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( ११४ ) श्रानंदपुरना राजाए सुवर्णपुरना राजाने मारवा माटे एक बाप बोड्युं, पण ते बाण राजाने नहीं वांगतां ते इस्तीना ललाटमां वाग्युं छाने तेथी ते भूमि पर पड्यो, तथा तेनी नीचे सुवर्णपुरनो राजा पण दबाने मृत्यु पाम्यो.
या बनाव जोश्ने श्रानंदपुरना राजाने खेद थयो के जे हस्ती माटे या रणसंग्राम करवो पड्यो ते दस्ती तो मृत्यु पाम्यो.
एटलामां ते राजानां पुण्योथीज होय नहीं जेम तेम एक चारणमुनि श्राव्या. तेथे आनंदपुरना राजाने कह्युं के हे राजन् ! ते हस्ती मेलववा माटे तुं खेद नहीं कर, केमके तारां पुण्यना प्रबलथीज तेत्रा हस्तीनो तने मेलाप थयो नयी. ते हस्ती जेनी जेनी पासे गयो, तेनी लक्ष्मीनो नाश थयो बे, एम कही पूर्वनो सघलो संबंध मुनिए राजाने कही संजलाव्यो वली पण मुनिए कह्युं के तेनी जो तारे खात्री करवी होय, तो तेनुं कलेवर तुं तपासजे, के जेना उदर पर श्वेत रंगनुं चमरना थाकारनुं चिह्न दशे, तेवो हस्ती सर्वज्ञ प्रजुए राज्य यादिक लकीनो नाश करनारो कह्यो बे, जो के लक्ष्मी श्र
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