. जे हाथीनी बन्ने आंखो लाल रंगनी लंबगोल तथा नानी होय बे, तेने उत्तम जातिनो दाथी जाणवो; तेवो हाथी तेना स्वामीनी कीर्त्ति तथा लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे हाथीनी आंखो मांजरी, गोल घने मोटी होय बे, तेवो हाथी तेना स्वामीना धन छाने परिवारनो नाश करे बे. जे हाथीना नीचेना जागमां पेट पर कमलना श्राकारनं श्वेत रंगनुं चिह्न होय बे, तेवा हस्ती पर वासुदेवज स्वारी करी शके बे, तथा तेवों हस्ती तेनेज मले बे. जे हाथीना उदर पर धनुष्यनुं चिह्न होय बे, तेवा हाथी पर स्वारी कर्याथी रणसंग्राममां राजाने जय मले बे. जे हस्तीना उदर पर श्वेत रंगनुं शंखना कारनुं चिह्न होय बे, तेनो स्वामी मांगलिक राजा थाय बे. जे हाथीना उदर पर श्वेत रंगनुं चमरने आकारे चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करीने तेने अत्यंत विपत्तिमां नाखे बे. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #109 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०७ ) तेवा हस्तीनी कथा कहे बे. पूर्वे सुवर्णपुर नामना नगरमा धनपाल नामे एक कोटीध्वज वणिक रहेतो हतो. तेने घेर नव क्रोम सोनामोहोरो हती, तथा तेने नगरना लोको कोटीध्वज कही ने बोलावता हता. वली तेनी पासे केटलाक हाथी, घोमा, रथ विगेरे राज्यने लायक घणी वस्तु हती. ते पोते मिथ्यात्वी हतो, पण पूर्वनां पुण्यना प्रबलथी तेने खाटली इंद्धि मली हती. वली तेनी पासे एकसो मोटां मोटां वहाणो हतां, तेनी मारफते ते अनेक देशावरो साथै व्यापार चलावतो. एक दहाडे ते वहाणमां बेसीने व्यापार माटे रत्नद्वीपे गयो. त्यां तेणे पोतानी साथेनो माल वेच्यो, अने तेने घणो लाज थयो. वली त्यांथी पण ते अनेक जातिनां करीयाणां पोतानां वदाणमां नरवानो विचार कर्यो. एटलामां ते द्वीपमां कोक शिलांक नामनो हस्तिपालक केटलाक हाथीउने लइने वेचवा आव्यो. ते हस्तिपाल के धनपालने पोताना हस्तीर्ड बतावीने खरीद करवानुं कयुं. ते हस्तीमांना एक मोटा हस्तीने ते हस्तिपाल के केटलीक कलाई शिखवी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only في Page #110 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०७) हती. हस्ती सुंढमां चामर लश्ने पोताना पर स्वारी करनारने विकतो, तथा तेना पगमां किंकिणी (घुघरीज) बांधवाथी ते नृत्य पण करतो; एवी रीते शिखवीने अनेक कलामां कुशल कर्यो हतो. ते हाथीने जो धनपालनुं मन तेने खरीद करवानुं थयु, श्रने तेना मूख्य विषे तेणे हस्तिपालकने पूज्यु. ते हस्तिपालके तेनुं मूल्य एक लक्ष सोनामोहोरोनुं कह्यु. धनपालने पण ते मूल्य घणुं लाग्युं तोपण ते हस्तीने ग्रहण करवानी श्वाथी तेणे हस्तिपालकनी वात कबुल राखी, अने एक लाख सोनामोहोरो श्रापीने तेणे ते हाथीने पोताना स्वाधीनमा लीधो. पनी तेणे पोतानां वहाणो तैयार करावीने सुवर्णपुर जवा माटे तैयारी करी. ते हाथीने पण बंदर पर लावीने एक वहाणमांचमाव्यो. पळी तेणे सघलां वहाणोने हंकारवानो हुकम कर्यो, तेथी नाविकोए (खलासीए)नांगरो उपामीने वहाणो पर सढो चमाव्या अने तेथी पवनना जोरथी वहाणो पण तीव्र गतिथी चालवा लाग्यां. एवी रीते चालतां थका त्रण दिवसो गया बाद ते हस्तिना प्रनावथी समुख उबली नीकन्यो. पवननुं जोर पण अत्यंत वध्यु, अने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #111 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०५ ) तेथी शेठ तथा सघला नाविको विचारमां पी गया, पण तेवुं तोफान थोडो वखतज रहीने समुद्र शांत थयो. पढी अनुक्रमे ते सुवर्णपुर पहोंच्या. त्यां रत्नद्वीपथी लावेलो माल वेचतां धनपाल शेठने घणीक खोट गइ. एक दहाने ते हाथीनो वृत्तांत त्यांना राजाए सांजल्यो; तेथी तेवी कलावालो ते हाथी लेवाने राजानुं मन अत्यंत ललचायुं, तेथी तेथे धनपालने पोतानी सजामां बोलाव्यो तथा तेनो तेणे आदरसत्कार कर्यो. पढी राजाए तेनी पासेथी ते हस्तीनी मागणी करी; पण धनपालने ते अत्यंत प्रिय हतो, तेथी राजानी ते मागणी स्वीकारवाने तेथे ना पामी, केमके जे जाविज्ञाव थवानो बे, ते प्रमाणेज प्रापीनी मति पण याय बे. एवी रीते पोतानो अनादर थयेलो जोइ राजाने अत्यंत गुस्सो चड्यो, तेथी तेथे धनपालने कारागृहमां ( केदखानामां ) नखाव्यो, तथा तेनी सर्व मिलकत तेणे लइ लीधी, तथा ते हस्ती पण तेथे पोताना स्वाधीनमां लीधो. श्रावी रीतनी पोतानी हालत जोइने धनपालने अत्यंत दिलगीरी पेदा For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #112 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९०) थर, अने तेथी ते रातदहामो शोक करवा लाग्यो. ते केदखानाना रदक पर अगाउ धनपाले केटलोक उपकार को हतो, थने तेथी धनपालने शोकातुर जो तेने तेना पर दया आवी, तेथी तेणे धनपालने कडं के जो तुं आ राज्यनी हद बहार नासी जाय, तो हुँ तने आ केदखानामांथी मुक्त कलं. धनपाले पण राजानु वैर लेवानी बुद्धिथी ते कबुल कयु.. पड़ी एक दहामो रात्रिने समये ते केदखानाना रदके गुप्त रीते छारो उघामीने तेने बुटो को. पठी ते रक्षक तथा धनपाल त्यांथी नासीने श्रानंदपुर नामना नगरमां गया. तथा त्यां वेश पाखटीने सुखेथी रहेवा लाग्या. अहीं ते हाथीनी कला जोश्ने सुवर्णपुरना राजानी तेना पर अत्यंत प्रीति थर, अने तेथी तेने ते जीवितथी पण वधारे गणवा लाग्यो, तथा पोतानो सघलो वखत ते हाथीना रक्षण माटे ते गालवा लाग्यो, अने तेथी राज्यना सामंतो कुतराऊनी पेठे तेनी राज्यलक्ष्मीने नक्षण करवा लाग्या. केटलेक दिवसे धनपाल तथा केदखानानो रदक नासी ग Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #113 -------------------------------------------------------------------------- ________________ यानी राजाने खबर पमी, पण राजाए तेनी शोध करवानी कशी दरकार करी नहीं. अहीं आनंदपुरमा धनपाल तथा रक्षक बन्ने सखेथी रहेता हता, पण धनपालना मनमाथी पोताना शत्रुनुं वैर लेवानी श्बा ग नहीं. तेनी पासे आंगलीमा एक अमूल्य वींटी हती, ते तेणे एक शाहुकारने देखामी, ते शाहुकारे तेनी एक लाख सोनामोहोरो श्रापवानुं कह्यु, धनपाले पण एक लाख सोनामोहोरो लश्ने ते वींटी ते शाहुकारने आपी दीधी. ते नगरमा मदनपताका नामनी एक वेश्या रहेती हती, ते नृत्यकलामां अत्यंत दुशियार हती, तेथी त्यांना राजानी तेना पर बहुज कृपा हती. ते हमेशां राजसनामां जश्ने पोतानी नृत्यकलाथी राजाने थानंद पमाडती हती. धनपाल पण एक दमामो ते वेश्याने घेर गयो, तेना देखावथी तेने पैसादार जाणीने मदनपताकाए पण तेने घणोज श्रादरसत्कार दीधो, केमके वेश्या पोताना स्वार्थ माटे धनवानोने बहुज श्रादरमान थापे बे. धनपाले पण तेणीने एकसो सोनामोहोरो श्रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #114 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९२) पी, तेथी वेश्या तो अत्यंत खुशी थ. पडी ते वेश्याए हाथ जोमीने तेने कयु के हे स्वामिन् ! तमो अहींज रहो, था घर तमारंज बे, एम कही पोतानी दासीने तेणीए उत्तम प्रकारनी रसोश करवानुं कडं. पली वेश्याए पोते धनपालने उष्ण पाणीथी स्नान कराव्युं, अने त्यारबाद तेने षड्रस नोजनथी जमाडीने तृप्त कॉ. पली तांबूल थादिक आप्यां. .. पडी धनपाले तेणीने कडं के मारेराजानी मुलाकात करवी , माटे ते जो तुं करावी श्रापे, तो तने एक हजार सोनामोहोरो हुँ आपीश. वेश्याए पण तेम करवा कबुल कयु. पली बीजे दहा ते वेश्याए धनपालनी राजा साथे मुलाकात करावीआपी, त्यारे राजाए धनपालने आदरमान थापी कह्यु के तमो कोण बो? तथा क्याथी श्रावो को ? धनपाले कयु के अमो व्यापारी बीए, तथा पूर देशथी व्यापार करता करता श्रहीं थापना नगरमां आव्या बीए. पडी राजाए तेने कर्वा के तमोए घणा देशो जोया , तो कंश आश्चर्य जोयुं होय, ते कहो ? त्यारे धनपाले पण अवसर श्रावेलो जाणीने राजाने कह्यु के हे राजन् ! सुवर्णपुरना राजा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #115 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९३) पासे में एक उत्तम हस्ती जोयो , ते हस्ती बहुज कलावान् दे, ते अत्यंत मनोहर नृत्य करे , चामर वीजे बे, विगेरे अनेक कलाठमां ते हुशियार डे, अने तेथी राजा पण रात दहाडो तेने पोतानी पासेज राखे बे, एवो हाथी में कोश् पण जगोए जोयो नथी, एम कहीने धनपाले तो तेनी अत्यंत प्रशंसा करी तथा पडी ते पोताने स्थानके गयो. ते सांजली आनंदपुरना राजानुं मन ते हाथी लेवाने ललचायुं, तेथी तेणे पोताना एक विचक्षण पूतने ते हस्ती लाववा माटे सुवर्णपुर मोकल्यो. ते सुवर्णपुर जश् त्यांना राजाने पोताना खामीनो संदेशो कह्यो, पण राजाए तो तेनो अनादर करीने तेने काढी मेट्यो. पनी ते जूते पण पोताना स्वामी पासे वेगथी श्रावीने सघj वृत्तांत कही संजलाव्यु, तेथी आनंदपुरना राजाने अत्यंत गुस्सो चड्यो. तेणे पोतानी चतुरंगी सेना तैयार करावी, तथा ते लश्ने सुवर्णपुर गयो, सुवर्णपुरनो राजा पण पोताना वहाला हस्ती पर बेसीने तथा पोतानी चतुरंगी सेना लश्ने बहार लमवा माटे श्राव्यो. बन्ने सेना लमवा लागी, तेमां सुवर्णपुरनी सेनामां नंगाण पड्यु, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #116 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११४ ) श्रानंदपुरना राजाए सुवर्णपुरना राजाने मारवा माटे एक बाप बोड्युं, पण ते बाण राजाने नहीं वांगतां ते इस्तीना ललाटमां वाग्युं छाने तेथी ते भूमि पर पड्यो, तथा तेनी नीचे सुवर्णपुरनो राजा पण दबाने मृत्यु पाम्यो. या बनाव जोश्ने श्रानंदपुरना राजाने खेद थयो के जे हस्ती माटे या रणसंग्राम करवो पड्यो ते दस्ती तो मृत्यु पाम्यो. एटलामां ते राजानां पुण्योथीज होय नहीं जेम तेम एक चारणमुनि श्राव्या. तेथे आनंदपुरना राजाने कह्युं के हे राजन् ! ते हस्ती मेलववा माटे तुं खेद नहीं कर, केमके तारां पुण्यना प्रबलथीज तेत्रा हस्तीनो तने मेलाप थयो नयी. ते हस्ती जेनी जेनी पासे गयो, तेनी लक्ष्मीनो नाश थयो बे, एम कही पूर्वनो सघलो संबंध मुनिए राजाने कही संजलाव्यो वली पण मुनिए कह्युं के तेनी जो तारे खात्री करवी होय, तो तेनुं कलेवर तुं तपासजे, के जेना उदर पर श्वेत रंगनुं चमरना थाकारनुं चिह्न दशे, तेवो हस्ती सर्वज्ञ प्रजुए राज्य यादिक लकीनो नाश करनारो कह्यो बे, जो के लक्ष्मी श्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #117 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९५) दिकनो नाश पुण्यना यथीज थाय ने तोपण तेवा हस्ती श्रादिको तेना निमित्तरूपे रहे . ___एटर्बु कहीने आ चारणमुनि पण खस्थानके गया. पली आनंदपुरना राजाए सुवर्णपुरनी गादी पर त्यांना राजाना पुत्रने बेसाड्यो, तथा ते हस्तोना कलेवरनो पण नाश कराव्यो, अने पली पोताने स्थानके गयो. धनपाले पण ते सघलो वृत्तांत जाणीने पोतानी उपकारी वेश्याने तथा रदकने पोतानी पासेनुं धन थापी दीधुं, तथा पोते तापसी दीक्षा लइ अझान तप तपीने पहेले देवलोके गयो. एवी रीते तेवा लक्षणवाला हस्तीनी प्रसंगोपात कथा कही. जे हाथीना पेट पर नीचेना जागमां सफेद रंगर्नु जहाजना ( वहाणना) थाकारनुं चिह्न होय तेवो हाथी तेना खामीने जलपर्यटन करावे , तथा तेथी तेना धननी वृद्धि करे बे; जे हाथीना पेट पर नीचेना नागमां धनुष्यना श्राकार- सफेद रंगनुं चिह्न होय, तेचो हाथी तेना खामीने रणसंग्राममा जय मेजवी थापे .जे हाथीना पेट पर नीचेना जागमा सफेद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #118 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( ११६ ) रंगनुं योनिना श्राकारनुं चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो क्षय करे बे. जे दाथीना पाढलना जमणा पगना साथलमां स्वस्तिकना याकारनुं चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा परिवारनी वृद्धि करे बे. जे हाथीना पाबलना जमणा पगना साथलमां शंखना श्राका रनुं चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीनो वि. जय करावे बे, तथा तेनी कीर्त्तिनी पण वृद्धि करे बे. जे हस्तीना पाबलना जमणा पगना साथलमां देवविमानने आकारे चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मी वधारे बे, तथा तेने धर्मनां कायमां जोडे बे. जे हस्तीना पाउलना जमणा पगना सायलमां श्वेत रंगनुं “” एवा आकारनुं चिह्न " " होय बे, तेवो हस्ती तेना पुण्यवंत स्वामीनी लक्ष्मी तथा परिवारनी वृद्धि करे बे, तथा तेनी कीर्त्तिने था दुनियामां अत्यंत फेलावे बे. 5 तेवा हस्तीनी कथा कहे बे. पूर्वे श्री द्वारिका नामनी नगरीमां कनककेतु नामे राजा इतो; तेने चंद्रमुखी नामे स्त्री हती. ते नगरमां कपिल नामे एक दरिद्री ब्राह्मण रहे तो हतो; Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #119 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९७) तेनी चंमा नामनी स्त्री हती. ते ब्राह्मणने पांच दी. करी तथा त्रण पुत्रो हतां, केमके दरिजीने घरे संतान पण घणां होय . ते ब्राह्मण हमेशां गाममां भिक्षा मागीने अनाज आदिक लावे, अने तेथी केटलीक मुसीबते ते पोतानुं गुजरान चलावे. ते ब्राह्मणनी स्त्री अत्यंत क्रूर वनावनी हती, अने तेथी ते पोताना खामीने हमेशां क्रोध लावीने कती के तारा घरमा आवीने मने कोई पण जातनुं सुख मन्यु नथी. ते सांजली कपिल अत्यंत दिलगीर थतो हतो. ते ब्राह्मणना त्रण पुत्रोमा एक शकर नामनो मोटो पुत्र हतो, तेनी उमर पंदर वर्षनी थ हती. शंकरनो स्व नाव उत्तम हतो, तथा पोते केटलीक विद्या जएयो हतो. एक दिवस तेनी मा तेना पिताने उपको देती हती, ते सांजली शं. करने अत्यंत शोक थयो. पनी कपिल ज्यारे जिदा माटे बहार गयो, त्यारे शंकरे पोतानी माताने नमस्कार करीने कडं के हे माताजी! आपणे अ त्यंत दारजी बीए, अने मारा पिता पोताथी बनती महेनत लेश्ने निदा मागी लावे , अने तुं तेने हमेशां जे उपको थाप्या करे , ते उचित नथी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #120 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११०) पुत्रनां श्रावां वचन सांजलीने ते शंखणी माताए कडं के तुं श्रावमो पंदर वर्षनी उमरनो थयो, तोपण हजु कंश कमातो नथी, माटे मने तारुं मुख बतावीश नहीं. मातानां श्रावी रीतनां श्राक्रोशनां वचनो सांजलीने शंकर अत्यंत दिलगीर थयो, भने कमावा माटे तेणे परदेश जवानो विचार कर्यो.पली कपिल ज्यारे निक्षा मागीने घेर श्राव्यो, त्यारे शंकरे सघलो वृत्तांत तेने गुप्त रीते कह्यो, अने जणाव्यु के हे पिताजी! हुँ हवे धन उपार्जन करवा माटे देशांतर जश्श. ते सांजली कपिले श्रांखोमां आंसु लावी कडं के हे पुत्र!तारी वय हजु परदेश जवाने लायक नथी, पण शंकरे घणो आग्रह करवाथी क. पिले तेने जवानी थाज्ञा थापी. पली कपिले निक्षा मागीने लावेला केटलाक तंडुल (चोखा) तेने रस्तामा पाथेय (नातां) तरिके थाप्या, एवी रीते ते तंडुलनी पोटली बांधीने चालवा लाग्यो, चाखतां चालतां शंकरने रस्तामा सारां शकुनो थयां, तेथी पोताने लान मलवानी था. शाथी ते हर्षित थयो थको धीमे धीमे चालवा लाग्यो. एवी रीते वनमां चालतां थका मध्याह्नकाल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #121 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११५) थियो, तेथी एक नदीना किनारा पर तेणे पोतानो मुकाम कर्यो, आसपास पडेली वृदनी सुकेली मांखली तेणे वीणी लीधी, तथा नदीमाथी निर्मल जल पण पोतानी पासेना एक वासणमां तेणे जरी लीधुं. पळी आसपास पमेला केटलाक पाषाणोने एकग करीने तेणे चूली करी, तथा परी एक जातिना (चकमक) पचरना घसाराथी तेणे श्रग्नि सलगाव्यो. पड़ी ते चूलीमा सुकेली मांखली नाखीने तेणे श्रनि प्रदीप्त कॉ. पनी ते पर तेणे जलयी नरेखं वासण मूक्युं, जल उष्ण थया बाद तेणे पोतानी पोटलीमाथी थोमा तंडुल काढीने तेमां नाख्या. पबी ते तंडुल थोमीज वारमा पाकीने तैयार थया. पली तेणे नदीमा स्नान कर्यु, तथा पठी ते नोजन कर· वानी तैयारी करवा लाग्यो. ___एटलामा एक मासना उपवासी को तपस्वी मु.नि त्यां श्रावी चड्या. शंकरे तेमने जोश्ने नमस्कार कर्यो, त्यारे मुनिए पण तेने धर्मलाजनी श्राशीष आपी, पड़ी शंकरे पोते पकावेला तंमुलमांथी लेवा माटे मुनिने हाथ जोमीने नाव सहित श्राग्रह कर्यो, त्यारे मुनिए पण तेमाथी थोडाक नात ली. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #122 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२० ) धा. पछी नजदीकमां एक वृहनी उथे जश्ने मुनिए तेनो आहार कर्यो. अहीं शंकरे पण वासो साफ करवा माटे केटलुंक जल एक वासणमां जरीने चूली पर उष्ण थवाने मूकी राख्युं, तथा पठी पोते पण जोजन करवा लाग्यो, एवी रीते फक्त चोखानुंज जोजन करीने ते चूली पर मूकेलुं पाणी नीचे उतारीने वासो साफ करवानी तैयारी करवा लाग्यो. एटलामां ते मुनि पण आहार करीने त्यां आव्या. तेमने यावता जो शंकरे विचार्य के था मुनि फरीने चोखा लेवा माटे आवे बे, पण ते तो हवे बे नहीं, एम ते विचारे बे एटलामां मुनि पण तेनी समीप आव्या. त्यारे शंकरे जडकपणाथी कह्युं के चोखा तो हुं सघला नक्षण करी गयो बुं, त्यारे मुनिए कयुंके हे नऊ ! मारे दवे चोखानो खप नयी, पण श्री उष्ण जलनो मने खप बे, माटे जो तने बाधा न पहोंचे, तो तेमांथी थोडुं आप. ते सांजली शंकरे अत्यंत हर्षपूर्वक मुनिना वासणमां मुनिना कहेवा प्रमाणे थोडं जल रेड्यु पछी ते जल सइ मुनि थोडे दूर एक वृक्ष तले जइ बेग; तथा ते जल ठकु थवाथी मुनिए पीइने पोतानी तृषा पूर For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #123 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) करी. एटलामा शंकर पण पोतानां वासणो साफ करीने त्यांची पोतानो सर्व समान बांधीने मुनि पासे श्राव्यो, अने विचार्यु के आवा महात्मा योगी पासेथी आपणने अव्य मेलववानो कंश्क पण मार्ग मलशे. __ पड़ी ते शंकर मुनिनी पासे श्रावीने बेठगे. त्यारे मुनिएं पण तेने पोताना ज्ञानथी नव्य तथा जिनशासननो उद्योत करनारो जाणीने धर्मदेशना श्रापी के हे शंकर! जे प्राणी आ मनुष्यजन्म पामीने धर्मकार्यो कर्या विना पोतानो जव निष्फल गुमावे , ते प्राणी परजवमा अत्यंत दुःखी थाय . पडी शंकरे पण नमस्कार करीने कयु के हेमहात्मन् ! हुं जाणुं के श्री संसारमा मारा जेवो को पण पुःखी नहीं होय. त्यारे मुनिए तेने शांत करवा माटे कयुं के हे शंकर! आ संसारमा ताराथी अनंतगणुं पुःख लोगवनारा घणा प्राणी , तेऊनां कुःख आगल तारुं फुःख तो कंश पण गणतिमां नथी. पली शंकरे हाथ जोमीने मुनिने किनंति करी के हे महात्मन् ! मने अव्य विना आ संसारमा रहीने घणुं कष्ट सहन करवु पडे बे, माटे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #124 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२५) ते अव्य मेलववाने हुं घेरथी देशाटन करवाने नीकल्यो बुं, तोते ऽव्य मने मलशे के नहीं ? ते आप कृपा करी आपना ज्ञानथी कहो. मुनिए पण तेने जव्य तथा जैनशासननो उद्योत करनारो जाणीने कडं के हे शंकर! श्राजथी चोथे दिवसे मध्याह्नकाले अटवीमा एक चंपाना वृद नीचे निमा करीश, ते वखते एक उत्तम लक्षणवालो इस्ती आपीने पोतानी मेले तने सुंढमां लश्ने पोतानी पीठ पर चमावशे. पडी ते इस्ती तने वनस्थली नामना नगर प्रत्ये लइ जशे. ते नगरना राजाने ते हस्ती तुं देखामजे. जेथी तने अत्यंत अव्य मलशे, श्रने ते हस्तीश्री त्यांना सुखपाल नामना राजानी पण लक्ष्मी, परिवार तथा कीर्तिनी वृद्धि थशे. ते हस्तीना पाउलना जमणा पगना साथलमा उँ कारनुं सफेद रंगर्नु चिह्न होशे. ते सांजली शंकरे हाथ जोमीने मुनिने कडं के हे मुनीं ! जो मने जव्य मलशे, तो हुँ तेमांथी अर्धं जैनधर्मनी उन्नति करवामां वापरीश, एम कही तेणे मुनि पासेथी श्रावकने योग्य केटलांक व्रतो उचर्या. .. पनी मुनि पण त्यांथी विहार करी अन्य जगोए Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #125 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) गया. शंकर पाए चोथा दिवसनी राह जोतो थको हर्षित थश्ने आगल चालवा लाग्यो, चोथे दिवसे एक जयंकर वृदोवाली घटवीमां ते जर पहोंच्यो. पोतानी पासेना तंमुल पकावी तथा तेनुं नोजन करीने पासेना एक चंपाना वृद नीचे थाकथी निप्रावश थयो, केमके थाकेला माणसने निझा मिप्रनी पेठे तुरतज आलिंगन करे . . एटलामां तेनां पुण्योधीज जाणे होय नहीं, तेम एक मोटो वनहस्ती त्यां श्रावी पहोंच्यो. तेणे त्यां श्रावी तुरतज शंकरने पोतानी सुंढ वती उपामीने पोतानी पीठ पर चमाव्यो, हाथीनी सुंढनो स्पर्श थतांज शंकर जागी उठ्यो, तथा मुनिनुं सत्य थएबुं वचन याद लावीने अत्यंत हर्षथी जैनधर्मनी अनुमोदना करवा लाग्यो. पनी हस्ती पण धीमे धीमे शंकर सहित आगल चालवा लाग्यो, तथा अनुक्रमे ते वनस्थली प्रत्ये श्राव्यो. मदथी लिप्त थयेल ने गंमस्थलो जेनां एवा ते वनहस्तीने शंकर सहित नगरमा प्रवेश करतो जोश्ने लोको जय पामवा लाग्या, पण तेने शांतपणे चालतो जोश्ने लोको श्राश्चर्य पाम्यां. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #126 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२४ ) पढी अनुक्रमे ते इस्ती राजद्वार आगल यात्रीने उजो रह्यो, तथा पोतानी सुंढ वती धीरेथी शंकरने तेथे बाधारहित नीचे उतार्यो. ते वखते शंकरे तेना पाबलमा जमणा पंगना साथलमां सफेद रंगनुं कारनुं चिह्न जोयुं, अने तेथी तेने जैनधर्म पर अत्यंत श्रद्धा थ. पढी शंकर अगामी राजसजा तरफ जवा लाग्यो, त्यारे ते हस्ती पण तेनी पाबल पाउल जवा लाग्यो. पठी शंकर ज्यारे राजसना आागल पहोंच्यो, त्यारे राजाए तेने सन्मान दइने पूयं के या इस्ती तमो क्यांथी तथा शामाटे लाव्या हो ? त्यारे शंकरे पोतानुं सघलुं वृत्तांत यथास्थित सुखपाल राजाने कही संगवायुं. पबी राजाए हस्ती विद्यामां कुशल एवा पोताना एक ज्योतिषी ने बोलावी ते हस्तीनां लक्षणो तपासी तेनुं फल कदेवानुं कयुं. ते ज्योतिषी पण हस्ती आदिकनां लक्षणणे तपासवामां अत्यंत कुशल हतो, तेथी तेणे हस्तीनां लक्षणो तपासी ने कयुं के हे राजन् ! था हस्ती अत्यंत उत्तम जातिनो बे, थानां सरखां शुभ लक्षणोवालो दस्ती कोइ पुण्यशाली राजानेज मले बे, वली विशेष श्रा For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #127 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२५) हस्तीना पालना जमणा पगना साथलमा डकारनुं सफेद रंगनुं चिह्न , तेथी ते अत्यंत मंगलकारी, ते हस्ती ग्रहण करवाथी तमारी लक्ष्मी, परिवार तथा कीर्तिनी अत्यंत वृद्धि थशे. एवीरीते मारा शास्त्रज्ञानथी मने जणाय जे. राजाए ते सघj सत्य मानीने ते हस्ती शंकर पासेथी ग्रहण कर्यो, तथा तेना बदलामांशंकरने दश लाख सोनामोहोरो राजाए आपी. पठी ते दिवसथी राजानी लक्ष्मी श्रादिकनी अत्यंत वृद्धि थवा मांमी. शंकर पण ते अव्य लश्ने पोताने घेर द्वारिका नगरीमां गयो, त्यां जइ सघ अव्य तेणे पोतानां मातपिताने वाधीन कयु, तथा पोतानो सघलो वृत्तांत पण तेणे कही बताव्यो. तेमाथी अर्धं अव्य तेणे पोताना नियम प्रमाणे जैनधर्मनी उन्नति करवामां वापरवा पोताना पिताने कह्यु, त्यारे कपिले पण अनुमोदनापूर्वक तेम करवा तेने आज्ञा आपी, पण चंगा तो पाटर्बु बधुं अव्य जोश्ने ग्रहिल (मांमी) बनी गइ, अने तेणे शंकरने कयु के तेमांथी कंश पण अव्य जैनधर्म मादे खरचवा दश नहि. तारी मरजी होय तो अव्य खरचीने तुं यज्ञादिक आ. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #128 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५६) पणी ब्राह्मणनी क्रिया कर, पण शंकर तथा कपिलने ते वात रुची नहि, केमके ते बन्ने जैनधर्मना प्रत्यद माहात्म्यथी दृढ सम किती थया हता. पली चंमानी आज्ञा नहीं मानतां तेए ते अव्यमांथी केटलांक जैनप्रासादो, प्रतिमा विगेरे कराव्यां, ते जो चंमा अत्यंत गांमी थर, तथा अंते मृत्यु पामी नरके ग. कपिल तथा शंकर अंते शुद्ध श्रावकधर्म पालीने स्वर्गे गया. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा हस्तीनी कथा कही. । जे हस्तीना पाउलना जमणा पगना धुंटण पर मत्स्यना आकार- चिह्न होय, तेवा हस्तीने लक्ष्मी आदिकनो नाश करनारो जाणवो. जे हस्तीना पालना जमणा पगना धुंटणनी नीचे सफेद रंगनुं शंखने आकारे चिह्न होय, तेने कल्याणकारी जाएवो. जे हस्तीना पाउलना जमणा पगना धुंटणनी नीचे घणा केशो तथा मसो उगेला होय, तेवो हस्ती तेना खामीनु ब मासनी अंदर मृत्यु करे . जे हस्तीना पाउलना मावा पगना साथलमां सफेद रंगनुं चक्रने आकारे चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना खामीने राज्यासन मेलवी आपे ले. जे हस्तीना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #129 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) पाडलना मावा पगनासाथलमां सफेद रंगनुं ध्वजना श्राकार- चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना खामीने रणसंग्राममां जय करावे . जे हस्तीना पालना मावा पगना साथलमा दीपकनी शिखाना श्राकारर्नु सफेद रंगनुं चिह्न होय ,तेवो इस्ती अग्नि आदिकनो जय उपजावे . जे इस्तीना पाबना मावा पगमां सफेद रंगर्नु पाटलना पुष्पना आकारतुं चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना खामीनी अत्यंत लक्ष्मी वधारे जे. जे हस्तीना पालना मावा पगना धुंटण पर घणा मसो उगेला होय, तेवो हस्ती तेना खा. मीना परिवारनो नाश करे . जे हस्तीना पालना मावा पगना धुंटणनी पाउल सफेद रंगनुं त्रिशूलने थाकारे चिह्न होय , तेवो हस्ती तेना खामीने रोगनी उत्पत्ति करे , माटे तेवा हस्तीने पूरथीज तजवो. जे हस्तीना पालना मावा पगना धुंटणनी. नीचे सफेद रंगनुं तीरना आकारनुं विह्व होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने रणसंग्राममां'जय मेलवी आपले. तथा तेनी कीर्ति पण अत्यंत वधारी आपे जे. जे इस्तीना पालना मावा पगनी तली पर मरना थाकार- चिढ़ होय बे, तेवो हस्ती तेना खामीतुं तुः Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #130 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२७) रत मृत्यु निपजावे . जे हस्तीनी पुंडमी पर बिल. कुल वालो न होय, तेवो इस्ती तेना खामीनी ल. दमीनो तुरत क्षय करे , तेमां संदेह नथी. जे ह. स्तीनी पुंडमी पर उपरना नागथीज घणा वालो होय, के जेथी पुंडमीनुं चर्म बिलकुल देखातुं पण न होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीना परिवार तथा धननो नाश करे बे, अने वली तेनी कीर्तिनो पण नाश करे . जे हस्तीनुं पुंबडं नीचे जमीनने स्पर्श करतुं होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा कीर्तिनो नाश करे . जे हस्तीनुं पुंबडं धुंटणथी जरा नीचे रहेतुं होय, तेवो हस्ती तेना खामीनी इद्धिनो वधारो करे जे. जे हस्तीना पुबमामां उपरना नागमां घणा केशो होय, अने बेमा पर बिलकुल वाल न होय, तेवो हस्ती राक्षसनी पेठे कुटुंबनुं जहण करे , अर्थात् कुटुंबनो नाश करे . जे हस्तीना पुंछका परना केशो सफेद रंगना होय, तथा चलकाट करता होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीनी वृद्धि करे डे तथा तेने राजानो कृपा मेलवावी आपे जे.जे हस्तीना पुंठमा पर उपरना जागमां सफेद रंगनो पट्टो होय, तेवो हस्ती तेना खामीनी लक्ष्मीनो नाश Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #131 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १२ ) करे बे. जे हस्तीनी पीउना पाउलना बन्ने जागो पर मत्स्यना या कारनां चिह्नो होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीना सुखने वधारे बे, तथा तेनी कीर्त्ति जगतमां फैलावे बे. जे हस्तीनी पीठना पाबलना बने जागो पर गढ़ाना श्राकारनां चिह्नो होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने रणसंग्राममां शत्रु तरफनो नय उपजावे बे. जे हस्तीनी पीठना पाबलना बन्ने जागो पर ना याकारनां चिह्नो होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने प्रतिवासुदेवनी पदवी मेलवी आपे बे. जे हस्तीनी पीठना पाउलना बन्ने जागो पर सफेद रंगनां देव विमानना यांकारनां चिह्नो होय, तेत्रो हस्ती तेना स्वामीने धर्मकार्यमा जोडे बे, तथा तेनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे हस्तीनी पीठ पर अंकुशना कारनुं चिह्न होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने रणसंग्राममां जय मेलवी पे बे. जे हस्तीनी पीठ पर सफेद रंगनुं कमल सरखुं चिह्न होय बे, तेवो हस्ती तेना स्वामीने स्त्रीउनुं तथा परिवारनुं सुखमेलवी पे बे. जे हस्तीना कुंनस्थलमांथी मद वहेतो होय, तेने उत्तम जातिनो हस्ती जाणवो; तेवो हस्ती ९ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #132 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३०) तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे . जे इस्तीनी पीठ पर विषमता होय, तथा घणा मसो उगेला होय, तेवो हस्ती तेना खामीनी लक्ष्मी तथा परिवारनो पण नाश करे बे. जे हस्तीनी पीठ पर अत्यंत केशो उगेला होय, तेवो इस्ती तेना स्वामीना कुटुंबनो नाश करे . जे इस्तीनी गति विषम होय, तेवो इस्ती धन धान्य आदिकनो नाश करे जे. जे हस्तीनी गति अत्यंत धीमी होय, तेवो हस्ती देशमा उकाल श्रादिकनो जय उपजावे जे.जे हस्ती. नी साधारण गति अत्यंत उतावली होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने शत्रु तरफना संकटमा पाडे . जे हस्ती वारंवार गर्जना करतो होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीना राज्यनो बंश (नाश ) करे बे. जे हस्तीनी गर्जना गंजीर तथा वारंवार न थती होय, तेवो हस्ती तेना स्वामीने रणसंग्राममां विजय मे.लवी थापे , तथा तेनी लक्ष्मी अने परिवार श्रादिकनी वृद्धि करे . जे हस्तिनी गर्जना जयंकर होय बे, तेवो इस्ती तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे . जे इस्तीनी गर्जना तीव्र तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #133 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३१ ) कर्णने कटु लागे तेवी होय बे, तेवो इस्ती तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे बे. एवी रीते दस्तिपरीक्षानुं स्वरूप जाणवुं हस्तिनीनां (दाथणीनां ) लक्षणो पण तेज प्रमाणे जावां; पण ते पर खारी करवानो श्री सर्वज्ञ प्रजुए निषेध करेलो बे, माटे राजा श्रादिके हाथणीउने स्वारी माटे नहीं राखवी. वली हस्ती पण प्रायः राजा आदिकेज खारी माटे राखवा; पण बीजा गृहस्थो वारी माटे राखवा नहीं; केमके हस्ती पर चम्वाने राजाज योग्य बे. हवे गृहस्थोने ग्रहण करवा लायक बलदोनां लक्षणो कहे बे. प्रायः बलद सफेद अथवा लाल रंगनोज ग्रहण करवो, पण श्याम रंगनो कल्याणनी इछावाला गृहस्थोए बलद ग्रहण करवो नहीं. बलदनी उंचाइ यागला पगनी खरीथी मांगीने ककुद सुधांनी ( खुंध सुधीनी ) पंचाएं गुलथी मांगीने एकसो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #134 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३२ ) यांगुल सुधीनी होय, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो; तेथी उठी अथवा अधिकी उंचाई होय, तो तेने कनिष्ठ जातिनो बलद जाणवो. जे बलदनी लंबाई श्रृंगना (शींगमांना ) मूलथी मांगीने पुंढमा सुधां एकसो ने साठ गुलथी मांगीने एकसो ने सीत्तर गुलनी होय, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो; तथा तेथी बी अथवा अधिकी लंबाई होय, तेने कनिष्ठ जातिनो बलद जावो. एवी रीते बलदनां सामान्य लक्षण जाणवां ca dai विशेष लक्षणो कहे बे. जे बलदनां बन्ने शींगमां अर्ध चंद्रना आकार सरखां होय, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो; तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनी वृद्धि करे बे. जे बलदनां शींगमांमां चीरा पमेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मी विगेरेनो नाश करे बे; जे बलदनुं जमणी तरफनुं शींगडुं माबी तरफना शींगमा करतां वधारे मोढुं होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो तुरत नाश करे बे. जे बलदना जमणी तरफना शींगमा पर वालो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा कीर्त्तिनो नाश करे बे. जे ब Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #135 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३३) लदनां शींगमाउनो रंग हाथीना अग्र दांतो सरखो सफेद होय, तेवो बलद तेना खामीनी कीर्ति तथा परिवारनी वृद्धि करे बे. जे बलदना डाबी बाजुना शींगमा पर मसो जगेला होय, तेवो बलद तेना वामीने राजा श्रादिकश्री जय उपजावे . जे बलदना माबी तरफना शींगमा पर सफेद रंगनुं चक्रना थाकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने राज्य आदिकधी लान मेलवी श्रापे बे, तथा तेनी कीतिनी पण वृद्धि करे बे. जे बलदनां बन्ने शींगमांउना मूलमां मसो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे बे; जे बलदनां बन्ने शींगमां वांकां चुंकां होय, तेवो बलद तेना स्वामीना धननी हानि करे , तथा अग्नि श्रादिकनो पण नय उपजावे . जे बलदनां बन्ने शींगमां घणांज टुंका, एटले सोल सोल आंगुलथी पण जंग लांबां होय, तेवो बलद तेना स्वामीने रोग आदिकनो जय उपजावे बे. जे बलदनां बन्ने शींगमां वांकां वतीने परस्पर स्पर्श करतां होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी अत्यंत लक्ष्मी वधारे डे तथा राज्य आदिकमां तेनी कीर्ति फेलावे . जे बलदनां बन्ने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #136 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३४) शींगमांनो रंग चलकता लीला रंगनो होय , तेवो बलद तेना स्वामीने अकस्मात् अत्यंत धननी प्राप्ति करे बे, तथा तेवो बलद को अत्यंत पुण्यशालीनेज मले बे. तेवा बलदनी कथा नीचे प्रमाणे: पूर्वे सौराष्ट्र नामना देशमां वहनीपुर नामना नगरमां सुबंधु नामे राजा राज्य करतो हतो; तेने सुकेशी नामनी शील आदिक अनेक गुणोथी शोनती राणी हती. तेज नगरमां सुननामे धनहीन सुवर्णकार ( सोनी ) रहेतो हतो; तेनी सुकांता नामनी स्त्री हती. ते स्त्री कुलवती होवाथी तेमां सत्य श्रादिक अनेक गुणोए आवीने विश्राम को हतो. सुन धनहीन होवाथी हमेशां शोकातुर रहेतो हतो, पण तेनी स्त्री सुकांता तेने शिखामणो आपीने तेना जीवने शांति आपती हती. ते बन्ने उत्तम तथा जड वनावनां सुशील माणसो हतां. वली तेने जैनधर्म पर अत्यंत श्रद्धा हती. __एक दहाडो ते वदनीपुर नगरमां समंतन नामे आचार्य नविक जीवोरूपी कमलने सूर्यनी पेठे प्रफुलित करता थका आव्या. ते पोताना परिवार सहित नगरनी बहार चंपक वनमा रह्या. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #137 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३५ ) तेने नमस्कार करवा माटे सुबंधु राजा परिवार सहित महोत्सवपूर्वक त्यां गयो नगरना नविक श्रावको तथा श्राविकार्ड पण त्यां श्राव्यां. तेर्जमां सुनद्र तथा सुकांता पण जाव सहित त्यां व्यां हर्ता. ते निर्धन होवाथी सजामां सर्वनी पठामी बेठां दतां; केमके यादरमान धनने अधीन होय बे, पण ज्ञानी एवा श्री समंतन श्राचार्ये तेमने नमस्कार करतां जोइ, जविक जीव जाणीने मोटा शब्दथी धर्मलानी आशीष दीधी. पी आचार्य महाराज देशना देवा लाग्या के हे जव्यप्राणी ! मनुष्यजवने अमूल्य जाणीने तेने धर्मकार्यो विना निरर्थक गुमाववो नहीं, केमके जे धर्मसाधन मनुष्यजवमां थाय बे, तेवुं धर्मसाधन बीजी योनिर्जमां उत्पन्न थवाथी प्राणीउथी बनी शकतुं नथी. एवी ते अनेक प्रकारनो धर्मोपदेश आचार्य महाराजे कर्यो. एवी रीतनो धर्मोपदेश सांजलीने राजा तथा राणी सिवाय सर्व लोको पोतपोताने स्थानके गया. आचार्य महाराजे सुजद्र तथा सुकांताने जे मोटा शब्दथी धर्मलान दीघो हतो, तेथी राजाना मनमां आश्चर्य थयुं हतुं; अने ते विषे आचार्य महाराजने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #138 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३६ ) पूब्वानुं तेने मन थयुं हतुं. सघला लोको गया बाद राजाए हाथ जोगीने आचार्य महाराजने विनंति करी के हे खामिन्! आपे पहेला निर्धन सुवर्णकार तथा तेनी स्त्रीने मोटा शब्दथी शामाटे धर्मलान दीधो ? ते विषे मारा मनमां आश्चर्य थाय बे, माटे आप कृपा करी मने तेनुं कारण जणावशो. ते सांजली श्राचार्य महाराजे कयुं के हे राजन् ! पूर्वे याज नगरमां समुद्रदत्त नामे एक वणिक रहेतो हतो, तेने कल्याणवती नामनी स्त्री हती. वली तेज नगरमा दरिद्रताने वल्लन एवो वल्लन नामनो एक ब्राह्मण रहेतो हतो; तेने समुद्रदत्त साथै मित्रा हती; वजनी स्त्री परण्या पढी तुरतज मृत्यु पामी हती; तेनी पासे फक्त बसो सोनामोहोरो हती; तेथी ते विचार्य के जो हुं देशांतर ज‍ वधारे धन नहीं कमाउं, तो हुं अत्यंत दुःखी यश. एक दहामो श्र नगरमां भृगुकछनो कोइ व्यापारी केटलांक वहाणो लइने वेपार करवा माटे श्राव्यो. तेथे यहीं पोतानां करीयाणां वेचीने तथा बीजां नवां जरीने पोताना देश तरफ पाठा फरवानो विचार कर्यो, ते वखते तेणे वलजीपुरमां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #139 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १३७ ) एवी उद्घोषणा करावी के जेटने रत्नद्वीपे जवुं होय, तेने अमारां वहाणमां वगर जाडे लइ जइशुं, तथा रस्तामां तेर्जने जोजन आदिक पापीशुं. ते उद्घोषणा सांजलीने वल्लने विचार्य के देशांतर कमावा जवा माटे या अवसर ठीक बे; एम विचारी तेथे पोताना मित्र समुद्रदत्तने कयुं के हे मित्र ! हुं या व्यापारीना वहाणमां बेसीने रत्नद्वीपे धन कमावा माटे जश्श; अने या वखते मारी पासे बसो सोनामोहोरो बे, तेमांथी दश सोनामोहोरो ढुं साथे लइ जइश; अने बाकीनी एक सो ने नेतुं सोनामोहोरो हुं तमारी पासे राखी जइशाने ज्यारे हुं पाठो यावीश त्यारे लश्श. समुद्रदत्ते पण ते करवाने कबूल कर्यु. पठी वन तो ते व्यापारीना वहाण पर चमीने रत्नद्वीपे गयो. यहीं समुद्रदत्तने पोताना व्यापारमां घणुं नुक शान थयुं, अने तेथी पोते धनहीन थर गयो; त्यारे ते पोतानी स्त्रीने कयुं के आपणी पासे वजनी जे सोनामोहोरो बे, तेमांथी ते धावतां सुधीमां व्यापार करीए; अने ते आवशे त्यारे तेने सोंपीशुं. ते सांजली कल्याणवतीए कयुं के आप Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #140 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३७) तेम तो कर उचित नहीं; केमके ते आपण पर विश्वास राखीने आपणे त्यां थापण मेली गयो , माटे जोवली पण खोट जाय, तो आपणी कीर्तिनो नाश थाय, अने तेथी आपणने अत्यंत संकट सहन कर, पमे. समुदत्त पण उत्तम जीव होवाथी तेने तेम करवू उचित लाग्युं नहीं. एम करतां केटलाक दिवसो नीकली गया, पण पड़ी तो तेमने नोजन माटे पण संकट पम्वाश्री, तेए ते सोनामोहोरोमांथी व्यापार करवानुं नक्की कर्यु. समुदत्ते एकसो सोनामोहोरोखरचीने केटलांक करीयाणां लीधां; पण तेमां तेने खोट जवाथी तेना अर्ध पैसा उपज्या; तेथी ते बन्ने घणांज शोकातुर थयां. . हवे वहन पण सुखे समाधे रत्नहीपे पहोंच्यो; पण त्यां तेने कंश पण कमावानो रस्तो मल्यो नहीं, तेथी उ मासमां पासेनी दश सोनामोहोरो खरचीने ते पाठो वसनीपुर श्राव्यो; तेणे समुदत्त पासेथी पोतानी सोनामोहोरो मागी; त्यारे समुदत्ते पण पोता पासे जेटली सोनामोहोरो हती तेटली तेने पापीने, आंखोमां अश्रुलावी पोतानुं समस्त वृत्तांत निवेदन कयु. ते सांजली वबनने पण घणी दया Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #141 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३ए) उपजी; तेथी तेणे पोतानी वीश सोनामोहोरो समुजदत्तने आपीने कडं के हे मित्र! तमारी पासे वली ज्यारे धन श्रावे, त्यारे मने श्रापजो; एम कही बाकीनी सोनामोहोरो लश्ने ते पोताने स्थानके गयो. अनुक्रमे ते वीश सोनामोहोरोमांथी व्यापार करतां थका पुण्ययोगे समुदत्तनी पासे एक लाख सोनामोहोरो थर गश पठी तेणे पोताना उपकारी मित्र वबनने बोलावीने तेमांथी पचास हजार सोनामोहोरो पोता पर करेला उपकारना बदलामां श्रापी. ते लक्ष वसन पण आनंद पामतो थको पोताने स्थानके गयो; पठी समुदत्त तथा कल्याणवती पण केटलांक उत्तम धर्मकार्यों करवा लाग्यां, तथा बेक्टे पोतानुं धन सात क्षेत्रोमा खरचीने मृत्यु पामी खर्गे गयां; तथा त्यांथी चवीने आज नगरमां ते सुना तथा सुकांताना नामथी उत्पन्न थयां; तेए परजवमा वचननी थापण राखेली मिलकतमांथी तेना कह्या विना पोताने माटे जे व्यापार को हतो, तेथी तेने आ नवमां थोमा काल सुधी निर्धनता प्राप्त थ बे, पण हवे तेऊनां लोगावलि कर्मोनो अंतराय त्रुटवानो समय श्रावी लाग्यो . तेउँने घेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #142 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४०) एक गाय , तेने पेटे पूर्व नवना प्रेमथी उपकारना बदला निमित्ते वबननो जीव बलदपणे आवीने उत्पन्न थशे, ते बलदना निमित्तथी तेने घणुं व्य मलशे; ते बलद अकस्मात् अत्यंत धननी तेने प्राप्ति करी थापशे, केमके तेनां शींगमांऊनो रंग चलकता लीला रंगनो थशे;तेवा बेलने श्रीअरिहंत प्रजुए थकस्मात् धननी प्राप्ति थवामां निमित्तरूपे कहेलोवली ते बन्ने माणसो नव्यजीवो बे; तेउँने धन मट्या बाद पांच वर्ष पडी ते वैराग्य पामी दीक्षा लेशे, तथा श्रहीथी खर्गे जश, महाविदेहमा उत्पन्न थश्मोदे जशे. एवी रीतनी श्री प्राचार्य महाराजनी वाणी सांजलीने राजा अत्यंत हर्षित थयो थको पोताने स्थानके गयो; पड़ी तेज वखते सुबंधु राजाए सुनअने बोलावी कह्यु के तारी गाय जे बच्चाने प्रसवे, ते बच्चु मने श्रापजे, तेना बदलामा हुँ तने पांच लाख सोनामोहोरो श्रापीश. ते सांजली सुनने तो आश्चर्य थयु, श्रने मनमा विचारवा लाग्यो के राजा कंश्क केफना निशामां बके बे; तेने विचार क. रतो जो राजाए तेने कडं के हे सुन! तुं विचार नहीं कर. हुं जे मारा मुखमाथी बोल्यो बुं, ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only - Page #143 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४१ ) हुं तने श्रापीशज. पढी सुन तो पोताने घेर ज पोतानी स्त्री सुकांताने सघलो वृत्तांत कही संजलाग्यो; सुकांता बहुज विचक्षण हती, तेथी तेणी - ए अनुमान कर्यु के या वातमां कंक पण नेद बेबी तेणीए अनुमान कर्यु के प्राचार्य महाराजे आपण जे जे मोटा शब्दथी धर्मलाज दीधो बे, ते खरेखर कंक पण शुजने सूचवनारो बे, वली आपण सघलां त्यांथी ज्यारे उठ्यां, त्यारे राजा तथा राणी गुरु महाराज पासे बेगं हतां, माटे आपणा विषे गुरु महाराजे कंइक पण तेने क हे लुं होवु जोइए तथा या गायना वत्सनुं पण उत्तम माहात्म्य होवुं जोइए; केमके ते सिवाय राजा तेनी मागणी करे नहीं; पठी थोमाज दिवसो गया बाद ते गाये शुभ लक्षणवाला तथा विशेषमां चलकता लीला रंगना भृंगयुगलवाला एक वत्सने जन्म श्राप्यो; सुन पण ते वृत्तांत राजाने ज‍ निवेदन कर्यो. राजा पण परिवार सहित सुनने घेर आव्यो, तथा श्राचार्य महाराजे कलां लक्षणोवालो तेने जोइने अत्यंत आनंद पावा लाग्यो, तथा जैनधर्मनी अत्यंत प्र शंसा पण करवा लाग्यो. पढी तेणे सुनने पांच Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #144 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४) लाख सोनामोहोरो आपीने ते वत्स तेणे खरीद कर्यो, तथा पोताना राज्यदरबारमा लावी तेनी संजाल माटे तेणे पोताना सुनटोने हुकम कर्यो, सुजटो पण राजानी आज्ञा प्रमाणे घणीज चीवटथी तेनी साल संजाल करवा लाग्या, तथा ते दिवसथी राजानी लक्ष्मी विगेरे पण अत्यंत वृद्धि थवा लागी. ___ अहीं सुवर्णकार पण पोताने अकस्मात् मलेला धनथी आनंदित थश्ने दृढ रीते धर्मकार्यों करवा लाग्यो, पांच वर्ष गया बाद ते सुवर्णकार तथा तेनी स्त्रीए वैराग्य पामीने पोतानुं सघj धन शुज मार्गे खरचीने चारित्र लीधं. केटलांक वर्षों सधी अतिचार रहित चारित्र पालीने बन्ने प्राणी देवलोके गयां, त्यांथी चवीने महाविदेहमा उत्पन्न थश्ने ते मोदे जशे. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही. जे बलदना कपालमां सफेद रंगनुं शंकुना श्राकारनुं चिह्न होय बे, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो, तेवो बलद तेना खामीने राज्य तरफनुं सुख मेलवी श्रापे बे. जे बलदना कपालमां सर्पने आकारे सफेद अथवा लाल रंगनुं चिह्न हाय, तेवो बलद तेना स्वामीने परदेश गमन करावे डे, तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #145 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५३) त्यां तेने अत्यंत संकटमा पाडे जे. जे बलदना कपालमां सफेद रंगनुं पद्मना आकारनुं चिह्न होय बे, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो, तेवो बखद तेना खामीने धननी तथा कीर्तिनी प्राप्ति करावे जे. जे बलदना कपालमां पीला सोनेरी रंगनुं जमरने आकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनी लक्ष्मीनो नाश करे , तथा तेने अत्यंत संकटमा नाखे बे. जे बलदना कपालमां लाल अथवा सफेद रंगनुं शंखना श्राकारनुं चिह्न होय जे, तेको मजद लेना खामीने जलमार्गे पर्यटन करावे , तथा तेने व्यापारमा अत्यंत धन मेलवी अपावे . जे बलदना कपालमां कलशना श्राकार- सफेद रंगनुं चिह्न होय, तेने महामंगलकारी जाणवो, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मी तथा कीर्तिनी वृद्धि करे . जे बलदना कपालमां श्याम रंगनुं मुशलना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो तथा लक्ष्मीनो पण नाश करे . जे बलदना कपालमां सफेद रंगनुं मुशलना आकार- चिह्न होय बे, तेवो बलद अग्नि आदिकनो जय उपजावे , माटे तेवा बलदने तजवो. जे बलदना कपालमा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #146 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४४) काला रंगनुं नोलीयाना श्राकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना खामीने मृत्यु संबंधी जय उपजावे बे. जे बलदना कपालमां लाल रंगनुं धनुष्यना थाकारन चिह्न होय बे, तेवो बलद तेवो स्वामीने राज्यलक्ष्मीनी प्राप्ति करे बे, पण जो ते धनुष्यमां बाण चमावेबुं होय, तो राज्यलदमीनी प्राप्ति करावीने शत्रुने हाथे तेनो संहार करावे . जे बलदना कपालमां लाल रंगनुं पद्म कोशना आकार- चिह्न होय, -तेबो दलद तेना स्वामीनी लदमीनी तथा कीर्तिनी पण अत्यंत वृद्धि करे . जे बलदना बन्ने कानो सीधा उंचा रहेता होय, तथा अणीशुक होय, तेने अत्यंत उत्तम जातिनो बलद जाणवो; तेवो बलद कोइ लाग्यशालीनेजमले ने, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्ति, लक्ष्मी तथा परिवारनी अत्यंत वृद्धि करे ने तथा तेने मृत्यु पर्यंत सुखी अवस्थामा राखे बे. जे बलदनो जमणो कान माबा कानश्री वधारे लांबो होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे बे, अथवा तेने अग्नि आदिकनो नय उजावे . जे बलदना मावा कान पर घणा मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना खामीनां संतानोनो Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #147 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४५) नाश करे बे, तथा राज्य श्रादिकनो तेने नय उपजावे . जे बलदना माबी तरफना कानमा फाटो पडेली होय , तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनो नाश करे . जे बलदना जमणा काननी अंदरना नाग पर सफेद रंगनो लीसोटो होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जलनो जय उपजावे . जे बलदना बन्ने कानो पर उपरना नागमां लाल रंगना लीसोटा होय, तेवो बलद तेना स्वामीने शत्रु तरफनो नय उपजावे , तथा तेने महा संकटमां नाखे . जे बलदनी नासिका पर बिलकुल वाल उगेला न होय, तेवो बलद अत्यंत उत्तम जातिनो जाणवो; तेवो बलद तेना स्वामीने स्त्री तरफनुं सुख वधारी आपे डे, तथा तेनी लक्ष्मीनी पण वृद्धि करे जे. जे बलदना कंपनी नीचे सफेद अथवा लाल रंगनुं चक्रना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लमीनी वृद्धि करे जे. जे बलदनो श्रागलनो जमणो पग मावा पगथी जरा नानो होय, तेवो बलद तेना खामीने नयंकर रोगनी प्राप्ति करे , माटे पोतार्नु श्रेय श्चता माणसे तेवो बलद ग्रहण करवो नहीं. जे बलदनो श्रागलो जमणो पग जरा खोमंगातो होय, १० Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #148 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १४६ ) तेवो बलद तेना स्वामीनुं ब मासनी अंदर मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना श्रागला जमणा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं योनिना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामींना परिवारनो तुरत नाश करे बे. जे बलदना आगला जमणा पगनी जांगमां लाल रंगनुं ध्वजने यकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्त्तिने चारे दिशामा फेलावे बे. जे बलदना श्रगलना जमणा पगनी जांगमां गुलाबना रंग जेवा तथा कोमल वाल होय बे, तेवो बलद वासुदेवनेज प्राप्त थाय बे. जे बलदना आगला जमणा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं त्रिशूलना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीने शत्रु तरफनो जय उपजावे बे. जे बलदना आगला जमणा पगना घुंट पर सफेद रंगनुं शंखना श्राकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्त्तिनो फेलावो करे बे. जे बलदना या गलना जमणा पगना घुटनी नीचे सफेद रंगनुं वलयने आकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने चक्रवर्तीपणानुं राज्य पावे बे. तेवा बलदनी प्रसंगोपात कथा कहे बे. पूर्वे श्राज जंबूद्वीपना जरत नामे देत्रमां कोशल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #149 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४७) नामना देशमां शंखपुरी नामे नगर हाँ; त्यां पद्मशेखर नामे राजा राज्य करतो हतो, ते राजानी पद्मावती नामे राणी हती. तेज नगरमां ते राजानो कुटुंबी रणवीर नामे एक क्षत्री रदेतो हतो. तेने यशोमती नामे स्त्री हती. पद्मशेखर राजाए कंश कारणसर ते रणवीरनो गरास खुंचवी लीधो हतो, श्रने तेथी ते गरीबी हालतमां श्रावी पड्यो हतो. अनुक्रमे यशोमतीने गर्न रह्यो. एक दिवसे शेष रात्रिए चक्रवर्तीने सूचवनारां चौद स्वप्नो यशोमतीए दीवां, पण पोते गरीबी हालतमां होवाथी हमेशा चिंतामांज मग्न रहेती हती, तेथी तेणीए ते स्वमनो वृत्तांत कोश्ने पण कह्यो नहीं. पठी अनुक्रमे समय संपूर्ण थये तेणीए एक महा तेजखी पुत्रने जन्म थाप्यो, तेनुं नाम मातापिताए तेना महा तेजखीपणाने अनुसारे चंजशेखर राख्यु. जेम जेम चंडशेखर मोटो थतो गयो, तेम तेम रणवीरनी संपत्ति पण वृद्धि पामवा लागी. चंद्रशेखर धनुर्विद्या श्रादिक शस्त्रकलाउँमां महा प्रवीण थयो. ____एक दहामो ते शंखपुरी प्रत्ये गुणसूरि नामे के वली महाराज पधार्या, अने नगरीनी बहारना था. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #150 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (380) " वनमां परिवार सहित रह्या. उद्यानपालके जइ राजाने ते वृत्तांत कह्यो; त्यारे राजा पोताना परिवार सहित केवली महाराजने वांदवा माटे श्राव्यो. नगरना पण केटलाक विकलोको त्यां श्रव्या; तेमनी साथे रणवीर पण पोतानी स्त्री यशोमती तथा चंद्रशेखर सहित त्यां आव्यो. केवली महाराजने नमस्कार करी सर्व माणसो पोताने उचित स्थानके बेवां पढी केवली महाराजे पण तेमने अमृ तनी धारा सरखी मधुर धर्मदेशना व्यापी ते धर्मदेशना सांजलीने सर्व लोकोनां मनरूपी कमलो प्रफुलितपणाने पाम्यां पढी केवली महाराजे चंद्रशेखरने चक्रवर्ती थवानो तथा जैनधर्मनी प्रजावना करनारो जाणीने तेना पिता रणवीरने क के हे रणवीर ! श्रा तारो चंद्रशेखर नामनो पुत्र चऋवर्त्ती राजा थशे, तथा ते जैनधर्मनो घणो म हिमा वधारशे. जो के तेना पुण्यप्रबलथीज तेने चऋवर्त्तीपणुं मलशे, तोपण तेने चक्र विगेरेनी रुद्धि प्रात थवामां एक वत्स ( वाबरको ) निमित्तरूपे अशे. ते श्राजथी बठे दिवसे ज्यारे श्रा उद्यानमां फरवा श्रावशे, त्यारे एक गाय एक वत्सने जन्म Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #151 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१४ए) श्रापीने तुरतज कर्मयोगे मृत्यु पामशे, अने तेथी दयाजाव लावीने चंडशेखर ते वत्सने उचकीने पोताने घेर लावशे; ते वत्सना श्रागला जमणा पगना धुंटणनी नीचे सफेद रंगनुं वलयनुं चिह्न होशे, श्रने ते चिह्न चंजशेखरने चक्रवर्तीपणुं सूचवनाकं . पडी राजा तथा रणवीर पण केवली प्रजुने नमस्कार करीने पोतपोताने स्थानके गया. केवली महाराज पण विहार करीने अन्य स्थानके गया. ___ हवे चंडशेखरनुं वृत्तांत सांजलीने पद्मशेखर राजाने अत्यंत आश्चर्य थयु; तेम तेने मनमां जय पण थयो के में रणवीरनो जे गरास खंचवीलीधो ले. तेनुं आ चंडशेखर खरेखर वैर लेशे, श्रने तेथी मारं मृत्यु थशे, पण तेने तेवो वत्स मले डे के नहीं, ते मालुम पड्या बाद श्रापणे तेनो गरास तेने पाबो श्रापीशु, एम विचारी ते बहा दिवसनी राह जोवा लाग्यो. हवे एम करता करतां पांच दिवसो तो नीकली गया, के दिवसे प्रजात कालमां चंद्रशेखर ते आम्रवनमां हमेशनी पेठे फरवा गयो, त्यां एक वृदनी नीचे तेणे एक गायने एक वत्सनोजन्म श्रापती जोश, ते जोश्ने तेने केवली महाराज Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #152 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५० ) वचन याद आव्यं; ते गाय वत्सने जन्म सापीने तुरतज मृत्यु पामी पी चंद्रशेखरे मनमां दया लावीने ते वत्सने उचकी लीधो, तथा तेने ते पोताने घेर लाग्यो. पठी रणवीरे तेना यागला जमणा पगमां घुंटण नीचे सफेद रंगनुं वलय जोइने केवलीनां वचननो वधारे आदरसत्कार करवा लाग्यो. राजाने पण या वृत्तांतनी खबर पमवाथी तेणे रणवीरने बोलावीने यादरमानपूर्वक तेनो गरास तेने सोंपी श्राप्यो अनुक्रमे ते वत्स वृद्धि पामवा लाग्यो, तेनी साथे चंद्रशेखरना घरमां लक्ष्मीनी पण वृद्धि थवा लागी, अने ते धनथी तेथे पोतानुं केटलुंक लश्कर वधार्यु. एक दहाडो तेनी श्रायुधशालामां चकरत्न उत्पन्न थयुं; तथा एवी रीते सघलां रत्नो उत्पन्न थयां पढी तेणे षट्खं पृथ्वी साधी; अने एवी रीते तेवा बलदना लाजथी तेने अकस्मात् चकीपणुं मन्युं अनुक्रमे रणवीर, यशोमती तथा चंद्रशेखर पण धर्मध्यानपूर्वक काल करीने चोथे देवलोके गयां, तथा त्यांथी चवी आज जरत देत्रमां मनुष्यपणे उत्पन्न य5 दीक्षा लइ केवल पामी मोछे गयां. · 8 Jain Educationa International · For Personal and Private Use Only Page #153 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५१ ) एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी प्राप्तिथी यता फलनी कथा कही. बलदना श्रगलना जमणा पगनी खरीना मूलमां सफेद रंगनुं अर्ध चंद्रना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनी वृद्धि करे बे, पण ते अर्ध चंद्र सरखा आकारमां बच्चे फाट पडेली होय, तो ते लक्ष्मीनो नाश करे बे. जे बलदना आगलना गाबा पगनी जांगमां लाल रंगनुं कूर्मना ( काचबाना ) आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीने स्थिर करे बे. जे बलदना आगलना काबा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं बाना याकारं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीने रणसंग्राममां शत्रु तरफथी पराजय पावे बे. जे बलदना अगला माबा पगनी जांगमां लाल रंगनुं दीपकनी शिखाना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामी ने ग्निनो त्रास उपजावे बे. जे बलदना आगला गाबा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं दाना का चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीनुं एक वर्षनी अंदर मृत्यु निपजावे बे, ते वात संदेह विनानी बे. जे बलदना श्रगलना माबा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #154 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५२) पगनी जांगमां सफेद रंगनुं कमलना आकारर्नु चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीने अत्यंत लक्ष्मीनी प्राप्ति करे . बलदना आगलना मावा पगना धुंटणनी पालना नागमां लाल रंगनुं मुशलना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना वामीने घणा सुवर्णनी प्राप्ति करावी आपे . जे बलदना आगलना मावा पगना धुंटण पर लाल रंगनुं कमलना बीज सरखा आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने जलनो जय उपजावे बे. जे बसदना आगलना मावा पगना धुंटणमां सफेद रंगनुं शंखना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने अकस्मात् धननी प्राप्ति करावे . जे बलदना आगलना मावा पगना धुंटणमां सफेद रंगनुं पुष्पना आकारतुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लमीनो नाश करे . जे बलदना आगलना मावा पगना धुंटणनी नीचे लाल रगनुं मुशलना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीन एक वर्षनी अंदर मृत्यु निपजावे .जे बलदना थागलना मावा पगना धुंटणनी नीचे घणा लांबा वालो उगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #155 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५३) जे बलदना आगलना मावा पगनी खरी पर सफेद रंगनुं योनिना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे . जे बलदना आगलना मावा पगनी खरीना मूलमां घणा मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना खामीनी लक्ष्मीनो तुरत नाश करे . जे बलदना श्रागलना डाबा पगनी खरीना मूलमा घणा चीरा पडेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीने राज्य आदिकनो लय उपजावे बे. जे बलदना आगलना बन्ने पगनी खरीनो रंग हाथीदांत सरखो सफेद होय, तेवो बलद तेना स्वामीने व्यापार आदिकमां घणोज लान मेलवावी थापे . जे बलदना आगलना बन्ने पगोनी वच्चे सफेद रंगनुंगदाना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनी वृद्धि करे , तथा तेनी कीर्ति चोतरफ फेलावे जे.जे बलदना आगलना बन्ने पगोनी वच्चेना नागमां लाल रंगनुं अंकुशना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने रोग श्रादिकनो अत्यंत जय उपजावे ; माटे तेवो बलद पोतानुं श्रेय श्बनार गृहस्थोए राखवो नहीं. जे बलदना उदरना नाग पर सफेद रंगनुं पताकाना था Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #156 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५४) कार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्ति फेलावे , पण जो ते पताकाध्वजदंग सहित होय, तो तेवो बलद तेना स्वामीने अखुट लक्ष्मी अकस्मात् मेलवी आपे . तेवा बलदनी प्रसंगोपात कथा कहे बे. पूर्वे श्री मलय नामना देशमां रावती नामे नदीने कीनारे मंगलपुर नामे नगर हतुं. त्यांअजितसेन नामे दत्रिय राजा राज्य करतो हतो. ते राजाने जितप्रजा नामनी राणी हती. तेउने समरसिंह नामनो एक युवान् अने गुणवान् पुत्र हतो. तथा कनकसुंदरी नामे एक महा रूपवती तथा कलाना तो नंमार सरिखी एक पुत्री हती. कनकसुंदरीने युवावस्थामा आवेली जोश्ने राजाए तेना लग्न माटे स्वयंवरमंरुप रचाव्यो, तथा त्यां अनेक देशना राजकुमारोने पधारवाने आमंत्रणो मोकल्या. पड़ी ते सघला राजकुमारो तथा मोटा मोटा करोगपति शाहुकारोना पुत्रो पण त्यां एकग थया. हवे तेज मंडलपुर नगरमां कुलवान् पण धन रहित सुंदर नामनो वणिक रहेतो हतो. तेने कलावती नामे स्त्री हती, तथा तेउने कुमुद नामे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #157 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५५) पुत्र हतो. कुमुद महा खरूपवान् देवकुमार सरिखो हतो. तेम ते पुरुषनी बहोंतेरे कलाउँमा प्रवीण हतो. राजकुमारी कनकसुंदरी तथा कुमुद बन्ने बालपपथी एकज पाठशालामां अभ्यास करतां. बन्नेनी वय पण सरखीज हती. तेने त्यां परस्पर अत्यंत प्रेम बंधायो हतो. कुमुद कनकसुंदरी पर अत्यंत प्रीति राखतो हतो, अने कनकसुंदरी पण तेना पर अतिशय प्रीति राखती हती, तथा ते बन्नेनां मनमां परस्पर लग्न करवानाज विचारो घोलाया करता हता. . हवे स्वयंवरमंझपमा सघला लोकोनी साथे कुमुद पण पोतानी गरीबी हालतने अनुसारे सादो पोशाक पहेरीने गयो, तथा एक खुणामां जश्ने धरना एक मंचा पर ज बेगे. सघला राजकुमारो तथा शेठ शाहुकारोना पुत्रो पण अमूल्य वस्त्र तथा थाजूषणो पहेरीने पोतपोताने उचित स्थानके बेग हता. तेज वखते राजकुमारी पण जाणे देवकुमारीज होय नहीं, तेम मनोहर वस्त्र तथा आभूषणो पहेरीने पोतानी साहेलीनी साथे स्वयंवरमंझपमा आवी पहोंची. तेणीना हाथमा मनोहर रत्नजमित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #158 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५६ ) वरमाला हती. तेणीनुं दिव्य स्वरूप जोइने सघला लोको आश्चर्य सहित मदनबाणना प्रहारथी व्याकुल थवा लाग्या - सघलाउनी दृष्टि तेणीना चंद्र सरखा मुख पर एकी वखते पमवा लागी सघला लोको पोतपोतानां वस्त्र आभूषण विगेरे सारी रीते संजालथी शरीर पर गोठववा लाग्या. पी कुमारीनी साथे यावेली महा चतुर सा हेली एकेक राजकुमार तथा शाहुंकारोना पुत्रो पासे तेणीने लइ जइने तेर्जनां रूप, गुण, कुल, धन, कीर्त्ति विगेरेनुं वर्णन करवा लागी; पण राजकुमारी ते सघाउने विषे कंइने कं पण डूषण काढवा लागी. एवी रीते चालतां थका राजकुमारी कुमुद पासे वी पहोंची. कुमुदना तेजखी स्वरूपने जोइने कनकसुंदरीनां रोमांच प्रेमे करीने प्रफुल्लित थयां; कामदेव पण पोतानो अवसर यावेलो जापीने तेणीने पोतानां बाणोथी प्रहार करवा लाग्यो; अने तेथी ते कंपवा लागी. तेणीना शरीर पर अने मुख्यत्वेकरी तेणीना अर्ध चंद्र सरखा श्वेत कपाल, पर मनोहर मोतीर्जना कण सरखां पसीनानां बिंदुई ऊबकवा लाग्यां. पढी जाणे कामदेवनी प्रे For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #159 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५७) रणाथीज होय नहीं, तेम तेणीए पोताना हायमां रहेली वरमाला कुमुदना नाजुक कंपनी अंदर आरोपण करी. ___ या बनाव जो सघला राजकुमारो तथा शेठ शाहुकारना पुत्री अत्यत कोधातुर थया, तथा हा. हाकार शब्द करवा लाग्या. राजा पण क्रोधातुर थ कनकसुंदरीने कहेवा लाग्यो के हे पुत्रि! तें थावा निर्धन पतिने वरीने मारी कीर्तिनो नाश को. ते सांजली कनकसुंदरीए कह्यु के हे पिताजी! मारो प्रेम जेना पर लाग्यो हतो, ते पति में पसंद कों . कदाच ते धनरहित हशे, तोपण हवे ते मारे मन तो देव तुल्य . राजाए पुत्रीनो थाग्रह जोश्ने कंश पण महोत्सव कर्या विना कुमुदनी साथे तेणीने परणावी. वली तेणे पुत्रीने दायजामा पण कंश् श्राप्यु नहीं. श्राथी कनकसुंदरीनी माताने घणो खेद थयो. तेणीए राजाने कयु के हे स्वामिन् ! तमो कनकसुंदरीने तेणीनी आजीविका चाले तेटवं धन तो जरूर आपो, पण क्रोधना आवेशथी राजाए राणीनुं वचन पण मान्यु नहीं, तेश्री राणी पण हमेशां दिलगीरी सहित रहेवा लागी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #160 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५७ ) दवे कनकसुंदरी अत्यंत प्रेमवाली थइ थकी कुमुदने घेर रहेवा लागी. कनकसुंदरी स्त्रीउनी चोसठे कलामां प्रवीण, महा स्वरूपवती, तथा शील यदि अनेक गुणोने धारण करनारी हती. तेणीनी जैनधर्म पर अत्यंत श्रद्धा हती. श्राविकानां शुद्ध चरणो पालती हती. हमेशां ते जिनमंदिरमां ज‍ शुद्ध जावथी श्री वीतराग प्रजुनी पूजा करती हती तथा धर्मगुरु पासे जइ विनयथी हमेशां धर्मदेशना सांजलती हती. कुमुद पण तेषीनी संगतथी सम्यक्त्व पामीने हमेशां देवगुरुनी जक्ति करवा लाग्यो. धनहीनपणाथी शोकातुर रहेता कुमुदने क नकसुंदरी वारंवार दिलासो आपती; तथा कहेती देवामिन् ! पूर्वे बांधेल एवा लामांतराय कर्मना मलीयांनो ज्यारे नाश यशे, त्यारे लक्ष्मी मारी पेठेज तमोने पोतानी मेले यावीने वरशे. एवी रीते केटलाक दिवसो वीत्या बाद ते नगमां प्रमोदसूरिनामे केवली मद्दाराज पधार्या. तेमनी पासे धर्म श्रवण करवाने नगरना जव्यलोको जवा लाग्या. एक दहाको कनकसुंदरी तथा कुमुद पण त्यां धर्म श्रवण करवाने गयां अत्यंत जावपूर्वक Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #161 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५ए) केवली महाराजने नमस्कार करीने ते त्यां धर्म श्रवण करवाने बेग. केवली महाराजे पण तेउने जावि जव्य जाणीने मधुर ध्वनिथी धर्मदेशना दीधी. ___ धर्मदेशना सांजव्या बाद कनकसुंदरीए हाथ' जोमीने केवली महाराजने विनंति करी के हे प्रनो! था नवमां श्रमारांपूर्वोपार्जित लानांतराय कमनां बंधनो त्रुटशे के नहीं? ते आप कृपा करीने कहेशो. ते सांजली केवली प्रजुए तेमने जैनधर्मनो उद्योत करनारां जाणीने कडं के हे कनकसुंदरि, तारा स्वामीने घेर जे एक उत्तम लक्षणवाला वसनो जन्म थशे, ते वत्सना उदर नाग पर ध्वजदंग सहित सफेद रंगनुं पताकार्नु चिह्न होशे, ते वत्सना जन्मदिवसभी तमारां बन्नेनां लानांतराय कर्मोनो नाश थशे. ___एवी रीतनां केवली प्रजुनां वचनो सांजलीने बन्ने अत्यंत हर्षित थयां थकां पोताने घेर श्राव्यां. केवली महाराज पण अन्य जगोए विहार करी गया. अनुक्रमे त्रण महीना गया बाद केवली प्रजुए कहेला लक्षणवाला एक वत्सनो तेने घेर रहेली गाये जन्म प्राप्यो. ते जोश्ते अत्यंत हर्षित थयां. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #162 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६०) पड़ी ते गायना अशुचि पदार्थोने दाटवा माटे कुमुद नजदीकनी नूमि खोदवा लाग्यो; ते जमीनमां थोडं खोया बाद सोनामोहोरोथी नरेली एक कमा तेणे जोश्. तुरतज तेणे कनकसुंदरीने ते वृत्तांत जाहेर कर्यो. ते जोश कनकसुंदरी कहेवा लागी के हे खामिन् ! केवली प्रजुनी वाणी अन्यथा थायज नहीं. पनी तेए ते कमा काढीने तपासी, तो तेनी अंदरथी एक लद सोनामोहोरो नीकली. पठी ते सोनामोहोरोमांथी व्यापार करतां कुमुदनी पासे करोडो सोनामोहोरो थर. राजा तथा राणीने पण ते वृत्तांतनी खबर पमवाथी ते अत्यंत हर्षित थ जैनधर्मनी अनुमोदना करवालाग्यां; तथा कनकसुंदरी अने कुमुदने पोतानी पासे बोलावीने राजाए पोताना अपराधनी दमा मागी. हवे कुमुद तथा कनकसुंदरी पोता, अव्य शुन मार्गे वापरवा लाग्यां. तेए शत्रुजय श्रादिक तीर्थो पर मनोहर जैनप्रासादो बंधाव्या, तथा जैनधर्मनो अत्यंत महिमा वधार्यो. आवटे राजा राणी, कुमुदनां मातपिता, कुमुद तथा कनकसुंदरीए पण दीदा लीधी. घणा काल सुधी आकरां तपो तपीने ते Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #163 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६१) खर्गे गया. त्यांश्री चवी केटलाक नवोमां नमीने अंते मोक्षपदने प्राप्त थशे. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही. जे बलदना उदरनाग पर श्याम रंगनुं नकुलना (नोलीयाना) श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो तुरत नाश करे बे. जे बलदना उदरनाग पर लाल रंगनुं वीबुना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनो नाश करे . जे बलदना उदरत्नाग पर सफेद रंगनुं कलशना थाकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मी विगेरेनी वृद्धि करे . जे बलदना उदरनाग पर बिलकुल केश नथी होता, तेवो बलद तेना स्वामीने मरणांत कष्टमां पामे बे. जे बलदना उदरनाग पर श्याम रंगनुं शुकना (पोपटना) आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना धन तथा परिवारनो तुरत नाश करे . जे बलदना उदरनाग पर जमणी बाजुना पमखामां लाल रंगनुं शंखना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्तिनी अत्यंत वृफिकरे जे.जे बलदना उदरजाग पर जमणी तरफना पासामां श्याम ११ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #164 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६२) रंगनुं योनिना श्राकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे .जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामां सफेद रंगनुं पुष्पना श्राकारनुं चिह्न होयडे, तेवो बलद तेना वामीने खेतीवामीमांथी अत्यंत अव्य मेलवी श्रापेले. जे बलदना उदरलाग पर जमणी तरफना पमखामा लाल रंगनुं धनुष्यना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने रणसंग्राम श्रादिकमां विजय मेलवी आपे बे. जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पमखामां सफेद रंगनुं पद्मकोशना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेनाखामीने लोजिष्ट करे . जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामा लाल रंगसिंहना नखना श्राकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वा. मीना बीजां पशुऊनो नाश करे . जे बलदना उदरनाग पर जमणी तरफना पासामां सफेद रंगनुं कूर्मना (काचबाना) आकार, सूक्ष्म चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीने जलपर्यटन करावीने अत्यंत धन मेलवी थापे के. जे बलदना उदरजाग पर जमणी तरफना पासामां श्याम रंगनुं मत्स्ययुगलना आकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #165 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६३) स्वामीने जलमार्गना व्यापारमा घणोज फायदो करावी श्रापे . जे बलदना उदरजागमां जमणी तरफना पमखामां पुष्पनी मालाना कारनुं सफेद रंगनुं चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्ति वधारी आपे . जे बलदना उदरजाग पर जमणी तरफना पासामा स्वस्तिकना आकार- चिह्न होय डे, तेवो बलद तेना स्वामीने पुत्रप्राप्ति करावी आपे बे. तेवा बसदनी प्रसंगोपात कथा कहे बे. पूर्वे श्री कांपिलपुर नामना नगरमा मेघवाहन नामे राजा राज्य करतो हतो; तेने मृगावती नामनी राणी हती. तेउ बन्ने जैनधर्म पर अत्यंत श्रद्धा राखतां हतां. तेउनी बंनेनी वय युवावस्थाने उलंगी जवा आवी, तोपण तेने संताननी प्राप्ति थर नहीं; तेथी मृगावती राणी अत्यंत शोकातुर थ यकी विचारवा लागी के अहो ! में पूर्व नवमां को मनुष्य, तिथंच अथवा पदीनां बच्चांनो तेमनां मावापोथी विरह कराव्यो , के जेथी मने श्रा नवमां संताननी प्राप्ति थती नथी. राणीनी पेठे राजा पण अत्यंत दिलगीर थवा लाग्यो. दिवसे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #166 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६४) दिवसे कृष्ण पक्षना चंनी पेठे राजाने कोण थतो जोश्ने महा बुद्धिमान् एवा मतिसागर नामना तेना मंत्रीए राजाने पूज्यु के दे खामिन् ! आपने एवी कर चिंतारूपी पिशाची वलगी डे के जे आपना रुधिरने नक्षण करी जाय ? ते सांजली राजाए पोताने सघलो वृत्तांत मतिसागर मंत्रीने निवेदन कर्यो. ते सांजली मतिसागरे कडं के हे राजन् ! आ नवमां तमो निराधार मनुष्य विगेरे प्राणीउने श्राश्रय आपो, के जेथी तमोने पुत्रप्राप्ति थशे. ते सांनली राजाए मतिसागरने कां के हे मंत्री! तमो नगरमां एवी उद्घोपणा करावो के जे माणसो श्रननां अर्थी होय, तेने राजा अन्न श्रापशे, जे वस्त्रनां अर्थी होय, तेउने राजा वस्त्र श्रापशे, जे स्थाननां अर्थी होय, तेउँने रदेवाने राजा मकान श्रापशे. एवी रीते जेऊने जे कंश जोतुं होय, तेउने ते राजा श्रापशे. पली मतिसागर मंत्रीए पण राजानी आझा मुजब एवी रीतनी उद्घोषणा नगरमां करावी, तथा एक दानशाला स्थापीने निराधार मनुष्योने अन्न वस्त्र Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #167 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६५ ) श्रादिक देवानो प्रारंज कर्यो. वली पशु पक्षी माटे पण घास चारा जल विगेरेनी सामग्री तैयार करावी. वली पण राजाए मतिसागरनी सलाह मुजब जिनमंदिरमां अष्टाह्निक (अाइ ) महोत्सव कराव्यो, तथा जावपूर्वक श्री वीतराग प्रजुनी पूजा करी. एवी रीते शुज मार्गे द्रव्य खरचतां थकां बे वर्षो वीती गयां. एटलामां तेज नगरमां जिनसेन नामे ज्ञानी - चार्य विहारक्रमथी पृथ्वीने पावन करतां थका पधार्या श्राचार्य महाराजे नगरनी बहार कदलीवनमां मुकाम कर्यो. तेमने वांदवा माटे नगरनां लोको त्यां गया, मेघवाहन राजा तथा मृगावती राणी पण रथमां बेसीने परिवार सहित त्यां गयां, तथा सर्व लोको पोतपोताने उचित स्थानके बेसी गया. पी जिनसेन महाराजे पण गंभीर ध्वनिधी देशना दीधी के हे जव्यप्राणी ! या मनुष्यजव पामीने जे प्राणी विषयोनी लोलताथी स्वार्थमांज रक्त रहीने परोपकार करता नथी, ते प्राणी जवांतरमा सुख मेलवी शकता नथी. एवी रीतनी श्राचार्य महाराजनी देशना सांजलीने सर्व लोको पोतपोताने For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #168 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६६) स्थानके गया. सघलां लोको गया बाद मेघवाहन राजा तथा मृगावती राणीए हाथ जोमीने श्राचार्य महाराजने विनंति करी के हे प्रनो! अमोने श्रा जवमां संताननी प्राप्ति केम थती नथी? त्यारे श्राचार्य महाराजे पोताना ज्ञानरूपी चर्तुथी जोश्ने कडं के हे राजन् ! पूर्व नवमां विंध्याचल पर्वतनी अटवीमां तमो बन्ने धणी धणीश्राणी तरीके जिझरूपे उत्पन्न थयां हता. तमारी पासे एक उद्यान हतुं, तेमां नारिंग, दाडिम, थाम्र विगेरे अनेक जातिनां वृदो हता. तेउमा एक म्रना वृक्ष पर एक पोपटना जोडाए श्रावीने निवास कर्यो हतो. अनुक्रमे पोपटडीने गर्न रहेवाथी ते बन्नेए ते वृक्ष पर एक मालो बांध्यो. तेमां संपूर्ण समये पोपटमीए बे इंडांउ मूक्या. अनुक्रमे ते इंमांउ परिपक्क थया बाद तेमांथी बे बच्चा नीकल्यां. एक दानो उद्यानमां फरतां थकां ते माला पर तमारी बन्नेनी दृष्टि पमी; अने तेमां मनोहर बन्ने नानां बच्चाउने जो तेमने पालवानी तमो बनेने श्छा थइ. तेथी तेमनां मात. पितानी गेरहाजरीमा तमो ते बच्चाउने तमारा मकानमां लश् गयां, तथा एक पिंजरामां तेमने केद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #169 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६७ ) कर्या, तथा तेमने खावा माटे तमोए केटलाक पदार्थों ते पिंजरामां मूक्या; पण तेर्जने ते खावानी देव नहीं होवाथी ते कं पण खाइ शक्यां नहीं, पण पोताना सूक्ष्म स्वरथी चींचीं करवा लाग्यां. एटलामां तेमनां मातपिता माला पासे श्राव्यां, पण तेमां पोतानां बच्चाउने नहीं जोश्ने श्रामतेम भ्रमण करवा लाग्यां, तथा तीक्ष्ण स्वरथी पोकार करवा लाग्यां. केटलीक वारे पोतानां बच्चांनो सूक्ष्म स्वर सांजलीने ते ते पिंजरा पासे श्राव्यां, पण त्यां पोतानां बच्चांने पूरायेला जोइने शोकातुर थ‍ खोमांसु पारुवा लाग्यां. बच्चां पण चींचीं शब्द करीने जाणे पोताने बोमाववानी थाजीजी करतां होय नहीं, तेम पोकार करवा लाग्यां. बेवटे ते पोपट तथा पोपटमी ते पिंजरा पर पोतानी चंचुवती प्रहार करवा लाग्यां, पण ते पिंजरं मजबूत सुवर्णनासलीवालुं हतुं, तेथी तेनुं कं पण फाव्युं नहीं. पी तेd बच्चांने माटे लावेलो खोराक पोतानी चांची सली वच्चे राखीने तेर्जने खवराववा लाग्यां, तथा रात दहाको शोकातुर थर पिंजरानी नजदीकमां एक उंचा स्थानक पर रहेवा लाग्यां. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #170 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १६८ ) एम करता करतां दश दिवसो वीती गया, पण तमोने ते वृत्तांतनी मालुम पमी नहीं. एक दहामो तमो उद्यानमां फरीने श्राव्यां, त्यारे ते पोपट तथा पोपटीने तमोए तेमनां बच्चांने चंचुवती खोराक आपतां जोयां. ते जोइ तमारा मनमां अतिशय दया उपजी, ने तमो बन्ने पश्चात्ताप करवा लाग्यां के हो ! श्रापणे कं पण स्वार्थ विना या जीवोने बंदिखानामां नाखी तेउने तथा तेमनां मातपिताने अत्यंत विरहदुःख उत्पन्न कर्यु बे, एम विचारी तमोए तेमने पिंजरामांधी मुक्त कयां पढी ते उमीने पोतानां मातपिता पासे गयां. एटलामां त्यां एक जैन मुनि श्राव्या, तेमनी पासे तमो बन्ने ते बाबतनुं प्रायश्चित्त ग्रहण कर्यु. पी तमोए वैराग्यजावथी ते मुनिनी पासे दीक्षा लीधी, तथा शुद्ध नावथी करूं तप तपीने अंते अनशन करी मृत्यु पामी या नगरमां राजा राणी तरिके उत्पन्न यां. माटे पूर्व जवे तमोए ते पोपटनां बच्चांने जे विरहदुःख उत्पन्न कर्तुं हतुं, ते कर्मना योगे तमोने श्राजदिन सुधी संतानप्राप्ति य‍ नथी, पण पालथी तमोए प्रायश्चित्त लइ जे धर्मध्यान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #171 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६ए) आचर्यु , तेना प्रजावधी तमोने पुत्रप्राप्ति थशे पण तेमां निमित्तरूपे एक बलदनी प्राप्ति थया बाद तमोने पुत्रप्राप्ति थशे. ___ श्राजश्री एक मास पनी आ. नगरमां सौराष्ट्र देशनो एक सार्थवाद केटलाक बलदो वेचवा माटे श्रावशे, तेमां जे बलदना उदरजागमां जमणी बाजुए स्वस्तिकना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तुं खरीद करजे, ते बलद तारे घेराव्या बाद तारी राणी उत्तम गर्नने धारण करशे, तथासंपूर्ण समये उत्तम लक्षणवाला पुत्रने तारी राणी जन्म आपशे. एवी रीतनो वृत्तांत सांजली राजा तथा राणी अत्यंत प्रमुदित थयां थकां श्राचार्य महाराजने वांदीने पोताने स्थानके गयां. श्राचार्य महाराज पण विहारक्रमथी पृथ्वीने पावन करतां थका अन्य स्थानके गया. हवे वीश दिवसो गया बाद ते नगरमा सौराष्ट्र देशनो एक सार्थवाह केटलाक बलदोने लश्ने वेचवा माटे आव्यो. तेनी मतिसागर मंत्रीने खबर पमतां तेणे राजाने जर ते वृत्तांत निवेदन कर्यो. राजाए ते सार्थवाहने बोलावी श्रादरमान दर कह्यु के तमारा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #172 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७० ) बलदोना टोलामांथी मारे एक बलद खरीद करवो बे, तेनुं तमो जे कड़ेशो ते हुं मूल्य आपीश. सावाहे पण विनयपूर्वक कत्युं के हे राजन् ! आपने जे बलद जोइए ते सुखेथी ल्यो, तेना मूल्यनी मने कशी जरूर नथी. पछी राजाए मतिसागर मंत्रीने प्रबन्न रीते कह्युं के जे बलदना उदरनागमां जमणी बाजुए स्वस्तिकना करनुं चिह्न होय, ते बलद आपणे खरीद करवो. पढी मतिसागर मंत्री ते बलदना टोलामां तपास माटे गयो, त्यां उपर कहेला चिह्नवाला एक बलदने तेथे जोयो. ते बलदने मतिसागर मंत्री राजा पासे लइ श्राव्यो, राजा ते बलद माटे सार्थवाहने मूल्य करवानुं कयुं, पण सार्थवादे कंपू पण द्रव्य लेवानी इछा देखामी नहीं. त्यारे राजाए श्रनंदित थने घणा ग्रहथी ते सार्थवाहने एक लक्ष सोनामोहोरो थापी पी ते सार्थवाद बाकीना पोताना बलदोने त्यां वेचीने पाटो पोताने देश गयो. · हवे जे दिवसे ते बलद राजाने घेर श्राव्यो, तेज दिवसे रात्रिशेषे अर्धनिप्रित अवस्थामां राणीने स्वप्न आव्युं के में संपूर्ण चंद्रने मारा मुख द्वारा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #173 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७१ ) उदरमां पेसतो जोयो, प्रजाते तेणीए पोताना खामीने ते स्वप्न निवेदन कर्यु. त्यारे राजाए पण केटला स्वप्नवेत्ताने यादरमानपूर्वक बोलावीने ते स्वप्ननुं फल कदेवाने विनंति करी. स्वप्नपातको पण एक मत करीने कयुं के दे राजन् ! श्राजथी तारी राणीने उत्तम गर्भ रह्यो बे; अने संपूर्ण समये तेषी शुभ लक्षणवाला महा प्रतापी तथा पुण्यशाली पुत्रने जन्म श्रापशे. ते सांजली राजाए हर्षित थने तेर्जने अत्यंत सुवर्णनुं दान प्राप्यं. पी ते स्वप्नवेत्ता पण हर्षित थया थका पोताने स्थानके गया. पढी संपूर्ण समये मृगावती राणीए शुभ लक्षवाला पुत्रने जन्म श्राप्यो राजा पण वधामणी थापनाने लाखो सोनामोहोरोनुं दान आप्युं. पी राजा तेनुं स्वप्नने नुसारे शशिप्रन नाम पाड्यं. पढी ज्यारे ते कुमार युवावस्थाने पामी राज्यने लायक थयो, त्यारे सघलो राज्यकारभार तेने सोंपीने मेघवाहन राजाए, मृगावती राणीए, तथा मतिसागर मंत्रीए जैनी दीक्षा लीधी; तथा तीव्र तप तपीने अनशनपूर्वक ते सघलां देवलोके गयां. Jain Educationa International " For Personal and Private Use Only Page #174 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७२) एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही. जे बलदना उदरलाग पर माबी बाजुए पीला रंगनुं मगरना आकारर्नु चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जलनो नय उपजावे , माटे तेवा बलदने ग्रहण करवो नहीं. जे बलदना उदरत्नाग पर माबी बाजुए घणा लांबा वालो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी स्त्रीनो नाश करे . जे बलदना उदरनाग पर माबी बाजुए घणा मसो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे बे, तथा तेने राज्य आदिकथी नय उपजावे . जे बलदना उदरजाग पर माबी बाजुए सफेद रंगनुं श्रमिनी शिखाना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने अग्निनो जय उपजावे . जे बलदना उदरनाग पर माबी बाजुए लाल रंगनुं अंकुशना थाकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने रोग प्रादिक जय निःसंशयपणे उपजावे . जे बलदना उदरनाग पर माबी बाजुए सफेद रंगनुं योनिना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो तुरत नाश करे बे. जे बलदना उदरनाग पर डाबी बाजुए मरना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #175 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७३) तेना स्वामीने परदेशगमन करावी अत्यंत कष्ट श्रपावे . जे बलदना उदरजाग पर माबी बाजुए लाल रंगनुं बंदरना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने विषयमा लोलुपी करे डे, तथा तेना धन अने परिवारनो नाश करावे . जे बलदना उदरनाग पर मावी बाजुए श्याम रंगनुं पुष्पोनी मालाना आकार, चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना खामीने मदिरा आदिकना उर्व्यसनमा जोमे , पण जो ते पुष्मालानुं चिह्न सफेद रंगर्नु होय, तो तेवो बलद तेना स्वामीने अतिशय धननी प्राप्ति करावे बे, तथा तेनी कीर्तिनो विस्तार करावे . जे बलदना उदरजाग पर माबी बाजुए लाल रंगनुं चक्रना आकार- चिह्न होय तेवो बलद तेना स्वामीने राज्यनी प्राप्ति करावे . जे बलदना उदरनाग पर मावी बाजुए सफेद रंगनुं पत्रना आकारनुं चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्ति फेलावे, तथा तेने लक्ष्मीनो पण लाज अपावे जे. जे बलदना उदरनाग पर माबी बाजुए श्याम रंगनुं तोमना आकारनु चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनु अकस्मात् मृत्यु निपजावे . जे बलदना उदरजाग पर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #176 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७४) मावी बाजुए आम्रफलना श्राकारनुं लाल रंगनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जोजन आदिकनुं अत्यंत सुख मेलवी आपे . जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमा हरिणना श्रृंगना (शिंगमाना) आकार- चिह्न होय, तेवा बलदनी गति अत्यंत चपल होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीने व्यापारमा घणो लाज मेलवी आपे जे. जे बलदना पालना जमणा पगना साथलमां सफेद रंगनुं मुशलना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे , माटे तेवो बलद पोताना परिवारनुं श्रेय वनार गृहस्थोए ग्रहण करवो नहीं. जे बलदना पालना जमणा पगना साथलमां कूर्मना ( काचवाना ) श्राकारचिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं जल आदिकथी रक्षण करे . जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमां लाल रंगनुं गदाना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं तुरत मृत्यु निपजावे , तेमां बिलकुल संशय नथी. जे बलदना जमणा पगना साथलमा दंम सहित उत्रना श्राकारनं चिह्न होय. तेवो बलद तेना स्वामीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #177 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७५) मांगलिक राजा बनावे .जे बलदना पालना जमणा पगना साथलमां श्याम रंगनुं वांदराना थाकार- चिह्न होय , तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनो नाश करे . तेवा बलदनी प्रसंगोपात कथा कहे . पूर्वे श्री नेपाल नामना देशमां गजपुरी नामनी नगरीमां वृषनसेन नामे राजा राज्य करतो इतो, तेने रूपसुंदरी नामे राणी हती. तेज नगरमा सुदत्त नामे एक कोटीध्वज वणिक वसतो हतो. तेनी पासे कोडो गमे सोनामोहोरो इती, तेथी लोको तेने कोटीध्वज कही बोलावता हता. ते शाहुकार अनेक देशावरो साथे पोताना व्यापार चलावतो हतो. ते बहुज गुणवंत तथा परोपकारी हतो. ___ एक दहामो तेणे एक अतिशय पुष्ट एवी एक गाय वेचाती लीधी. ते गाय उत्तम प्रकारनुं पतिशय दूध आपती हती, तेथी सुदत्तनो तेना पर घणो प्रेम हतो. एक दहामो ते गायने गर्न रह्यो. ते जोश्शेग्ने अत्यंत हर्ष थयो, पण ते गर्न रह्या बाद थोडेज दिवसे शेग्ने खबर मली के तेनुं करीयाणांथी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #178 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७६ नरेलुं एक वहाण समुद्रमां मुबी गयुं, पण पोतानी पासे घणुं द्रव्य होवाथी शेठे तेनी कशी पण दरकार करी नहीं. अनुक्रमे संपूर्ण समये ते गाये एक वाबरमाने जन्म प्राप्यो. ते पण शरीरमां घणोज पुष्ट तथा मनोहर स्वरूपवालो हतो, तेथी शेग्नो अतिशय प्यार ते वाबरका पर थयो; पण ते वाबरमाना पाठलना जमणा पगना सायलमां वांदराना आकारनुं श्याम रंगनुं चिह्न हतुं, तेथी ते अशुनने सूचव - नारो हतो, पण शेवने ते वातनी कशी मालुम पमी नहीं, केमके जावि जाव कोथी पण टाली शकाता नथी. ज्यारथी ते वावरडानो जन्म थयो, त्यारथी शेउनी संपत्ति धीमे धीमे बी थवा लागी, पण शेठनो प्यार तो ते गाय तथा वाबरमा पर अतिशय वधवा लाग्यो . त्रण वर्षो वीत्या बाद शेठनी सघली दोलतनो नाश थयो, तथा पोते घणीज गरीबी हालतमां श्रावी पड्यो; पण तेना मनमांथी जैनधर्मनी श्रद्धा गइ नहीं, अने तेथी ते विचारखा लाग्यो के जीवे पूर्वे जेवां कर्मों करेलां बे, तेवांज जवांतरमां Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #179 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १99 ) जोगवां पडे बे, तेमां कशो पण संदेह नथी. एम मानी मनमां खेद लाव्या विना ते पोताना दिवसो गरीबी हालतथी काढवा लाग्यो. एटलामां तेज नगरमां गुप्ताचार्य नामे ज्ञानी महाराज पधार्या; नगरना जविक लोको तेमने वांदवा माटे गया; तेनी साथै सुदत्त शेठ पण गयो. आचार्य महाराजे केटलोक धर्मोपदेश कह्यो; ते सांजा बाद सर्वनी समक्ष सुदत्त शेठे हाथ जोमीने आचार्य महाराजने विनंति करी के हे प्रनो ! में पूर्वे एवं कयुं अंतरायकर्म उपार्जन कर्यु बे ? के जेथी मारी संपत्तिनो विनाश थयो बे. ते सांजली आचार्य महाराजे कयुं के हे सुदत्त ! पूर्व नवे क नामना देशमां जड़ावती नामनी नगरीमां तुं सत्यवादन नामना राजानो पुमाल नामे मंत्री हतो; तुं मिथ्यात्वीनो धर्म पालतो हतो, अने सत्यवादन राजा परम जैनी हतो; तारो स्वभाव परोपकारी हतो; तेथी परने उपकार करवामां तारुं मन यतिशय खेंचातुं हतुं; तं तारुं पोतानुं द्रव्य खरचीने केटलीक दानशाला करावी हती, केलांक पाणीनां नवाणी कराव्यां इतां; पण तुं सघला मिध्यात्वी १२ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #180 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १७८ ) उज दान देतो हतो; अने जैन याचको पर द्वेष राखीने तेने दरमान पण तुं आपतो नहोतो. एक दहाडो सत्यवादन राजानी सजामां बे जैन गंधर्वो वीने मधुर स्वरथी अरिहंत प्रजुना गुणो गावा लाग्या; तेर्जनी संगीतकला साधारण प्रकारनी हती; पण राजाए तेमने पोताना स्वधर्मी जाणीने खुशी यइने दश हजार सोनामोहोरो आपवानुं तने कयुं, पण तने जैनी पर द्वेष होवाथी तें राजाने प्रचन्न रीते कह्युं के हे स्वामिन्! श्राप आजे श्र बन्ने जने दश हजार सोनामोहोरो ज्यारे आपशो, त्यारे तो हवे एवा घणा माणसो यहीं चावीने खोटो कोल करी जिननी स्तुतिनां गायनो गाइने तमारी पासेथी घणुं द्रव्य लइ जशे; धने एवी रीते तो आपणो सघलो जंकार पण खाली थइ जशे; ते सांजली राजाए विचार्य के प्रधान ठीक सलाह पेबे, तेथी तेणे गंधर्वोने कह्युं के तमो आवती काले आवजो; ते सांजली गंधर्वो तो नमस्कार करी चाया गया. पी सजा विसर्जन यया बाद तें सजाना दरवाजा पर रहेला नोकरने दुकम कर्यो के यावती काले या गंधर्वो जो अहीं खावे, तो तेमने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only P Page #181 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ((IL) - अंदर पेसवा देवा नहीं. एवी रीते तेने हुकम करीने तुं तारे स्थानके गयो; बीजे दिवसे पेला गंधर्वो दान मलवानी आशाथी पाठा राजा पासे ववा लाग्या, पण तारा हुकमयी दरवाजा परना नोकरे तेमने अंदर जवा श्रप्या नहीं; तेथी निराश थइने ते पोताने स्थानके गया. राजा पण बीजा राज्यकार्यमा पमी जवाथी गंधर्वोनी वात विसरी गयो. एम करता करतां केटलाक दिवसो वीती गया. पेला गंधर्वो विचार्य के आपने दान आपवामां अंतरायरूप या पुमाल मंत्री थयो बे; माटे तेनो नाश करवानो छापणे कंक पण उपाय शोधवो. एम विचारी क्रोधना श्रावेशयी तेर्जए तापसनुं स्वरूप कर्यु; केमके ते ए विचार्य के पुमाल मंत्री मिथ्यात्वीनो जक्त बे, तेथी आपणा तापसवेशथी ते गाशे अने तेने उगवामां बीजो कोइ पण उपाय नथी. एवी रीते तापसोनो वेश लइने एक दहामो ad बन्ने तेने घेर निक्षा माटे गया; तेमने योगी जाणीने तें आदर सत्कार आपीने निक्षा थापी. त्यारे ते एक के मो परदेशी मुसाफरो बीए, Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #182 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७०) अने तेथी था नगरमां अमोने कोइ पण पीगनतुं नथी; तमारी कीर्ति सांजली अमो अहीं श्राव्या बीए; अमारे श्रावती काले प्रजातमा छारिका तरफ जवु ने, माटे आजनी रात्रि निर्गमन करवा माटे को स्थान प्रापवा महेरबानी करशो. तेउनां एवी रीतनां मिष्ट वचनो सांजलीने तथा तापस जाणीने ते तेमने कडं के हे योगींसो! श्राप खुशीथी आ मारी उरमीमां रात्रिए रहो; अने प्रनाते आपनी श्छानुसारे ज्यां जq होय त्यां जजो. एम कही तेणे पोतानी एक सुंदर उरमी उधामी श्रापी. कपटधारी योगी पण पोतार्नु पोटदुं तेमां मूकी श्रासन बिगवी जपमाला लश कपटपूर्वक जप करवा लाग्या. संध्याकाले तें तेमनी पासे आवी कह्यु के हे महात्मा! तमारे जोजन माटे जे कंश जोए, ते डं मोकली आपुं, तथा कंश वस्त्र पात्रनो पण खप होय ते कहो; ते सांजली कपटी योगीए कह्यु के हे परम जक्त! श्रमो एकज वखत नोजन करीए बीए; तेम अमोने वस्त्र पात्रनो पण कशो खप नथी. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #183 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८१ ) पठी तुं तो पोताने स्थानके जई निद्रावश थयो. मध्य रात्रि के ज्यारे सघला लोको निद्रावश थया, त्यारे तेर्ज बन्ने गुप्त रीते हाथमां बरी लइने तारा आवास पर चरुवा लाग्या, पण तेमने एक पोली खाए जोया; तेथी तेणे ब्रूमो पामीने बीजा पोली आउने जगामी ने तेजने पकमीने बांधी लीधा. एटलामां तुं पण जागी उठ्यो अने खात्री करीने जोयुं तो पेला कपटी योगी तो ते गंधर्वो दता, - एम तने मालुम पड्युं पढी तो क्रोधना आवे - शथी तें तेमने कैदखानामां नाख्या. अनुक्रमे आयुष्य दय थवार्थी ते तारा वैरना डुर्ध्यानथी मृत्यु पामी केटलाक सूक्ष्म जवो करीने या तारे घेर गाय तथा वत्स तरीके उत्पन्न थया. तुं पण त्यांची मृत्यु पामी पूर्व जवमां परोपकारमां धन खरचवाथी या जवमां कोटीध्वज श्रेष्ठी थयो; पण तें पेला गंधर्वोने दान मलवामां जे अंतराय कर्यो हतो, ते अंतरायकर्मना उदयथी तेर्जए वैरजावथी तारेज घेर उत्पन्न थइने तारा द्रव्यनो नाश कर्यो बे; जो के तारां कर्मना संयोगथीज तारा अव्यनो नाश थयो छे, तोपण तेमां निमित्तरूपे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #184 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८२ ) ते वाबरको बे; केमके तेना पाउलना जमणा पगना साथलमां कपिनुं ( वांदरानुं ) चिह्न बे, घने तेवो वाबरडो अथवा बलद ज्यां सुधी तारा घरमां रदेशे, त्यां सुधी तने संपत्ति प्राप्त थशे नहीं, केमके तेवा चिह्नवालो बलद शुजने सूचवनारो बे. आ सघलो वृत्तांत सांजलीने सुदत्त शेठ तथा सघली सजा आश्चर्य पामी पढी सुदत्त शेठे घेर जइ पेली गाय तथा वाबरमाने तुटां करी वनमां बोमी दीघां; तथा त्यां स्वतंत्रपणे ते चरवा लाग्यां. पबी ते सुदत्त शेठे गुप्ताचार्य पासे यावीने दीक्षा लीधी, तथा तीव्र तप तपीने खर्गे गयो. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही. जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमा लाल रंगनुं वलयना याकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना साथलमां सफेद रंगनुं चामरना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने राज्यनुं सुख मेलवी श्रापे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटण पर श्याम रंगनुं सिंहना नखना कारनुं चिह्न होय तेवो बलद तेना स्वा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #185 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १०३ ) मीना परिवार तथा धननो नाश करे बे. जे बलदना पालना जमणा पगना घुंटानी पाउलना जागम जमरना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी स्त्रीर्जनो नाश करे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटण पर एकथी वधारे वली पमती होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जलनो जय उपजावे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंट पर लांबा वालो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनो तुरत नाश करे बे, ते वात संदे रहित बे, माटे वो बलद कोइए पण पोताना श्रेयनी इछाथी ग्रहण करवो नहीं. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे लाल रंगनुं लांबु नकुलना कारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी स्त्री तथा परिवारनो नाश करे बे. जे बलदना पाउलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे सफेद रंगनुं दाडिमना पुष्पना आकारतुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामी ने खेती आदिकथी अत्यंत द्रव्य उपार्जन करावी पे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुटानी नीचे पीला रंगनुं शंखना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #186 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १८४ ) मार्गे पर्यटन करावे बे, तथा व्यापारमां तेने खुट द्रव्य मेलवावी पे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुटानी नीचेना जागमां घणा मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनुं तुरत मृत्यु करे बे. जे बलदना पाउलना जमणा पगना घुटनी नीचे एकथी वधारे करचलीनी वलीउ पकती होय, तेवो बलद तेना स्वामीने असाध्य रोगनी उत्पत्ति करनारो थाय बे, माटे तेवो बलद घरमां राखवो नहीं. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुटानी नीचेना जागमां बिलकुल रूवां उगेलां न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं ब मासनी अंदर निश्चे मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगना घुंटणनी नीचे श्याम रंगनुं क - पोत पक्षीना आकारनं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने अत्यंत सुवर्णनो लाज मेलवी पे बे. जे बलदना पालना जमणा पगनी खरी पर लाल रंगनुं गोल आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे, तथा तेनी कीर्त्ति फेलावे बे. जे बलदना पाबलना जमणा पगनी खरी पर श्याम रंगनुं कागमानी चंचूना आकारनुं चिह्न For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #187 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारमा जयंकर रोगनी उत्पत्ति करे , तथा तेथी घणा माणसोनां मृत्यु निपजे . जे बलदना पालना जमणा पगनी खरीना मूलमा एटला लांबा वाल उगेला होय के जेथी खरी ढंका जती होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनो अग्निथी नाश करे . जे बलदना पाबलना मावा पगना साथलमां सुवर्णना रंग जेवं मयूरना पगना पंजाना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्ति वधारी श्रापे बे. जे बलदना पालना माबा पगना साथलमां सफेद रंगनुं मनुष्यनी नासिकाना श्राकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनु मासनी अंदर मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना पालना मावा पगना साथलमां कलशना आकारनुं लाल रंगनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे बे. जे बलदना पालना मावा पगना साथलमां इंवजना कारनुं श्याम रंगनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी तथा लक्ष्मीनी पण हानि करे जे. जे बलदना पाबलना माबा पगना साथसमां लाल रंगनुं अर्ध चंजना श्राकारनुं चिह्न Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #188 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) होय, तेवो बलद तेना खामीनी संपत्तिनी वृद्धि करे . जे बलदना पाउलना मावा पगना साथलमां सफेद रंगनुं मनुष्यना पंजाना थाकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने चोर श्रादिकनो नय उपजावे .जे बलदना पालना माबा पगना साथलमां श्याम रंगनुं मत्स्यना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनुं जल यादिकना जयश्री रण करे . जे बलदना पाबलना डाबा पगना साथलमांत्रणथी वधारे श्याम रंगना मसो जगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो अग्निथी तुरत नाश करावे बे; माटे परिवार- कल्याण श्वनार गृहस्थोए तेवा बलदने ग्रहण करवो नहीं. जे बलदना पालना काबा पगना साथलमा कूर्मना (काचबाना) मुखना श्राकारनुं अथवा स. पना मुखना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनी स्त्रीनो नाश करे . जे बलदना पालना मावा पगना साथलमां श्याम रंगनुं जवनी श्रेणिना श्राकारर्नु चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना खेती श्रादिकना व्यापारमा वृद्धि करे . जे बलदना पाउलना मावा पगना धुंटण पर त्रिकोणना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #189 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) आकारर्नु चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीनी संपत्तिनो तुरत नाश करे. जेबलदना पालना मावा पगना धुंटण पर लाल रंगनुं वींडीनी घुबमीना थाकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवार- निकंदन काढे बे. जे बलदना पालना मावा पगना धुंटणनी पाउल लाल रंगनां मदिकाना आकारनां बेधी वधारे चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनी वृद्धि करे जे. जे बलदना पाबलना डाबा पगना धुंटणनी नीचे लाल रंगर्नु पाटल नामना वृदना पुष्पना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने अकस्मात् घणुं अव्य मेलवी थापे . जे बलदना पाउलना डाबा पगना धुंटणनी नीचेना जागमा पोपटनी चंचूना श्राकारनुं चिह्न होय , तेवो बलद तेना खामीने राजा श्रादिकनी कृपा मेलवावी श्रापे , तथा तेथी तेनी लक्ष्मीनी पण वृद्धि करावी आपे जे. जे बलदना पालना मावा पगना धुंटणनी नीचेना नागमा काला रंगनुं मुफ्रिकाना आकार- चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामी पर राजानी इतराजी करावे , तथा तेने बंधनयुक्त केदखानामां नखावे . जे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #190 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) बलदना पाबलना माबा पगनी खरी लंबगोल आकारनी होय, तेवो बलद तेना स्वामीने मित्रोनी साथे विरह करावे . जे बलदना पालना मावा पगनी खरी चोखुण आकारनी होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवार- रक्षण करे ,पण जो त्रिकोण आकारनी होय, तो तेवो बलद तेना परिवारनो उलटो नाश करे . जे बलदना पालना माबा पगनी खरी पर मनुष्यनी आंखना आकार- सफेद रंगनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने अंधापार्नु कुःख आपे . जे बलदना पालना मावा पगनी खरी पर लाल रंगनुं उंदरना मुखना आकारचिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने केदखानानुं दुःख आपेले. जे बलदना पाबलना मावा पगनी खरी पर श्याम रंगर्नु वामावर्त चक्रना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे , तथा तेनी कीर्तिनो पण नाश करे . जे बलदना पाउलना मावा पगनी खरी पर घणी फाटो पडेली होय, तेवो बलद तेना खामीने खजनोनो विरह उपजावे .जे बलदना पाबलना मावा पगनी खरीना मूलमां कंकणने श्राकारे लाल रंगनुं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #191 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) चिह्न होय, तेवो बलद तेना निर्धन स्वामीने पण राजकन्या मेलवी आपे , तथा घणी लक्ष्मीनो अकस्मात् रीते तेने स्वामी बनावे बे.. तेवा बलदनी नीचे प्रमाणे प्रसंगोपात कथा कहे . पूर्वे श्रीरत्नवती नामनी नगरीमा सूरसेन नामे राजा राज्य करतो हतो, ते राजाने कीर्तिमती नामनी राणी हती. ते राणी स्वरूपे देवांगना सरखी हती, तेम तेणीमां अनेक गुणोए श्रावीने निवास को हतो. तेउने मदनरेखा नामनी महा स्वरूपवती कन्या हती. ते कन्या युवावस्थाने ज्यारे प्राप्त थक्ष, त्यारे राजा तथा राणीने मनमां चिंता थइ के मदनरेखा युवावस्थाने प्राप्त थक्ष, माटे तेणीना योग्य जरतारनो आपणे शोध करवो. एक दहाडो ते रत्नवती नगरीमां अष्टांग निमित्तने जाणनारो को महा विद्यान निमित्ति श्रावी चड्यो; ते निमित्ति नगरमा घणा लोकोने निमित्त जो देवा लाग्यो, तथा तेनां निमित्तो पण खरां पमवाथी लोको तेने घणो आदरसत्कार तथा व्य देवा लाग्या. ते बाबतनी सूरसेन राजाने खबर पमी, तेथी तेणे पोतानी राणीने कडं के हे प्रिये! श्रा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #192 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१०) पणा नगरमा एक अष्टांग निमित्त जाणनार महा विद्वान् निमित्ति आवेल , माटे जो तारी सलाह होय, तो तेने पूबीए के अमारी मदनरेखा कुमारीनो जरतार कोण थशे ? ते सांजली राणीए कडं के हे स्वामिन् ! श्रापे जे विचार कर्यो , ते बहुज उत्तम . पली राजाए पोताना प्रधानने मोकलीने ते निमित्तिाने सन्नामा बोलाव्यो; राजाए तेने अत्यंत थादरमान दश पूब्युं के हे पंमित! आप आपना झानबलथी कहेशो के श्रमारी पुत्री मदनरेखानो नरतार कोण थशे ? त्यारे निमित्तिए पण पोताना झानबलथी कां के हे राजन्! तमारी पुत्रीनो जरतार एक कुंजारनो पुत्र थशे. ते सांजली राजाने बहुज मावं लाग्युं, तथा पोते बहुज शोकातुर थयो. राजाने शोकातुर थएलो जो निमित्तिए कडं के हे राजन्! तमारे ते माटे शोक करवो लायक नथी; केमके मारा निमित्तमा जे आव्यु बे, ते में कडं बे, अने तेमां बिलकुल फेरफार थर शके तेम नथी. - आवी रीतनुं वृत्तांत सांजलीने राजाने अत्यंत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #193 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (११) क्रोध उस्पन्न थयो, अने पोताना सुनटोने तेणे हुकम कर्यों के आ जूग निमित्तिाने केदखानामां नाखो. सुनटोए पण राजानी आझा मुजब ते बिचारा निरपराधी निमित्तिाने पकमीने केदखानामां नाख्यो. त्यारे निमित्तिए पण विचायुं के अत्यारे तो मारा पर श्रावी बनी बे, पण कल्पांत काले पण माझं निमित्त जूतुं पडे तेम नथी. हवे ते सूरसेन राजानो विपुलमति नामे एक प्रधान हतो. ते प्रधानने एक पुत्र हतो; पण तेने पूर्व कर्मना संयोगे जन्मथीज कुष्टनो रोग थयो हतो; तेथी प्रधान तेने घरनी अंदर पीरीते नोंयरामा राखतो हतो, पण को दहामो तेने राज्यसनामां लावतो हतो नहीं. राजा तेने वारंवार पू. बतो के हे प्रधान ! तमो तमारा पुत्रने अत्रे केम लावता नथी ? त्यारे प्रधान कहेतो के हे स्वामिन् ! ते पोताना विद्यान्यासमांज दिनरात गुजारे ने, तेथी ते अत्रे श्रावी शकतो नथी. एवी रीतना अनेक प्रकारना उत्तरो दश्ने ते राजाने समजावतो. हवे निमित्तिए कहेली वातथी राजानुं मन अत्यंत आकुल थयु; तेथी तेणे राणीनी सलाह लीधी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #194 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) के आपणे मदनरेखाने आपणा प्रधानना पुत्र साथेज परणाववी; त्यारे राणीए पण तेम करवानी संमति आपी. पली राजाए तुरत प्रधानने बोलावी कह्यु के हे विपुलमति ! में मारी पुत्री मदनरेखाने तारा पुत्र प्रत्ये श्रापी; माटे हवे तमो विवाहनी तैयारी करवा मांमो. ते सांजली विपुलमति मंत्री मनमां दिलगीर थयो के हवे श्रापणुं मृत्यु श्रावी लाग्यु; पण वली हिम्मत लावीने तेणे राजाने कह्यु के हे वामिन् ! आपनी देवांगना सरिखी कन्या तो कोश योग्य राजकुमारने परणाववी जोशए; पण राजाए पोतानो आग्रह को पण रीते बोड्यो नहीं. पली मंत्री तो घेर श्रावीने शोकातुर थक्ष विचारमा पडी गयो; तेणे संध्यासमये वायूँ पण न कयु. पली विचार करतां तेणे धायु के हवे तो हुँ ते निमित्तियाने श्रा बाबतनो खुलासो पूढे एम विचारी रात्रिए प्रबन्न रीते गुप्तवेशथी जे जगोए नि. मित्तिाने केद करेलो हतो, त्यां गयो. त्यां पहोरो जरता सिपाश्ने पण तेणे पचास सोनामोहोरो थापी, तेथी तेणे तो खुशी थश्ने तेने निमित्तिश्रा पासे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #195 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१९३) जवा दीधो. त्यां जर तेणे निमित्तिाने सघलो वृतांत खरेखरो निवेदन कर्यो, त्यारे निमित्तिए का के आवती काले प्रजातमा नगरमा पूर्व तरफना दरवाजामां दरवाजो उघमतांज एक बलद पर केटलांक माटीनां वासणो नरीने एक कुंजारनो करो दाखल थशे, तेने तारे पोताने घेर लाववो तथा पड़ी तेनी साथे राजानी पुत्रीनुं तारे लग्न कर. ते सांजली प्रधान तो अत्यंत खुशी थश्ने तुरत पोताने स्थानके पालो थाव्यो. पली तेणे तुरतज पूर्व तरफना दरवाजे पोताना एक खात्रीदार माणसने सघलो वृत्तांत समजावीने मोकट्यो, तथा पली पोते निश्चिंत घश्ने निघावश थयो. .. प्रनाते पेलो माणस ते कुंजारना नोकराने वासणो वेचातां लेवाना मिषथी प्रधानने घेर तेमी लाव्यो. प्रधाने पण पोताना एक माणसने ते वासणो संजाली लेवा कह्यु, तथा तेनुं मूख्य कदेवाने तेणे ते बोकराने कडं. त्यारे ते महा चतुर करे जाण्यु के श्रा को मोटा पैसादार माणस , माटे ते पोतानी मेलेज मने घणुं अव्य आपशे. एम विचारी तेणे कर्वा के श्रापनी खुशीमां श्रावे ते ऽव्य . Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #196 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१ए) मने श्रापजो. पली प्रधाने तो पोताना एक चाकरने हुकम कयों के श्रा कराने एक हजार सोनामोहरो तेनां वासणना मूख्य पेटे श्रापजो, तथा तेने जोजन पण आपणे घेरज करावजो, अने हुं ज्यारे राजसनामांथी पालो आवं, त्यारे तेने मारी पासे तेडी लावजो. एम कही मंत्री तो राजसनामां गयो. पालथी प्रधानना माणसे ते कुंजारना बोकराने एक हजार सोनामोहोरो गणी आपी. ते ल ते बोकरो तो अत्यंत खुशी थयो, अने विचारवा लाग्यो के आज तो हुं को उत्तम प्रकारनांज शुकन जोश्ने आव्यो के जेथी मने मारां वासणोनी एक हजार गणी किंमत मली. पड़ी तेणे पोताना बलदने उत्तम प्रकारनो खोराक तथा घासचारो नाख्यो. पनी प्रधानना माणसे तेने स्नान करावीने चोजन करवा माटे बेसाड्यो. कोइ दिवसे जन्म धरीने पण नहीं चाखेलां एवा उत्तम प्रकारनां जोजननो स्वाद चाखीने आश्चर्य पामी विचारवा लाग्यो के अहो! मने श्रावां उत्तम प्रकारनां जोजन हमेशां मले तो केवु सारूं? । जोजन कर्या बाद प्रधाननो चाकर तेने दिवान Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #197 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) खानामां तेमी गयो. एटलामा प्रधान पण राजसनामांथी श्राव्यो. राजाए पण लग्न माटे तेज दिवस ठराव्यो हतो. तेथी प्रधाने तो आवीने सघली तैयारी करवा मांमी. ते कुंजारना डोकरानुं नाम सारंग हतुं. प्रधाने एक हजामने बोलावीने सारंगर्नु दौरकर्म ( हजामत ) कराव्यु, तथा तेने मनोहर वस्त्र अने आजूषणो आप्यां. सारंग तो कंश पण बोल्या विना आश्चर्य सहित प्रधानना कहेवा प्रमाणे सघj कार्य करतो हतो. संध्याकाले मोटा महोत्सवपूर्वक घोमा पर वार थश्ने ते परणवा चाल्यो, ते वखते सारंगे प्रधानने कयु के मारा बलदनी तमो चीवटथ। साचवण रखावजो, केमके ते मने मारा जीवथी पण वधारे वहालो बे. प्रधाने पण तेना कहेवा मुजब तेना बलद माटे खावापीवा विगेरेनो सर्व प्रकारनो बंदोबस्त कराव्यो. - पड़ी सारंगनो घोमो महोत्सवपूर्वक राजदरबार पासे आव्यो. सारंगनुं मुख चंना सरखं महा तेजस्वी हतुं. राजा पण सारंगने जो अत्यंत दर्षित थश्ने पेला निमित्तिाने धिक्कारवा लाग्यो. पनी शुन लग्नसमये वर कन्यानो हस्तमेलाबो कर्यो. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #198 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १९३) पली मंगल फरती वखते राजाए घणुं अव्य कन्यादानमां प्राप्यु. पनी प्रधान ते वर कन्याने वाजते गाजते पोताने घेर तेमी लाव्यो, तथा ते बन्ने माटे एक जुदो श्रावास काढी आप्यो. त्यां सारंग तथा राजकन्या मदनरेखा अत्यंत प्रेम सहित सुखविलास नोगववा लाग्यां. एम करतां केटलाक दिवसो वीती गया. सारंग पोताना बलदनी हमेशां संजाल लेतो. एक दहामो राजकुमारी तेने पीवा माटे एक माटीना वासणमां निर्मल ठंडं पाणी जरीने लावी. ते वासण जरा पाकवामां काचुं रहेवाथी तेमांथी पाणीनां बिंदु करतां हतां, ते जोश्ने सारंगे पोताना जातिखनावथी कह्यु के श्रा वासण बरोबर पक्क थएवँ नथी, अमो तो अमारे घेर ज्यारे वासणो बरोबर पाके, त्यारेज तेने आग्नमांथी काढीए बीए. - आवी रीतनां सारंगनां वचनो सांजलीने राजकुमारी मदनरेखा तो अत्यंत आश्चर्यमा पमी अने विचारवा लागी के शुं आ जाते कुंजार? अने तेम होय तो शुं निमित्तिश्रानुं कहेलु वचन तो सत्यज थयुं ? Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #199 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१ए) एम विचारी तेणीए घणी जातना शपथ ( सोगंद) दश्ने सारंगने पूज्यु के हे खामिन ! जेनी साथे में पाणिग्रहण कयु बे, एवा आप हवे तो मने देव तुझ्यज डगे, पण आपनी जाति शुंजे? ते कहेवानी कृपा करशो. ते सांजली सारंगे विचार्यु के अहो ! अजाणतां माराथी खानुजवनां वचनो बोला गयां, अने हवे जो हुं मारी जाति गुप्त राखीश, तो खरेखर मारु मृत्यु थशे, अने जो सत्य बोलीश, तो कदाच हुं जगरीश पण खरो. एम विचारी तेणे पोतानो सघलो वृत्तांत यथास्थित निवेदन को. ते सांजली महा चतुर राजकुमारीए वि. चार्यु के अहो! आ जाते तो कुंजार डे, पण ते महा गुणवान् , माटे मृत्यु पर्यंत पण मारे हवे तेने तजवो नहीं अने जे कंश नावि नाव बनवाना होय , तेमां बिलकुल तफावत पमतो नथी. एम विचारी तेणीए सारंगने कह्यु के हे स्वामिन् ! आपे हवे कशा प्रकारनी पण चिंता करवी नहीं. हुं सघलो वृत्तांत मारा पिताने कहीश, तथा तेने सारी रीते सत्य वातथी समजावीश. प्रजाते राजकुमारी पोताना पिताने घेर गश्, तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #200 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( १५० ) • संघलो वृत्तांत पोतानां मातपिताने कही संजलाव्यो. ते सांजली राजाने तो घणी दिलगीरी थर, पण राणी तथा मदनरेखाए तेने समजाव्युं के जे नावि नाव बनवाना होय बे, तेमां कशो पल फेरफार यतो नथी. पी राजा पण शांत थयो. पढी तेणें पेला निमित्तिआने केदखानामांथी बुटो करीने पोतानी पासे बोलाव्यो, तथा केटलुंक यादरमान दइने ते सघलो वृत्तांत निवेदन कर्यो; अने राजाए पोते करेला अपराधनी तेनी पासे माफी मार्गी; तथा तेने एक लाख सोनामोहोरो श्रापी, अने तेने रहेवा माटे पण एक सुंदर मकान तेणे प्राप्युं. पढी विपुलमति प्रधानने तथा सारंगने प बोलावीने राजाए तेमने खरेखरो वृत्तांत कहेवा कयुं; त्यारे तेर्जए पण पोतपोतानो सघलो यथास्थित वृत्तांत कही संजलाव्यो तथा प्रधाने पोताना अपराधनी माफी मागी. राजाए पण तेने कह्युं के दे विपुलमति ! जे कं जावि जाव बनवाना होय बे, तेमां कं पण फेरफार थर शकतो. नथी. पढी राजाए निमित्तियाने पूयं के दे विच - रूप ! आ सारंगने आवी रीते अकस्मात् राजकन्या For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #201 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१एए) तथा इति मलवानो शुं हेतु ले ? त्यारे निमित्तिए पण पोताना निमित्तानथी जोश्ने कडं के हे राजन् ! था सारंग पासे जे बलद , ते ब. लदना पाउलना मावा पगनी खरीना मूलमा लाल रंगनुं कंकणना आकारनुं चिह्न , तेवो बलद पोताना स्वामी एवा निर्धन प्राणीने पण अकस्मात् राजकन्या तथा लक्ष्मी मेलवी- अपाववामा निमित्तरूपे थाय . जो के ते सघर्बु तेना पुण्यसंयोगे मले, तोपण तेवो बलद तेमा निमित्तरूपे श्री वीतराग प्रजुए कहेलो . • पनी राजाए ते बलदने त्यां मगावीने निमित्तिथाना कहेवा प्रमाणे खात्री करीने जोयुं तो तेवा चिह्नवालोज ते बलद हतो. पली राजाए ते निमित्तिए कहेला विधिपूर्वक ते बलदनुं पूजन कयु.. , ते सूरसेन राजाने कंश पण संतान नहोतुं, तेथी तेणे पोताना जमाइ सारंगनेज राज्यगादी आपवानो निश्चय कर्यो. तेणे मोटा महोत्सवथी एक सुवर्णमय रंगमंम्प रचाव्यो, तथा तेमां सिंहासन मंडाव्यु.सघला खजनवर्गने बोलावीने तेणे सारंगने राज्याभिषेक कर्यो, तथा सघलो राज्यकारनार Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #202 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२००) तेणे सारंगने सोंपी दीधो. सारंग पण महा बुद्धिमान् तथा गुणवान् हतो. राज्य मव्या बाद सारंगे पोतानां मातपिता विगेरे कुटुंबीने बोलावीने सघलो वृत्तांत निवेदन कर्यो. ते सांजली ते अत्यंत आश्चर्य पाम्यां, तथा त्यां सुखेथी रदेवा लाग्यां. एक दिवसे ते नगरमां चंजसूरि नामे जैनी आचार्य पधार्या, तेमनी पासे राजा, राणी तथा प्रधाने वैराग्यथी दीदा लीधी, तथा गुरुनी साथे विहार करी अन्य स्थानके गया. एवीरीते तेवा चिह्नवाला बलदना प्रतापथी सारंग नामना कुंजारना निर्धन बोकराने पण श्र. कस्मात् राजकन्या तथा राज्यलक्ष्मीनी प्राप्ति थवानी प्रसंगोपात कथा कही. जे बलदना पुबमामां एटला बधा लांबा वाल होय के जेथी ते पुंगडुं जमीनने श्रमकतुं होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवार तथा धननो नाश करे बे. जे बलदना पुबमामां बिलकुल वाल न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो नाश करे , तथा तेने राज्य आदिकनो नय उपजावे . जे बबदना पुंबमामां तेना मूलथीज वाल होय,तेवो बलद Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #203 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०१) तेना स्वामीना संताननो नाश करे बे. जे बलदना पंजमामां सफेद तथा लाल रंगना पटा होय. तेवो बलद तेना खामीनी लक्ष्मीनो वधारो करे . जे बलदना पुंडमामां वालो अतिशय कर्कश होय, तेवो बसद तेना स्वामीना परिवारमा नयंकर रोगनी उत्पत्ति करे . जे बलदना पुंजमाना मूलमां घणा मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना खामीने अग्नि श्रादिकनो जय उपजावे , तथा तेनी लक्ष्मीनो पण नाश करे जे. जे बलदना पुंडमानो डेमो तेना धुंटणथी पण उँचो रहेतो होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो रोग आदिकथी नाश करे , तथा तेनी लक्ष्मीनो पण प्रायः नाश करे बे. जे बलदना पुंडमाना वाल चलकता श्वेत रंगना होय, तेवो बलद तेना स्वामीने लक्ष्मी तथा परिवार विगेरेनी वृद्धि करी आपे बे. जे बलदना पुंजमाना वाल काला रंगना होय, तेवो बलद तेना स्वामीने पिशाच आदिकनो उपभव करावे . जे बलदनुं पुं मुमरडाएटुं होय, तेवो बलद तेना खामीनुं अकस्मात् मृत्यु निपजावे . जे बलदनुं पुंबडं अति स्थूल ( जाडु) होय, तेवो बलद तेना स्वामीने Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #204 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०५) खेती श्रादिक व्यापारमा घणुं नुकशान करे जे. जे वलदनुं पुरडं अतिशय कृश (पातQ ) होय, तेवो बलद तेना खामीनी लक्ष्मी तथा परिवारनो पण नाश करे . जे बलदना पुंडमामां उपरना नागमा वाल होय अने माना नागमा वाल न होय, तेवो बलद तेना. स्वामीनी संपत्तिनो तुरत विनाश करे . जे बलदना पुंडमाना मूल आगल श्वेत रंगनुं वलयना आकारनं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीने चक्रवर्तीपणानुं राज्य मेलवी आपे बे. जे बलदना पुंबडाना बेमा पर मसो उगेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जलनो जय उपजावे जे. जे बलदनी पृष्ठना पालना बन्ने नागो पर मत्स्ययुगलनां लाल श्रथवा सफेद रंगनां चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जल पर्यटन करावे डे, तथा तेथी तेने घणा व्यनी प्राप्ति करावी थापे जे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने जागो पर श्वेत अथवा लाल रंगनां एकेक मत्स्यनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना खामीने जल पर्यटन करावे बे, पण तेमां तेनुं मृत्यु निपजावे . जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने जागो पर दंम सहित Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #205 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२३) उत्रना कारनां श्वेत रंगनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीने अकस्मात् राज्यप्राप्ति करावी श्रापे बे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर श्याम रंगनुं गृध्र (गीध) पदीना मस्तकना श्राश्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनुं नक्षण करे जे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर श्वेत रंगनां कूर्मना आकारनां सूक्ष्म चिह्नो होय, तेवो बलद तेना खामीना परिवारनुं रक्षण करे , तथा तेनी कीर्त्तिने सर्व जगोए विस्तारे जे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर लाल रंगनां दक्षिणावर्त्त शंखना श्राकारनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी कीर्ति वधारे बे, तथा तेनी लक्ष्मीनी पण वृद्धि करे .जे बलदना पृष्टनी पालना बन्ने नागो पर श्याम रंगना कागमानी चंचूना श्राकारनां चिह्नो होय,तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो तथा तेनी कीर्त्तिनो पण नाश करे बे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने जागो पर सफेद रंगनां जिह्वा सहित सर्पना मुखना आकारनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे , तथा तेने अने तेना परिवारने पण श्रापघात करावे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #206 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०४) बे. जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो चपटा अने बेसी गयेला होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे , तथा तेनो मुनियामां अपजश फेलावे . जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर श्याम रंगनां कपोत पदीनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीने जयंकर रोगनी उत्पत्ति करे ने, तथा तेथी तुरत तेनुं मृत्यु निपजावे . जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर सफेद रंगनां दीपकनी शिखाना श्राकारनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीने अग्निनो नय उपजावे . जे बलदना पृष्ठनी पाउलना बन्ने लागो पर लाल रंगनां कोटिक नामना फलना श्राकारनां चिह्नो होय, तेवो बलद तेना स्वामीने खेतीवामीमां घणो लान मेलवी आपे . जे बलदना पृष्ठनी पालना बन्ने नागो पर श्याम रंगनां अर्ध चंजना श्राकारनां चिहो होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवार तथा धननो नाश करे . जे बलदना पृष्ठ नाग पर लाल रंगनुं सर्पना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं मासनी अंदर मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना पृष्ठ नाग पर लाल रंगनुं पुष्पनी मा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #207 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०५) लाना श्राकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनी वृद्धि करे . जे बलदना पृष्ठ नाग पर सफेद रंगनुं नकुलना (नोलीयाना) आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनुं तुरत मृत्यु निपजावे . जे बलदनी ककुद (खांध) बेवेली तथा मादम न पडे तेवी होय. तेवो बलद तेना स्वामीना परिवारनो तथा तेनी कीर्त्तिनो पण नाश करे जे. जे बलदनी ककुद जंची, पुष्ट तथा चालती वखते जरा नमेली रहेती होय, तेने उत्तम जातिनो बलद जाणवो. जे बलदनी ककुद पातली होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी सघली संपत्तिनो नाश करे जे.जे बलदनी ककुद (कोंढ) बार आंगुलथी पण वधारे उंची होय, तेवो बलद तेना स्वामीने वैरी तरफनो अतिशय जय उपजावे . जे बलदनी ककुद पर बिलकुल वाल उगेला न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने राज्यनो लय उपजावे. जे बलदनी ककुद पर घणाज लांबा वालो जगेला होय, तेवो ब. लद तेना स्वामीनी लक्ष्मीनो नाश करे जे.जे बलदनी ककुदना मध्य नागमां खामो पडेलो होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी स्त्रीउँनो नाश करे . जे Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #208 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२०६) बलदनी ककुद गोल, मनोहर तथा पुष्ट होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी संपत्तिनी वृद्धि करे बे. जे बलदनी ककुद पर सफेद रंगनुं वन्ने बाजुए सिंहना नखना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना खामीना कुटुंबनो नाश करे . तेवा बलदनी प्रसंगोपात कथा कहे . पूर्वे श्रीवत्स नामना देशमा मंगलावती नामे नगरी हती; त्यां अनंगपाल नामे राजा राज्य करतो हतो. ते राजाने किरणावली नामे राणी हती. एक दहाडो बंग देशनी चित्रावती नामनी नगरीनो धनद नामे सार्थवाह वेपार माटे केटलांक करीयाणांनां नरेलां वहाणो लश्ने ते मंगलावती नगरीए श्राव्यो. धनद सार्थवाह करोडपति हतो; तथा मंगलावती नगरीमा वारंवार व्यापार करीने त्यांना राजा अनंगपालने घj ऽव्य शुल्क (जगात) तरीके श्रापतो, तेथी अनंगपाल राजा मोटा महोत्सवपूर्वक परिवार सहित तेनी सामे गयो. धनद सार्थवाह त्यां समुकिनारे मोटा तंबुङ ताणीने रह्यो हतो, रा. जाने आवतो जो ते पण तेनी सामे गयो, तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #209 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २०७ ) मोटा आदरसत्कारथी राजाने पोताना तंबुमां परिवार सहित लाग्यो. बन्नेए पोतपोताना परिवारना पापसमां कुशल समाचार पूब्या. पढी धनद सार्थवाहे हाथ जोडीने राजाने विनंति करी के हे स्वामिन्! थाजे तो आप हींज परिवार सहित जोजन करजो, राजा पण तेना घणा आग्रहथी तथा दाक्षिणताथी तेम करवाने कबुल कर पढी सार्थ - वादे पण उत्तम जातिनी जातजातनी रसोइन तैयार करावी. रसोइ तैयार थया बाद सघलाई नोजन करवाने बेवा. ते रसोइ एवा उत्तम प्रकारत्री बनावेली इती के तेनो स्वाद लइ राजा यादिक सर्व परिवार अत्यंत हर्षित थयो. जोजन कर्या बाद, पान, सोपारी, एलची विगेरे मुखवास लइने राजाए थोडीवार श्रीराम लीधो, पाउला पहोरे सार्थवाहे राजाने साथे लइने पोताना सघला तंबुर्जमां तेने फेख्यो, तथा पोतानी साथे रहेलो सर्व सरंजाम तेने देखाड्यों. राजा तो ते सघलुं जोइ श्राश्चर्य पाम्यो, ने विचारखा लाग्यो के हो ! आवडी कुद्धि तो मारा घरमा पण नथी. एवी रीते फरतां फरतां एक मनोहर तंबुनी नजदीक ते श्राव्या. तेमां जइने For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #210 -------------------------------------------------------------------------- ________________ . (२०७) जुए के तो राजाए एक अत्यंत मनोहर तथा पुष्ट एवी एक गायने दीठी. ते गायने एक चाकर उbण पाणीथी स्नान करावतो हतो, तथा बीजो तेना शरीरने साफ करतो हतो. ते गायनो देखाव बहुज मनोहर हतो. ते जो राजानुं मन ललचायुं के आवी गाय मारे त्यां होय तो बहु सारूं. पडी राजा तथा धनद सघली जगोए फरीने पोताने मूल स्थानके श्राव्या. पली धनदे हाथ जोडीने राजाने विनंति करी के हे स्वामिन् ! आपे जे सघली चीजो जोश, तेमांधी आपने जे कंश पसंद पडे ते थाप मारा पर कृपा करीने ग्रहण करो. ते सांजली राजाए कह्यु के हे मित्र! जो तारीचा होय, तो मने ते गाय श्रापजे. माझं मन ते तरफ अतिशय ललचायुं बे, अने तेना बदलामा ढुं तारं आ वखतनुं सघj शुल्क (दाण) माफ करीश. धनदे पण घणीज खुशीथी तेम करवाने कबुब्यु. पडी ते गायने लश्ने राजा पोताने घेर गयो. धनद पण त्यां सघलो माल वेचीने तथा बीजो नवो माल त्यांधीनरीने पोताना देश तरफ पागे गयो. अनंगपाल राजानो प्रेम ते गाय पर घणोज व Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #211 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (200) धतो गयो. तेनी सेवा माटे तेणे पोतानां केटलांक माणसो राख्यां. अनुक्रमे केटलेक काले ते गायने गर्भ रह्यो, ते गर्भ त्रण मासनो थयो, तेटलामां अनंगपाल राजानी राणी किरणावली मृत्यु पामी. पढी संपूर्ण समये घणां कष्टथी ते गाये एक पुष्ट वत्सने जन्म प्यो, तेना जन्मने दिवसे राजानो एक युवान पुत्र मृत्यु पाम्यो, एवी रीते अनुक्रमे राजाना कुटुंबमांथी घणां माणसोनां मृत्यु थयां श्रावी रीतना माठा बनावथी राजा तथा सर्व प्रजा अत्यंत शोकातुर य, पण ते मरणनुं प्रमाण कोइ पण जाणी शक्युं नहीं. • एटलामां कोशांबी नगरीनो सुस्थित नामे कोइ अष्टांगवेदी निमित्त त्यां श्रावी चड्यो तेने अनंगपाल राजाए पोतानी सजामां बोलावी तेनो घ पोज आदरसत्कार कर्यो पढी राजाए विनयपूर्वक तेने पूब्युं के हे निमित्तंज्ञ ! जे केटलाक दिवसो थयां मारा कुटुंबमां घणां माणसोनां मृत्यु थयां करे बे, तेनुं कारण शुं ? ते आपना निमित्तज्ञानथी जाणीने मने कशो. ते सांजली निमित्तिए पोताना निमित्तज्ञानथी १४ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #212 -------------------------------------------------------------------------- ________________ ( २१० ) क के हे राजन् ! तारा घरमा कोइ एवा दुर्लक्षणवाला प्राणीनी उत्पत्ति यइ बे के जेथी तारा कुटुंबनां माणसो मृत्यु पामे बे. ते सांजली राजाए कयुं के त्यारे हुं आपने मारा घरमा रहेलां सघलां प्राणी बतावु, अने तेने जोइ तमो कहो के कया प्राणीनी उत्पत्तिथी यावी रीते मारा कुटुंबनो संहार थाय बे. ते सांजली सुस्थिते पण तेम करवाने क. पी राजाए पोतानां घरनां माणसो, घोडा, हाथी, बलद, गाय विगेरे सर्व प्राणी ते निमित्ताने बताव्यां तेर्जमां पेला वत्सनी ककुद पर बन्ने बाजुए सफेद रंगनुं सिंहना नखना - कारनुं चिह्न ते निमित्तियाने मालुम पड्युं. ते निमित्तिनुं पशुपरीछानी विद्यामां पण बहुज कुशल हतो; तेथी ते वत्सने राजाना कुटुंबनो नाश करनारो जाणीने तेथे राजाने कह्युं के हे राजन् ! श्रा वत्सनी ककुद पर बने बाजुए जे सफेद रंगनुं सिंहना नखना आकारनुं चिह्न बे, ते तमारा कुटुंबने नाश करनारुं बे, माटे ते बलद ज्यांसुधी तमारा घरमा रहेशे, त्यांसुधी तमारा कुटुंबनो नाश यशे. ते सांजली राजाए ते वत्सने बंधनमुक्त करीने For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #213 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२११) पोताना देशनी बहार वनमां मेली दीघो; तथा ते दिवसथी राजाना कुटुंबमां माणसोनां मृत्यु थतां अटक्यां. पनी राजाए ते सुस्थित निमित्तिाने एक लद सोनामोहोरोश्रापीने घणा आदरसत्कारपूर्वक विसर्जन कर्यो. एवी रीते प्रसंगोपात तेवा बलदनी कथा कही. ____एवी रीते बलदनां लक्षणोनुं स्वरूप संपूर्ण थयुं. गायनां लक्षणो पण बलदनां लक्षणोनी पेठेजजाणवां, पण स्वारीने माटे गायनो उपयोग करवो नहीं. केवल गव्य पदार्थो मेलववाने माटेज तेनो उपयोग करवो. __एवी रीते मनुष्यजातिने विशेष उपयोगमा थावतां श्रश्वादिक पशनां पण लवण कह्यां. विद्याप्रवादपूर्वमा सघली जातिनां पशु, पक्षी विगेरे प्राणीनां लक्षणो घणा विस्तारथी कह्यां , पण मनुष्यजातिने विशेष उपयोगमां श्रावतां प्राणीनांज लक्षणो या ग्रंथमां संकोचथी कह्यां ने, केमके ते सघलां लक्षणो वर्णववाथी ग्रंथ घणो वधी जाय, माटे ते लख्यां नथी. पदीनां लक्षणो श्रमोए करेला पदिपरीक्षा नामना ग्रंथमां कलां बे; ते तेमांथी जाणी लेवां. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #214 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२) या ग्रंथ पाटलीपुत्रनां निवासी परमाईती श्री सुहंसी नामनी श्राविकाना श्राग्रहथी श्रमोए विद्याप्रवादपूर्वमाथी उकरीने तेने माटे रच्यो बे. था ग्रंथमां वर्णवेलां लक्षणो वांचीने कोइए पण अकार्य करवामां प्रवर्त्त नहीं, एवी श्रमारी साझा बे. तेम था ग्रंथ को अर्ध विदग्धना हाथमां था. चार्योए पण आपवो नहीं, एवी अमारी श्राझा बे. था ग्रंथनी प्रथम प्रति चौद पूर्वधारी श्रीनबाहुस्वामिनी श्राज्ञाथी महामुनि श्री स्थूलजजीए नेपालदेशनी नईकरा नामनी नगरीमा लखी. ते उपरथी पाटलीपुत्रना निवासी श्रीमुख नामना श्रावके लखावी. ते उपरथी परमाईत श्रीकुमारपाल राजानी आझाथी कलिकालसर्वज्ञ श्रीहेमचंदाचार्ये पोताना परम विश्वासु शिष्य पासे तामपत्र पर लखावी, तथा ते था प्रति श्रीकुमारपाल राजाए पो.. ताना गंडारमा महोत्सवपूर्वक धारण करी. (श्रीहेमचंड श्राचार्य था प्रतना देखा पत्रमा पोतानाज हस्ताक्षरथी लखे जे के) इदं सामुजिकशास्त्रं यात्रार्थ गतेन मया मरुजूमौ श्रीजेसलमीरनाम्नो नगरस्य जैनपुस्तकालयमध्यगत Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #215 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१३) लेप्यमयजीर्णस्तंनतस्तालपत्रेषु लिखितं लब्धं, तत्पुस्तकं मया तत्रस्थसंघाझया प्रतिलिख्य विलोकितं, तदा “इदं सामुद्रिक शास्त्रं श्रीनेपालदेशस्य ललामनूतायां श्रीनऊंकरानामनगाँ चतुर्दशपूर्वभृढीजबाहुखामिनां परमाझया महामुनिश्रीस्थूलजजेण वहस्तलिखितं जीर्णतालपत्रमयपुस्तकतो विक्रमसंवत् एकोनविंशत्यधिकत्रिशतवर्षे पाटलीपुत्रनिवासिश्रीमुखनामश्राफार्थ निकुकरत्नशेखरेण लिखितं” इति लेखो मया तदंतिमतालपत्रे दृष्टः, तहिलोक्य मे मनसि महदाश्चर्यजातं, पश्चाबहुप्रयत्नेन जेसलमीरस्थसंघाझया तजीर्णपुस्तकं मयाऽणहि पुरपत्तने सहानीतं, च, परमाईतश्रीकुमारपालनरेंप्राणां दर्शितं, तदृष्ट्वा जातहर्षेण नरेंजेण नवीनतालपत्रोपरि तस्य प्रति मम विश्वस्तशिष्यपार्श्वे लिखाप्य महोत्सवपूर्वकं स्वजांडागारे स्थापितं, च जीर्णपुस्तकं जेसलमीरनगरे पुनः प्रेषितं. श्रीरस्तु. ___ एवी रीते चौदपूर्वधारी श्रीनबाहुखामिए जगत्जीवोना हित माटे रचेवू सामुजिकशास्त्र संपूर्ण थयु. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #216 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१४) स्वप्नविचार. HM मनुष्योने नव प्रकारे स्वप्न श्रावे ले. तेमां १ 'अनुलवेली वात स्वप्नमां श्रावे . ५ सांजलेली वात स्वप्नमां देखे . ३ जोयेली वस्तु स्वप्नमां देखे . ४ प्रकृतिना विकारथी स्वप्न श्रावे . ५ सहज खन्नाव। स्वप्न यावे . ६ चिंतानी परंपराधी स्वप्न श्रावे . ७ देवतादिकना उपदेशथी स्वप्न श्रावे . धर्मकार्यनाप्रनावथी स्वप्नजोवामां आवे .ए पापना उदयथी स्वप्न श्रावे . उपर कहेला नव प्रकारनां स्वप्नमांथी पहेला उप्रकारमांथी को प्रकार, स्वप्न श्रशुल अथवा शुन जोवामां आवे तो ते निरर्थक जाय बे, अने बेहा त्रण प्रकारनां स्वप्नमांथी कोइ पण प्रकारनुं स्वप्न देखे तो तेनुं शुनाशुन फल अवश्य मले बे. रात्रिना प्रथम पहोरमां स्वप्न देखे तो तेनं फल एक वर्षनी अंदर मले बे, रात्रिना बीजा पहोरमां स्वप्न • देखे तो तेनुं फल उमासनी अंदर मले डे, रात्रिना त्रीजा पहोरमां खप्न देखे तो तेनुं फल त्रण मासनी Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #217 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१५) अंदर मले बे अने रात्रिना चोथा पहोरमां स्वप्न देखे तो तेनुं फल एक मासनी अंदर मले बे. रात्रिनी बेबी बे घडीनी अंदर देखेगुं स्वप्न दश दिसनी अंदर फले . सूर्योदय वखते दीठेढुं स्वप्न तुरत फले . दिवसे देखेल स्वप्ननी श्रेणी, श्राधि, व्याधियी उत्पन्न थयेल तथा मलमूत्रादिकनी पीमाथी उत्पन्न थयेल स्वप्न निरर्थक थाय बे. जे पुरुष धर्मने विषे रक्त, समधातुवालो, स्थिर चित्तवालो, जितेन्जिय अने दयालु होय ते प्राये करीने स्वप्नथी प्रार्थित अर्थने साधे बे. खराब स्वप्न कोश्ने संजलाववुज नहीं. सारं स्वप्न गुरु श्रादिकने संजलाववू, अने संजलाववा योग्य को न मले तो गायना कानमां पण संजलाववं. शुन स्वनने जोश्ने सूq नहीं, केमके तेथी तेनुं फल मलतुं नथी; माटे बुद्धिमान् माणसे शुन्न स्वप्न जोश्ने रात्रि पण जिनेश्वर प्रजुना स्तवनमां गुजारवी. शुज स्वप्न उत्तम पुरुष बागलज कहे. ते उपर मूलदेवनुं दृष्टांत कहे जे. __को एक राजानो पुत्र अणमानीतो , तेनुं नाम मूलदेव जे. तेने घणुंज दान श्रापवानुं For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #218 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१६) व्यसन होवाथी राजाए तेने काढी मूक्यो. ते फरतो फरतो कोश्क गामे श्राव्यो. पोते महाध. मवंत जैनमति , परंतु खावाने कार पण नहीं होवाथी शहेरमां याचवाने गयो. तिहां फरतां एक वणिके नेसने माटे अमद रांध्या हता ते तेणे मूलदेवने आप्या. ते लश् मूलदेव वामीमां श्राव्यो अने मनमां चिंतववा लाग्यो जे कोइ अतिथि श्रावे तो तेने नोजन आपीने पढ़ी हुँ नोजन करूं. एटलामा एक साधु पण त्यां आव्या, तेने मूलदेवे बाकला वहोरावी दीधा अने पोते आनंदथी सूझ रह्यो. त्यां निराबाधपणे संपूर्ण चंडमा में गल्यो एवं स्वप्न तेणे दी, अने देखीने जागी गयो. वली जे वामीमा मूलदेव सूतो हतो तेज वाडीमां एक बावानो मठ हतो. ते मठमां ते बावाना चेलाए पण तेवुज स्वप्न दीवं, देखीने जाग्यो भने प्रजातमा पोताना गुरुने कडं. ते वारे गुरुए कह्यु जे तुं श्राज गाममां निदा सेवा जश ते वारे तने चंझमा जेटलो मोटो अने घृते चो. पमेलो रोटलो गोल सहित मलशे. ते सांजली चेलोराजी थश्ने जिदा सेवा गयो ते वारे तेने गुरुना Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #219 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१७) कह्या प्रमाणे रोटलो मल्यो. हवे ते वात राजकुमार मूलदेवे सांजलीने विचास्युं जे हुं एनी आगल मारा स्वप्ननी वात कहीश तो मने पण एटर्बुज फल कदेशे, केमके जे खप्न एना चेलाए दीतुंबे ते में पण दी बे; माटे एनी श्रागल तो वात कहीश नहीं. एम विचारी हाथमां श्रीफल लश्ने शहेरमा गुरु बागल गयो. त्यां तेणे स्वप्ननी वात कही, ते वारे गुरुए कह्यु के तुं मारी दीकरी परणीश तो हुँ तने स्वप्ननुं फल कहीश. त्यारे मूलदेवेकडं के मारी नात जात तो तमे जाणता नथी श्रने तमारी पुत्री केम परणावो बो? ते वारे तेणे कडं के में सर्व वात जाणी जे एम कही तेने पुत्री परणावीने पनी स्वप्ननुं फल कडं के आ गामनो अपुत्री राजा श्राजथी सातमे दिवसे मरण पामशे अने तुं आ गामनो राजा थश. ते वात साची मानीने मूलदेव फरीने तेज वामीमां गयो. एम करतां सातमे दिवसे गामनो राजा पण मरण पाम्यो. ते वारे राजा विना कोश्ने चाले नहीं तेथी पंचे एका थश्ने एवो ठराव कत्यो के पाटवी घोमो, पाटवी हाथी अने पाटवी प्रधान इत्यादि Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #220 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१७) कने शणगारीने कर्वा जे जेने ए राजा करी थापे तेने राजगादीए बेसामवो; केमके तेम कर्याथी पित्राश गोत्रा जे होय ते पागल उपर कांश वांधो करी शके नहीं. हवे हाथी ने घोमो ए बे बहार नीकलीने जे वामीमां मूलदेव सूतो ते वामीमां श्रावी हाथीए गललाट करी मूलदेवना मस्तक उपर कलश ढोल्यो भने घोडे हणदणाट कर्यो. पनी हाथी तेने शुढथी उपाडी पोतानी पीठ उपर बेसामीने शहरमां लश् श्राव्यो भने लोकोए तेने राजपाटे थाप्यो; माटे सारं स्वप्न दी होय तो उत्तम माह्या पुरुष आगल कहे, पण मूर्ख श्रागल नज कहे; कारणके तेम करवाश्री पुःख थाय जे. ते उपर एक वणिकस्त्रीनुं दृष्टांत कहे . ___ को वणिकस्त्री 'में समुपान कर्यु' ए, स्वप्न जोश जागी ग.पनी प्रनाते ते स्वप्ननुं फल पूबवा माटे गहुली लश् गुरु पासे जवा लागी.रस्तामा एक सहीयर मली. तेणे पूज्युं के "ब्देन! गहुली लश् क्यां जाव डो ?" ते वारे ते स्त्रीए उत्तर प्राप्यो नहीं एटले सहीयरे ग्रहथी पूब्युं, तेथी तेणीए कह्यु के " में स्वप्नमां समुनपान कर्यु डे तेनुं फल पूबवा गुरु पासे जाउं Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #221 -------------------------------------------------------------------------- ________________ " ८८ ( ११७) बुं.” ए सांजलीने सहीयर तुरत बोली उठी के " एवको मोटो समुद्र पीतां तारुं पेट केम फाट्युं नहीं ?” एम हांसीमां बोलीने चालती थइ. पछी वशिकस्त्रीए गुरु पासे गहुली करी स्वप्ननो अर्थ पूठ्यो, एटले गुरुए तेनो इंगित आकार जोश्ने कयुं के तमे ए स्वप्ननी वात प्रथम कोने कही बे ? वणिकस्त्रीए उत्तर श्राप्यो के " मारी सहीयरने कही बे. " पठी गुरुए कयुं के " जो तमे ते वात प्रथम कोइनी आगल न कही होत तो जाग्यवंत पुत्रनी प्राप्ति थात, पण हवे तो आजथी सातमे दिवसे तमने कष्ट थशे, माटे घेर जइ धर्मध्यान तथा दान पुन्य विगेरे आत्मसाधन करो. " पढी ते स्त्री घेर यावी दान पुन्य विगेरे धर्मकार्य करी सातमे दिवसे मृत्यु पामी, माटे सारुं स्वप्न जेवा तेवा माणस आगल कहेतुं नहीं. कोइ योग्य न मले तो गायना कानमां कहेतुं, पण कह्या विना फल न पमाय. "" Paraastani वे तो फरीने सूइज अने ते कोइनी श्रागल पण कहेवुं नहीं; कारणके तेथी ते फलवंत यतुं नथी. प्रथम जे माणस खराब खप्न जोइने पाठ Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #222 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (१२०) लथी शुज स्वप्न जुए के तेने ते स्वप्न ( शुल) फलदायक थाय बे, अने एम परावर्ते जाणवू. स्वप्नमां मनुष्य, सिंह, घोमो, हाथी, वृषज अने सिंदणथी युक्त एवा रथमा आरुढ थयेलो जे माणस जाय , ते राजा थाय बे. स्वप्नमां घोमा, हाथी, वाहन, आसन, घर, निवसन आदिकनो अपहार जुए तो राजजय, शोक, बंधुऊनो विरोध अने अर्थहानि थाय . स्वप्नमां जे पुरुष सूर्य चंजनां संपूर्ण बिंबने गली जाय ते गरीब होय तोपण सुवर्ण श्रने समुज सहित पृथ्वीने निश्चे मेलवे . प्रहरण, आनूषण, मणि, मोती, सोनू, रूपुं तथा धातुर्नु हरण थतुं स्वप्नमां जुए तो ते स्वप्न धन अने मानने नाश करनारूं तथा प्रायः जयंकर मरण करनारूं थाय बे. सफेद हाथी पर बेठो थको नदीने कांठेजातनुं जोजन करुं बुं एवं स्वप्न जे माणस जुए ते जातिहीन होय तोपण धर्मरूपी धनने ग्रहण करतो थको श्राखी पृथ्वीने नोगवे बे. पोतानी स्त्रीनुं हरण थाय ने एबुं स्वप्न को जुए तो तेना धननो नाश थाय , पोतानी स्त्रीने को परानव करे एवं स्वप्न जुए तो क्लेश उपजे जे अने गोत्रनी स्त्रीना हरण तथा Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #223 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२१) परानव- स्वप्न देखे तो बंधुउनो वधबंधन थाय जे. स्वप्नमा सफेद सर्पथी जे माणस पोतानी जमणी जुजामां मंखाय, तेने पांच रात्रिमा सहस्र सोनामोहोरो मले बे. जे माणसनी शय्या तथा पगरखांनुं हरण स्वप्नमां थाय बेतेनी स्त्री मृत्यु पामे बे तथा तेना शरीरे अत्यंत पीमा थाय जे. जे जाणस मनुष्यनां मस्तक, पग तथा हाथर्नु स्वप्नमां नदाण करे बे, तेने अनुक्रमे राज्य, हजार सोनामोहोरो तथा तेथी अर्धी सोनामोहोरो मले बे. जे माणस बारणांनी जोगल, शय्या, हिंचोलो, पादुका तथा घरनो जंग स्वप्नमां जुए , तेनी स्त्रीनो नाश थाय जे. जे माणस स्वप्नमां तलाव, समुफ, जलथी नरेली नदी तथा मित्रनुं मरण जुए बे, तेने निमित्त विना पण अत्यंत धन मले बे. जे माणस स्वप्नमां बाणवालुं गमुल तथा औषध सहित तपेढुं पाणी पीए बे, ते माणस निश्चे अतिसार रोगथी मृत्यु पामे . जे माणस स्वप्नमां देवनी प्रतिमानी यात्रा, स्नान, नेट तथा पूजा श्रादि करे , ते माणसने सर्व जगोएथी वृद्धि थाय जे. जे माणस स्वप्नमां पोताना हृदयरूपी तलावमा उत्पन्न थयेला, कमलोने For Personal and Private Use Only Jain Educationa International Page #224 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२२) जुए बे, ते माणस कुष्ठी श्रश्ने तुरत मृत्यु पामे बे. जे माणस स्वप्नमां मनोहर घी मेलवे ने, तेनो यश वृद्धि पामे , वली वीरान्ननी साथे तेनुं खावं जुए ए प्रशस्त . स्वप्नमां हसे तो थोमा वखतमां शोक थाय, नाचे तो वधबंधन थाय अने नणे तो कलह थाय एम माह्या माणसे जाणवू. काली गाय, घोडो, राजा, हाथी अने देव ए सिवायनी बीजी को काली चीज स्वप्नमां कोइ माणस जुए तो तेनुं मातुं फल मले बे. कपास अने लवणादि सिवायनी सफेद चीज कोइ माणस स्वप्नमां जुए तो तेनुं सारं फल मले बे. जे स्वप्नां पोता प्रत्ये जोयेल होय तेनुं शुन अथवा अशुन फल ते माणसने थाय ने अने जे स्वप्नां बीजा प्रत्येनां होय तेमां तेने पोताने कां थतुं नथी. खराब स्वप्न जोवामां आवे तो देवगुरुने पूजवा तथा शक्ति प्रमाणे तप करवो; कारणके हमेशां धर्ममां रक्त थयेला माणसोने खराब स्वप्न पण उत्तम स्वप्न तुख्य थाय बे. __स्वप्नशास्त्रमा बेंतालीश स्वप्न मध्यम अने त्रीश स्वप्न उत्तम कह्यां . सर्वे मली बहोतेर Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #225 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (२२३) स्वप्न ले तेमां प्रथम बेतालीश स्वप्ननां नाम आ प्रमाणे बे. १ गंधर्व, २ राक्षस, ३ नूत, ४ पिशाच, ५ खवीस, ६ महिष, ७ अहि, वानर, ए कंटकवृदा, १० नदी, ११ खजूर, १२ स्मशान, १३ उंट, १४ खर, १५ मार्जार, १६ श्वान, १७ जस्म, १७ अस्थि, १ए वमन, २० तम, २१ कुस्त्री, २२ चर्म, २३ रक्त, २४ कलह, २५ जूकंप, २६ ग्रहयुक, २७ तारापतन, सूर्यचंड स्फोटन,श्ए महावायु, ३० महातप, ३१ विस्फोटक, ३२ पुर्वाक्य,३३ बुकस, ३४ दोस्त, ३५ सं. गीत, ३६ अस्म, ३७ धीज,३७ वामन, ३ए विवक्तदृष्टि, ४० जलशोष, ४१ निर्घातनंग अने ४२ नूमन. हवे त्रीश उत्तम स्वप्ननां नाम था प्रमाणे .१ अरिहंतनी प्रतिमा, २ हस्ती, ३ गणेश, ४ वृषन, ५ ग्रह, ६ सिंह, ७ पर्वत, ७ लक्ष्मी देवी, ए मत्स, १० फुलमाला, ११ कल्पवृक्षा, १२ चं, १३ सूर्य, १४ नृपति, १५ ध्वजा, १६ पूर्ण कलश, १७ गाय, २७ पद्म सरोवर, एए नजासन, २० समुज, २१ मांस, २२ देव विमान, २३ रत्नराशि, २४ अग्निशिखा, २५ देवांगना, २६ देवदर्शन, २७ मेघ, २७ सुवर्ण, ए ब्रह्मा अने ३० कृष्ण. Jain Educationa International For Personal and Private Use Only Page #226 -------------------------------------------------------------------------- ________________ (24) वलीतीश स्वप्ननी अंदर अतिश्रेष्ठ एवां चौद स्वप्न अने ते तीर्थकरनी माता देखे बे. ते चौद स्वप्ननां नाम आ प्रमाणे बे. 1 हाथी, 2 वृषन, ३सिंह, लक्ष्मी, 5 फुलमाला, 6 चंड, 7 सूर्य, ध्वजा ए कलश, 10 पद्म सरोवर, 11 समुख, 15 देवविमान, 13 रत्नराशि अने 14 अग्निशिखा. आ चौद स्वप्नमांथी वासुदेवनी माता सात स्वप्न जुवे बे, बलदेवनीमाता चार स्वप्न जुवे ने अने मंमलिकनी माता मात्र एकज स्वप्न जुए जे. इति. Aawaariwa Nagar Peo Jain Educationa International For Personal and Private Use Only