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जलधर्मके सारे संकेतों की कामना करते स्पष्ट मानम बेता है किसका प्रभाव बेबिलोनसे लेकर बोरोप तक न स्पात न वाजिस यूनानी बीवनका उदाहरण दिया गया है वह फिर मूलस: दूसरे प्रकारका था। यह भिन्न उपादानोंसे मना या यह था भोगसर्वस्व, अर्थात्, भोमलालसा पोर काममा को चरितार्थ करना इसमें पूरी मात्राया। मेकिन ईसाके पूर्व वीं सदी में मनीषी पैथागोरस निकले। वे एक बैनसाधक थे पौर जैनसन्यासी भी। और उस देश और इस देशका सम्बन्ध सिर्फ इयावाणी और ऋष्यश गके उपाख्यानसे अनुमित नहीं होता, बल्कि प्रति प्राचीन कालम भी बेबिलोन, केपाडोसिया (माजका इराक और तुर्किस्ता) मादि पच्छिमके देश और भारतका द्राविड़देश-दोनोंका सम्बन्ध घनिष्ठ था। शायद दोनों में एक जातिके लोग थे।
इसके प्रमाणो में देवीधर्म मुख्य है। मा,बोड, अम्मा प्रावि मातृवाचक शब्द द्राविडोमे पाये जाते हैं। सबभी उत्कल मे मी को बोड कहते है। बहुकालके बाद संस्कृत में 'मा'लक्ष्मी वाचक सन्द बना है । यह सस्कृत के 'मातृ' शब्दके समान नही है। 'बोड'शब्द उत्कलके अलावा असम में प्रबभी चलता है। लेकिन ये शब्द उस जमाने में, अर्थात् ईसाके पूर्व ३०००साल पहले उन पश्चिमी राज्योमे मातदेवीके अर्थ में अत्यन्त साधारण थे। कीट दीपसे अब भो सिंहवाहिनो देवोदुर्गाको पत्थरकोमूर्तिनिकली है ।
इस मातृदेवीके साथ शिवका भी माविर्भाव हुमा था। इसकी व्याख्या अत्यन्त स्वाभाविक और सुबोध्य है। महायोनि और महालिंग विश्वप्रजनन के प्रतीक है। पश्चिमी भूमिमें उस