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( ४१ ) पेरुं उंचुं नीचुं टेकरावालुं होय, ते स्त्रीने दरिद्री जाणवी. जे स्त्रीनुं पेडुं सपाट तथा कोमल होय, ते स्त्रीने राजानी पट्टराणी जाणवी. जे स्त्रीना पेरु परना वालोमा चक्रनो आकार होय, तेणीने वासुदेवनी मुख्य स्त्री जाणवी. जे स्त्रींना पेडुना वालमां जमरानो आकार होय, तेणीने कुलनुं जक्षण करनारी राक्षसी सरखी जाणवी. जे स्त्रीना पेरुना वालमां शंखनी निशानी होय, तेलीने चक्रवर्तीनी पहराणी जाणवी. जे स्त्रीनुं पेरुं अत्यंत कठिन थने मांस वि नानुं होय, तेणीने दुर्भागिणी जाणवी. जे स्त्रीनी योनि कमलनी पीठना थाकारनी होय, ते स्त्रीने धननी तथा पुत्रोनी वृद्धि करनारी जाणवी; वली जे खोनी योनि कोमल होय, ते स्त्रीने पण उत्तम जावी. जे स्त्रीनी योनि लांबी होय तेणीने पुर्जागिणी तथा कुलनो नाश करनारी जाणवी. जे स्त्रीनी योनिनो जमणो जाग उंचो होय, ते स्त्री घणा पुत्रोने जन्म आपे, तथा जे स्त्रीनी योनिनो माबो जाग उंचो होय, ते घणी पुत्रीने जन्म श्रापे. जे स्त्रीनी योनि बहुज जंगी होय, ते स्त्री वंध्या होय. जे स्त्रीनी योनि पर दक्षिणावर्त जमरो होय, ते स्त्री
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