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(२७) ते धनवान् अने सुखी थाय, अंगुलना मूलमांजोजवनी माला होय तो तेमाणस पण अत्यंत सुखी थाय.
जेना हाथमा घणीज रेखाउँ होय, ते माणस मूर्ख, निर्धन अने निर्लज थाय , तथा तेनो व्यवहार लोकोमा वधतो नथी तथा बहुज घातकी थाय अने तेथीमहापापो बांधे जे; वली मणिबंधथी चालेली रेखा जो अंगुग अने तर्जनीनी वच्चे जाय, तो सारी, अने जो आंगली सन्मुख जाय, तो पुःख श्रापे; वली जेनीांगलीउमा जव होय, तेने महाविहान् जाणवो; वलं। जेने जमणा अंगुगमा जव होय, तेने घणा पुत्रो थाय, जेने तर्जनी अने वचली श्रांगली वच्चे बिउ रहे, तेने घेर लक्ष्मी स्थिर वास करे नहि, तथा जेने तेमां बिज न रहेतुं होय, ते बहु धनवालो पण लोनिष्ट थाय; वली जेने सन्मुख रेखा, मल होय, तेनो व्यवहार घणो सारो होय तथा तेने सुख संपदा . पण घणी मले बे; वली जो आंगलीउमां त्रण त्रण ऊर्ध्व रेखाउँ होय, तो तेनुं तेने उत्तम फल मले बे, तथा जेना नखो लाल होय, अने तेनी अंदर सफेद बिंठ होय, तेने पण राज्यलक्ष्मी मले बे; वली
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