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( १४०) एक गाय , तेने पेटे पूर्व नवना प्रेमथी उपकारना बदला निमित्ते वबननो जीव बलदपणे आवीने उत्पन्न थशे, ते बलदना निमित्तथी तेने घणुं व्य मलशे; ते बलद अकस्मात् अत्यंत धननी तेने प्राप्ति करी थापशे, केमके तेनां शींगमांऊनो रंग चलकता लीला रंगनो थशे;तेवा बेलने श्रीअरिहंत प्रजुए थकस्मात् धननी प्राप्ति थवामां निमित्तरूपे कहेलोवली ते बन्ने माणसो नव्यजीवो बे; तेउँने धन मट्या बाद पांच वर्ष पडी ते वैराग्य पामी दीक्षा लेशे, तथा श्रहीथी खर्गे जश, महाविदेहमा उत्पन्न थश्मोदे जशे.
एवी रीतनी श्री प्राचार्य महाराजनी वाणी सांजलीने राजा अत्यंत हर्षित थयो थको पोताने स्थानके गयो; पड़ी तेज वखते सुबंधु राजाए सुनअने बोलावी कह्यु के तारी गाय जे बच्चाने प्रसवे, ते बच्चु मने श्रापजे, तेना बदलामा हुँ तने पांच लाख सोनामोहोरो श्रापीश. ते सांजली सुनने तो आश्चर्य थयु, श्रने मनमा विचारवा लाग्यो के राजा कंश्क केफना निशामां बके बे; तेने विचार क. रतो जो राजाए तेने कडं के हे सुन! तुं विचार नहीं कर. हुं जे मारा मुखमाथी बोल्यो बुं, ते
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