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( २६ ) हवे मस्तकनां लंबनोनुं स्वरूप कड़े बे. जेनुं मस्तक विशाल होय, तेने उत्तम जाग्यशाली तथा बुद्धिवान् जाणवो, तथा जेनुं मस्तक खुणावालुं अने विषम होय, तेने दरिद्री अने दुराचारी जा
वो, तथा जेनुं मस्तक पर्वतना शिखरनी पेठे उपर टोचवालुं होय, तेने एकावतारी जाणवो, जेना मस्तकमा टाल पडेली होय, तेने धन तथा पुत्रोधी सुखी जाणवो, जेना मस्तकमां बिलकुल वाल उगता न होय, तेने पण दरिद्री जावो.
हवे मस्तक परना केशोनुं स्वरूप कहे . श्याम जमरा सरखा श्याम रंगवाला जेना केशो होय, तेने जोगी जाणवो, तथा जेना केशो नूरा होय, तेने लंपट जाणवो; वली जेना केशो जामा होय, तेने टुंका आयुष्यवालो जाणवो, तथा जेना केशो टुंका होय ने बुटा बुटा होप, तेने मोटो लोजिष्ट जाणवो, तथा जेना केशो बरम होय, तेने सुखमली शकतुं नथी; वली जेना केशो लाल रंगनी कां मारता होय, ते बहुज लोकप्रिय थाय बे, तथा जेना केशो अत्यंत लांबा वधे बे, ते स्त्रीने वल्लन थाय बे, अने जेना केशो नरम रेशम जेवा
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