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धूपपूजा
दोहा
मनवांछित इच्छा फले, टले दुख और व्याध । धूप धूपावी सम्मुखे, माणिभद्र आराध ॥ चोथी ढाल
राग - चिरमी बाबारी लाडली
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वन वगडा में आविया, शेठ मगरवाडे आप |
धन धन धरती हुई ॥ (१)
सिद्धाचल आदिनाथ का, नित मनमें धरता ध्यान । धन धन धरती हुई ॥ (२)
वारकरी शिर कापियुं, धड काप्युं दूजी वार । धन धन धरती हुई ॥ (३)
शिर उज्जैन, आगलोड में, धड पूजी जे आज । धन धन धरती हुई ॥ (४)
मगरवाडे पिंडी पूजन, व्यंतरेन्द्र बने हैं आप । धन धन धरती हुई ॥
(4)
यक्षेन्द्र माणिभद्रजी, पूजे हैं परचावंत ।
धन धरती हुई ॥
(६)
दर्शन नित्यानंद गुरु, चन्द्रानन हाजर हजूर । धन धन धरती हुई ॥
તપાગચ્છાધિષ્ઠાયક
मंत्र
ॐ ह्रीं श्री माणिभद्राय सर्व मंगल कराय, हस्तिवाहनाय, सर्व सिद्धि कराय । सर्वोपद्रव विनाशाय वृद्धिं कुरु धूप आघ्राय स्वाहा ॥
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