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________________ ( १४६ ) तेवो बलद तेना स्वामीनुं ब मासनी अंदर मृत्यु निपजावे बे. जे बलदना श्रागला जमणा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं योनिना आकारनुं चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामींना परिवारनो तुरत नाश करे बे. जे बलदना आगला जमणा पगनी जांगमां लाल रंगनुं ध्वजने यकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्त्तिने चारे दिशामा फेलावे बे. जे बलदना श्रगलना जमणा पगनी जांगमां गुलाबना रंग जेवा तथा कोमल वाल होय बे, तेवो बलद वासुदेवनेज प्राप्त थाय बे. जे बलदना आगला जमणा पगनी जांगमां सफेद रंगनुं त्रिशूलना आकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीने शत्रु तरफनो जय उपजावे बे. जे बलदना आगला जमणा पगना घुंट पर सफेद रंगनुं शंखना श्राकारनुं चिह्न होय बे, तेवो बलद तेना स्वामीनी कीर्त्तिनो फेलावो करे बे. जे बलदना या गलना जमणा पगना घुटनी नीचे सफेद रंगनुं वलयने आकारे चिह्न होय, तेवो बलद तेना स्वामीने चक्रवर्तीपणानुं राज्य पावे बे. तेवा बलदनी प्रसंगोपात कथा कहे बे. पूर्वे श्राज जंबूद्वीपना जरत नामे देत्रमां कोशल Jain Educationa International For Personal and Private Use Only www.jainelibrary.org
SR No.003684
Book TitleSamudrik Shastranu Gujarati Bhashantar
Original Sutra AuthorN/A
AuthorShravak Bhimsinh Manek
PublisherShravak Bhimsinh Manek
Publication Year1914
Total Pages226
LanguageGujarati
ClassificationBook_Devnagari
File Size8 MB
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